निद्रा रोग (Sleeping Sickness): परिचय, स्थिति, और वैश्विक दृष्टिकोण

निद्रा रोग, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Human African Trypanosomiasis (HAT) कहा जाता है, एक परजीवीजनित वाहक रोग है, जो मुख्य रूप से सब–सहारा अफ्रीकी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह रोग उस समय तक ठीक नहीं होता जब तक उचित चिकित्सीय हस्तक्षेप—जैसे कि सही दवाओं से इलाज—नहीं किया जाए। यदि ठीक समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह रोग घातक हो सकता है।

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि केन्या ने निद्रा रोग को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि यह दर्शाता है कि समन्वित प्रयास, निगरानी, रोकथाम और इलाज नीति प्रभावी सिद्ध हुई। आगे हम विस्तार में इस रोग की सभी प्रमुख बातों को समझेंगे।

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निद्रा रोग का संक्षिप्त अवलोकन

  • निद्रा रोग का मेडिकल नाम Human African Trypanosomiasis (HAT) है—यह नाम ट्रायपैनोसोमा (Trypanosoma) नामक एक परजीवी वंश से जुड़ा है, जो इस रोग का मुख्य कारण होता है।
  • यह रोग vector-borne disease यानी वाहक जनित रोग है, क्योंकि इसे फैलाने वाला माध्यम tsetse मक्खी (Glossina वंश) होती है। यह मक्खी संक्रमित इंसानों या जानवरों को काटकर परजीवी को एक स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचाती है।
  • यह रोग विशेषकर सब-सहारा अफ्रीका के ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों में पाया जाता है, जहाँ tsetse मक्खियों का प्रसरण व्यापक होता है।

रोग के कारण: Trypanosoma परजीवी और वाहक तंत्र

  • निद्रा रोग का मुख्य रूप से जिम्मेदार एक प्रोटोजोआ परजीवी है, जो Trypanosoma वंश से संबंधित होता है।
  • T. brucei gambiense और T. brucei rhodesiense इसके दो प्रसार रूप हैं:
    • T. b. gambiense ज्यादातर पश्चिम और मध्य अफ्रीका में पाया जाता है और इसके संक्रमण की शुरुआत धीरे-धीरे होती है (क्रोनिक रूप)।
    • T. b. rhodesiense पूर्वी अफ्रीका में अधिक पाया जाता है, और इसका संक्रमण तीव्र गति से बढ़ता है (एक्यूट/तेज प्रगति)।
  • Tsetse मक्खी जब संक्रमित व्यक्ति या जानवर को काटती है, तब वह परजीवी को अपने शरीर में ले जाती है। जब वही मक्खी किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तो परजीवी फिर उस व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है, जिससे संक्रमण फैलता है।

जोखिम वाले लोग और प्रभावित क्षेत्र

  • ग्रामीण क्षेत्र में बसे लोग—विशेषकर खेती, मछली पकड़ने, पशुपालन या शिकार पर निर्भर लोग—इस रोग के लिए सबसे अधिक जोखिम में होते हैं। उनका रोजमर्रा का जीवन वनस्पति, पानी के निकट होता है जहाँ tsetse मक्खियाँ अधिक पाए जाती हैं।
  • T. b. gambiense वाले क्षेत्रों में संक्रमण अक्सर धीरे-धीरे फैलता है, और बीमारी का निदान देर से होता है। इस प्रकार का संक्रमण अक्सर बड़े पैमाने पर उजागर नहीं होता, जिससे महामारी नियंत्रित करने में चुनौतियाँ बढ़ती हैं।
  • T. b. rhodesiense अधिक तीव्र और तीव्रता से विकासशील होता है, जिससे जल्द ही गंभीर लक्षण उभरते हैं, और रोगी मृत्यु तक पहुंचने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • सरकारी और गैर-सरकारी संगठन, साथ ही WHO, इन ग्रामीण तथा सीमांत क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने, निगरानी, और उपचार सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए काम कर रहे हैं।

लक्षण और रोग की गंभीरता

निद्रा रोग दो चरणों में विकसित होता है:

