भारतीय एनिमेशन उद्योग ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारतीय संस्कृति, परंपराओं और अद्भुत दृश्य कथा पर आधारित एनिमेटेड फिल्म ‘देशी ऊन’ ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित एनिमेशन मंचों में से एक एनेसी इंटरनेशनल एनीमेशन फेस्टिवल 2025 में सर्वश्रेष्ठ कमीशन्ड फिल्म के लिए जूरी पुरस्कार जीता है। यह जीत न केवल एक फिल्म की सफलता है, बल्कि भारतीय एनीमेशन उद्योग के सामूहिक प्रयासों और रचनात्मकता की वैश्विक मान्यता भी है।
देशी ऊन: एक संक्षिप्त परिचय
‘देशी ऊन’ एक ऐसी एनिमेटेड फिल्म है जो भारतीय ग्रामीण जीवन, परंपराओं और शिल्पकला को हास्य और गहरे मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। फिल्म की कहानी ऊन उद्योग से जुड़े ग्रामीण कारीगरों की है, जो अपनी मेहनत, ईमानदारी और सृजनात्मकता से अपनी दुनिया को सुंदर बनाते हैं।
फिल्म का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना है कि कैसे स्थानीय कहानियाँ, जब उन्हें समर्पण और तकनीकी उत्कृष्टता से गढ़ा जाए, तो वे वैश्विक दर्शकों के दिलों को छू सकती हैं।
निर्देशक और क्रिएटिव टीम
सुरेश एरियत
‘देशी ऊन’ का निर्देशन भारतीय एनीमेशन के अनुभवी और सम्मानित निर्देशक सुरेश एरियत ने किया है। सुरेश एरियत भारतीय एनिमेशन के शुरुआती दौर से जुड़े रहे हैं और उन्होंने देश में एनिमेशन को एक गंभीर रचनात्मक कला के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में बनी यह फिल्म न केवल तकनीकी रूप से उत्कृष्ट है, बल्कि इसकी कथा भी दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।
टीम और स्टूडियो
फिल्म को भारत के अग्रणी स्टूडियो द्वारा तैयार किया गया, जहां कलाकारों, डिजाइनरों, एनीमेटरों और तकनीकी विशेषज्ञों ने मिलकर इसे साकार किया। हर फ्रेम में टीम की मेहनत और भारतीय हस्तकला की बारीकियाँ नजर आती हैं।
‘देशी ऊन’ की कहानी और निर्माण शैली
‘देशी ऊन’ एक ऐसी फिल्म है जो भारतीय परंपराओं, ग्रामीण जीवन, हास्य और गहरे सांस्कृतिक मूल्यों को एनिमेशन के फ्रेम-बाय-फ्रेम तकनीक के जरिए प्रस्तुत करती है। इस फिल्म में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक भारतीय शिल्पकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसके हर फ्रेम में लोककथाओं, ग्रामीण जीवन की सादगी और भारतीय हस्तशिल्प का सौंदर्य नजर आता है।
फिल्म का निर्देशन जाने-माने एनिमेटर सुरेश एरियत ने किया है, जिन्हें भारतीय एनीमेशन का अग्रणी माना जाता है। उनकी रचनात्मकता और नेतृत्व में ‘देशी ऊन’ ने वैश्विक स्तर पर न केवल सराहना बटोरी बल्कि भारतीय एनीमेशन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
फिल्म ‘देशी ऊन’ की निर्माण तकनीक और कला शैली
‘देशी ऊन’ को फ्रेम-बाय-फ्रेम स्टॉप मोशन एनीमेशन तकनीक से तैयार किया गया। इस तकनीक में हर फ्रेम को अलग-अलग हाथ से तैयार किया जाता है, जिससे हर दृश्य में एक विशेष जीवंतता और हस्तकला की महक आती है।
मुख्य तकनीकी विशेषताएँ
- हैंडक्राफ्टेड सेट्स और कैरेक्टर: फिल्म में सभी पात्र और सेट हाथों से बनाए गए हैं। ऊन, लकड़ी और मिट्टी जैसे पारंपरिक सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है।
- फोक आर्ट से प्रेरित डिज़ाइन: फिल्म की दृश्य शैली में भारतीय लोककला जैसे मधुबनी, वारली और कच्छ के कढ़ाई शिल्प की झलक दिखती है।
- ध्वनि और संगीत: फिल्म का संगीत पारंपरिक भारतीय वाद्ययंत्रों पर आधारित है, जो कहानी की आत्मा को और प्रभावशाली बनाता है।
एनेसी इंटरनेशनल एनीमेशन फेस्टिवल 2025: एक ऐतिहासिक जीत
