वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025 | Global Terrorism Index (GTI)

आतंकवाद एक वैश्विक समस्या बन चुका है, जिससे न केवल सुरक्षा बल्कि सामाजिक और आर्थिक संरचनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। हाल ही में जारी 12वें वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (Global Terrorism Index – GTI) 2025 के अनुसार, आतंकवाद प्रभावित देशों की संख्या बढ़कर 66 हो गई है, जिससे पिछले एक दशक की प्रगति बाधित हुई है।

यह रिपोर्ट आतंकवादी घटनाओं, उनकी तीव्रता, प्रभाव, और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करती है और नीतिगत सुझाव प्रदान करती है, जिससे सरकारें और सुरक्षा एजेंसियां प्रभावी रणनीतियां बना सकें। इस लेख में, हम वैश्विक आतंकवाद सूचकांक की संरचना, इसकी गणना की प्रक्रिया और इसके द्वारा प्रस्तुत महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

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वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) क्या है?

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इसका उद्देश्य आतंकवाद के प्रभाव और इसकी बदलती प्रवृत्तियों को समझना और शांति स्थापना के लिए आवश्यक कदमों की सिफारिश करना है।

इस सूचकांक को ग्लोबल पीस इंडेक्स के विशेषज्ञ पैनल के परामर्श से विकसित किया गया है। इसे तैयार करने के लिए वैश्विक आतंकवाद डेटाबेस (Global Terrorism Database – GTD) का उपयोग किया जाता है, जिसे मैरीलैंड विश्वविद्यालय में नेशनल कंसोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रिस्पॉन्सेज टू टेररिज्म (START) द्वारा संकलित किया गया है।

GTI 163 देशों को कवर करता है, जो विश्व की 99.7% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस सूचकांक में केवल आतंकी घटनाओं की संख्या नहीं गिनी जाती, बल्कि उनके प्रभाव, हताहतों की संख्या, संपत्ति को हुए नुकसान और उनके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को भी आंका जाता है।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक तैयार करने की प्रक्रिया

GTI को विकसित करने के लिए विभिन्न संकेतकों और विश्लेषणात्मक मानकों का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य आतंकवाद के प्रभाव का समग्र आकलन करना है।

1. आतंकवादी घटना की परिभाषा और मानदंड

GTI में किसी घटना को आतंकवादी घटना के रूप में दर्ज करने के लिए तीन आवश्यक शर्तों को पूरा करना होता है:

  • इसमें गैर-राज्यीय (Non-State) लोग शामिल होने चाहिए।
  • घटना का उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक लक्ष्य को प्राप्त करना होना चाहिए।
  • हिंसा का उपयोग जनता को डराने या प्रभावित करने के लिए किया जाना चाहिए।

सरकार या सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद (State-Sponsored Terrorism) को इस सूचकांक में शामिल नहीं किया जाता।

2. संकेतक और स्कोरिंग प्रणाली

GTI में आतंकवाद के प्रभाव को मापने के लिए चार प्रमुख संकेतकों का उपयोग किया जाता है:

  1. आतंकी हमलों की संख्या
  2. मृतकों की संख्या
  3. घायलों की संख्या
  4. संपत्ति को हुए नुकसान का मूल्यांकन

इन संकेतकों के आधार पर प्रत्येक देश को एक समग्र स्कोर (Composite Score) प्रदान किया जाता है।

3. विभिन्न कारकों का भार निर्धारण

GTI स्कोरिंग प्रणाली में सबसे अधिक भार मृतकों की संख्या को दिया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • एक मौत का भार 3 अंक होता है।
  • घायलों का भार 0.5 अंक होता है।
  • संपत्ति को हुए नुकसान को घटना की गंभीरता के आधार पर स्कोर दिया जाता है।

4. पांच-वर्षीय भारित औसत प्रणाली

GTI केवल वर्तमान वर्ष की घटनाओं को नहीं देखता, बल्कि पिछले पाँच वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण करता है। हाल के वर्षों की घटनाओं को अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि पुराने वर्षों का महत्व क्रमशः घटता जाता है। यह प्रणाली आतंकवाद के दीर्घकालिक प्रभाव को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है।