चरण 1: प्रारंभिक (Hemolymphatic) चरण

  • बुखार (Fever) – अनियमित अंदाज़ से बुखार आना।
  • सिरदर्द (Headache) – सामान्य से तीव्र तक।
  • जोड़ों में दर्द (Joint pain) – शरीर में हल्के-से तीव्र तक की पीड़ा।
  • सामान्य थकावट, कमजोरी, और अन्य गैर-विशिष्ट लक्षण जैसे पेट दर्द या सुस्ती भी हो सकते हैं।

चरण 2: न्यूरोलॉजिकल (Neurological) चरण

  • जब परजीवी रक्त-वाहिकाओं से मस्तिष्क और मस्तिष्क-रक्त बाधा (blood–brain barrier) पार कर जाता है, तो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) प्रभावित होता है।
  • मानसिक भ्रम (Mental confusion) – रोगी को अपने आसपास और वास्तविकता में भ्रम होने लगता है।
  • नींद-जागने के समय में गड़बड़ी – दिन में नींद का बढ़ना और रात में नींद न आना।
  • व्यवहार में बदलाव – चिड़चिड़ापन, मनोवैज्ञानिक असंतुलन, भूलने की क्षमता में कमी, निर्जनता या उदासीनता।
  • गंम्भीरता (Severity) – यदि इलाज न हो, तो यह चरण घातक (fatal) साबित हो सकता है, क्योंकि मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र का तीव्र संकट उत्पन्न होता है।

निदान (Diagnosis)

निदान करने में दो मुख्य मार्ग अपनाए जाते हैं:

  1. रक्त (Blood) या स्पिनल टैप (Spinal Tap) – थैलीका (lymph node) से नमूने लेकर Trypanosoma की खोज।
  2. मनोवैज्ञानिक और तंत्रिका लक्षणों का मूल्यांकन – विशेषकर द्वितीय चरण में, CSF (सेरिब्रोस्पाइनल फ्लुइड) की परीक्षा की जाती है।

दोनों चरणों में प्रारंभिक निदान संभव हो जाए तो उपचार की सफलता अधिक सुनिश्चित होती है।

उपचार (Treatment)

प्रमुख उपचार विकल्प निम्न हैं:

  • Pentamidine – प्रारंभिक (पहले) चरण के लिए उपयोगी।
  • Suramin – कुछ मामलों में प्रयोग।
  • Melarsoprol – अधिक समर्थन प्राप्त दूसरा चरण (CNS में संक्रमण) के लिए लेकिन इसके दुष्प्रभाव उच्च हो सकते हैं।
  • Nifurtimox-eflornithine combination therapy (NECT) – दूसरा चरण के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प माना जाता है।
  • Nifurtimox – आम तौर पर NECT के तौर पर संयोजन में आता है, इसका एकाकी उपयोग प्रयोगात्मक हो सकता है।

उपचार की सफलता समय पर निदान, रोग का चरण, दवा की उपलब्धता, और उपचार केंद्र की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

NECT (Nifurtimox-Eflornithine Combination Therapy) की विस्तृत चिकित्सा पद्धति

NECT आज भी gambiense-HAT के द्वितीय (CNS) चरण में मानक, सुरक्षित-प्रभावी विकल्पों में गिना जाता है—विशेषकर तब, जब CSF में सूजन अधिक हो (उदा., WBC >100/µL), या मौखिक फेक्सिनिडाज़ोल देने की स्थितियाँ/निगरानी सीमित हों।

रेजीमें (व्यावहारिक विवरण):

  • निफर्टिमॉक्स (Nifurtimox): 15 mg/kg/दिन, दिन में तीन बार (TID), 10 दिन तक ओरल
  • इफ्लोर्निथिन (Eflornithine): 400 mg/kg/दिन, IV—आम तौर पर 7 दिन तक, दो 2-घंटे की इन्फ्यूज़न/दिन (प्रत्येक डोज़ को उपयुक्त द्रव में घोलकर) दी जाती है। DNDi की संक्षिप्त गाइड में इसे “7 दिनों में 14 इन्फ्यूज़न + 10 दिनों तक निफर्टिमॉक्स” के रूप में भी समझाया जाता है।

किसे NECT दें, किसे फेक्सिनिडाज़ोल? (gambiense, स्टेज-2):

