समुच्चय बोधक अव्यय : स्वरूप, प्रकार और प्रयोग

भाषा केवल विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि वह एक जीवंत ताना-बाना है जिसमें शब्द, वाक्य, अर्थ और भावनाएँ एक-दूसरे से बंधकर संवाद को सार्थक बनाते हैं। हिंदी भाषा की संरचना में जहाँ संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण अर्थ को जीवित रखते हैं, वहीं अव्यय—विशेषकर समुच्चय बोधक—इन सबको जोड़कर वाक्य को सहज, स्पष्ट और अर्थपूर्ण बनाते हैं।

समुच्चयबोधक अव्यय वे शब्द हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। इनके बिना भाषा में वह प्रवाह नहीं बनता जिसे पढ़ते या सुनते समय हम सहज महसूस करते हैं।

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समुच्चयबोधक की मूल परिभाषा

जब किसी वाक्य में दो शब्द, दो वाक्यांश या दो उपवाक्य किसी विशेष अव्यय शब्द द्वारा जुड़े हों, तब वह अव्यय समुच्चयबोधक कहलाता है। ये शब्द जोड़ने का काम करते हैं—इसलिए इन्हें “संयोजक” भी कहा जाता है।

जैसे—

  • “राम और श्याम बाजार गए।”
  • “बहुत समझाने पर भी वह नहीं माना लेकिन उसने हार नहीं मानी।”
  • “तुम मेहनत करोगे तो सफल हो जाओगे।”

यहाँ और, लेकिन, तो—ये तीनों समुच्चयबोधक अव्यय हैं।

समुच्चय बोधक अव्ययों की विशेषताएँ

  1. वाक्यों में संबंध निर्माण करते हैं।
  2. शब्दों को जोड़कर नए अर्थ की स्थिति बनाते हैं।
  3. कभी समानता, कभी विरोध, कभी विकल्प और कभी परिणाम प्रकट करते हैं।
  4. हिंदी व्याकरण में ये अव्यय के अंतर्गत आते हैं।
  5. ‘से’, ‘और’, ‘तो’, ‘लेकिन’, ‘क्योंकि’, ‘इसलिए’ जैसे शब्द इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

समुच्चय बोधक के मुख्य भेद

व्याकरणाचार्यों ने समुच्चयबोधक अव्ययों को दो बड़े वर्गों में बाँटा है—

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक

इस लेख में हम पहले प्रकार को अत्यंत विस्तार से समझेंगे।

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक

जब समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र, समान स्तर के वाक्यों को जोड़ते हैं, तब वे समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।

अर्थात—दो वाक्य जिनका आपस में समान महत्त्व हो, और वे अपने अस्तित्व को बनाए रखते हुए भी जुड़े हों।

उदाहरण—

  • “सुमन खड़ी थी और रीना बैठी थी।”
  • “रवि गाएगा तो राहुल तबला बजाएगा।”

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उपभेद

समानाधिकरण समुच्चयबोधक छह आधारों पर विभाजित किए जाते हैं—

  1. संयोजक समानाधिकरण
  2. विभाजक समानाधिकरण
  3. विकल्पसूचक समानाधिकरण
  4. विरोधसूचक समानाधिकरण
  5. परिणामसूचक समानाधिकरण
  6. वियोजक समानाधिकरण

अब हम इन्हें विस्तार से समझते हैं—

1. संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ये वे शब्द हैं जो दो या अधिक वाक्यों, शब्दों या वाक्यांशों को जोड़ते हैं।

प्रमुख शब्द:

  • और
  • एवं
  • तथा
  • भी
  • साथ ही

इनका प्रयोजन हमेशा एकता, जोड़ या संग्रह का भाव प्रस्तुत करना होता है।

संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • “राम और सीता एक साथ मंदिर गए।”
  • “मोहन, रोहन तथा सोहन कक्षा में उपस्थित थे।”
  • “गुरुजन एवं महापुरुष सदैव सम्माननीय होते हैं।”

व्याख्या

‘और’, ‘तथा’ आदि यहाँ अलग-अलग व्यक्तियों को जोड़कर एक समूह निर्माण कर रहे हैं, इसलिए ये संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाएंगे।

2. विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ये वे अव्यय हैं जो दो तत्वों के बीच विभाजन, भेद या पृथक्करण का भाव प्रकट करते हैं।

प्रमुख शब्द:

  • ताकि
  • या-या
  • चाहे-चाहे
  • क्या-क्या
  • परन्तु
  • तो
  • अन्यथा
  • मगर

