मुहम्मद बिन तुगलक | 1300 ई.-1351 ई.

मुहम्मद बिन तुगलक मध्यकालीन भारत में तुगलक राजवंश के एक सफल शासकों में थे, जो कि इतिहास में अपनी कट्टरता के लिए काफी प्रसिद्ध थे। मुहम्मद बिन तुगलक एक बेहद विद्धान और कुशल शासक था, जिन्हें दर्शनशास्त्र, गणित, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान का अच्छा ज्ञान था। इसके साथ ही मुहम्मद बिन तुगलक को संस्कृत, फारसी, अरबी और तुर्की समेत कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी।

मुहम्मद बिन तुगलक की जीवनी

पूरा नाम (Name)मुहम्मद बिन तुग़लक़
बचपन का नाम (Childhood Name)उलूग खान या जौना खान
जन्म (Birthday) 1300 ई. ( अनुमानित )
जन्मस्थान (Birthplace)मुल्तान, पाकिस्तान
माता (Mother Name)फ़िरोज़ शाह तुग़लक़
पिता (Father Name)गयासुद्दीन तुग़लक़
मृत्यु (Death)20 मार्च 1351

मुहम्मद बिन तुगलक का प्रारंभिक जीवन एवं उत्तराधिकारी बनना

मुहम्मद बिन तुगलक, करीब 1300 ईसवी  के आस पास तुगलक वंश के संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक के पुत्र जौना खां के रुप में पैदा हुआ था। राजघराने में पैदा होने की वजह से मुहम्मद बिन तुगलक को बचपन में सभी सुख-सुविधाएं मिली और उसका बचपन राजकुमार की तरह बीता। वह बचपन से ही काफी तेज एवं विलक्षण प्रतिभा का बालक था।

इसलिए कम उम्र से ही वह अपने पिता के राजकाज में हाथ बंटाने लगा था। करीब 1321-1322 ईसवी में जब हिन्दू विरोधियों ने डेक्कन और वारंगल शहर में तुगलकी शासकों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, तब गयासुद्धीन तुगलक ने मुहम्मद बिन तुगलक को इस विद्रोह का सामना करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

जिसके तहत मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने विरोधियों का बेहद समझदारी पूर्वक सामना किया और इस विद्रोह को दबा दिया।

मुहम्मद बिन तुगलक | 1300 ई.-1351 ई.

अपने पिता गयासुद्दीन तुगलक की मौत के बाद 1325 ईसवी में मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से वह दिल्ली सल्तनत की राजगद्दी पर बैठा था।

कई विषयों की जानकारी रखने के कारण एवं कई गलत फैसले लेने की वजह से वो इतिहास का सबसे अधिक बुद्धिमान और मूर्ख शासक के तौर पर भी जाना जाता है।

मुहम्मद बिन तुगलक के सुधार एवं  विफल परियोजनाएं

दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठने के बाद उसने समस्त भारत पर तुगलक सम्राज्य का विस्तार करने के लिए कई अधिकारिक बदलाव किए  एवं कई ऐसे अजीब और गरीब निर्णय लिए।

वहीं सम्राज्य के विस्तार के लिए उसके द्धारा किए गए अधिकतर प्रयासों में वह अपने क्रोध, खित्रता एवं न्याय के अभाव की वजह से असफल रहा था, जिससे उसकी राज्य की जनता को काफी कष्ट सहना पड़ा एवं उसके राजस्व को काफी नुकसान हुआ था, मुहम्मद बिन तुगलक के द्धारा लिए गए कुछ गलत फैसले इस प्रकार हैं –

राजधानी स्थानांतरण

दिल्ली सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक द्धारा अपनी राजधानी को परिवर्तन करने की योजना विफल रही। दरअसल, मुहम्मद बिन तुगलक दक्षिण भारत पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता था इसके साथ ही मंगोलों के आक्रमण से सुरक्षा के उद्देश्य से उसने 1329 ईसवी में दिल्ली के बजाय अपनी राजधानी देवगिरी बना ली, और फिर इसका नाम दौलताबाद रख दिया।