  • CSF WBC <100/µL और संसाधन उपलब्ध हों तो बहुत से सेटिंग्स में फेक्सिनिडाज़ोल (पूरी तरह मौखिक) को प्राथमिकता दी जाती है;
  • CSF WBC ≥100/µL या गंभीरता/लॉजिस्टिक्स के मद्देनज़र NECT अक्सर बेहतर माना जाता है (इफ्लोर्निथिन मोनोथेरेपी से अधिक प्रभावी और कम विषाक्त)।

डोज़िंग-न्यूऐंसेज़ (क्लिनिकल पर्ल्स):

  • इफ्लोर्निथिन का डाइल्यूशन (बच्चों के वज़न के मुताबिक 50–250 mL पानी/डेक्सट्रोस/सलाइन) और इन्फ्यूज़न-टाइम का पालन करें;
  • इफ्लोर्निथिन ट्रायपैनोस्टैटिक है (किलर नहीं), इम्यूनोसप्रेशन में प्रभाव घट सकता है;
  • निफर्टिमॉक्स—मतली/उल्टी/अनिद्रा आदि की निगरानी;
  • उपचार के बाद 24 माह तक फॉलो-अप (रिलैप्स की संभावना के लिए)।

rhodesiense-HAT के लिए अपडेट:
2024–25 के WHO अपडेट के बाद फेक्सिनिडाज़ोल (पूरी तरह मौखिक) को ≥6 वर्ष/≥20 kg के लिए पहली पंक्ति में रखा गया है—स्टेज-1 और स्टेज-2 (CNS-इन्वॉल्वमेंट) दोनों में। छोटे बच्चों/कम वज़न पर अभी भी सुरामिन/मेलार्सोप्रोल की भूमिका है। यह एक बड़ा प्रतिमान-परिवर्तन है क्योंकि पहले रॉडेसिएन्स-HAT में इफ्लोर्निथिन प्रभावी नहीं माना जाता था और मेलार्सोप्रोल की विषाक्तता चिंता का विषय रहती थी।

रोक-थाम और नियंत्रण उपाय (Prevention & Control)

रोक-थाम और नियंत्रण के प्रभावी उपायों में शामिल हैं:

  • Tsetse मक्खियों का नियंत्रण – मक्खी पकड़ने वाले जाल (traps), स्प्रे, कृषि भूमि में vegetation नियंत्रण, और मक्खी को आकर्षित करने वाले यंत्र।
  • जनजागरूकता (Awareness) – ग्रामीण समुदायों को रोग के शुरुआती लक्षण, संक्रमण का तरीका, और जब तुरंत उपचार आवश्यक हो, इसकी जानकारी देना।
  • निगरानी (Surveillance) – नियमित स्क्रीनिंग, स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्रों में सक्रिय निगरानी, और केस ट्रैकिंग।
  • स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच – दवाओं की उपलब्धता, प्रशिक्षित स्टाफ, और ट्रांसपोर्ट के माध्यम।

त्सेत्से-मक्खी नियंत्रण: “टूलबॉक्स” का स्मार्ट उपयोग

HAT नियंत्रण में इंटीग्रेटेड वेक्टर मैनेजमेंट (IVM) के बिना सतत सफलता मुश्किल है। प्रमुख-तकनीकें:

“टिनी टार्गेट्स”, ट्रैप्स और ओडर-बेट्स

  • टिनी/स्टिकी स्मॉल टार्गेट्स: छोटे, कीटनाशक-प्रेरित कपड़े/पैनल जिनपर त्सेत्से बैठकर मरते हैं; नदियों/वनस्पति किनारों पर घने फोकस में अत्यंत किफ़ायती—कई सेटिंग्स में पारंपरिक बाइकोनिकल ट्रैप्स से बेहतर फील्ड-परफॉर्मेंस दिखा चुके हैं।
  • ओडर-बेट (Attractants/Repellents): मवेशियों/जंगली शिकार की गंध जैसे सिंथेटिक ब्लेंड्स से “पुश-पुल” रणनीति—जहाँ रिपेलेंट से बस्तियों/मवेशियों को “पुश” और आकर्षकों/टार्गेट्स पर “पुल” किया जाता है—के सबूत बढ़ रहे हैं।

कीटनाशी-उपचारित पशु (Insecticide-Treated Cattle, ITC)