ये वाक्यों को जोड़ते हुए उनके बीच किसी प्रकार का भेद स्थापित करते हैं।

विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • “तुम पढ़ाई करो ताकि परीक्षा में अच्छे अंक ला सको।”
  • “राम तो आया, परन्तु श्याम नहीं आया।”
  • क्या बालक, क्या वृद्ध—सभी कार्यक्रम में उपस्थित थे।”

व्याख्या

यहाँ समुच्चयबोधक केवल जोड़ने का काम ही नहीं कर रहे, वे दो स्थितियों के बीच भेद भी प्रदर्शित कर रहे हैं—इसीलिए ये ‘विभाजक’ माने जाते हैं।

3. विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ये समुच्चयबोधक दो स्थितियों में से किसी एक को चुनने का अवसर देते हैं।

प्रमुख शब्द:

  • या
  • अथवा
  • अन्यथा
  • कि (कुछ संदर्भों में)

विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • “तुम काम कर सकते हो या घर पर आराम।”
  • “मैं जाऊँगा अथवा मोहित जाएगा।”
  • “मेहनत करो, अन्यथा असफलता निश्चित है।”

व्याख्या

इन वाक्यों में “या / अथवा” दो संभावनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं—इसलिए इन्हें विकल्पसूचक कहा जाता है।

4. विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ये शब्द दो कथनों के बीच विरोध, विपरीतता या असंगति दिखाते हैं।

प्रमुख शब्द:

  • लेकिन
  • किन्तु
  • परन्तु
  • मगर
  • बल्कि
  • वरन

ये अव्यय दो विचारों को जोडते हैं, परन्तु उनके बीच विरोध स्थापित करते हैं।

विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • “मनोज ने समझाया, लेकिन वह नहीं माना।”
  • “वह अमीर है, परन्तु अत्यंत कंजूस है।”
  • “मैंने उसे बुलाया किन्तु वह नहीं आया।”

5. परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ये अव्यय किसी घटना या क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न हुए परिणाम को दर्शाते हैं।

प्रमुख शब्द:

  • इसलिए
  • सो
  • अतः
  • इस कारण
  • फलस्वरूप
  • अतएव

परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • “रात होने लगी, इसलिए हम घर लौट आए।”
  • “मैं अस्वस्थ हूँ, अतः आज विद्यालय नहीं जाऊँगा।”
  • “मौसम बदला, फलस्वरूप वर्षा होने लगी।”

6. वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

इन अव्ययों से त्याग, निरसन या अस्वीकृति का भाव प्रकट होता है।

प्रमुख शब्द:

  • न तो
  • न … न
  • अथवा (कुछ संदर्भों में)

वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण

  • तुमने सहायता की, तुम्हारे भाई ने।”
  • “जति अथवा मति में से किसी एक ने गेंद मारी।”

समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय — उपभेद तालिका

क्रमउपभेदअव्यय (सूची)अर्थ / उपयोगउदाहरण
1संयोजक समानाधिकरणऔर, एवं, व, तथासमान पदों/विचारों को जोड़नाराम और श्याम आए।
2विभाजक समानाधिकरणया, अथवा, वा, किंवा, नहीं तोदो विकल्पों में विभाजनचाय या कॉफी लोगे?
3विकल्पसूचक समानाधिकरणचाहे…चाहे, हो…हो, कभी…कभीसमान स्तर के अनेक विकल्प दिखानाचाहे बारिश हो चाहे धूप—वह जाता है।
4विरोधसूचक समानाधिकरणपर, लेकिन, किन्तु, मगर, बल्कि, वरनविरोध / विपरीत भाव दर्शानावह अच्छा है, लेकिन आलसी है।
5परिणामसूचक समानाधिकरणअतएव, इसलिए, अतः, फलतःपरिणाम या निष्कर्ष बतानाबारिश हुई, इसलिए खेल रुक गया।
6वियोजक समानाधिकरणन…न, न तो…न हीदो पदों का सामूहिक निषेधवह पढ़ता है लिखता है।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक

ये समुच्चयबोधक मुख्य वाक्य और उपवाक्य को जोड़ते हैं।
अर्थात—एक वाक्य प्रधान होता है और दूसरा उस पर निर्भर।

उदाहरण:
क्योंकि, ताकि, यदि, जब, जैसे, चाहे आदि।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक की परिभाषा

जब कोई समुच्चयबोधक शब्द मुख्य वाक्य (प्रधान वाक्य) को किसी अन्य सहायक अथवा आश्रित उपवाक्य से जोड़ता है, तब वह व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाता है। सरल शब्दों में, यह वह अव्यय है जो वाक्य को व्यापक अर्थ प्रदान करने हेतु दो संबंधित विचारों को परस्पर जोड़ता है।