इस दौरान दिल्ली की आबादी को भी दौलताबाद शिफ्ट होने का आदेश दिया गया। जिसके बाद कुछ लोग तो दौलताबाद पहुंच नहीं पाए,तो कई लोगों ने दौलताबाद पहुंचकर पानी की कमी की वजह से दम तोड़ दिया, जिसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक को फिर से अपनी राजधानी को दिल्ली में ही स्थानांतरित करना पड़ा।

वहीं इसके बाद विद्रोह की वजह से दक्षिणी क्षेत्र दिल्ली सल्तनत से बाहर हो गए और फिर उसने जिस आधार पर दौलताबाद को अपनी राजधानी चुना था, उसका औचित्य खत्म हो गया। इस तरह राजधानी परिवर्तन का प्रभाव आम लोगों पर पड़ा, जिससे उनको काफी कष्ट सहना पड़ा था।

तांबे और कास्य के सिक्कों को चलाने का आदेश

अजीबो-गरीब फैसले लेने के लिए प्रसिद्ध दिल्ली सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल में चांदी की कमी की वजह से सांकेतिक मुद्रा की शुरुआत की। उसने ताबें, पीतल और कांसे की मुद्रा का चलन शुरु किया।

कांस्य/पीतल  के सिक्कों का मूल्य चांदी की मुद्रा के बराबर रखे गए, वहीं इन सिक्कों को लोगों ने आसानी से अपने घरों में बनाना शुरु किया, जिससे राजकोष को काफी नुकसान पहुंचा, नतीजतन, मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी यह योजना बंद करनी पड़ी है।

दोआब में भू-राजस्व की बढ़ोतरी की परियोजनाएं

तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने गंगा और जमुना नदियों के बीच दोआब में भूमि कर में काफी बढ़ोतरी कर दी थी। उन्होंने गैर मुस्लिमों पर भूमि राजस्व को 10 गुना और अन्य जगहों पर इसे बढ़ाकर 20 गुना कर दिया था।

वहीं बढ़ रही लगान की वजह से किसानों ने इसके खिलाफ विद्रोह कर दिया एवं कई हिन्दू किसानों ने तो खेती करना तक छोड़ दिया था, जिससे दोआब में अकाल पड़ गया था।  

यही नहीं अपनी कट्टरता के लिए कुख्यात सुल्तान ने बेहद क्रूरता और निर्दयता से इस विद्रोह का दमन किया था एवं तमाम बेकसूर किसानों को मौत के घाट भी उतार दिया था।

खुर्सी अभियान

मुहम्मद बिन तुगलक पूरे भारत को जीतना चाहता था, इसलिए उसने इस अभियान के तहत खुर्सी और इराक को चुना था। इसके लिए उसने एक विशाल सेना भी तैयार की थी, लेकिन बाद में उसे इस अभियान से भी असफलता मिली थी।

कराची अभियान

मोहम्मद बिन तुगलक ने अपना यह अभियान विशेष तौर पर पहाड़ी इलाके कांगड़ा और कुमाऊं में चलाया था। लेकिन तुगलक वंश के सुल्तान की सेना पहाड़ी इलाके में लड़ने के लिए सक्षम नहीं थी, जिसके चलते उसे काफी नुकसान झेलना पड़ा, और मजबूरन इससे पीछा हटने पड़ा।

इसके साथ ही इस परियोजना की वजह से कई विद्रोहों ने जन्म लिया। साथ ही विपरीत भौगोलिक स्थिति में मुहम्मद बिन तुगलक की सेना को काफी नुकसान भी पहुंचा था।

इस तरह अपने करीब 26 साल के शासनकाल में कुछ गलत फैसलों की वजह  से उसका राजस्व काफी कम होता चला गया, जिससे उसकी आर्थिक हालत काफी बिगड़ गई थी।

