भारत में शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का एक प्रमुख आधार माना जाता है। साक्षरता न केवल व्यक्तिगत विकास का आधार है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति का भी मूल तत्व है। इसी संदर्भ में, 23 जून 2025 का दिन इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जब उत्तर-पूर्व भारत का एक छोटा लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति वाला राज्य — त्रिपुरा — “पूर्ण कार्यात्मक साक्षर राज्य” घोषित हुआ।
यह उपलब्धि न केवल राज्य सरकार की प्रतिबद्धता और नीतियों की सफलता का प्रमाण है, बल्कि सामाजिक सहयोग, जनसहभागिता और समर्पित प्रयासों का उत्सव भी है। मिजोरम और गोवा के बाद यह गौरव प्राप्त करने वाला त्रिपुरा देश का तीसरा राज्य बन गया है।
यह समाचार में क्यों है?
23 जून 2025 को अगरतला स्थित रवींद्र सताबर्षिकी भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में त्रिपुरा को “पूर्ण कार्यात्मक साक्षर राज्य” घोषित किया गया। इस घोषणा को मुख्यमंत्री प्रो. (डॉ.) माणिक साहा और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से किया गया। यह सम्मान त्रिपुरा को नई भारत साक्षरता कार्यक्रम — ULLAS (Understanding Lifelong Learning for All in Society) — के तहत उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए प्राप्त हुआ है।
पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता का आशय
पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता का तात्पर्य है कि राज्य में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 95% से अधिक नागरिक पढ़ने, लिखने, और बुनियादी गणितीय कार्यों को स्वतंत्र रूप से संपन्न करने में सक्षम हैं। इसका अर्थ यह भी है कि ये नागरिक जीवन कौशल से भी सुसज्जित हैं और डिजिटल साक्षरता के आवश्यक तत्वों से परिचित हैं।
त्रिपुरा की ऐतिहासिक यात्रा: 1961 से 2025 तक
त्रिपुरा की साक्षरता दर की यात्रा प्रेरणादायक है:
- 1961 में राज्य की साक्षरता दर मात्र 20.24% थी।
- 2025 में यह बढ़कर 95.6% हो गई है।
इस उपलब्धि के पीछे दशकों की नीतिगत योजनाएं, स्वयंसेवकों की मेहनत, शिक्षकों का योगदान और नागरिकों की जागरूकता रही है।
ULLAS कार्यक्रम: शिक्षा की नई रोशनी
ULLAS यानी “Understanding Lifelong Learning for All in Society”, भारत सरकार द्वारा 2022–2027 की अवधि के लिए शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य वयस्क शिक्षा को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना है।
प्रमुख उद्देश्य:
- 15 वर्ष से अधिक आयु के अशिक्षित युवाओं और वयस्कों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना।
- जीवन कौशल, जैसे कि वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, कानूनी समझ और स्वास्थ्य शिक्षा का प्रसार।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप, शिक्षा को समावेशी और समान बनाना।
- ULLAS मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटल माध्यमों से सीखने और प्रमाणन को प्रोत्साहित करना।
त्रिपुरा में कार्यक्रम का क्रियान्वयन: एक केस स्टडी
1. घर-घर सर्वेक्षण
राज्य सरकार ने सभी जिलों में स्वयंसेवकों की मदद से घर-घर सर्वेक्षण किया, जिससे अशिक्षित व्यक्तियों की पहचान की गई। यह सर्वेक्षण अत्यंत विस्तृत था और इसकी मदद से शिक्षार्थियों की सटीक सूची तैयार की गई।
2. जनजागरूकता अभियान
शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए गांव, कस्बों और शहरी क्षेत्रों में रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर-बैनर अभियान और स्थानीय भाषाओं में संवाद के माध्यम से शिक्षा के महत्व को समझाया गया।
3. ULLAS ऐप का उपयोग
