वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 | पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार की नई पहल

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को मंजूरी दी है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और नियमन के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से लाया गया है। इसमें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा सुझाए गए प्रमुख बदलावों को शामिल किया गया है। संसद के बजट सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा।

वक्फ क्या होता है?

वक्फ इस्लामी कानून के तहत उन संपत्तियों को कहा जाता है, जो धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित की जाती हैं। इन संपत्तियों का किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग या बिक्री प्रतिबंधित होती है। वक्फ संपत्तियाँ अल्लाह के नाम पर समर्पित की जाती हैं और इनका प्रबंधन एक नियुक्त मुतवल्ली (प्रबंधक) द्वारा किया जाता है।

भारत में लगभग 8.7 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं, जो 9.4 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं। यह आंकड़ा भारत को वक्फ संपत्तियों का सबसे बड़ा धारक देश बनाता है। वक्फ अधिनियम, 1995 मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक, शैक्षिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए दी गई वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को नियंत्रित करता है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे।

1. वक्फ संपत्तियों का नियमन

  • वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और नियमन के लिए कानूनी ढांचा मजबूत किया गया है।
  • अवैध अतिक्रमण और वक्फ भूमि के दुरुपयोग को रोकने पर विशेष जोर दिया गया है।

2. प्रशासनिक परिवर्तन

  • वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी कलेक्टर या उप-कलेक्टर स्तर के अधिकारी को सौंपी जाएगी। इससे सर्वेक्षण अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी होगा।

3. सरकारी निगरानी

  • केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
  • प्रशासनिक अक्षमताओं को दूर करने के लिए नए प्रावधान जोड़े जाएंगे।

4. पारदर्शिता और जवाबदेही

  • वक्फ बोर्ड की भूमिका को मजबूत किया जाएगा और रिकॉर्ड-कीपिंग की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
  • डिजिटल रिकॉर्ड अनिवार्य किया जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन रोका जा सके।

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा प्रस्तावित प्रमुख बदलाव

JPC ने इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव दिया, जो वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करेंगे।

1. महिलाओं और OBC सदस्यों को शामिल करना

  • राज्य वक्फ बोर्ड (धारा 14) और केंद्रीय वक्फ परिषद (धारा 9) में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।
  • मुस्लिम OBC समुदाय से एक सदस्य को भी राज्य वक्फ बोर्ड में शामिल किया जाएगा।

2. विशेष समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड

  • राज्य सरकार आघाखानी और बोहरा समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बना सकती है।

3. महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा

  • पारिवारिक वक्फ (Waqf Alal Aulad) में महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
  • कोई भी वक्फ दाता (Waqif) संपत्ति तभी दान कर सकेगा जब महिला वारिसों को उनका उचित हिस्सा मिल जाएगा।

4. विवाद निपटान प्रक्रिया

  • किसी संपत्ति के वक्फ होने या सरकारी स्वामित्व में होने के विवाद को जिला कलेक्टर हल कर सकेगा। इससे विवाद समाधान प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी।

5. टेक्नोलॉजी का उपयोग

  • सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण 6 महीनों के भीतर एक केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

विधेयक के प्रभाव और लाभ

इस विधेयक के लागू होने से निम्नलिखित प्रमुख लाभ होंगे –

  1. वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा:
    • अवैध कब्जे और दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।
    • प्रशासनिक स्तर पर मजबूत निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा।
  2. महिलाओं और पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण:
    • महिलाओं और OBC समुदाय के सदस्यों को निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में शामिल करने से न्यायसंगत प्रतिनिधित्व मिलेगा।
  3. विवाद निपटान में पारदर्शिता:
    • संपत्ति से जुड़े विवादों के समाधान के लिए प्रभावी और निष्पक्ष प्रणाली विकसित होगी।
  4. डिजिटलाइजेशन और तकनीकी सुधार:
    • वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने से भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की संभावना कम होगी।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और परोपकारी संपत्तियों के कुशल प्रबंधन और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें पारदर्शिता, जवाबदेही, और प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी गई है।

इस विधेयक से वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी होगी, संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी, और तकनीकी उपायों के माध्यम से निगरानी और प्रबंधन बेहतर होगा। इससे न केवल मुस्लिम समुदाय को लाभ होगा बल्कि समग्र रूप से समाज में सामाजिक न्याय और समावेशन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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