मवेशियों पर पायरीथ्रॉइड “पोर-ऑन”/स्प्रे से त्सेत्से के रक्तपान के दौरान मृत्यु बढ़ती है, जिससे स्थानीय घनत्व घटता और ज़ूनोटिक-स्पिलओवर थमता है। फील्ड-अध्ययनों/मॉडलिंग से रोज़ाना मृत्यु-दर में उल्लेखनीय वृद्धि (≈5–14%) तथा पशुओं/त्सेत्से में ट्रायपैनोसोमेस की प्रचलन-कमी दिखी है। लागत-प्रभावशीलता उत्कृष्ट मानी गई—कई परिदृश्यों में “ड्राफ्ट-कैटल-फर्स्ट” रणनीति व्यावहारिक रही। (पर्यावरण/डंग-कॉन्टैमिनेशन के जोखिमों के लिए सावधानी-मानक आवश्यक)।

स्टरल-इंसैक्ट टेक्नीक (SIT)

लैब में नर त्सेत्से को रेडिएशन से बाँझ कर बड़े पैमाने पर छोड़ना; जंगली मादाओं से संकरण के बाद संतान नहीं बनतीं—गैर-लक्ष्यित जीवों पर प्रभाव नगण्य, और खास बात: घनत्व कम होते ही यह तकनीक और दक्ष हो जाती है; इसलिए उन्मूलन के अंतिम चरणों में SIT “फाइनल क्लीन-अप” की तरह काम करता है।

“कहाँ क्या” लागू करें—व्यावहारिक ब्लूप्रिंट

  • नदी-किनारे/घने झाड़ीदार फोकस: टिनी-टार्गेट्स + ओडर-बेट + सीमित ट्रैप-मेंटेनेंस।
  • लाइवस्टॉक-डोमिनेंट ज़ोन: ITC (पोर-ऑन/स्प्रे) + लक्षित टार्गेट-लाइनें।
  • एंड-गेम/आइलैंड/लो-डेंसिटी सेटिंग्स: SIT + सघन सर्विलांस।
  • हॉट-स्पॉट रिसर्जेंस: फोकस-वार माइक्रोप्लान (टार्गेट-डेंसिटी 5–10/किमी किनारे; मासिक सर्वे; ITC कवरेज ≥50% ड्राफ्ट कैटल) । (ये नियम “एक आकार सबपर नहीं”—स्थानीय इको-एपिडेमियोलॉजी के अनुसार अनुकूलन करें।)

इन सामूहिक प्रयासों से रोग के प्रसार को रोका जा सकता है और मामलों की पहचान व उपचार समय पर संभव होता है।

WHO की घोषणा: केन्या में निद्रा रोग समाप्ति

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने केन्या को निद्रा रोग (Sleeping Sickness) को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त घोषित किया है। इसका मतलब यह है कि चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ने इस रोग पर नियंत्रण हासिल कर लिया है; नए मामले बहुत ही न्यूनतम (या असंभव कहे जाएं) पहुँच चुके हैं।

यह घोषणा निम्नलिखित को दर्शाती है:

  • प्रभावी मल्टी-डिसिप्लिनरी प्रयास — सरकार, WHO, स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों, और समुदायों का समन्वित कार्य।
  • सक्रिय निगरानी और शीघ्र निदान — हरियाली या आदिवासी क्षेत्रों में रोग की शुरुआती पहचान।
  • निदान और इलाज के संसाधनों की उपलब्धता — जैसे कि Pentamidine, NECT और अन्य आवश्यक दवाएँ, प्रशिक्षित स्टाफ, और अस्पतालों तक आसान पहुँच।
  • रोकथाम और शिक्षा अभियानों की सफलता — ग्रामीण निवासियों को जागरूक कर उनकी भूमिका सुनिश्चित करना जैसे कि खुद अपनी रक्षा के उपाय अपनाना।

यह उपलब्धि पहलुओं में निम्न संदेश देती है:

  1. निद्रा रोग एक विनाशकारी लेकिन रोकने योग्य रोग है।
  2. यदि सही रणनीति और सहयोग हो, तो यह रोग स्थानीय स्तर पर समाप्त भी किया जा सकता है।
  3. अन्य देशों को इस मॉडल की ओर देखना चाहिए जहां यह रोग अभी भी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है (जैसे डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, अंगोला, साऊथ सूडान आदि)।

