भारत में नवरत्न कम्पनियाँ सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसी कम्पनियाँ हैं, जिनके पास केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना 1000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की वित्तीय स्वायत्तता है। नवरत्न का दर्जा पहली बार 1997 में 9 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSE) के एक समूह को दिया गया था। वर्तमान में भारत में 16 नवरत्न कंपनियां हैं।
- जिन कंपनियों में भारत की केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक है, उन्हें केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में जाना जाता है। इन कंपनियों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – महारत्न, नवरत्न, मिनीरत्न श्रेणी I और मिनीरत्न श्रेणी II।
- इन उद्यमों को सार्वजनिक उद्यम विभाग के अधीन रखा गया है जिसका प्रबंधन भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
नवरत्न कंपनी
नवरत्न कंपनियां भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSU) की एक केटेगरी को दर्शाती हैं। नवरत्न कंपनियों को विभिन्न ऑपरेशनल पहलुओं में निर्णय लेने के लिए बढ़ी हुई स्वायत्तता और लचीलापन प्रदान किया गया है। नवरत्न को मूल रूप से 1997 में सरकार द्वारा लाया गया था। इसमें उन सार्वजनिक कंपनियों को शामिल किया गया जिनमे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। नवरत्न कंपनी का दर्जा देकर इन्हें अधिक स्वायत्तता प्रदान किया गया। जिससे बाजार में देश की कम्पनियों को वैश्विक दर्जा प्राप्त हो सके। वर्तमान में 16 कंपनियां (2024 तक) को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है। पहले यह संख्या 14 थी।
नवरत्न कंपनी का दर्जा पाने के लिए आवश्यक मापदंड
1997 में, सरकार ने नवरत्न कार्यक्रम की शुरुआत की। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए आवश्यक पात्रता मानदंड इस प्रकार हैं –
- कंपनी के पास मिनीरत्न श्रेणी I का दर्जा होना चाहिए और इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की अनुसूची ए सूची के तहत सूचीबद्ध की जानी चाहिए।
- पिछले पांच वर्षों में से, कंपनी को तीन वर्षों के लिए समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत उत्कृष्ट या बहुत अच्छा के रूप में रेटिंग प्राप्त होनी चाहिए।
- निम्नलिखित छह प्रदर्शन मापदंडों की गणना करते समय इसका समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक होना चाहिए –
- नेट वर्थ से नेट प्रॉफिट
- उत्पादन या सेवाओं की लागत के लिए जनशक्ति लागत
- नियोजित पूंजी के रूप में सकल मार्जिन
- टर्नओवर के रूप में सकल लाभ
- प्रति शेयर आय
- अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन तुलना
- कंपनी के निदेशक मंडल में चार स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए।
भारत में नवरत्न कंपनी की सूची 2024 | स्थापना वर्ष एवं उनके मुख्यालय
भारत सरकार द्वारा हाल ही में 8 मिनिरात्न कंपनियों को नवरत्न का दर्जा दिया गया। इस प्रकार भारत सरकार ने अब तक कुल 24 कंपनियों को नवरत्न कंपनी का दर्जा दिया है। इन नवरत्न कंपनियों की सूची निम्नलिखित है –
भारत में नवरत्न कंपनियों की सूची 2024, स्थापना वर्ष एवं मुख्यालय | |||
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क्र. सं. | कंपनी का नाम | स्थापना वर्ष | मुख्यालय |
1 | भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल – BEL) | 1954 | बंगलुरु (कर्नाटक) |
2 | भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड (CONCOR) | 1988 | रेल मंत्रालय के अधीन |
3 | इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) | 1965 | नई दिल्ली |
4 | हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) | 1940 | बंगलुरु (कर्नाटक) |
5 | महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) | 1986 | नई दिल्ली |
6 | नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO) | 1981 | भुवनेश्वर (ओड़ीशा) |
7 | राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (NBCC) | 1960 | नई दिल्ली |
8 | नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NLC INDIA) | 1956 | चेन्नई (तामिलनाडु) |
9 | राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड (NMDC) | 1958 | हैदराबाद (तेलंगाना) |
10 | राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) | 1971 | विशाखापत्तनम (आंध्राप्रदेश) |
11 | भारतीय नौवहन निगम लिमिटेड (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) (SCIL) | 2 अक्टूबर, 1961 | मुंबई (महाराष्ट्र) |
12 | रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) | 2003 | नई दिल्ली |
13 | ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) | 1965 | नई दिल्ली |
14 | राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (RCF) | 1978 | मुंबई |
15 | इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON International Limited) | 1976 | साकेत, नई दिल्ली |
16 | राइट्स लिमिटेड (Rail India Technical and Economic Service – RITES) | 1974 | गुरुग्राम, हरियाणा |
17 | भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) | 1987 | लोदी रोड, नई दिल्ली |
18 | मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited – MDL) | 1934 | मुम्बई, महाराष्ट्र |
19 | आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड HUDCO | 1970 | लोदी रोड, नई दिल्ली |
20 | केंद्रीय भंडारण निगम (Central Warehousing Corporation – CWC) | 1957 | हौज़खास, नई दिल्ली |
21 | रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (RailTel Corporation of India Limited) | 2000 | ईस्ट किदवई नगर, नई दिल्ली |
22 | भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) लिमिटेड | 2011 | ईस्ट किदवई नगर, नई दिल्ली |
23 | एनएचपीसी लिमिटेड (नैशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड) | 1975 | फरीदाबाद, हरियाणा |
24 | एसजेवीएन लिमिटेड (Satluj Jal Vidyut Nigam) | 1988 | शिमला, हिमाचल प्रदेश |
भारत में नवरत्न कंपनियों का विवरण
भारत सरकार ने 24 कंपनियों को नवरत्न का दर्जा दिया है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है –
1. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) | Bharat Electronics Limited
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की स्थापना 1954 में सीएसएफ, फ्रांस (अब थेल्स) के सहयोग से हुई थी।
- इसका मुख्यालय बैंगलोर, कर्नाटक में है।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की स्थापना भारतीय रक्षा की विशेष इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्रालय के तहत की गई थी।
- यह सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन रखा गया है।
- इस कंपनी की स्थापना का एकमात्र उद्देश्य भारतीय रक्षा सेवा की विशेष इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आवश्यकताओं को पूरा करना था।
