प्राकृतिक संख्या | Natural Numbers

प्राकृतिक संख्याएँ वे संख्याएँ होती हैं जो गणना और गिनती के लिए उपयोग में आती हैं। इन्हें नैचुरल नंबर (Natural Numbers) भी कहा जाता है। प्राकृतिक संख्याओं का प्रारंभ 1 से होता है और ये अनंत तक जाती हैं। इन्हें गणित में अक्सर N द्वारा निरूपित किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1, 2, 3, 4, 5, … आदि सभी प्राकृतिक संख्याएँ हैं।

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प्राकृतिक संख्या | Natural Numbers की परिभाषा

प्राकृतिक संख्याएँ (Natural Numbers) वे संख्याएँ हैं जो गिनती करने और क्रमबद्ध करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये संख्याएँ सकारात्मक पूर्णांक होती हैं और शून्य (0) को छोड़कर प्रारंभिक संख्याएँ होती हैं।

प्राकृतिक संख्याएँ वे संख्याएँ हैं जो 1 से शुरू होती हैं और अनंत तक जाती हैं।

  • प्राकृतिक संख्याओं में केवल सकारात्मक पूर्णांक होते हैं, शून्य और नकारात्मक संख्याएँ इसमें शामिल नहीं होतीं।
  • गणित में कुछ संदर्भों में शून्य (0) को भी प्राकृतिक संख्या माना जाता है, लेकिन अधिकांश पारंपरिक परिभाषाओं में यह शामिल नहीं होता।

प्राकृतिक संख्या | Natural Numbers का प्रतीक

प्राकृतिक संख्याओं का सामान्य रूप से प्रतीक “N” द्वारा दर्शाया जाता है।

प्राकृतिक संख्या का उदाहरण

प्राकृतिक संख्याएँ 1, 2, 3, 4, 5,… आदि होती हैं। इन्हें सामान्यत: गिनने के लिए उपयोग में लिया जाता है।

प्राकृतिक संख्या | Natural Numbers का गुणधर्म (Properties)

प्राकृतिक संख्याओं के गुणधर्म (Properties) को और अधिक विस्तार से समझते हैं।

1. क्रमबद्धता (Order)

प्राकृतिक संख्याएँ स्वाभाविक रूप से एक निश्चित क्रम में होती हैं। ये संख्याएँ एकल दिशा में बढ़ती जाती हैं और हर संख्या का एक उत्तराधिकारी होता है।

  • यदि ( n ) एक प्राकृतिक संख्या है, तो ( n + 1 ) भी एक प्राकृतिक संख्या है।
  • प्रत्येक संख्या का एक अद्वितीय उत्तराधिकारी होता है।

2. असीमिता (Infinity)

प्राकृतिक संख्याएँ अनंत होती हैं, जिसका मतलब है कि इनमें कोई सबसे बड़ी संख्या नहीं होती है।

  • किसी भी प्राकृतिक संख्या के बाद हमेशा एक और बड़ी प्राकृतिक संख्या होती है।
  • उदाहरण: (1, 2, 3, ) अनंत तक।

3. धनात्मकता (Positivity)

सभी प्राकृतिक संख्याएँ धनात्मक (positive) होती हैं। इनमें कोई भी संख्या ऋणात्मक (negative) नहीं होती है।

  • (N = {1, 2, 3, })
  • इनमें शून्य शामिल नहीं होता (अक्सर)।

4. पूर्णांकता (Whole Numbers)

प्राकृतिक संख्याएँ पूर्णांक होती हैं, यानी ये संख्याएँ दशमलव या भिन्न (fractions) के रूप में नहीं होती हैं।

  • वे हमेशा पूर्ण संख्या होती हैं।
  • उदाहरण: 1, 2, 3, 4,

5. अभाज्यता (Indivisibility)

प्राकृतिक संख्याएँ या तो अभाज्य (prime) होती हैं या संमिश्र (composite) होती हैं।

  • अभाज्य संख्याएँ: केवल 1 और स्वयं से विभाजित होती हैं।
  • उदाहरण: 2, 3, 5, 7, 11,
  • संमिश्र संख्याएँ: 1 और स्वयं के अलावा अन्य संख्याओं से भी विभाजित होती हैं।
  • उदाहरण: 4, 6, 8, 9,