एनेसी इंटरनेशनल एनीमेशन फेस्टिवल को एनिमेशन की दुनिया में ऑस्कर जितना ही प्रतिष्ठित माना जाता है। 2025 में आयोजित इस समारोह में 60 से अधिक देशों की प्रविष्टियाँ शामिल थीं। इस वर्ष प्रतियोगिता में कुल 32 थीम्स पर आधारित फिल्मों ने भाग लिया। इनमें से ‘देशी ऊन’ को सर्वश्रेष्ठ कमीशन्ड फिल्म के लिए जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार इस बात का प्रमाण है कि भारतीय एनिमेशन अब केवल स्थानीय सीमाओं में नहीं सिमटा है, बल्कि इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।
वैश्विक मंचों पर सफलता
इस फिल्म ने कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी छाप छोड़ी।
एनेसी इंटरनेशनल एनीमेशन फेस्टिवल 2025
यह फेस्टिवल एनिमेशन उद्योग का सबसे प्रतिष्ठित आयोजन है, जिसे एनिमेशन की दुनिया का ऑस्कर कहा जाता है। इस वर्ष 60 से अधिक देशों से हज़ारों प्रविष्टियाँ आईं। ‘देशी ऊन’ ने सर्वश्रेष्ठ कमीशन्ड फिल्म के लिए जूरी पुरस्कार जीतकर भारत का नाम रोशन किया। यह जीत भारतीय एनिमेशन की गुणवत्ता और विविधता को दुनिया के सामने लाने का अवसर बनी।
WAVES अवॉर्ड्स ऑफ एक्सीलेंस 2025
मुंबई के Jio World Convention Centre में आयोजित Creatosphere @ WAVES 2025 में फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। यह अवॉर्ड भारतीय कहानियों को विश्वस्तरीय तकनीक के साथ प्रस्तुत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। WAVES 2025 का उद्देश्य स्थानीय रचनात्मकता को वैश्विक मानचित्र पर लाना है और ‘देशी ऊन’ इसका आदर्श उदाहरण बनी।
Create in India Challenge
भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित Create in India Challenge में ‘देशी ऊन’ शीर्ष प्रविष्टि के रूप में चुनी गई। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भारतीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना और घरेलू स्तर पर वैश्विक स्तर की रचनाएँ तैयार करना है।
MoMA, न्यूयॉर्क में संग्रह
यह फिल्म अपने कलात्मक महत्व के कारण न्यूयॉर्क के म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न आर्ट (MoMA) के स्थायी संग्रह में शामिल की गई है। AICP शो 2025 के माध्यम से MoMA में शामिल होना किसी भी फिल्म के लिए एक बहुत बड़ा सम्मान होता है, और यह उपलब्धि बताती है कि भारतीय एनीमेशन अब वैश्विक कला जगत में भी अपनी जगह बना चुका है।
Cannes Lions 2025
‘देशी ऊन’ को कान्स लायंस 2025 में फिल्म क्राफ्ट लायंस श्रेणी में शॉर्टलिस्ट किया गया। यह प्रतियोगिता रचनात्मक उद्योग में सर्वोच्च मानी जाती है और यहाँ तक पहुँचना भारतीय एनिमेशन की गुणवत्ता और रचनात्मकता का प्रमाण है।
फिल्म की थीम और भारतीयता का संदेश
‘देशी ऊन’ केवल एक फिल्म नहीं है, यह भारतीय ग्रामीण जीवन, लोककथाओं और परंपराओं का उत्सव है। फिल्म में ऊन से जुड़े पारंपरिक कारीगरों की कहानी को हास्य और संवेदनशीलता के साथ पेश किया गया है। इसकी कथा ग्रामीण भारत की मिट्टी से जुड़ी है, और इसमें यह संदेश है कि भारतीय परंपराओं और हस्तशिल्प में गहराई, संवेदना और सौंदर्य की अद्भुत शक्ति है।
फिल्म की फ्रेम-बाय-फ्रेम तकनीक ने इसे और भी विशिष्ट बना दिया। प्रत्येक दृश्य में बारीकी से की गई हस्तकला और चरित्रों की जीवंतता दर्शकों को भारत की जड़ों से जोड़ती है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे स्थानीय कहानियाँ वैश्विक दर्शकों के दिलों को छू सकती हैं।
सरकारी और उद्योग जगत की प्रतिक्रियाएँ
‘देशी ऊन’ की इस ऐतिहासिक सफलता पर सरकारी और एनीमेशन उद्योग के दिग्गजों ने अपनी खुशी जाहिर की है।