केन्या की WHO-संबंधित नीति और “एलिमिनेशन ऐज़ ए पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम” वैलिडेशन

ताज़ा स्थिति: 8 अगस्त 2025 को WHO ने पुष्टि की कि केन्या ने ह्यूमन अफ्रीकन ट्रायपैनोसोमियासिस (HAT/स्लीपिंग सिकनेस) को “सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या” के रूप में समाप्त कर दिया है—यह ऐसा करने वाला दसवाँ देश है। यह केन्या का NTD क्षेत्र में दूसरा बड़ा मुकाम है (2018 में गिनी-वर्म से मुक्ति) । वैलिडेशन में देश-स्तरीय डोज़ियर, केस/जनसंख्या अनुपात, निगरानी-प्रणाली और कार्यक्रमीय क्षमता का मूल्यांकन शामिल होता है।

वैलिडेशन की मूल कसौटी (सरल भाषा में):
देश को पाँच साल की अवधि में औसत < 1 केस प्रति 10,000 आबादी की सीमा और मज़बूत निगरानी, केस-मैनेजमेंट तथा वेक्टर-कंट्रोल क्षमताएँ दिखानी होती हैं। इसे WHO का “एलिमिनेशन ऐज़ ए पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम” कहा जाता है।

केन्या के नीति-स्तंभ (उदाहरणत:)

  • इंटीग्रेटेड सर्विलांस: सक्रिय (outreach/सर्वे) + निष्क्रिय (हेल्थ-फैसिलिटी) निगरानी; लैम्ब्वे वैली जैसे पुराने फोकस-एरिया में सामुदायिक स्क्रीनिंग।
  • कार्यक्रम सशक्तीकरण: KENTTEC (Kenya Tsetse and Trypanosomiasis Eradication Council) जैसे निकायों का फील्ड-कंट्रोल/समन्वय; लक्षित काउंटियों में प्रशिक्षण, उपकरण, और संदर्भ-प्रयोगशाला की तैयारी।
  • राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारण: 2023-27 NTD मास्टर-प्लान में rhodesiense-HAT के लिए वैलिडेशन-टार्गेट और वार्षिक सूचकांक (कवरेज, सक्रिय/निष्क्रिय सर्विलांस आदि)।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: अन्य प्रभावित देश और WHO के लक्ष्य

  • WHO ने निद्रा रोग के उन्मूलन (elimination) और अंततः पूर्ण निकास (eradication) के लिए रणनीतिक लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
  • कुछ यूरोपीय या अमेरिकी देशों में निद्रा रोग लगभग नहीं पाया जाता, लेकिन सब-सहारा अफ्रीकी देशों में यह अभी भी एक समस्या बना हुआ है।
  • केन्या ने सफलता हासिल कर अन्य देशों (जैसे डीआर कांगो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, अंगोला) के लिए मार्ग तय किया है, जहाँ अभी भी नए मामले मिलते हैं।

निष्कर्ष और आगे का रास्ता

सारांश

  1. निद्रा रोग (HAT) एक गंभीर वाहक जनित रोग है, जिसका कारण Trypanosoma परजीवी है।
  2. यह tsetse मक्खी द्वारा फैला है, और महत्वपूर्‍ण रूप से ग्रामीण अफ्रीकी क्षेत्रों में पाया जाता है।
  3. रोग के दो चरण—प्रारंभिक (बुखार, सिरदर्द, जोड़ दर्द) और मस्तिष्क संबंधी (नींद-चक्की, मानसिक भ्रम)—घातक हो सकते हैं।
  4. Pentamidine, NECT, Nifurtimox, Melarsoprol जैसे उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन चरण और शीघ्रता निर्णय करते हैं।
  5. रोक-थाम: मक्खी नियंत्रण, जागरूकता अभियान, निगरानी, स्वास्थ्य सेवा प्रसार।
  6. केन्या को WHO ने हाल ही में निद्रा रोग से मुक्त घोषित किया—यह एक प्रेरणास्वरूप उपलब्धि है।