6. संक्रियाएँ (Operations)

प्राकृतिक संख्याओं पर विभिन्न गणितीय संक्रियाएँ की जा सकती हैं:

i. जोड़ (Addition)

  • किसी भी दो प्राकृतिक संख्याओं का जोड़ भी एक प्राकृतिक संख्या होती है।
  • गुणधर्म:
  • कम्युटेटिव (अदला-बदली): ( a + b = b + a )
  • असोसिएटिव (सहवर्ती): ( (a + b) + c = a + (b + c) )
  • उदाहरण: (2 + 3 = 5)

ii. गुणा (Multiplication)

  • किसी भी दो प्राकृतिक संख्याओं का गुणा भी एक प्राकृतिक संख्या होती है।
  • गुणधर्म:
  • कम्युटेटिव: ( a x b = b x a )
  • असोसिएटिव: ( (a x b) x c = a x (b x c) )
  • डिस्ट्रिब्यूटिव (वितरण): ( a x (b + c) = (a x b) + (a xc) )
  • उदाहरण: (4 x 5 = 20)

iii. घटाना (Subtraction)

  • घटाने की क्रिया प्राकृतिक संख्याओं के बीच सीमित है।
  • सभी घटाने की क्रियाएँ प्राकृतिक संख्याओं के बीच प्राकृतिक संख्या नहीं बनातीं।
  • उदाहरण: (7 – 3 = 4) (यह प्राकृतिक संख्या है), लेकिन (3 – 7) प्राकृतिक संख्या नहीं है।

iv. भाग (Division)

  • भाग करने की क्रिया भी सीमित है।
  • (a / b) हमेशा एक प्राकृतिक संख्या नहीं होती।
  • उदाहरण: (6/ 3 = 2) (यह प्राकृतिक संख्या है), लेकिन (7 / 2) प्राकृतिक संख्या नहीं है।

7. पहचान गुणधर्म (Identity Properties)

प्राकृतिक संख्याओं के लिए पहचान गुणधर्म निम्नलिखित हैं:

i. जोड़ के लिए पहचान संख्या (Additive Identity)

  • किसी भी प्राकृतिक संख्या (n) के लिए (n + 0 = n)।
  • यहाँ 0 जोड़ की पहचान संख्या है।

ii. गुणा के लिए पहचान संख्या (Multiplicative Identity)

  • किसी भी प्राकृतिक संख्या (n) के लिए (n x 1 = n)।
  • यहाँ 1 गुणा की पहचान संख्या है।

8. सम और विषम संख्या (Even and Odd Numbers)

प्राकृतिक संख्याएँ दो प्रकार की होती हैं:

  • सम संख्या (Even Numbers): वे संख्याएँ जो 2 से विभाजित होती हैं।
  • उदाहरण: 2, 4, 6, 8,
  • विषम संख्या (Odd Numbers): वे संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं।
  • उदाहरण: 1, 3, 5, 7,

9. प्राथमिक प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic)

प्रत्येक प्राकृतिक संख्या का एक अद्वितीय अभाज्य गुणनखंडन (prime factorization) होता है।

  • उदाहरण: (30 = 2 x 3 x 5)

10. समानता (Equality)

यदि दो प्राकृतिक संख्याएँ समान होती हैं, तो उनके उत्तराधिकारी भी समान होंगे।

  • उदाहरण: यदि (a = b) है, तो (a + 1 = b + 1) होगा।

11. गणितीय आगमन (Mathematical Induction)

गणितीय आगमन एक विधि है जिसका उपयोग प्राकृतिक संख्याओं के लिए प्रमेयों को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।

  • उदाहरण: (P(1)) सही है। यदि (P(k)) सही है, तो (P(k+1)) भी सही होगा। इस प्रकार P(n) सभी (n) के लिए सही होगी।

12. भागफल और शेषफल (Quotient and Remainder)

प्राकृतिक संख्याओं को विभाजित करते समय, एक भागफल और एक शेषफल प्राप्त होता है।

  • उदाहरण: (7 / 3) का भागफल 2 और शेषफल 1 है।
  • सूत्र: (a = bq + r) जहाँ (0 ≤ r < b)।