ये अव्यय वाक्य में कारण, संकेत, उद्देश्य या स्वरूप जैसी विभिन्न सूचनाएँ प्रकट करते हैं।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक के उपभेद

व्यधिकरण समुच्चयबोधक चार प्रमुख प्रकारों में विभाजित है—

  1. कारणसूचक
  2. संकेतसूचक
  3. उद्देश्यसूचक
  4. स्वरूपसूचक

आइए इन्हें विस्तार से समझें।

1. कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जब किसी वाक्य में उपस्थित अव्यय यह बताए कि कोई कार्य क्यों हुआ, अर्थात् दो उपवाक्यों के बीच कारण-सम्बंध स्थापित करे, तो ऐसे अव्यय कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।

ये अव्यय दूसरे उपवाक्य में कही गई बात को पहले उपवाक्य का कारण सिद्ध करते हैं।

प्रमुख अव्यय शब्द

  • क्योंकि
  • इसलिए कि
  • इस कारण
  • इस लिए
  • चूँकि
  • ताकि
  • कि
  • जो कि

उदाहरण और व्याख्या

1. “तुम पर कोई भरोसा नहीं करता क्योंकि तुम झूठ बोलते हो।”

यहाँ “क्योंकि” यह स्पष्ट करता है कि ‘भरोसा न करने’ का कारण ‘झूठ बोलना’ है।

2. “वह मुझे अच्छा लगता है इसलिए कि वह बहुत विनम्र है।”

“इसलिए कि” उपवाक्य में वर्णित गुण का कारण बताता है।

3. “मैं इस नाटक का अनुवाद नहीं कर पाया क्योंकि मैं संस्कृत से परिचित नहीं हूँ।”

यहाँ कारणसूचक शब्द “क्योंकि” कार्य की असमर्थता के कारण को स्पष्ट करता है।

इन शब्दों के माध्यम से पाठक को यह समझ में आता है कि वाक्य में कही गई घटना के पीछे का कारण क्या है।

2. संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

संकेतसूचक अव्यय वे होते हैं जो किसी वाक्य की घटना के आधार पर अगली घटना का संकेत या दिशा प्रदान करते हैं। ये अव्यय सामान्यतः दो विचारों के बीच एक प्रकार की शर्त, परिणति या संकेत से जुड़ा संबंध स्थापित करते हैं।

प्रमुख अव्यय शब्द

  • यदि
  • तो
  • तथापि
  • यद्यपि
  • परन्तु
  • जा (कुछ संदर्भों में)

उदाहरण सहित व्याख्या

1. “कुछ बड़ा बनना है तो नियमित अध्ययन करना होगा।”

यहाँ “तो” दूसरे वाक्य को पहले वाक्य की शर्त या संकेत से जोड़ता है।

2. “यद्वपि वह व्यस्त है, परन्तु वह समय निकाल लेगा।”

“यद्यपि–परन्तु” का संयोजन विरोधाभास के साथ संकेत प्रदान करता है।

3. “अगर उसे कोई काम न मिले तथापि वह अवश्य आएगा।”

“तथापि” यहाँ संकेत देता है कि कार्य न होने के बावजूद भी परिणाम वही रहेगा।

इस प्रकार, संकेतसूचक अव्यय दो उपवाक्यों के बीच संबंध को सूक्ष्म और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करते हैं।

3. उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जिन समुच्चयबोधक शब्दों का प्रयोग यह दर्शाने के लिए किया जाता है कि कोई कार्य किस उद्देश्य से किया गया है, उन्हें उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है। ये अव्यय दो उपवाक्यों को जोड़कर पहले उपवाक्य का लक्ष्य स्पष्ट करते हैं।

प्रमुख अव्यय शब्द

  • ताकि
  • कि
  • जिससे
  • इसलिए कि
  • जो

उदाहरण और विश्लेषण

1. “वह मेरे पास आया ताकि सहायता मांग सके।”

यहाँ “ताकि” बताता है कि उसके आने का उद्देश्य सहायता प्राप्त करना था।

2. “श्रेष्ठ कार्य करो जिससे माता-पिता गर्व कर सकें।”

“जिससे” दो उपवाक्यों को जोड़कर उद्देश्य स्पष्ट करता है—गर्व उत्पन्न करना।

3. “मछुआरा कड़ी मेहनत करता है ताकि उसकी पकड़ अच्छी कीमत ला सके।”

