भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग | $50 मिलियन ट्रेज़री बिल सहायता और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान

भारत और मालदीव के संबंध भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से सदियों पुराने हैं। इन संबंधों में समय-समय पर उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत इन द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा और दिशा मिलती रही है। हाल ही में भारत ने मालदीव को $50 मिलियन की ट्रेज़री बिल सहायता एक वर्ष के लिए और बढ़ाने की घोषणा की है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब मालदीव गंभीर आर्थिक संकट, सार्वजनिक ऋण के दबाव और कूटनीतिक चुनौतियों से गुजर रहा है।

भारत द्वारा यह निर्णय 12 मई 2025 को घोषित किया गया और इसे भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के माध्यम से लागू किया गया है। यह न सिर्फ भारत की उदार वित्तीय कूटनीति को दर्शाता है, बल्कि इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिरता और नेतृत्व की भूमिका को भी रेखांकित करता है।

ट्रेज़री बिल सहायता: क्या है इसका स्वरूप?

ट्रेज़री बिल क्या होते हैं?

ट्रेज़री बिल (Treasury Bills या T-Bills) सरकारों द्वारा जारी किए गए अल्पकालिक ऋण पत्र होते हैं, जिनका उद्देश्य तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। ये सामान्यतः एक वर्ष या उससे कम अवधि के होते हैं और इन्हें बिना ब्याज के जारी किया जाता है, लेकिन ये डिस्काउंट पर खरीदे जाते हैं और परिपक्वता पर पूरा मूल्य अदा किया जाता है।

भारत ने मालदीव के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी इन ट्रेज़री बिलों की सदस्यता 2023 में ली थी, जिसे अब एक और वर्ष के लिए नवीनीकृत किया गया है। इस सहायता की कुल राशि $50 मिलियन है, जिसे SBI द्वारा निष्पादित किया गया है।

इस निर्णय के पीछे की प्रमुख वजहें

1. मालदीव की आर्थिक चुनौतियाँ

मालदीव एक छोटा द्वीपीय राष्ट्र है जिसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर आधारित है। कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बाद इसकी अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे राजस्व में भारी गिरावट आई। वहीं, बुनियादी ढांचे में विदेशी निवेश और विकास परियोजनाओं के चलते देश पर ऋण का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 2025 तक मालदीव का सार्वजनिक ऋण उसकी GDP का लगभग 115% पार कर चुका है।

2. भारत की “Neighbourhood First” नीति

भारत की विदेश नीति में ‘पड़ोसी पहले’ (Neighbourhood First) एक प्रमुख सिद्धांत है, जिसके तहत भारत अपने निकटवर्ती देशों की सहायता कर क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करता है। इस नीति के अंतर्गत भारत ने श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सहित कई देशों को समय-समय पर वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान की है।

3. रणनीतिक और समुद्री महत्व

मालदीव हिंद महासागर में स्थित एक रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण द्वीपीय देश है। इसकी भौगोलिक स्थिति से होकर वैश्विक समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है। भारत के लिए मालदीव का समर्थन न सिर्फ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की बढ़ती उपस्थिति को भी संतुलित किया जा सकता है।

भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग के पहलू

भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग के निम्न पहलू हैं –

पहलूविवरण
रणनीतिक महत्वहिंद महासागर में भारत का पड़ोसी और समुद्री सुरक्षा में अहम भूमिका
आर्थिक स्थिरीकरणमालदीव की अर्थव्यवस्था को वित्तीय राहत, पर्यटन पुनरुत्थान में सहयोग
कूटनीतिक संकेतसंबंधों में खटास के बावजूद संवाद बनाए रखने की भारत की इच्छा
सॉफ्ट पावर प्रभावभारत को एक विश्वसनीय और उत्तरदायी क्षेत्रीय शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है

भारत की भूमिका: एक जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति के रूप में

1. वित्तीय कूटनीति और सॉफ्ट पावर

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सॉफ्ट पावर को एक उपकरण के रूप में उपयोग किया है। चाहे वह कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति हो, आपदा प्रबंधन में सहायता हो या आर्थिक सहयोग—भारत ने हर अवसर पर अपने पड़ोसियों का साथ दिया है। भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग के तहत $50 मिलियन की यह ट्रेज़री बिल सहायता भी इसी कड़ी का हिस्सा है।

2. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा

भारत ने हमेशा लोकतांत्रिक संस्थाओं और शासन प्रणाली को समर्थन दिया है। मालदीव में पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी प्रभावों के चलते लोकतंत्र कमजोर हुआ है। भारत की यह सहायता इस संकेत के रूप में भी देखी जा सकती है कि वह अपने पड़ोस में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध है।मालदीव में चीन की उपस्थिति और भारत की प्रतिक्रिया

मालदीव ने हाल के वर्षों में चीन के साथ अपनी साझेदारी को गहरा किया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत मालदीव ने चीन से कई बड़े ऋण लिए हैं। हालांकि, इन ऋणों की शर्तें पारदर्शिता की दृष्टि से विवादास्पद रही हैं, और इससे देश की ऋण जाल में फंसने की आशंका बढ़ी है।

भारत द्वारा दी गई ट्रेज़री बिल सहायता इस संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह न केवल तत्काल वित्तीय राहत देती है, बल्कि मालदीव को गैर-लोकतांत्रिक ताकतों पर निर्भरता कम करने में भी सहायता करती है।

भारत की ओर से पहले की गई प्रमुख वित्तीय सहायता

वर्षसहायता का प्रकारराशिलाभार्थी
2020कोविड वैक्सीन और दवाइयाँमानवीय सहायतामालदीव सहित कई देश
2021मुद्रा स्वैप सुविधा$250 मिलियनमालदीव
2023ट्रेज़री बिल सदस्यता$50 मिलियनमालदीव
2025ट्रेज़री बिल नवीनीकरण$50 मिलियनमालदीव

भारत की रणनीतिक दूरदर्शिता

भारत द्वारा मालदीव को दी गई $50 मिलियन की ट्रेज़री बिल सहायता न केवल एक वित्तीय लेन-देन है, बल्कि यह भारत की व्यापक रणनीतिक दृष्टि का प्रतीक है। यह सहायता:

  • भारत की क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है,
  • लोकतांत्रिक मूल्यों और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को प्रोत्साहित करती है,
  • और भारत को एक विश्वसनीय, दायित्वपूर्ण तथा उत्तरदायी क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करती है।

जहां दुनिया की बड़ी ताकतें अपनी रणनीतिक बढ़त के लिए छोटे राष्ट्रों का उपयोग कर रही हैं, वहीं भारत सहयोग और सहानुभूति के आधार पर अपने संबंधों का विस्तार कर रहा है। मालदीव को दी गई यह सहायता इसी नीति की पुष्टि करती है।

भविष्य में यह देखना रोचक होगा कि भारत इस प्रकार की वित्तीय सहायता के माध्यम से न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखता है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ विश्वास आधारित संबंध कैसे गहराता है। एक तरफ जहां भारत ने सहयोग और संवाद का मार्ग चुना है, वहीं यह वैश्विक कूटनीति को एक नया मानवीय दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

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