13. समुच्चय सिद्धांत (Set Theory)

प्राकृतिक संख्याओं को पेआनो एक्सिओम्स (Peano Axioms) के माध्यम से परिभाषित किया जा सकता है।

  • पेआनो एक्सिओम्स:
  • 1 एक प्राकृतिक संख्या है।
  • प्रत्येक प्राकृतिक संख्या (n) का एक उत्तराधिकारी (n + 1) होता है।
  • 1 किसी भी प्राकृतिक संख्या का उत्तराधिकारी नहीं है।
  • दो प्राकृतिक संख्याएँ जिनके उत्तराधिकारी समान हैं, वे संख्याएँ भी समान होती हैं।
  • यदि कोई गुणधर्म 1 के लिए सही है, और यह गुणधर्म (n) के लिए सही होने पर (n + 1) के लिए भी सही है, तो वह गुणधर्म सभी प्राकृतिक संख्याओं के लिए सही होता है।

14. अंतर्संबंध (Relationships)

प्राकृतिक संख्याओं के बीच विभिन्न अंतर्संबंध होते हैं:

  • अनुक्रम (Sequence): एक संख्या के बाद अगली संख्या।
  • गुणनखंडन (Multiples): एक संख्या का गुणन।
  • समाविष्टि (Inclusion): एक संख्या दूसरे की सीमा में।

15. पूर्णांकता का विस्तार (Extension to Whole Numbers)

प्राकृतिक संख्याओं का सेट (N) को शून्य (0) को जोड़कर पूर्णांक (W) में विस्तारित किया जा सकता है।

  • W = {0, 1, 2, 3…}

16. प्रायोगिक गणित (Applied Mathematics)

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है:

  • सांख्यिकी (Statistics): डेटा का विश्लेषण।
  • भौतिकी (Physics): मात्राएँ और मापन।
  • कंप्यूटर विज्ञान (Computer Science): एल्गोरिदम और प्रोग्रामिंग।

प्राकृतिक संख्याओं के ये गुणधर्म गणित में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हैं और इन्हें समझना अन्य गणितीय अवधारणाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है जैसे:

  • गणना: वस्तुओं की संख्या गिनने के लिए।
  • मापन: मापन के लिए भी प्राकृतिक संख्याएँ काम में ली जाती हैं।
  • क्रमानुसारता: किसी क्रम को दर्शाने के लिए, जैसे पहला, दूसरा, तीसरा आदि।

समीकरण और गुणा

प्राकृतिक संख्याओं के लिए निम्नलिखित ऑपरेशंस (क्रियाएं) लागू होते हैं:

  1. जोड़ (Addition):
    • दो प्राकृतिक संख्याओं का जोड़ भी एक प्राकृतिक संख्या होता है। जैसे 2+3=5।
  2. गुणा (Multiplication):
    • दो प्राकृतिक संख्याओं का गुणा भी एक प्राकृतिक संख्या होता है। जैसे 2×3=6।

प्राकृतिक संख्याओं का सेट

प्राकृतिक संख्याओं का सेट N द्वारा निरूपित होता है: N={1,2,3,4,5, …}

शून्य का स्थान

कई बार गणित में शून्य (0) को भी प्राकृतिक संख्याओं में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन पारंपरिक रूप से शून्य को प्राकृतिक संख्या नहीं माना जाता। यदि शून्य को शामिल किया जाता है, तो इस सेट को कभी-कभी Whole Numbers (पूर्णांक) भी कहा जाता है।

शून्य का सम्मिलन प्राकृतिक संख्याओं में एक महत्वपूर्ण विषय है। शून्य को अक्सर प्राकृतिक संख्याओं से अलग माना जाता है, लेकिन आधुनिक गणित में इसे शामिल भी किया जा सकता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग प्राचीन सभ्यताओं में भी पाया गया है। सबसे पुरानी गिनतियाँ जो मानव सभ्यता में पाई गई हैं, वे प्राकृतिक संख्याओं का ही उपयोग करती हैं। मिस्र, बेबीलोन, और भारत की प्राचीन गणितीय पद्धतियों में प्राकृतिक संख्याओं का उल्लेख मिलता है।