- बीईएल एक बहु-उत्पाद, बहु-प्रौद्योगिकी, बहु-इकाई समूह के रूप में विकसित हुआ है जो रडार और फायर कंट्रोल सिस्टम, मिसाइल सिस्टम, संचार और सी4आई सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और एवियोनिक्स, नौसेना सिस्टम और एंटीसबमरीन वारफेयर के क्षेत्रों में देश की सशस्त्र सेनाओं को सशक्त बना रहा है। सिस्टम, इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स, टैंक इलेक्ट्रॉनिक्स और गन अपग्रेड, और रणनीतिक घटक।
- आकाश वायु रक्षा हथियार प्रणाली बीईएल के स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण अभियान का एक चमकदार उदाहरण है।
- भारत की 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा की निगरानी को मजबूत करने के लिए विकसित तटीय निगरानी प्रणाली मित्र देशों को पेश की जा रही है।
- बीईएल रक्षा संचार, हथियार प्रणाली, नौसेना प्रणाली, टैंक इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स, होमलैंड सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, पेशेवर इलेक्ट्रॉनिक घटक, दूरसंचार और प्रसारण प्रणाली आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपकरण बनाती है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन उनके नागरिक उत्पादों में से एक है।
- कुल मिलाकर बीईएल ने पूरे देश में कार्यालयों और सेवा केंद्रों के व्यापक नेटवर्क के साथ भारत में 9 इकाइयां स्थापित की हैं।
- अपनी स्थापना के बाद से इसे कई पुरस्कार मिले हैं। बेस्ट ग्लोबल प्रेजेंस अवार्ड, टेक्नोलॉजी इनोवेशन के लिए SODET गोल्ड अवार्ड, इको फ्रेंडली अवार्ड, डिजिटल इंडिया PSE ऑफ़ द ईयर अवार्ड, बेस्ट R&D इनोवेशन अवार्ड, ग्राहक उत्कृष्टता के लिए SAP अवार्ड आदि उनके कुछ पुरस्कार हैं।
2. भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड (CONCOR) | Container Corporation of India Limited
- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CONCOR) को कंपनी अधिनियम के तहत मार्च 1988 में शामिल किया गया था और यह नवंबर 1989 से काम करना शुरू कर दिया था।
- कॉनकॉर अपने ग्राहकों को उत्तरदायी, लागत प्रभावी, कुशल और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- कॉनकॉर में भारतीय रेलवे के 7 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICDs) का मौजूदा नेटवर्क शामिल है।
- कॉनकॉर 2021 की “फॉर्च्यून इंडिया 500” सूची में 204वें स्थान पर है।
- कॉनकॉर भारत में सबसे विश्वसनीय, कुशल कंपनियों में से एक है और बहुत अच्छी तरह से सम्मानित और नैतिक रूप से प्रदर्शन करने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स में बढ़ती, नवीन और असाधारण ग्राहक सेवाओं के साथ संरेखित है।
- कंपनी के तीन मुख्य व्यवसाय हैं – कार्गो कैरियर, टर्मिनल ऑपरेटर और वेयरहाउस ऑपरेटर।
- वर्तमान में, कॉनकॉर के पास भारत में 60 इनलैंड कंटेनर डिपो का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसमें भारत के अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कंटेनरीकरण और व्यापार के लिए मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट है।
- रेल द्वारा अंतर्देशीय कंटेनर परिवहन सेवाएं प्रदान करने के अलावा, यह बंदरगाहों, हवाईअड्डा परिसरों और स्थापित शीत-श्रृंखला नेटवर्क के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
3. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) | Engineers India Limited
- इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1965 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- 1965 में, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को भारत सरकार और बेचटेल इंटरनेशनल कॉरपोरेशन, यूएसए के बीच एक गठन समझौते के तहत शामिल किया गया था।
- 1967 में, ईआईएल भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी बन गई।
- ईआईएल को 1997 में मिनी रत्न का दर्जा दिया गया था। इसके पश्चात भारत सरकार ने 2024 में प्रतिष्ठित नवरत्न का दर्जा प्रदान किया।
- ईआईएल का व्यवसाय संचालन हाइड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ धातुकर्म, बुनियादी ढांचे, जैव ईंधन और ग्रीन हाइड्रोजन के विविध क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
- विश्व स्तर पर, यह एक प्रमुख इंजीनियरिंग परामर्श कंपनी है और एक इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) कंपनी भी है।
- यह पेट्रोलियम रिफाइनरी परियोजनाओं और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं के लिए इंजीनियरिंग और संबंधित तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
- इस उद्यम की ईपीसी सेवा मुख्य रूप से पेट्रोकेमिकल उद्योगों और तेल और गैस उद्योगों पर केंद्रित है। इसके अलावा वे सौर और परमाणु ऊर्जा, उर्वरक, अवसंरचना, जल और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं।
- ईआईएल केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन है।
4. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) | Hindustan Aeronautics Limited
- भारत में विमान निर्माण के लिए हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड की स्थापना 1940 में मैसूर सरकार के सहयोग से श्री वालचंद हीराचंद द्वारा बैंगलोर में की गई थी।
- इसका मुख्यालय बैंगलोर, कर्नाटक में है।
- 1941 में, भारत सरकार कंपनी में शेयरधारकों में से एक बन गई और बाद में 1942 में इसका प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।
- 1951 में, हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया था।
- एचएएल को 28 मार्च 2018 को बीएसई और एनएसई पर सूचीबद्ध किया गया था।
- एचएएल के पास एयरोस्पेस के क्षेत्र में व्यापक डिजाइन और विकास क्षमता है।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को वर्ष 1940 में श्री वालचंद हीराचंद द्वारा हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड के नाम से शामिल किया गया था। बाद में 1964 में इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर दिया गया।
- वर्तमान में, HAL भारत में SU-30 MKI, LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) और DO-228 टाइप एयरक्राफ्ट और ALH-ध्रुव, चेतक, चीतल और LCH (लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर) टाइप के हेलीकॉप्टर बनाती है।
- इनमें से ध्रुव, लांसर, चेतक और चीता हेलीकॉप्टर और डीओ-228 विमान अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को निर्यात किए जाते हैं।
- विमान और हेलीकॉप्टर निर्माण के अलावा, यह मरम्मत ओवरहाल कार्यक्रम (आरओएच) भी करता है जिसके तहत वर्तमान में 13 प्रकार के हेलीकॉप्टर, विमान और इंजन की मरम्मत की जाती है।
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) MK 1A, इंडियन मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (IMRH), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) और बेसिक टर्बोप्रॉप ट्रेनर HTT 40 उनकी कुछ चल रही स्वदेशी विकास परियोजनाएं हैं।
5. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) | Mahanagar Telephone Nigam Limited
- महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की स्थापना 1 अप्रैल 1986 को भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- MTNL ने दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता को उन्नत किया, दूरसंचार नेटवर्क का विस्तार किया, नई सेवाएं शुरू कीं और भारत के प्रमुख मेट्रो शहरों दिल्ली और मुंबई की दूरसंचार विकास आवश्यकताओं के लिए राजस्व बढ़ाया।
- MTNL दिल्ली और मुंबई के दो महानगरों में फिक्स्ड-लाइन दूरसंचार सेवाओं का प्रमुख प्रदाता है।
- एमटीएनएल की अधिकृत पूंजी रु. 800 करोड़. एमटीएनएल को 1997 में नवरत्न का दर्जा दिया गया था और 2001 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था।
- यह भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की सहायक कंपनी है।
- इसकी स्थापना दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और साथ ही नई सेवाओं की शुरुआत करके दूरसंचार नेटवर्क का विस्तार करने के उद्देश्य से की गई थी।
- इसका उद्देश्य दिल्ली और मुंबई की दूरसंचार विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजस्व जुटाना भी था।
- वर्तमान में, एमटीएनएल सीडीएमए आधारित मोबाइल सेवा, ब्रॉडबैंड, इंटरनेट, फिक्स्ड टेलीफोन सेवाएं, जीएसएम सेवा, आईएसडीएन और लीज लाइन सेवाओं जैसी दूरसंचार सेवाएं सस्ती दरों पर प्रदान करता है।
- एमपीईजी4 प्रौद्योगिकी पर आईपीटीवी, वीओआइपी सेवा, ब्रॉडबैंड में एडीएसएल2+ और वीडीएसएल2 और 3जी मोबाइल सेवा जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकियों को सबसे पहले भारत में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड द्वारा पेश किया गया था।
6. नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO) | National Aluminium Company Limited
- नाल्को की स्थापना 7 जनवरी, 1981 को हुई थी और इसका पंजीकृत कार्यालय भुवनेश्वर, ओडिशा में था।
- नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को) एक अनुसूची ‘ए’ नवरत्न सीपीएसई है।
- यह देश के सबसे बड़े एकीकृत बॉक्साइट-एल्यूमिना-एल्युमीनियम-पावर कॉम्प्लेक्स में से एक है।
- वर्तमान में, भारत सरकार के पास चुकता इक्विटी पूंजी का 51.28% हिस्सा है। नाल्को देश के अग्रणी विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले सीपीएसई में से एक है।
- नाल्को मई 1989 से लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पंजीकरण के साथ बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में उद्यम करने वाली देश की पहली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है।
- नाल्को 1992 से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और 1999 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध है।
- नाल्को एक समूह ‘ए’ सीपीएसई है और इसे खान मंत्रालय के अधीन रखा गया है।
- यह खनन, धातु और बिजली में एकीकृत और विविध संचालन करता है।
- ओडिशा में एक बॉक्साइट खदान, एल्यूमिना रिफाइनरी, एल्युमिनियम स्मेल्टर और 1200MW कैप्टिव पावर प्लांट के साथ, नाल्को भारत में सबसे बड़े एकीकृत बॉक्साइट-एल्यूमिना-एल्यूमीनियम-पावर कॉम्प्लेक्स में से एक है।
- नाल्को को वर्ष 2019 के लिए विश्व स्तर पर बॉक्साइट और एल्यूमिना के सबसे कम लागत वाले उत्पादक के रूप में घोषित किया गया था।
- वर्ष 2018-2019 की सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, नाल्को उस वित्तीय वर्ष के लिए देश में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अर्जित करने वाला दूसरा सबसे बड़ा शुद्ध निर्यातक था।
- रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, नाल्को ने मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) के साथ मिलकर उत्कर्ष एल्युमिनियम धातु निगम लिमिटेड नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया, जहां उच्च अंत एल्यूमीनियम मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।
7. राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड | NBCC (India) Limited
- NBCC (इंडिया) लिमिटेड की स्थापना 1960 में हुई थी।
- इसे पहले नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
- NBCC (इंडिया) लिमिटेड का मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में है।
- एनबीसीसी की स्थापना 1960 में भारत सरकार के सिविल इंजीनियरिंग उद्यम के रूप में की गई थी।
- पूरे भारत में इसके लगभग 31 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
- यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार के नियंत्रण में है।
- एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा किए गए तीन मुख्य प्रकार के संचालन परियोजना प्रबंधन परामर्श, रियल एस्टेट विकास और इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) हैं।
- प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए, अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (एएमआरयूटी), उत्तर पूर्वी क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और विकास कार्य, भारत सरकार ने एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को नियुक्त किया है। क्रियान्वयन एजेंसी।
- भारत के अलावा, यह मालदीव, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, लीबिया, मॉरीशस, नेपाल, तुर्की आदि जैसे देशों में परियोजनाएं चलाता है।
- NBCC (इंडिया) लिमिटेड के संचालन के वर्तमान क्षेत्रों में परियोजना प्रबंधन परामर्श (पीएमसी), इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी), और रियल एस्टेट विकास शामिल हैं।
- NBCC (इंडिया) लिमिटेड दोनों भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के साथ सूचीबद्ध है।
- NBCC (इंडिया) लिमिटेड ने वर्ष 1977 में लीबिया, इराक, यमन, नेपाल, मालदीव, मॉरीशस, तुर्की, बोत्सवाना जैसे देशों में विविध प्रकृति की परियोजनाओं को क्रियान्वित करते हुए विदेशी परिचालन में प्रवेश किया।
8. नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड | NLC India Limited
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1956 में हुई थी।
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड जिसे पहले नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
- 1956 में इसे एम.जंबुलिंगम मुदलियार के प्रयासों से स्थापित किया गया था।
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड ऊर्जा क्षेत्र में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में अग्रणी रहा है, जो लिग्नाइट उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी और थर्मल और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है।
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड कोयला मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- एनएलसी इंडिया लिमिटेड का मुख्यालय तमिलनाडु में कुड्डालोर जिले के नेवेली शहर में है।
- यह कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- यह लिग्नाइट (एक दहनशील तलछटी चट्टान जो प्राकृतिक रूप से संपीड़ित पीट से बनती है) और थर्मल पावर उत्पादन के उत्पादन से संबंधित है। सालाना यह नेवेली (तमिलनाडु) और बरसिंगसर (राजस्थान) में अपनी ओपन कास्ट खानों से लगभग 30 मिलियन टन लिग्नाइट का उत्पादन करता है।