वैश्विक आतंकवाद के रुझान और निष्कर्ष

1. आतंकवाद प्रभावित देशों में वृद्धि:

  • 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 66 देश आतंकवाद से प्रभावित हुए, जो पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है।
  • अकेले हमलावरों (Lone Wolf Attackers) द्वारा पश्चिमी देशों में किए गए हमले बढ़े हैं।

2. आतंकवादी घटनाओं की संख्या और प्रभाव:

  • वैश्विक स्तर पर आतंकवादी हमलों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई।
  • आतंकवादी संगठनों के अलावा, अब व्यक्तिगत आतंकियों (Self-Radicalized Individuals) की भागीदारी भी बढ़ रही है।

3. प्रमुख आतंकवादी संगठन और उनके प्रभाव:

  • विभिन्न आतंकवादी समूहों जैसे ISIS, अल-कायदा, बोको हराम और तालिबान की गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
  • साइबर आतंकवाद और कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौतियाँ पेश की हैं।

4. आतंकवाद के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:

  • आतंकवाद प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • पर्यटन, निवेश और व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
  • लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, जिससे मानवीय संकट उत्पन्न हुआ है।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) 2025 | प्रमुख निष्कर्ष और विश्लेषण

आतंकवाद वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुका है, जिसका प्रभाव लगभग सभी देशों पर देखा जा सकता है। वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) 2025 रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 163 देशों में आतंकवाद के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है, जो दुनिया की लगभग 99.7% आबादी को कवर करता है। यह रिपोर्ट पिछले 17 वर्षों के दौरान हुई आतंकवादी गतिविधियों और उनके प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

डेटा संग्रह और विश्लेषण

GTI रिपोर्ट का डेटा मुख्य रूप से टेररिज्म ट्रैकर और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से संकलित किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 73,000 से अधिक आतंकवादी घटनाओं को दस्तावेजीकृत किया जा चुका है।

शीर्ष 10 सबसे अधिक प्रभावित देश

2025 के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) के अनुसार, आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष 10 देश निम्नलिखित हैं:

  1. बुर्किना फासो – 8.581
  2. पाकिस्तान – 8.374
  3. सीरिया – 8.006
  4. माली – 7.907
  5. नाइजर – 7.776
  6. नाइजीरिया – 7.658
  7. सोमालिया – 7.614
  8. इजराइल – 7.463
  9. अफगानिस्तान – 7.262
  10. कैमरून – 6.944

आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में आतंकवादी हमलों के कारण हुई मौतों में 11% की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, आतंकवादी हमलों से प्रभावित देशों की संख्या 58 से बढ़कर 66 हो गई है। 45 देशों में आतंकवाद का प्रभाव बढ़ा है, जबकि केवल 34 देशों में इसमें कमी आई है।

सबसे घातक आतंकवादी संगठन

2024 में इस्लामिक स्टेट (IS) दुनिया का सबसे घातक आतंकवादी संगठन बना रहा। इस संगठन ने 22 देशों में कुल 1,805 लोगों की हत्या की, जिनमें से 71% गतिविधियाँ सीरिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में दर्ज की गईं। इसके अलावा, इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (IS-K) एक उभरता हुआ वैश्विक खतरा बनकर सामने आया है।

साहेल क्षेत्र | दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी क्षेत्र

अफ्रीका का साहेल क्षेत्र वर्तमान में दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी क्षेत्र बन गया है। वैश्विक स्तर पर आतंकवादी घटनाओं से होने वाली कुल मौतों का आधे से अधिक हिस्सा साहेल क्षेत्र में ही हुआ। यहाँ कई आतंकवादी संगठन तेजी से अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।

पाकिस्तान में बढ़ता आतंकवाद

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) 2024 में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला आतंकवादी संगठन बनकर उभरा। इस संगठन के कारण पाकिस्तान में मौतों की संख्या 90% बढ़कर 558 हो गई। पाकिस्तान में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियाँ देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बनी हुई हैं।