तिनिधित्व और नोटेशन

प्राकृतिक संख्याएँ आमतौर पर दशमलव प्रणाली (decimal system) में प्रदर्शित की जाती हैं, लेकिन इन्हें अन्य आधारों (bases) में भी लिखा जा सकता है, जैसे बाइनरी (binary), ऑक्टल (octal), और हेक्साडेसिमल (hexadecimal) प्रणाली।

संक्रियाएँ (Operations)

1. जोड़ (Addition)

  • संख्याएँ जोड़ने की क्रिया।
  • गुणधर्म: कम्युटेटिव (अदला-बदली), असोसिएटिव (सहवर्ती)।
  • उदाहरण: 3+5=8

2. घटाना (Subtraction)

  • घटाने की क्रिया।
  • गुणधर्म: कम्युटेटिव नहीं है।
  • उदाहरण: 7−4=3

3. गुणा (Multiplication)

  • संख्याओं का गुणन।
  • गुणधर्म: कम्युटेटिव, असोसिएटिव, डिस्ट्रिब्यूटिव (वितरण)।
  • उदाहरण: 4×6=24

4. भाग (Division)

  • एक संख्या को दूसरी संख्या से विभाजित करना।
  • गुणधर्म: भागफल और शेषफल।
  • उदाहरण: 20÷5=4 और 20÷5=4

विशेष प्रकार की प्राकृतिक संख्याएँ

  1. अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers):
    • केवल 1 और स्वयं से विभाजित होती हैं।
    • उदाहरण: 2, 3, 5, 7, 11, …
  2. सम संख्याएँ (Even Numbers):
    • 2 से विभाजित होती हैं।
    • उदाहरण: 2, 4, 6, 8, 10, …
  3. विषम संख्याएँ (Odd Numbers):
    • 2 से विभाजित नहीं होती हैं।
    • उदाहरण: 1, 3, 5, 7, 9, …

प्रमेय (Theorems) और परिकलन (Calculations)

  1. प्राथमिक प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic):
    • प्रत्येक प्राकृतिक संख्या का एक अद्वितीय अभाज्य गुणनखंडन होता है।
    • उदाहरण: 30=2×3×5
  2. फिबोनाची श्रृंखला (Fibonacci Sequence):
    • हर संख्या पिछले दो संख्याओं का योग होता है।
    • उदाहरण: 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, …

समुच्चय सिद्धांत (Set Theory) और प्राकृतिक संख्याएँ

समुच्चय सिद्धांत में प्राकृतिक संख्याओं को वर्णित करने के लिए पेआनो एक्सिओम्स (Peano Axioms) का उपयोग किया जाता है। ये निम्नलिखित हैं:

  1. 1 एक प्राकृतिक संख्या है।
  2. प्रत्येक प्राकृतिक संख्या nnn का एक उत्तराधिकारी n+1n + 1n+1 होता है।
  3. 1 किसी भी प्राकृतिक संख्या का उत्तराधिकारी नहीं है।
  4. दो प्राकृतिक संख्याएँ जिनके उत्तराधिकारी समान हैं, वे संख्याएँ भी समान होती हैं।
  5. यदि कोई गुणधर्म 1 के लिए सही है, और यह गुणधर्म nnn के लिए सही होने पर n+1n + 1n+1 के लिए भी सही है, तो वह गुणधर्म सभी प्राकृतिक संख्याओं के लिए सही होता है।

गणितीय प्रमाण (Mathematical Proofs)

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग करके विभिन्न गणितीय प्रमेयों का प्रमाण किया जाता है। उदाहरण के लिए, गणितीय आगमन (Mathematical Induction) का उपयोग करके सिद्धांतों को प्रमाणित किया जाता है।

प्रायोगिक गणित (Applied Mathematics) में उपयोग

प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है:

  • सांख्यिकी (Statistics): डेटा का विश्लेषण।
  • भौतिकी (Physics): मात्राएँ और मापन।
  • कंप्यूटर विज्ञान (Computer Science): एल्गोरिदम और प्रोग्रामिंग।