- एनएलसी इंडिया में 5 पिथेड थर्मल पावर स्टेशन और 51 विंड टर्बाइन जेनरेटर हैं। इसके अलावा, नेवेली में एक 140MW सौर फोटोवोल्टिक बिजली संयंत्र चालू किया गया है। इसकी देश में 4 लिग्नाइट खदानें हैं।
- इसने हुमी गोल्ड के उत्पादन की प्रक्रिया के लिए एक पेटेंट प्राप्त किया है जो ह्यूमिक एसिड का नमक है।
9. राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड | NMDC Limited
- एनएमडीसी लिमिटेड, जिसे पहले राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के नाम से जाना जाता था, 1958 में निगमित किया गया था।
- एनएमडीसी लिमिटेड को 1958 में भारत सरकार के सार्वजनिक उद्यम के रूप में शामिल किया गया था।
- एनएमडीसी भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है।
- एनएमडीसी इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है और कुछ सबसे दूरस्थ कोनों में तांबा, रॉक फॉस्फेट, चूना पत्थर, मैग्नेसाइट, हीरा, टंगस्टन और समुद्र तट की रेत सहित खनिजों की एक विस्तृत श्रृंखला की खोज में शामिल रहा है। देश की।
- एनएमडीसी के सभी खनन परिसरों को भारतीय खान ब्यूरो, खान मंत्रालय द्वारा 5 स्टार रेटिंग दी गई है जो इसकी वैज्ञानिक और टिकाऊ खनन प्रथाओं का प्रमाण है।
- यह भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक उद्यम है।
- इसका प्रशासन भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा खनिज जैसे तांबा, रॉक फॉस्फेट, डोलोमाइट, बेंटोनाइट, हीरा, टंगस्टन, लौह अयस्क, चूना पत्थर, जिप्सम, समुद्र तट की रेत, मैग्नेसाइट, ग्रेफाइट आदि का पता लगाया जाता है।
- यह बैलाडीला सेक्टर की खदानों से 20 मिलियन टन और डोनिमलाई सेक्टर की खदानों से 10 मिलियन टन लौह अयस्क का उत्पादन करके भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है।
- अन्वेषण गतिविधियों को अंजाम देने के लिए, इसने छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में एक वैश्विक अन्वेषण केंद्र की स्थापना की है।
10. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) | Rashtriya Ispat Nigam Limited
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की स्थापना 1982 में हुई थी।
- इसका मुख्यालय विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में है।
- यह विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की एक कॉर्पोरेट इकाई है और इस प्रकार इसे विजाग स्टील के रूप में भी जाना जाता है।
- विजाग स्टील भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के स्वामित्व में है।
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) इस्पात मंत्रालय के तहत विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की कॉर्पोरेट इकाई है।
- आरआईएनएल देश का पहला तट आधारित एकीकृत इस्पात संयंत्र है और ग्राहकों को प्रसन्न करने वाले अपने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के लिए जाना जाता है।
- विजाग स्टील प्लांट का औपचारिक उद्घाटन 20 जनवरी 1971 को तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था।
- यह भारत में पहला तट आधारित एकीकृत इस्पात संयंत्र है और यह आईएसओ 9001:2008, ओएचएसएएस 18001:2007, आईएसओ 14001:2004 और आईएसओ/आईईसी 27001:2013 मानकों के साथ प्रमाणित होने वाला देश का पहला इस्पात संयंत्र है।
- RINL के विजन 2025 को “देश में सबसे बड़ा सिंगल लोकेशन शोर आधारित स्टील प्लांट रखने वाला सबसे कुशल स्टील निर्माता बनने के लिए” कहा गया है।
11. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SCI) | Shipping Corporation of India Limited
- शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना 2 अक्टूबर, 1961 को ईस्टर्न शिपिंग कॉर्पोरेशन और वेस्टर्न शिपिंग कॉर्पोरेशन के सम्मलेन द्वारा की गई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।
- एससीआई ने मूल्यवान विदेशी मुद्रा का शुद्ध अर्जक/बचतकर्ता बनकर, भारत के एक्जिम व्यापार और राष्ट्रीय खजाने की वृद्धि में बहुत योगदान दिया है।
- भारत सरकार ने पूंजी निवेश के लिए कंपनी के बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाने के लिए ‘मिनी रत्न’ का दर्जा दिया
- एससीआई ने आईएसओ 9000 प्रमाणन प्राप्त किया और भारत सरकार द्वारा उसे ‘नवरत्न’ का दर्जा प्रदान किया गया।
- शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SCI) की स्थापना 1961 में ईस्टर्न शिपिंग कॉर्पोरेशन और वेस्टर्न शिपिंग कॉर्पोरेशन को मिलाकर की गई थी।
- यह देश की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी है और लगभग एक तिहाई भारतीय टन भार का स्वामित्व और संचालन एससीआई के पास है।
- यह एकमात्र भारत की स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनी है जो ब्रेक बल्क सेवाओं, तरल या सूखी बल्क सेवाओं, अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर सेवाओं, अपतटीय सेवाओं और यात्री सेवाओं पर काम करती है।
- यह भारत में एक्जिम व्यापार के विकास में काफी हद तक योगदान देता है।
12. रेल विकास निगम लिमिटेड RVNL (आरवीएनएल)
- आरवीएनएल को 2003 में रेल मंत्रालय के 100% स्वामित्व वाले सार्वजनिक उपक्रम के रूप में शामिल किया गया था।
- आरवीएनएल दोहरे उद्देश्यों के साथ अतिरिक्त-बजटीय संसाधन जुटाना और फास्ट-ट्रैक आधार पर रेल बुनियादी ढांचे की क्षमता के निर्माण और वृद्धि से संबंधित परियोजनाओं को लागू करना है।
- आरवीएनएल मार्च 2005 तक पूरी तरह कार्यात्मक हो गया।
- आरवीएनएल को सितंबर 2013 में मिनीरत्न का दर्जा दिया गया था।
- सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा आरवीएनएल को लगातार 9 वर्षों से “उत्कृष्ट” दर्जा दिया गया है।
- आरवीएनएल को पिछले 5 वर्षों में से 4 बार रेलवे पीएसई में प्रथम स्थान दिया गया है।
13. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL)
- ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) की सहायक कंपनी है और इसे 1965 में शामिल किया गया था।
- ओएनजीसी विदेश का प्राथमिक व्यवसाय भारत के बाहर तेल और गैस के रकबे की संभावना तलाशना है, जिसमें तेल और गैस की खोज, विकास और उत्पादन शामिल है।
- ओएनजीसी विदेश के पास 15 देशों में 32 तेल और गैस परिसंपत्तियों में भागीदारी हिस्सेदारी है।
- ओएनजीसी विदेश भारत में अपनी मूल कंपनी ओएनजीसी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है।
14. राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (RCF)
- आरसीएफ भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की अग्रणी उर्वरक और रसायन विनिर्माण कंपनी है।
- आरसीएफ की स्थापना 6 मार्च 1978 को तत्कालीन फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को पांच नई कंपनियों फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई), हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसी), प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पीडीआईएल), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) में पुनर्गठित करके की गई थी।
- आरसीएफ को 1997 में प्रतिष्ठित “मिनीरत्न” का दर्जा दिया गया है।