फिर 20 मार्च, 1351 को इतिहास का यह सबसे बुद्धिमान और मूर्ख शासक इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए चला गया। इसके बाद फिरोज शाह तुगलक को तुगलक वंश का शासक बनाया गया।

हालांकि मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत का भौगोलिक क्षेत्रफल सबसे ज्यादा रहा, जिसमें करीब पूरा भारतीय उपमहाद्धीप शामिल था।

मुहम्मद बिन तुगलक को इतिहास के सबसे कुशल और बुद्धिमान शासकों में गिना जाता था, हालांकि उसके कुछ गलत फैसलों की वजह से उसका पूरे भारत पर राज करने का सपना तो अधूरा रह ही गया। इसके साथ ही उसकी छवि इतिहास के एक बुद्धिमान और मूर्ख शासक के रुप में बन गई थी।

वहीं आधुनिक युग में नेताओं के द्धारा किसी भी परियोजना एवं फैसले को अचानक एकतरफा ढंग से लागू करने पर उसकी आलोचना ‘तुगलकी फरमान’ कहकर ही की जाती है। वहीं मोहम्मद बिन तुगलक को उसके द्धारा सख्ती से लिए गए अजीबो – गरीब फैसलों के लिए आज भी याद किया जाता है।

मोहम्मद बिन तुगलक से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • तुगलक वंश के शासक मोहम्‍मद बिन तुगलक को इतिहास का सबसे बुद्धिमान एवं मूर्ख शासक के रूप में जाना जाता है।
  • इसको पागल बादशाह की संज्ञा भी दी जाती है।
  • मोहम्‍मद बिन तुगलक इतिहास में अपनी कट्टरता के लिए कुख्यात था।
  • अपने पिता गयासउद्दीन की मौत के बाद 1325 ईसवी में मोहम्‍मद बिन तुगलक, दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा था, इसके बाद उसने अपनी राजधानी देवगिरी का नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया था।
  • दिल्ली सल्तनत के सुल्तान मोहम्‍मद बिन तुगलक ने राजगद्दी पर बैठने के बाद अपने सम्राज्य में कई बदलाव किए, दरअसल वह पूरे भारत में अपने तुगलक सम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।
  • मोहम्‍मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत का काफी विस्तार हुआ था, इसके साथ ही उसने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए एवं कई अभियान भी चलाए थे।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा लिए गए फैसलों में उसकी राजधानी का स्थानान्तरण, वृद्धि, सांकेतिक मुद्रा, करचिल अभियान खुरासान अभियान आदि शामिल थे।
  • तुगलक के कुछ गलत फैसलों की वजह से उसका राजस्व दिन पर दिन कम होता चला गया था एवं उसकी आर्थिक हालत कााफी बिगड़ गई थी।
  • मोहम्‍मद बिन तुगलक के शासनकाल के दौरान ही अफ्रीकी यात्री इब्‍नबतूता भारत की यात्रा पर आया था।
  • मोहम्‍मद बिन तुगलक के शासनकाल के दौरान ही दक्षिण में 1336 ईसवी में हरिहर और बुक्का नाम के दो भाईयों ने विजयनगर राज्य की स्थापना की थी।
  • इतिहास का सबसे विद्वान शासकों में से एक मोहम्‍मद बिन तुगलक 20 मार्च, 1351 को इस दुनिया को अलविदा कह गया था, उसकी मौत के बाद उसके चचेरे भाई फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत का उत्तराधिकारी बनाया गया था।
  • मोहम्‍मद बिन तुगलक धर्म में अटूट विश्वास रखता था। इसके साथ ही उसका तार्किक एवं ग्रहणशील दृष्टिकोण काफी अच्छा था। वहीं अंतरिक्ष विज्ञान, तर्कशक्ति और गणित के प्रति उसकी बेहद खास रूचि थी। 
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने इंशा-ए-महरू नामक एक किताब की भी रचना की थी।

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