प्राकृतिक संख्याएँ गणित का एक अभिन्न हिस्सा हैं और इन्हें समझना अन्य गणितीय अवधारणाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संख्याएँ और पूर्णांक में अंतर

प्राकृतिक संख्याएँ और पूर्णांक दोनों ही महत्वपूर्ण गणितीय अवधारणाएँ हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए इन दोनों के बीच के अंतर को विस्तार से समझते हैं:

प्राकृतिक संख्याएँ (Natural Numbers)

प्राकृतिक संख्याएँ गणना और गिनती के लिए उपयोग में ली जाने वाली संख्याएँ हैं। ये गणित में सबसे बुनियादी संख्याएँ हैं और इन्हें सबसे पहले सीखा जाता है।

विशेषताएँ

  1. प्रारंभिक संख्या: 1 से।
  2. प्रतीक: ( N )
  3. समावेशन: 1, 2, 3, 4, 5, …
  4. असीमितता: प्राकृतिक संख्याएँ अनंत होती हैं।
  5. धनात्मकता: सभी प्राकृतिक संख्याएँ धनात्मक होती हैं, यानी इनमें कोई ऋणात्मक संख्या नहीं होती।
  6. क्रमबद्धता: ये संख्या एक निश्चित क्रम में होती हैं, जिसमें हर संख्या का एक अगला नंबर होता है।

उपयोग

  • गणना: किसी वस्तु की संख्या गिनने में।
  • मापन: लंबाई, वजन, आदि का मापन करने में।
  • प्राथमिक गणितीय संक्रियाएँ: जोड़, गुणा, आदि।

पूर्णांक (Whole Numbers)

पूर्णांक में सभी प्राकृतिक संख्याएँ और शून्य शामिल होता है। यह संख्याओं का एक विस्तृत सेट है।

विशेषताएँ

  1. प्रारंभिक संख्या: 0 से।
  2. प्रतीक: ( W )
  3. समावेशन: 0, 1, 2, 3, 4, 5, …
  4. असीमितता: पूर्णांक भी अनंत होते हैं।
  5. धनात्मकता और शून्यता: इनमें शून्य और सभी धनात्मक संख्याएँ शामिल होती हैं।
  6. क्रमबद्धता: ये संख्या भी एक निश्चित क्रम में होती हैं, जिसमें हर संख्या का एक अगला नंबर होता है।

उपयोग

  • गणना और गिनती: जब शून्य को भी शामिल करना हो।
  • मापन: शून्य से शुरू होने वाले मापनों में।
  • गणितीय संक्रियाएँ: जोड़, गुणा, घटाना, आदि।

प्राकृतिक संख्याएँ और पूर्णांक का गहन विश्लेषण

शून्य का समावेश

  • प्राकृतिक संख्याएँ: 0 को शामिल नहीं करतीं।
  • पूर्णांक: 0 को शामिल करती हैं।
  • महत्व: शून्य एक महत्वपूर्ण संख्या है, खासकर गणितीय समीकरणों और गणितीय संरचनाओं में। उदाहरण के लिए, शून्य का उपयोग प्रारंभिक बिंदु के रूप में किया जाता है।

प्रारंभिक संख्या

  • प्राकृतिक संख्याएँ: 1 से शुरू होती हैं।
  • पूर्णांक: 0 से शुरू होते हैं।

प्रतीक

  • प्राकृतिक संख्याएँ: N
  • पूर्णांक: W

संक्रियाएँ

  • जोड़ (Addition):
    • प्राकृतिक संख्याओं में: (1 + 2 = 3)
    • पूर्णांकों में: (0 + 3 = 3)
  • गुणा (Multiplication):
    • प्राकृतिक संख्याओं में: (2 x 3 = 6)
    • पूर्णांकों में: (0 x 5 = 0)
  • घटाना (Subtraction):
    • प्राकृतिक संख्याओं में: (5 – 3 = 2) (सभी स्थितियों में परिभाषित नहीं)
    • पूर्णांकों में: (3 – 3 = 0) (शून्य शामिल होता है, जिससे अधिक स्थितियों में परिभाषित होता है)
  • भाग (Division):
    • प्राकृतिक संख्याओं में: (6 / 2 = 3)
    • पूर्णांकों में: (6 / 3 = 2) और (0 / 1 = 0)