- आरसीएफ के पास उत्पादों का एक पोर्टफोलियो है जिसमें नीम यूरिया, जटिल उर्वरक, जैव-उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व और 100% पानी में घुलनशील उर्वरक शामिल हैं।
- आरसीएफ द्वारा निर्मित उज्ज्वला (यूरिया) और सुफला (कॉम्प्लेक्स उर्वरक) ब्रांड के उर्वरकों की ब्रांड इक्विटी उच्च है और ये पूरे देश में मान्यता प्राप्त ब्रांड हैं।
- आरसीएफ को गुणवत्ता के लिए आईएसओ 9001, पर्यावरण प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 14001, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए आईएसओ 45001, ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 50001:2011 और सूचना सुरक्षा प्रबंधन के लिए आईएसओ 27001 से मान्यता प्राप्त है।
15. इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON)
- इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (आईआरसीओएन) एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है जिसे 1976 में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत शामिल किया गया था।
- इरकॉन को इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के नाम से निगमित किया गया था।
- इरकॉन एक विशेष निर्माण संगठन है जो बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों और सेवाओं को कवर करता है।
- इरकॉन ने भारत में 300 से अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और दुनिया भर में 21 से अधिक देशों में 100 से अधिक परियोजनाएं पूरी की हैं।
16. राइट्स लिमिटेड (RITES Limited)
- राइट्स लिमिटेड रेल मंत्रालय के तहत एक अनुसूची ‘ए’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, जिसे 1974 में शामिल किया गया था।
- राइट्स लिमिटेड एक बहु-विषयक इंजीनियरिंग और परामर्श संगठन है जो परिवहन बुनियादी ढांचे और संबंधित प्रौद्योगिकियों के सभी पहलुओं में अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।
- RITES भारत में परिवहन परामर्श और इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी है, जो विविध प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है।
नवरत्न का दर्जा पाने वाली नई कंपनियाँ
हाल ही में, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, केंद्रीय भंडारण निगम (Central Warehousing Corporation – CWC), आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड (HUDCO), रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI), एनएचपीसी लिमिटेड, और एसजेवीएन लिमिटेड (SJVN Limited) को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया है। इस मान्यता के साथ, ये कंपनियाँ देश के उन चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की श्रेणी में शामिल हो गई हैं, जिन्हें सरकार द्वारा वित्तीय और प्रबंधकीय स्वायत्तता प्रदान की जाती है। यह दर्जा कंपनियों की प्रदर्शन क्षमता, मुनाफा और रणनीतिक महत्व को देखते हुए दिया जाता है, जिससे उन्हें अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए सरकार से अधिक स्वतंत्रता मिलती है।
17. IREDA को नवरत्न का दर्जा
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (Indian Renewable Energy Development Agency Limited – IREDA)
स्थापना वर्ष: 1987
IREDA भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण में अग्रणी संस्था है। 1987 में स्थापित इस एजेंसी का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ और सतत ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित करना है। IREDA ने सौर, पवन, बायोमास और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में वित्तीय सहायता प्रदान कर भारत को ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रसर किया है। हाल ही में IREDA को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया है, जिससे इसे और अधिक वित्तीय स्वतंत्रता मिली है।
यह दर्जा IREDA को अपनी पूंजी और निवेश की क्षमताओं को और अधिक बढ़ाने का अवसर देता है। नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के बाद, IREDA बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के ₹1,000 करोड़ तक के निवेश के निर्णय ले सकती है।
यह उपलब्धि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में IREDA के उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान का प्रमाण है। IREDA का उद्देश्य है कि देश में स्वच्छ और सतत ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। नवरत्न दर्जा मिलने से IREDA को नए निवेशों और परियोजनाओं को शुरू करने की स्वतंत्रता मिलती है, जो देश के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
18. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को नवरत्न का दर्जा
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited – MDL)
स्थापना वर्ष: 1934
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited – MDL) भारतीय नौसेना और अन्य समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाती है। 1934 में स्थापित यह कंपनी भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित शिपबिल्डिंग कंपनियों में से एक है। MDL ने कई अत्याधुनिक युद्धपोतों का निर्माण किया है, जो भारतीय नौसेना की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करते हैं। हाल ही में MDL को भी नवरत्न का दर्जा प्राप्त हुआ है, जिससे कंपनी को अपने विस्तार के लिए और अधिक अवसर मिलेंगे।
यह कंपनी अब देश की 18वीं सार्वजनिक उपक्रम है जिसे यह प्रतिष्ठित दर्जा मिला है। मझगांव डॉक को यह मान्यता मिलने से यह केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना ₹1,000 करोड़ तक का निवेश कर सकती है।
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स की यह उपलब्धि कंपनी की मजबूत प्रबंधन क्षमताओं, उच्च मुनाफा और रणनीतिक महत्व को दर्शाती है। नवरत्न का दर्जा प्राप्त होने से कंपनी को न केवल वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि यह भी संभव होगा कि वह नए और महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं में निवेश कर सके। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं में भी वृद्धि होगी और भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करने में यह कंपनी और अधिक सक्षम बनेगी।
19. केंद्रीय भंडारण निगम (Central Warehousing Corporation – CWC)
स्थापना वर्ष: 1957
केंद्रीय भंडारण निगम (CWC) भारत में भंडारण और रसद सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी है। 1957 में स्थापित यह निगम कृषि उत्पादों, औद्योगिक सामानों और विभिन्न वस्तुओं के भंडारण और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। CWC देशभर में कई गोदामों का संचालन करता है, जो किसानों और व्यापारियों को अपनी उपज और सामान सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। यह कंपनी भारतीय खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
20. आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड (Housing and Urban Development Corporation Limited – HUDCO)