भारत की स्थिति | वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025

GTI 2025 के अनुसार, भारत को आतंकवाद के प्रभाव के आधार पर 14वें स्थान पर रखा गया है। हालाँकि, भारत की स्थिति कुछ अन्य पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान (2वें स्थान) और बांग्लादेश (35वें स्थान) की तुलना में बेहतर है।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ

भारत में आतंकवाद की चुनौती कई रूपों में देखने को मिलती है:

  1. सीमा-पार आतंकवाद: जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, जो सीमा पार से वित्तपोषण और समर्थन प्राप्त करते हैं।
  2. अलगाववादी विचारधारा: पंजाब में अलगाववादी विचारधाराएँ पुनर्जीवित हो रही हैं, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है।
  3. पूर्वोत्तर राज्यों का उग्रवाद: असम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में अलगाववादी संगठन सक्रिय हैं।
  4. माओवादी आतंकवाद: छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति

भारत सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियाँ अपनाई हैं। इनमें कानूनी, खुफिया, तकनीकी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से आतंकवाद पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जा रहा है।

कानूनी ढाँचा

  1. गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA): यह अधिनियम आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों पर कार्रवाई के लिए उपयोग किया जाता है।
  2. राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 (NIA Act): इसके तहत NIA को आतंकवादी गतिविधियों की जाँच और अभियोजन का अधिकार है।
  3. मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002: आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने के लिए यह अधिनियम लागू किया गया है।

सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका

भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए विभिन्न खुफिया और सुरक्षा एजेंसियाँ सक्रिय हैं। प्रमुख एजेंसियाँ निम्नलिखित हैं:

  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) – आतंकवादी मामलों की जाँच करती है।
  • इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) – आंतरिक सुरक्षा की निगरानी करती है।
  • रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) – विदेशों में आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखती है।

साइबर आतंकवाद पर नियंत्रण

आधुनिक युग में आतंकवादी संगठन डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एआई-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित की है। साथ ही सोशल मीडिया और डार्क वेब पर निगरानी बढ़ाई गई है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग कर रहा है। प्रमुख सहयोग निम्नलिखित हैं:

  1. भारत-अमेरिका सहयोग: दोनों देश आतंकवाद विरोधी रणनीतियों पर मिलकर काम कर रहे हैं।
  2. भारत-इज़रायल रक्षा साझेदारी: इज़रायल के साथ भारत की रक्षा साझेदारी आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
  3. संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक पहलें: भारत संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड के माध्यम से वैश्विक आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के प्रयास कर रहा है।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025 के अनुसार, आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है और इसे समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ठोस रणनीति की आवश्यकता है। भारत सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए निरंतर प्रयासरत है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी क्षमताओं को मजबूत कर रही है। वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

आतंकवाद के प्रभाव को कम करने के उपाय | सुझाव

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025 के निष्कर्ष बताते हैं कि आतंकवाद एक जटिल और बहुआयामी चुनौती बना हुआ है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने की आवश्यकता है:

  1. वैश्विक सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करना: आतंकवाद से निपटने के लिए देशों को आपसी समन्वय बढ़ाना होगा।
  2. कट्टरपंथ को रोकने के लिए शिक्षा और जागरूकता: युवाओं में चरमपंथी विचारधारा के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी शिक्षा और जागरूकता अभियान आवश्यक हैं।
  3. साइबर आतंकवाद से निपटने के लिए डिजिटल सुरक्षा बढ़ाना: ऑनलाइन प्रचार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर सख्त निगरानी रखनी होगी।
  4. आतंकवाद-रोधी नीतियों का सख्त क्रियान्वयन: सुरक्षा बलों को उन्नत प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करनी होगी।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक आतंकवाद के प्रभाव और प्रवृत्तियों को समझने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह रिपोर्ट न केवल नीति-निर्माताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि शोधकर्ताओं और सुरक्षा एजेंसियों को भी आवश्यक जानकारी प्रदान करती है। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकीकृत प्रयासों से ही शांति और स्थिरता स्थापित की जा सकती है।

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