आगे का रास्ता

  • अन्य प्रभावित देशों में भी इसी प्रकार की सक्रिय निगरानी, संसाधन सौंपना, और सामुदायिक शिक्षा अभियान चलाए जाएँ।
  • Transboundary collaboration: पड़ोसी देशों का समन्वय, क्योंकि tsetse मक्खियाँ सीमापार फैल सकती हैं।
  • वैश्विक साझेदारी: WHO, NGO, और अफ्रीकी सरकारों द्वारा तकनीकी, वित्तीय, और मानव संसाधन सहयोग।
  • नए उपचार और वैक्सीन्स: अनुसंधान, क्लिनिकल ट्रायल, और अधिक सुरक्षित, आसान लाभकारी दवाओं का विकास।

HAT में अनुसंधान व नवाचार की दिशा

पूरी तरह मौखिक उपचारों का युग

  • फेक्सिनिडाज़ोल (FEX): gambiense-HAT में तो स्थापित है; अब WHO अपडेट के बाद rhodesiense-HAT के लिए भी ≥6 वर्ष/≥20 kg में पहली पंक्ति—यह प्रोग्रामेटिक तौर पर खेल बदल देता है (IV-आधारित सुरामिन/मेलार्सोप्रोल की निर्भरता घटती है)। पोस्ट-मार्केट/कोहोर्ट-डेटा इसकी वास्तविक-दुनिया प्रभावशीलता और सुरक्षा का विस्तार कर रहे हैं।
  • अकोज़िबोरोले (Acoziborole): एक-डोज़, मौखिक उम्मीदवार—gambiense-HAT के लिए 2022 की फ़ेज़ II/III (वयस्क) रिपोर्टें उत्साहजनक; 2024 से 10–40 kg बच्चों में अध्ययन विस्तार। यदि प्रोग्रामेटिक उपयोग के लिए स्वीकृत होता है तो कैंप-बेस्ड स्क्रीन-एंड-ट्रीट मॉडल में क्रांतिकारी सरलता ला सकता है।

डायग्नोस्टिक्स और सर्विलांस

  • कंपोज़िट एल्गोरिद्म: RDT/सीरोलॉजी + माइक्रोस्कोपी + mAECT/लम्बर-पंक्चर—फील्ड-वर्सेटाइल प्रोटोकॉल की दिशा में सुधार;
  • एक्टिव-केस फाइंडिंग का स्मार्ट-टार्गेटिंग: WHO का मैपिंग-एंड-ट्रैकिंग फ्रेमवर्क—हॉट-स्पॉट/क्लस्टर बेस्ड माइक्रोप्लान; जियोस्पेशियल और ज़ूनोटिक रिज़र्वोयर डेटा (मवेशी/वन्यजीव) का एकीकरण;
  • पॉइंट-ऑफ-केयर फॉलो-अप टूल्स: ट्रीटमेंट-आफ्टर 24-माह तक रिलैप्स-मॉनिटरिंग की सुविधा।

वेक्टर-कंट्रोल में विज्ञान

  • ओडर-केमिस्ट्री/ब्लेंड-ऑप्टिमाइज़ेशन: प्रजाति-विशिष्ट आकर्षक/प्रतिरोधी मिश्रण—“पुश-पुल” तैनाती को और स्मार्ट बनाना;
  • इंसेक्टिसाइड-रेज़िस्टेंस मैनेजमेंट (IRM): पायरीथ्रॉइड/कपड़े-इम्प्रेग्नेशन के साथ रोटेशन/मिश्रण रणनीतियाँ;
  • SIT ऑपरेशनल इकोनॉमिक्स: मास-रीयरिंग/ट्रांसपोर्ट/रिलीज़-लॉजिस्टिक्स का अनुकूलन—आख़िरी मील में लागत घटाना;
  • समुदाय-नेतृत्वित ITC: किसान-केंद्रित मॉडल (लाभ-हानि + सहआर्थिक फायदे—टीबी/टिक-बोर्न नियंत्रण के साथ “डबल-डिविडेंड”) के बेहतर प्रोत्साहन-डिज़ाइन।

केन्या की उपलब्धि हमें यह प्रेरणा देती है कि जब वैज्ञानिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य, समुदाय और सरकारी समर्थन एक साथ आता है, तब न केवल एक रोग को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि उसे सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या से बाहर भी निकाला जा सकता है।


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