स्थापना वर्ष: 1970
हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (HUDCO) भारत सरकार की एक सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम है, जो आवास वित्त और अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण में संलग्न है। HUDCO को 18 अप्रैल 2024 को ‘नवरत्न’ का दर्जा प्रदान किया गया।
आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड (HUDCO) का गठन 1970 में किया गया था। HUDCO का मुख्य उद्देश्य शहरी विकास को प्रोत्साहित करना और देशभर में किफायती आवास योजनाओं को लागू करना है। इस निगम ने पिछले कई दशकों में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आवासीय परियोजनाओं, स्लम पुनर्वास और शहरी आधारभूत संरचना के विकास में योगदान दिया है। HUDCO की पहलें समाज के गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए घर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इतिहास:
HUDCO की स्थापना 25 अप्रैल 1970 को भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में की गई थी। इसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 2 करोड़ रुपये की इक्विटी आधार पर स्थापित किया गया। 1960 और 70 के दशक में भारत में आवास की कमी की पृष्ठभूमि में, इस संस्था की स्थापना आवास वित्त की समस्या को हल करने और शहरी अवसंरचना के विकास में भूमिका निभाने के उद्देश्य से की गई थी।
कार्य और सेवाएं:
HUDCO नई बस्तियों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है और आवास और शहरी विकास कार्यक्रमों से संबंधित परियोजनाओं की डिजाइनिंग और योजना बनाने में परामर्श सेवाएं भी प्रदान करता है। यह न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी शहरी विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता और परामर्श प्रदान करता है।
उपलब्धियां:
HUDCO को 1991 में आवास विकास में योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र के UN-Habitat Scroll of Honour Award से सम्मानित किया गया। इसे 2004 में मिनीरत्न का दर्जा भी प्राप्त हुआ।
HUDCO का योगदान देश में आवास और शहरी विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसकी उपलब्धियां इसे इस क्षेत्र में एक अग्रणी संस्था बनाती हैं।
21. रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (RailTel Corporation of India Limited)
स्थापना वर्ष: 2000
रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (RailTel) एक भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम है जो ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाएं प्रदान करती है। रेलटेल की स्थापना सितंबर 2000 में देशव्यापी ब्रॉडबैंड, टेलीकॉम और मल्टीमीडिया नेटवर्क बनाने और भारतीय रेलवे के ट्रेन नियंत्रण संचालन और सुरक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से की गई थी। रेलटेल का नेटवर्क देश भर में लगभग 5,000 स्टेशनों से होकर गुजरता है, जो सभी प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों को कवर करता है। 30 अगस्त 2024 को रेलटेल को ‘नवरत्न’ का दर्जा प्राप्त हुआ।
यह कंपनी भारत में टेलीकॉम और ब्रॉडबैंड सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी है। रेलटेल के पास देश का सबसे बड़ा तटीय ब्रॉडबैंड नेटवर्क है, जो रेलवे ट्रैक के साथ-साथ चलता है। रेलटेल विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों को डिजिटल कनेक्टिविटी, डेटा सेंटर और क्लाउड सेवाएं प्रदान करता है। कंपनी की सेवाएं देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इतिहास:
शुरुआती समय में भारतीय रेलवे (IR) संचार और प्रशासनिक सर्किट के लिए केवल दूरसंचार विभाग (अब BSNL) पर निर्भर था। सर्किट की दक्षता बढ़ाने के लिए, 1970 के दशक की शुरुआत में रेलवे ने अपने स्वयं के संचार प्रणाली का निर्माण करना शुरू किया, जो ओवरहेड टेलीफोन लाइनों, क्वाड केबल और माइक्रोवेव सिग्नलिंग पर आधारित थी। 1983 में, रेलवे सुधार समिति ने भारतीय रेलवे में ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) आधारित संचार प्रणाली को पेश करने का निर्णय लिया ताकि सुरक्षा, विश्वसनीयता, उपलब्धता और सेवा की क्षमता में सुधार हो सके और एक समर्पित नेटवर्क का उपयोग किया जा सके।
यह निर्णय लिया गया कि DOT से स्वतंत्र एक नेटवर्क बनाया जाए और मौजूदा माइक्रोवेव टेलीकॉम सिस्टम को OFC से बदल दिया जाए, क्योंकि 60% माइक्रोवेव सिस्टम का उपयोग काल समाप्त हो चुका था। रेलवे ने पहली बार 1988 में मुंबई के चर्चगेट-वीरार लाइन पर ट्रेन संचालन और नियंत्रण के उद्देश्य से 60 किमी नेटवर्क के साथ 28 स्टेशनों पर OFC की शुरुआत की। 1991-92 में इस नेटवर्क का विस्तार मध्य भारत में दुर्ग-नागपुर, नागपुर-इटारसी और इटारसी-भुसावल सेक्शन में 900 किमी के OFC नेटवर्क के साथ हुआ।
उपलब्धियां और विस्तार:
दूसरी राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 1999 में राष्ट्रीय लंबी दूरी के सेगमेंट को लाइसेंसिंग स्थितियों के साथ खोला गया ताकि मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों को भारत में अपने नेटवर्क फैलाने में मदद मिल सके। इसके बाद 2000 में सरकार ने एक टेलीकॉम कॉरपोरेशन की स्थापना की घोषणा की, जो एक राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मल्टीमीडिया दूरसंचार नेटवर्क का निर्माण करेगा। इस उद्देश्य के लिए 26 सितंबर 2000 को रेलटेल की स्थापना एक सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम के रूप में भारतीय रेलवे के पूर्ण स्वामित्व के तहत की गई।
रेलटेल न केवल रेलवे के लिए एक विश्वसनीय संचार माध्यम साबित हुआ है, बल्कि यह भारत में ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम सेवाओं को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
22. भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (Solar Energy Corporation of India Limited – SECI)
स्थापना वर्ष: 2011
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की कंपनी है, जिसे राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM) के कार्यान्वयन में सहायता के लिए स्थापित किया गया था। यह सौर ऊर्जा क्षेत्र को समर्पित एकमात्र केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम (PSU) है। कंपनी के कार्यक्षेत्र को अब संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र तक विस्तारित किया जा रहा है और इसका नाम बदलकर रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (RECI) रखने की योजना है।
मुख्य कार्य और योजनाएं:
SECI कई सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार है, जिनमें प्रमुख योजनाएं VGF योजनाएं, सौर पार्क योजना, ग्रिड-कनेक्टेड सौर रूफटॉप योजना शामिल हैं। इसके अलावा, कंपनी रक्षा योजना, सौर नहरें, और भारत-पाक सीमा योजना जैसी विशेष योजनाओं पर भी काम करती है। SECI ने कई सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) के लिए टर्नकी आधार पर सौर परियोजनाओं के विकास में भी कदम रखा है। कंपनी के पास पावर ट्रेडिंग लाइसेंस भी है और यह अपनी योजनाओं के तहत स्थापित परियोजनाओं से सौर ऊर्जा का व्यापार करती है।