सेट सिद्धांत (Set Theory)

  • प्राकृतिक संख्याएँ ((N)): एक उपसमुच्चय है पूर्णांकों का।
  • पूर्णांक ((W)): व्यापक सेट है जो प्राकृतिक संख्याओं को भी शामिल करता है।
  • सम्बंध: ( N \subseteq W )

उदाहरण

  • प्राकृतिक संख्याएँ: ( {1, 2, 3, 4, 5,} )
  • पूर्णांक: ( {0, 1, 2, 3, 4, 5, } )

अनुप्रयोग (Applications)

गणित में

  • प्राकृतिक संख्याएँ:
    • प्राथमिक गणितीय शिक्षा में।
    • अनुक्रम और श्रेणी में।
    • गणना और गिनती में।
  • पूर्णांक:
    • गणितीय संरचनाओं में।
    • शून्य की अवधारणा को शामिल करने वाले मापनों में।
    • प्रारंभिक बिंदु के रूप में।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में

  • प्राकृतिक संख्याएँ:
    • प्रकृति में वस्तुओं की गणना।
    • वैज्ञानिक मापनों में, जैसे कि आयतन, द्रव्यमान आदि।
  • पूर्णांक:
    • कंप्यूटर विज्ञान में, जैसे कि एल्गोरिदम और डेटा संरचनाओं में शून्य की भूमिका।
    • सांख्यिकी में, जैसे कि डेटा सेट्स में शून्य की उपस्थिति।

प्राकृतिक संख्याएँ और पूर्णांक दोनों ही गणितीय अवधारणाएँ हैं जिनका उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जाता है। प्राकृतिक संख्याएँ 1 से शुरू होती हैं और गणना के लिए उपयोगी होती हैं, जबकि पूर्णांक शून्य को भी शामिल करते हैं और व्यापक गणितीय संक्रियाओं और संरचनाओं में उपयोगी होते हैं। दोनों के बीच के अंतर को समझना गणितीय शिक्षा और अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संख्याएँ और पूर्णांक के बीच के अंतर को तालिका (Table) के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

गुणधर्मप्राकृतिक संख्याएँ (Natural Numbers)पूर्णांक (Whole Numbers)
प्रारंभिक संख्या10
प्रतीक( N )( W )
समावेशन1, 2, 3, 4, 5, …0, 1, 2, 3, 4, 5, …
असीमितताहाँहाँ
धनात्मकताहाँहाँ
शून्य का समावेशनहींहाँ
उपयोगगणना, गिनती, मापनगणना, गिनती, मापन, प्रारंभिक बिंदु
गणितीय संक्रियाएँजोड़, गुणा, (घटाना और भाग सीमित)जोड़, गुणा, घटाना, भाग
उदाहरण1, 2, 3, 4, 5, …0, 1, 2, 3, 4, 5, …
सम्बंधउपसमुच्चय (( N \subseteq W ))व्यापक सेट (( W \supseteq N ))
सम्बंधित क्षेत्रप्राथमिक गणित, गणनागणितीय संरचनाएँ, शून्य का समावेश

महत्वपूर्ण बिंदु

  • प्राकृतिक संख्याएँ सभी पूर्णांकों का एक सबसे छोटा उपसमुच्चय (subset) होती हैं।
  • ये संख्याएँ गणितीय सिद्धांतों और प्रमेयों (theorems) के आधार पर अन्य संख्याओं की संरचना में भी सहायता करती हैं।
  • प्राकृतिक संख्याओं में केवल सकारात्मक पूर्णांक होते हैं, शून्य और नकारात्मक संख्याएँ इसमें शामिल नहीं होतीं।
  • गणित में कुछ संदर्भों में शून्य (0) को भी प्राकृतिक संख्या माना जाता है, लेकिन अधिकांश पारंपरिक परिभाषाओं में यह शामिल नहीं होता।

प्राकृतिक संख्याएँ गणित की नींव होती हैं और इन्हें समझना गणित के अन्य जटिल विषयों को समझने के लिए आवश्यक है।

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