अनुभव सिंह (सूचना और प्रसारण मंत्रालय)
“देशी ऊन हमारे AVGC-XR विज़न का आदर्श उदाहरण है। यह फिल्म साबित करती है कि भारतीय रचनात्मकता वैश्विक स्तर पर न केवल प्रतिस्पर्धा कर सकती है, बल्कि अपनी विशिष्ट पहचान भी बना सकती है।”
संजय खिमेसरा (ASIFA India)
“यह जीत पूरे भारतीय एनीमेशन समुदाय की है। यह विश्व मंच पर सपने देखने का आह्वान है। यह हमारी कहानियों को वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाने की प्रेरणा है। ‘देशी ऊन’ ने यह दिखा दिया कि भारतीय एनीमेशन अब विश्व स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर चुका है।”
भारतीय एनीमेशन उद्योग पर प्रभाव
‘देशी ऊन’ की सफलता ने भारतीय एनीमेशन उद्योग को नई दिशा दी है:
- वैश्विक मान्यता: भारतीय स्टूडियो और क्रिएटिव प्रोफेशनल्स को अब वैश्विक प्रोजेक्ट्स पर काम करने का और अधिक अवसर मिलेगा।
- स्थानीय कहानियों की शक्ति: इस फिल्म ने यह साबित किया कि भारतीय लोककथाएँ, परंपराएँ और शिल्पकला विश्व के दर्शकों के लिए भी उतनी ही आकर्षक हैं।
- सरकारी नीतियों को प्रोत्साहन: सरकार अब AVGC (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स) सेक्टर में और अधिक निवेश और सहयोग करेगी।
- नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा: यह सफलता भारतीय युवाओं और एनीमेशन विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपनी जड़ों से जुड़ी कहानियों को वैश्विक मंच पर ले जा सकते हैं।
भारतीय एनीमेशन उद्योग के लिए महत्व
‘देशी ऊन’ की सफलता भारतीय एनीमेशन उद्योग के लिए कई मायनों में मील का पत्थर है। यह फिल्म:
- स्थानीय कहानियों की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाती है।
- यह साबित करती है कि भारतीय तकनीक और रचनात्मकता मिलकर विश्व स्तरीय प्रोडक्शन तैयार कर सकते हैं।
- भारतीय एनीमेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय दरवाजे खोलती है, जिससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।
- सरकारी और निजी भागीदारी के महत्व को रेखांकित करती है, जिससे रचनात्मक उद्योग को समर्थन मिलता है।
भविष्य की संभावनाएँ
‘देशी ऊन’ ने भारतीय एनिमेशन उद्योग के लिए संभावनाओं के नए दरवाज़े खोले हैं:
- भारत में स्टॉप मोशन और फ्रेम-बाय-फ्रेम एनिमेशन के नए प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन मिलेगा।
- अंतरराष्ट्रीय स्टूडियो भारतीय प्रतिभाओं के साथ सहयोग करना चाहेंगे।
- भारतीय कहानियों और शिल्पकला पर आधारित और फिल्में वैश्विक फिल्म समारोहों में हिस्सा लेंगी।
भविष्य की दिशा
‘देशी ऊन’ की सफलता ने यह संदेश दिया है कि अगर भारतीय रचनात्मकता को सही मंच और समर्थन मिले, तो वह विश्व स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर सकती है। भारत सरकार का AVGC-XR मिशन, Create in India जैसी पहलें और निजी उद्योग की रचनात्मकता मिलकर आने वाले वर्षों में और भी वैश्विक मान्यता प्राप्त प्रोजेक्ट्स तैयार कर सकते हैं।
इस फिल्म ने यह भी दिखा दिया है कि हमें अपनी जड़ों से जुड़कर, अपनी कहानियाँ दुनिया को सुनानी चाहिए। भारतीय लोककथाएँ, हस्तकला और संस्कृति की गहराई ऐसी है जिसे पूरी दुनिया जानना चाहती है और ‘देशी ऊन’ जैसे प्रोजेक्ट इस दिशा में मार्गदर्शक हैं।
अंतिम संदेश
‘देशी ऊन’ हमें यह सीख देती है कि भारतीय एनीमेशन की शक्ति उसकी कहानियों में, उसकी परंपराओं में और उसकी रचनात्मकता में छुपी है। हमें केवल उन्हें सही मंच पर लाने की जरूरत है।
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