यहाँ कठिन परिश्रम के पीछे का स्पष्ट उद्देश्य बताया गया है।

उद्देश्यसूचक अव्यय वाक्य में प्रयोजन को उजागर कर अर्थ को पूर्णता देते हैं।

4. स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जब कोई अव्यय मुख्य उपवाक्य के अर्थ को स्पष्टता देने, उसका स्वरूप बताने या उसकी प्रकृति समझाने के लिए प्रयुक्त हो, तब उसे स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है।

प्रमुख अव्यय शब्द

  1. जैसे
  2. यानी
  3. कि
  4. अर्थात्
  5. मानो

उदाहरण एवं व्याख्या

1. “वह इस प्रकार व्यवहार कर रहा था जैसे उसने ही चोरी की हो।”

शब्द “जैसे” तुलना के रूप में पूरे वाक्य का स्वरूप बताता है।

2. “शुकदेव मुनि बोले कि आगे की कथा सुनाई जाए।”

यहाँ “कि” वाक्य के स्वरूप और आशय को अधिक स्पष्ट करता है।

3. “वह मानो सारा संसार भूल गया हो।”

“मानो” का प्रयोग एक कल्पित स्थिति को स्पष्ट रूप में व्यक्त करता है।

स्वरूपसूचक अव्यय वाक्य को व्याख्यात्मक और प्रभावशाली बनाते हैं।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय — उपभेद तालिका

क्रमउपभेदअव्यय (सूची)अर्थ / उपयोगउदाहरण
1कारणवाचक व्यधिकरणक्योंकि, चूँकि, इसलिए, किकारण–कार्य संबंध दिखानामैं नहीं गया क्योंकि बारिश हो रही थी।
2उद्देश्यवाचक व्यधिकरणकि, जो, ताकि, जोकिकार्य के उद्देश्य को व्यक्त करनावह आया ताकि मदद मिल सके।
3संकेतवाचक व्यधिकरणजो…तो, यदि…तो, यद्यपि…तथापिसंकेत, शर्त या परिणाम दिखानायदि तुम मेहनत करोगे तो सफल होगे।
4स्वरूपवाचक व्यधिकरणकि, जो, अर्थात, यानीस्पष्टीकरण / अर्थ स्पष्ट करनावह ईमानदार है, अर्थात भरोसेमंद है।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक हिंदी व्याकरण की एक अत्यंत उपयोगी अव्यय-श्रेणी है। ये अव्यय वाक्यों के बीच न केवल व्याकरणिक संबंध स्थापित करते हैं बल्कि वाक्य को अर्थगत दृष्टि से भी समृद्ध बनाते हैं। कारण बताना हो, उद्देश्य स्पष्ट करना हो, संकेत देना हो या विचार का स्वरूप उजागर करना हो—व्यधिकरण समुच्चयबोधक वाक्य की सम्पूर्णता और स्पष्टता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लेखन, भाषण, साहित्य और संवाद—सभी में इनका उपयोग भाषा को अधिक प्रभावी, तर्कपूर्ण और समझनीय बनाता है।
इसलिए, हिंदी भाषा के श्रेष्ठ उपयोग हेतु इन समुच्चयबोधकों का सही ज्ञान और उचित प्रयोग अनिवार्य है।

समुच्चयबोधक का प्रयोग : कुछ विशेष टिप्पणियाँ

  1. ये अव्यय अर्थ बदलने की शक्ति रखते हैं।
    “राम आया और गया।”
    “राम आया लेकिन गया नहीं।”
    यहाँ केवल समुच्चयबोधक बदलने से भाव बदल गया।
  2. समुच्चयबोधक वाक्य में लिंकिंग डिवाइस का कार्य करते हैं।
  3. बातचीत में ये प्रवाह बनाए रखते हैं।
  4. लेखन में वाक्यों को एकसाथ बाँधकर संरचना को मजबूत बनाते हैं।

निष्कर्ष

हिंदी भाषा में समुच्चयबोधक अव्यय अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल वाक्यों को जोड़ते हैं बल्कि अर्थ, भाव, विकल्प, विरोध, परिणाम और विभाजन जैसे विविध संबंधों की भी रचना करते हैं। भाषा की रीढ़ कहे जाने वाले ये छोटे-छोटे शब्द संपूर्ण वाक्य संरचना को सुगठित, स्पष्ट और प्रभावी बनाते हैं।

चाहे हम कहानी लिखें, संवाद करें, भाषण दें—हर जगह समुच्चयबोधक सहजता और सौंदर्य दोनों को बनाए रखते हैं। भाषा में उनकी उपस्थिति पाठक या श्रोता के लिए एक सुगम, प्रवाहपूर्ण अनुभव प्रस्तुत करती है।


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