ULLAS मोबाइल ऐप की सहायता से शिक्षार्थियों का पंजीकरण किया गया, उन्हें शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई गई और उनके सीखने की प्रगति को मॉनिटर किया गया। डिजिटल प्रमाणपत्र भी इसी ऐप के माध्यम से जारी किए गए।
4. स्वयंसेवकों की भागीदारी
लाखों स्वयंसेवकों ने इस अभियान में भाग लिया। इनमें से कई पूर्व छात्र, सेवानिवृत्त शिक्षक, गृहिणियाँ और युवा शामिल थे। इस भागीदारी ने इस कार्यक्रम को एक जनांदोलन का स्वरूप दिया।
5. मिशन मोड में संचालन
राज्य सरकार ने साक्षरता को मिशन मोड में संचालित किया, जिसके कारण सीमित समय में अधिकतम परिणाम प्राप्त किए जा सके।
समारोह की प्रमुख झलकियाँ
23 जून 2025 को आयोजित इस समारोह में शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ हजारों शिक्षार्थियों, स्वयंसेवकों और सामाजिक संगठनों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अपने भाषण में कहा:
“यह उपलब्धि केवल सरकारी प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी और समर्पण की जीत है। आज त्रिपुरा ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
व्यापक महत्व और प्रभाव
1. राष्ट्रीय प्रेरणा
त्रिपुरा की यह उपलब्धि अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत है। यह दर्शाता है कि सीमित संसाधनों और जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में भी उच्च साक्षरता दर प्राप्त की जा सकती है।
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन
यह उपलब्धि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उस लक्ष्य को सशक्त करती है, जो वयस्क शिक्षा को प्राथमिकता देता है और सभी को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में अग्रसर है।
3. विकसित भारत @2047 की दिशा में योगदान
सरकार का “विकसित भारत @2047” का विजन तभी साकार हो सकता है जब नागरिक साक्षर, जागरूक और भागीदारी करने में सक्षम हों। त्रिपुरा का यह कदम इस दिशा में एक मजबूत आधारशिला है।
4. डिजिटल समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण
डिजिटल साक्षरता प्राप्त करने वाले नागरिक अब सरकारी योजनाओं, बैंकिंग सेवाओं, ऑनलाइन शिक्षा और रोजगार अवसरों तक बेहतर पहुँच बना सकते हैं। यह अंततः आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालाँकि यह उपलब्धि गौरवपूर्ण है, फिर भी इसे बनाए रखना और आगे बढ़ाना आवश्यक होगा।
भविष्य की चुनौतियाँ:
- डिजिटल विभाजन को पाटना
- दूर-दराज के क्षेत्रों में लगातार शिक्षण गतिविधियाँ बनाए रखना
- कार्यशील वयस्कों के लिए लचीली शिक्षण प्रणाली विकसित करना
- महिलाओं और विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में साक्षरता की गुणवत्ता सुनिश्चित करना
समाधान की दिशा में सुझाव:
- सतत सीखने की प्रणाली लागू की जाए।
- ULLAS जैसे कार्यक्रमों को पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर सशक्त किया जाए।
- डिजिटल उपकरणों का वितरण और प्रशिक्षण दिया जाए।
- शैक्षणिक सामग्री को स्थानीय भाषाओं में और दृश्य-श्रव्य माध्यमों से उपलब्ध कराया जाए।
निष्कर्ष
त्रिपुरा की यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल एक राज्य की सफलता की कहानी है, बल्कि यह भारत के लिए एक उज्जवल भविष्य की दिशा में कदम है। इस उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब सरकार, समाज और नागरिक मिलकर कार्य करें, तो शिक्षा जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में भी उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
साक्षरता, सामाजिक परिवर्तन की पहली सीढ़ी है। त्रिपुरा ने यह सीढ़ी सफलतापूर्वक चढ़ ली है। अब यह जिम्मेदारी अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है कि वे इस प्रेरणा को अपनाएं और भारत को पूर्ण साक्षर राष्ट्र बनाने की दिशा में मिलकर कार्य करें।