अमित शाह ने शासन में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भारतीय भाषा अनुभाग – BBA लॉन्च किया

भारत एक बहुभाषिक राष्ट्र है, जहाँ संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है, और इन भाषाओं के भीतर भी सैकड़ों बोलियाँ और उपभाषाएँ बोली जाती हैं। किंतु प्रशासनिक और सरकारी कामकाज में लंबे समय से अंग्रेज़ी का वर्चस्व रहा है। यह वर्चस्व कभी-कभी आम नागरिक और सरकार के बीच की दूरी बढ़ाने का कारण भी बनता है। इसी पृष्ठभूमि में 6 जून, 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा “भारतीय भाषा अनुभाग” (Bharatiya Bhasha Anubhag – BBA) का उद्घाटन किया गया, जो भारत के प्रशासनिक तंत्र में भाषाई समावेशन की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है।

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समाचार में क्यों?

6 जून 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने “भारतीय भाषा अनुभाग” (BBA) का शुभारंभ किया। इस पहल का मूल उद्देश्य भारत के शासन तंत्र में अंग्रेज़ी जैसी विदेशी भाषा के प्रभुत्व को सीमित करना और भारतीय भाषाओं को निर्णय लेने, सोचने, विश्लेषण करने और आधिकारिक संवाद के केंद्र में लाना है। यह कदम “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना को और मजबूती देता है, जहाँ विविधता में एकता भारत की पहचान है।

इस पहल के उद्देश्य

“भारतीय भाषा अनुभाग” की स्थापना का उद्देश्य केवल भाषाई रूप से विविध भारत की भाषाओं को मान्यता देना नहीं है, बल्कि प्रशासनिक, बौद्धिक और तकनीकी ढांचे में उन्हें सशक्त बनाना भी है। इस पहल के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

1. प्रशासन को विदेशी भाषाओं के प्रभाव से मुक्त कराना

भारत में अब भी अधिकांश सरकारी दस्तावेज, रिपोर्ट, बैठकें, और नीतियाँ अंग्रेज़ी में बनती हैं, जो कई बार आम नागरिकों को उनसे जुड़ने से रोकती हैं। BBA का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में लाकर आम जन को शासन से जोड़ना है।

2. निर्णय-निर्धारण में भारतीय भाषाओं का उपयोग

यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि सरकार के भीतर सोचने, विचार करने, और निर्णय लेने की प्रक्रिया मातृभाषाओं में हो सके, जिससे नीतियाँ अधिक जनोन्मुखी और समावेशी बनें।

3. सार्वभौमिक अनुवाद प्रणाली का विकास

BBA के अंतर्गत भारतीय भाषाओं और हिंदी के बीच दो-तरफ़ा उच्च गुणवत्ता वाले अनुवाद को सुनिश्चित करने के लिए एक आधुनिक तकनीकी प्रणाली विकसित की जाएगी।

4. भाषाई समावेश के माध्यम से सुशासन

यह पहल भारत के सभी क्षेत्रों की भाषाओं को बराबरी का दर्जा देती है और शासन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है।

बजट एवं वित्तीय सहायता

सरकार ने इस पहल की गंभीरता और दूरगामी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में “भारतीय भाषा अनुभाग” के लिए ₹56 करोड़ का बजट आवंटित किया है। यह राशि अनुवाद तकनीक के विकास, मानव संसाधन प्रशिक्षण, और प्रणालीगत बदलाव के लिए प्रयोग में लाई जाएगी।

पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ

भारत में आधिकारिक भाषा के प्रयोग को लेकर समय-समय पर बहस होती रही है। आधिकारिक भाषा नियम, 1976 के अनुसार, देश के “ग” क्षेत्र — जैसे तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक जैसे राज्य — जहाँ हिंदी को प्रमुखता नहीं दी जाती, वहाँ केंद्र का संवाद मुख्य रूप से अंग्रेज़ी में होता है। इससे वर्षों से यह शिकायत रही है कि क्षेत्रीय भाषाओं को राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित सम्मान नहीं मिला।

BBA अनुभाग इसी असंतुलन को दूर करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है, जिससे केंद्र और राज्य के बीच संवाद मातृभाषा के माध्यम से हो सके।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंध

BBA अनुभाग का उद्देश्य केवल प्रशासनिक भाषायी सुधार नहीं है, बल्कि यह “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” के उस सिद्धांत से भी जुड़ा है, जो मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा और शासन दोनों को सशक्त बनाने की बात करता है। NEP-2020 का जोर इस बात पर है कि छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जाए ताकि वे विषयों को बेहतर समझ सकें। इसी सोच को प्रशासनिक ढांचे में लागू करने की दिशा में BBA एक सेतु का कार्य करेगा।

तकनीकी सहायता और कार्यान्वयन

“भारतीय भाषा अनुभाग – BBA” के क्रियान्वयन में तकनीकी भागीदारी भारत सरकार की शीर्ष तकनीकी संस्था सी-डैक (C-DAC) कर रही है। C-DAC इस पहल के अंतर्गत एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रही है, जिससे सरकारी पत्राचार, दस्तावेज़, रिपोर्ट और अन्य सामग्री का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद तत्काल, सटीक और उच्च गुणवत्ता के साथ किया जा सकेगा।

इस प्रणाली की मदद से अब प्रशासनिक संवाद में भाषायी दीवारें गिरेंगी और भाषा आधारित असमानता समाप्त होगी।

प्रमुख वक्तव्यों के अंश

अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री:

“हमारी सच्ची क्षमता तभी सामने आएगी, जब हमारी सोच और शासन प्रक्रियाएं अपनी भाषाओं में होंगी।”

अंशुली आर्या, सचिव, राजभाषा विभाग:

“यह अनुभाग सरकारी संवाद में भाषा आधारित असमानता को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”

महत्त्वपूर्ण बिंदु एक नजर में

श्रेणीविवरण
लॉन्च तिथि6 जून 2025
उद्घाटनकर्ताअमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
उद्देश्यमातृभाषाओं में प्रशासन, अनुवाद सुविधा, भाषाई समावेशन
तकनीकी भागीदारC-DAC (सी-डैक)
नीति सम्बंधराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
बजट₹56 करोड़ (वर्ष 2024–25)

इस पहल का संभावित प्रभाव

1. भाषाई समावेशन को बढ़ावा

यह पहल एक ऐसा वातावरण तैयार करेगी जहाँ भारत की सभी भाषाओं को प्रशासन में बराबरी का अवसर मिलेगा। इससे भाषायी अल्पसंख्यकों का मनोबल भी बढ़ेगा और उन्हें शासन में अपनी भागीदारी महसूस होगी।

2. नागरिकों और सरकार के बीच दूरी कम होगी

जब सरकारी योजनाएँ, घोषणाएँ और संवाद आम जन की भाषा में होंगे, तो उनकी समझ, भागीदारी और सहभागिता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी।

3. भारतीय भाषाओं का तकनीकी सशक्तिकरण

C-DAC के माध्यम से विकसित की जाने वाली अनुवाद प्रणाली भारतीय भाषाओं को डिजिटल और तकनीकी प्लेटफॉर्म पर मजबूती देगी।

4. सरकारी नौकरियों और परीक्षाओं में परिवर्तन

इस पहल के प्रभाव से भविष्य में सिविल सेवा, न्यायपालिका और अन्य सरकारी क्षेत्रों में भाषाई विविधता के अनुसार परीक्षा माध्यम और संवाद की भाषा में लचीलापन आ सकता है।

चुनौतियाँ

हालांकि BBA अनुभाग एक सराहनीय कदम है, फिर भी इसके सामने कुछ चुनौतियाँ हैं:

  • विभिन्न भाषाओं के बीच गुणवत्ता पूर्ण और सटीक अनुवाद सुनिश्चित करना।
  • प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों को नई प्रणाली के लिए प्रशिक्षित करना।
  • उच्च तकनीकी अवसंरचना और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • राजनीति से ऊपर उठकर एक समान दृष्टिकोण अपनाना।

भारतीय भाषा अनुभाग” केवल एक सरकारी विभाग नहीं, बल्कि यह भारतीय भाषाओं की प्रतिष्ठा और उनकी शासन में भागीदारी की दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है। यह केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समावेशन की नींव है।

अमित शाह के नेतृत्व में शुरू की गई यह पहल आने वाले वर्षों में भारत की भाषायी विविधता को उसकी शक्ति में बदलने का माध्यम बन सकती है। यह कदम भारत की आत्मा — उसकी भाषाओं — को शासन का आधार बनाकर “वसुधैव कुटुम्बकम्” की अवधारणा को और सशक्त करता है।

Polity – KnowledgeSthali


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