पृष्ठभूमि:
SECI की स्थापना 9 सितंबर 2011 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8) के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना था। हालांकि SECI को लाभ कमाने के लिए स्थापित नहीं किया गया था, लेकिन इसने 2014-15 में ₹12 करोड़ का लाभ कमाया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने SECI को निम्नलिखित के लिए अपनी मंजूरी दी:
- इसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 3 के तहत बदलकर एक लाभकारी कंपनी बनाना।
- इसका नाम बदलकर रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (RECI) करना।
प्रमुख बदलाव और प्रभाव:
- SECI, RECI बनने के बाद एक स्व-निर्भर और स्व-उत्पादक संगठन बन जाएगा, जिसके पास अपनी सौर ऊर्जा परियोजनाएं होंगी जो ऊर्जा का उत्पादन और बिक्री करेंगी।
- SECI का नाम बदलकर RECI होने के बाद यह सौर ऊर्जा के अलावा जियो-थर्मल, ऑफ-शोर विंड, टाइडल आदि जैसे सभी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के विकास में कदम उठाएगी।
- SECI अब अपनी स्वयं की सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करके ऊर्जा उत्पन्न करेगी और बेच सकेगी, जिससे यह आत्मनिर्भर और स्वावलंबी संगठन बनेगी।
- यह कंपनी को सौर उत्पादों और सामग्रियों के निर्माण सहित सौर क्षेत्र की अन्य गतिविधियों में मदद करेगी, जिन्हें पहले अनुमति नहीं थी।
- कंपनी सौर ऊर्जा के अतिरिक्त भू-तापीय, अपतटीय पवन, ज्वारीय आदि ऊर्जा क्षेत्रों के विकास में भी संलग्न होगी, जो पहले संभव नहीं था।
चुनौतियां और भविष्य:
2016 में SECI को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारत की रिवर्स नीलामी प्रणाली उस समय तक बाजार और प्रणाली में स्थिरता नहीं ला पाई थी। SECI ने 2016 में 9 नीलामियां आयोजित कीं, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं सामान्य रूप से आगे नहीं बढ़ पाईं और कई बोलियां अधिसूचित रहीं। इसके बावजूद, SECI ने अपने लक्ष्यों की ओर निरंतर प्रगति की है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
23. एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC Limited)
स्थापना वर्ष: 1975
एनएचपीसी लिमिटेड, जिसे पूर्व में नैशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, वर्ष 1975 में स्थापित भारत सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य सभी रूपों में जलविद्युत ऊर्जा का समेकित और दक्ष विकास करना तथा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है, जिसमें पर्यावरण संतुलन को प्राथमिकता दी जाती है। 31700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आधार के साथ, एनएचपीसी लिमिटेड भारत की शीर्ष दस कंपनियों में से एक है और जलविद्युत विकास के क्षेत्र में सबसे बड़ा संगठन है।
कंपनी की स्थापना:
एनएचपीसी लिमिटेड की स्थापना 1975 में 200 करोड़ रुपये की प्राधिकृत पूंजी के साथ की गई थी। वर्तमान में, कंपनी की प्राधिकृत शेयर पूंजी 15000 करोड़ रुपये है। प्रारंभ में जलविद्युत विकास के उद्देश्य से स्थापित एनएचपीसी ने अपने कार्यक्षेत्र को विस्तारित करते हुए भू-तापीय, ज्वारीय और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों को भी सम्मिलित कर लिया है। कंपनी का लक्ष्य जलविद्युत एवं अन्य ऊर्जा क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्टता प्राप्त करना है।
स्थापित परियोजनाएं:
वर्तमान में, एनएचपीसी की कुल संस्थापित क्षमता 5702 मेगावाट है। इसके प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:
- बैरास्यूल (हिमाचल प्रदेश) – 180 मेगावाट (1981)
- लोकटक (मणिपुर) – 105 मेगावाट (1983)
- सलाल (जम्मू एवं कश्मीर) – 690 मेगावाट (1987)
- टनकपुर (उत्तराखण्ड) – 120 मेगावाट (1992)
- चमेरा- I (हिमाचल प्रदेश) – 540 मेगावाट (1994)
- उड़ी- I (जम्मू एवं कश्मीर) – 480 मेगावाट (1997)
- रंगित (सिक्किम) – 60 मेगावाट (1999)
- चमेरा- II (हिमाचल प्रदेश) – 300 मेगावाट (2003)
- इंदिरा सागर* (मध्य प्रदेश) – 1000 मेगावाट (2005)
- धौलीगंगा- I (उत्तराखण्ड) – 280 मेगावाट (2005-06)
- दुलहस्ती (जम्मू एवं कश्मीर) – 390 मेगावाट (2006-07)
- ओमकारेश्वर* (मध्य प्रदेश) – 520 मेगावाट (2007)
- तीस्ता – V (सिक्किम) – 510 मेगावाट (2008)
- सेवा – II (जम्मू एवं कश्मीर) – 120 मेगावाट (2010)
- चमेरा – III (हिमाचल प्रदेश) – 231 मेगावाट (2012)
- चूटक (जम्मू एवं कश्मीर) – 44 मेगावाट (2012-13)
- तीस्ता लो डैम – III (पश्चिम बंगाल) – 132 मेगावाट (2013)
(नोट: *नर्मदा हाइड्रोडेवेलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ संयुक्त उपक्रम परियोजनाएं)
निर्माणाधीन परियोजनाएं:
एनएचपीसी वर्तमान में 4095 मेगावाट की कुल संस्थापित क्षमता वाली 7 परियोजनाओं के निर्माण में संलग्न है:
- सुबानसिरि (लोअर)* (आसाम) – 2000 मेगावाट
- तीस्ता लो डैम -IV (पश्चिम बंगाल) – 160 मेगावाट
- पार्बती -II (हिमाचल प्रदेश) – 800 मेगावाट
- पार्बती -III (हिमाचल प्रदेश) – 520 मेगावाट
- निम्मो-बाजगो (जम्मू एवं कश्मीर) – 45 मेगावाट
- उड़ी – II (जम्मू एवं कश्मीर) – 240 मेगावाट
- किशनगंगा (जम्मू एवं कश्मीर) – 330 मेगावाट
(नोट: *यह भारत में स्थापित की जाने वाली सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है।)
इसके अतिरिक्त, 8801 मेगावाट की क्षमता वाली 10 परियोजनाएं सरकारी स्वीकृति की प्रतीक्षा में हैं, और 1530 मेगावाट की क्षमता वाली 3 परियोजनाओं पर सर्वेक्षण और अन्वेषण का कार्य चल रहा है।
कंपनी की उपलब्धियां:
एनएचपीसी ने 2008-2009 में 2672 करोड़ रुपये का सर्वाधिक बिक्री कारोबार किया और 1075 करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक लाभ अर्जित किया। वर्ष 2009 में विद्युत उत्पादन में 12.69% की वृद्धि दर्ज की गई। अच्छे कार्य निष्पादन के लिए 2008 में एनएचपीसी को ‘मिनीरत्न’ की उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा, कंपनी ने स्वदेशी और विदेशी ऋण के लिए शीर्ष रेटिंग प्राप्त की है।
एनएचपीसी का संकल्पना से संचालन तक की यात्रा इसे भारत के जलविद्युत क्षेत्र में अग्रणी बनाती है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पर्यावरणीय संतुलन के साथ पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
24. एसजेवीएन लिमिटेड (SJVN Limited)
स्थापना वर्ष: 1988
एसजेवीएन लिमिटेड (पूर्व नाम सतलुज जल विद्युत निगम) विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसकी स्थापना 24 मई 1988 को भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में की गई थी। कंपनी अब एक सूचीबद्ध कंपनी है, जिसमें भारत सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार और जनता का क्रमशः 55.00%, 26.85% और 18.15% का इक्विटी अंशदान है। एसजेवीएन की मौजूदा भुगतान की गई पूंजी 3929.80 करोड़ रुपये और अधिकृत शेयर पूंजी 7000 करोड़ रुपये है, जबकि 31 मार्च 2024 तक कंपनी की कुल पूंजी 14030.28 करोड़ रुपये है।
इतिहास और विकास:
एसजेवीएन ने हिमाचल प्रदेश में भारत के सबसे बड़े 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन से अपनी शुरुआत की। इसके बाद कंपनी ने कुल 2467 मेगावाट की स्थापित क्षमता और 123 किमी ट्रांसमिशन लाइन समेत कुल चौदह परियोजनाओं की कमीशनिंग कर ली है। वर्तमान में, एसजेवीएन भारत के विभिन्न राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, असम, ओडिशा, मिजोरम, और मध्य प्रदेश में विद्युत परियोजनाओं का संचालन या निष्पादन कर रहा है। इसके अलावा, नेपाल और भूटान में भी कंपनी के हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
प्रमुख परियोजनाएं और क्षमताएं:
एसजेवीएन की कुल संचालन क्षमता 1912 मेगावाट है, जो उसके दो प्रमुख हाइड्रो पावर प्लांट—नाथपा झाकड़ी (1500 मेगावाट) और रामपुर (412 मेगावाट) से आती है। इसके अतिरिक्त, कंपनी के पास 97.6 मेगावाट की पवन ऊर्जा और 81.9 मेगावाट की सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता भी है। प्रमुख परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश में 75 मेगावाट परासन सौर ऊर्जा परियोजना, गुजरात में 5.6 मेगावाट चारंका सोलर पावर प्रोजेक्ट, और महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट खिरवीरे विंड पावर प्रोजेक्ट शामिल हैं।
अन्य परियोजनाएं और राज्य:
एसजेवीएन की अन्य परियोजनाओं में उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 60 मेगावाट का नैतवार मोरी हाइड्रो पावर स्टेशन, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में 66 मेगावाट का धौलासिद्ध हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, गुजरात में 50 मेगावाट का सदला विंड पावर प्रोजेक्ट और हिमाचल प्रदेश के नाथपा झाकड़ी में 1.310 मेगावाट की सौर ऊर्जा संयंत्र भी शामिल हैं।
उपकंपनियां और संयुक्त उपक्रम:
एसजेवीएन की प्रमुख उपकंपनियों में एसजेवीएन अरुण-3 पावर डेवलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (SAPDC), एसजेवीएन थर्मल प्राइवेट लिमिटेड (STPL), और एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (SGEL) शामिल हैं। कंपनी के संयुक्त उपक्रमों में क्रॉस बॉर्डर पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (CPTC) शामिल है।
एसजेवीएन लिमिटेड: प्रमुख विद्युत परियोजनाएं और उनकी क्षमताएं
एसजेवीएन लिमिटेड की प्रमुख विद्युत परियोजनाएं और उनकी क्षमताएं निम्नलिखित हैं:
क्र.सं. | परियोजना का नाम | राज्य | क्षमता (मेगावाट) |
---|---|---|---|
1 | नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन | हिमाचल प्रदेश | 1500 |
2 | रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन | हिमाचल प्रदेश | 412 |
3 | परासन सौर ऊर्जा परियोजना | उत्तर प्रदेश | 75 |
4 | चारंका सोलर पावर प्रोजेक्ट | गुजरात | 5.6 |
5 | सदला विंड पावर प्रोजेक्ट | गुजरात | 50 |
6 | खिरवीरे विंड पावर प्रोजेक्ट | महाराष्ट्र | 47.6 |
7 | सोलर पावर प्लांट, नाथपा झाकड़ी | हिमाचल प्रदेश | 1.310 |
8 | नैतवार मोरी हाइड्रो पावर स्टेशन | उत्तरकाशी, उत्तराखंड | 60 |
9 | धौलासिद्ध हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | 66 |
एसजेवीएन की ये परियोजनाएं भारत के विभिन्न राज्यों में फैली हुई हैं और कुल मिलाकर कंपनी की कुल स्थापित क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। हाइड्रो, सोलर और विंड पावर के संयोजन के साथ, एसजेवीएन का लक्ष्य स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है।
एसजेवीएन लिमिटेड ने अपनी शुरुआत एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से की थी, लेकिन आज यह एक बहुआयामी कंपनी बन गई है जो हाइड्रो, पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्रों में सक्रिय है। कंपनी का विस्तार न केवल भारत में बल्कि पड़ोसी देशों में भी हो रहा है, जिससे यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कंपनी की प्रगति और उपलब्धियां इसे भारत की अग्रणी नवरत्न विद्युत कंपनियों में से एक बनाती हैं।
नवरत्न का दर्जा: कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
नवरत्न का दर्जा भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वित्तीय स्वायत्तता और प्रबंधन की स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस दर्जे के साथ, कंपनियाँ सरकारी नियंत्रण से मुक्त होकर अपने व्यापार को बढ़ा सकती हैं और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। IREDA और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को नवरत्न का दर्जा मिलने से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे और देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
नवरत्न कंपनियों के लाभ | Benefits Of Navratna Companies
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम जिन्हें भारत में नवरत्न कंपनियां के रूप में वर्गीकृत किया गया है, ऐसी नवरत्न कंपनियों के निम्नलिखित लाभ हैं,
- मिनीरत्न स्थिति वाली कंपनियों की तुलना में इन कंपनियों को अधिक वित्तीय और परिचालन स्वतंत्रता का आनंद मिलता है।
- ये कंपनियां भारत सरकार से किसी भी प्रकार की मंजूरी या अनुमति के बिना एक ही परियोजना पर 1000 करोड़ रुपये या अपनी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश कर सकती हैं।
- वे एक पूरे वर्ष में अपनी कुल संपत्ति का 30% तक निवेश भी कर सकते हैं बशर्ते कि यह 1000 करोड़ रुपये से अधिक न हो।
- उन्हें संयुक्त उद्यम में प्रवेश करने, गठबंधन बनाने और विदेशों में सहायक कंपनियां बनाने की स्वतंत्रता है।
भारत में नवरत्न कंपनियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- वर्तमान में भारत में 16 नवरत्न कंपनियां हैं।
- इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON) भारत की 15वीं नवरत्न कंपनी है।
- राइट्स लिमिटेड भारत की 16वीं नवरत्न कंपनी है।
- 12 अक्टूबर 2023 को, वित्त मंत्रालय द्वारा इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON) को 15वें नवरत्न CPSE के रूप में तथा राइट्स लिमिटेड (RITES) को 16वें नवरत्न के रूप में सीपीएसई घोषित किया गया।
इन्हें भी देखें –
- भारत में महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियां
- भारत में महारत्न कंपनियों की सूची | 2024
- भारत में उद्योग | Industry in India
- भारत की प्रमुख कृषि क्रांति, उत्पादन और उनके जनक
- अंतर्राष्ट्रीय कप व ट्रॉफियां और उनसे सम्बंधित प्रमुख खेल
- मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय, रचनाएं एवं भाषा शैली
- आकाशदीप कहानी- जयशंकर प्रसाद
- बाघ अभयारण्य | भारत के बाघ संरक्षित क्षेत्र
- भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | विश्व विरासत सूची
- भारत में रामसर स्थल | Ramsar Sites in India | 2024
- भारत के जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र | संरक्षित जैवमंडल क्षेत्र
- विश्व एवं भारत के प्रमुख पुरस्कार एवं सम्मान | Awards and Honors
- भारत के राष्ट्रीय उद्यान | National Parks of India
- भारत की जनजातियाँ | Tribes of India
- भारतीय मानसून और उसकी विविधता
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