अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट (ACC) | वैश्विक जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट (Antarctic Circumpolar Current – ACC) पृथ्वी की सबसे शक्तिशाली और विस्तृत महासागरीय धारा है। यह महासागरीय धारा दक्षिणी महासागर में अंटार्कटिका के चारों ओर दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में बहती है और अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों को आपस में जोड़ती है। हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि उच्च उत्सर्जन के कारण 2050 तक ACC की गति 20% तक धीमी हो सकती है। यह परिवर्तन वैश्विक जलवायु, महासागर धाराओं, और अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट (ACC) क्या है? | परिचय

अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट (Antarctic Circumpolar Current – ACC) एक पवन-संचालित महासागरीय धारा है, जो मजबूत पश्चिमी पवन (westerly winds) द्वारा संचालित होती है। यह धारा अंटार्कटिका के चारों ओर लगातार बहती है और वैश्विक महासागरीय परिसंचरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पृथ्वी की एकमात्र महासागरीय धारा है जो पूरे ग्रह का चक्कर लगाती है। यह दक्षिणी महासागर में अंटार्कटिका के चारों ओर पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है और अटलांटिक, प्रशांत, और हिंद महासागरों को आपस में जोड़ती है। इसकी गहराई 2,000 से 4,000 मीटर तक होती है और इसकी औसत प्रवाह दर लगभग 125 Sverdrups (Sv) होती है, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली महासागरीय धारा बनाती है।

अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट की प्रमुख विशेषताएँ

  1. वैश्विक संपर्क: ACC अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों को आपस में जोड़ती है, जिससे महासागरीय जल का व्यापक विनिमय होता है और वैश्विक जलवायु प्रणाली को संतुलित रखती है।
  2. ठंडी धारा: यह गर्म जल को अंटार्कटिका तक पहुंचने से रोकती है और एक थर्मल बैरियर (thermal barrier) के रूप में कार्य करती है, जिससे अंटार्कटिका का तापमान अत्यधिक ठंडा बना रहता है।
  3. तापमान पर प्रभाव: यह महासागर में गर्मी और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे वैश्विक तापमान को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।
  4. पारिस्थितिकी संरक्षण: यह विदेशी प्रजातियों (जैसे बुल केल्प, झींगा, घोंघे आदि) को अंटार्कटिका तक पहुंचने से रोकती है, जिससे वहाँ की जैव विविधता सुरक्षित रहती है और स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलित बनी रहती है।
  5. एकमात्र वैश्विक धारा – ACC ही एकमात्र महासागरीय धारा है जो पूरे ग्रह का चक्कर लगाती है।
  6. अत्यधिक चौड़ाई – इसकी औसत चौड़ाई लगभग 1,250 किलोमीटर होती है, जिससे यह दुनिया की सबसे चौड़ी महासागरीय धारा बन जाती है।
  7. जलवायु संतुलन – यह वैश्विक महासागरीय परिसंचरण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और पृथ्वी की जलवायु को संतुलित रखने में मदद करती है।
  8. वेस्ट विंड ड्रिफ्ट – इसे “West Wind Drift” भी कहा जाता है क्योंकि यह मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध की शक्तिशाली पश्चिमी पवनों (westerly winds) द्वारा संचालित होती है।

ACC की गति धीमी होने के प्रभाव

हालिया अध्ययन के अनुसार, बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के कारण ACC की गति धीमी हो सकती है, जिसके कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

1. जलवायु और कार्बन अवशोषण पर प्रभाव

यदि ACC की गति धीमी हो जाती है, तो:

  • महासागर द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण की दर घट सकती है, जिससे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ सकती है और ग्लोबल वार्मिंग तेज हो सकती है।
  • यह जलवायु अस्थिरता (climate variability) को बढ़ा सकता है, जिससे अत्यधिक मौसम घटनाएँ (extreme weather events) अधिक सामान्य हो सकती हैं।
  • दक्षिणी महासागर की गर्म जल धाराएँ उत्तर की ओर बढ़ सकती हैं, जिससे समुद्री तापमान में वृद्धि हो सकती है और ध्रुवीय जीवों के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ समाप्त हो सकती हैं।

2. अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा

  • धीमी गति के कारण अन्य महाद्वीपों से विदेशी प्रजातियाँ (जैसे बुल केल्प, झींगा, घोंघे आदि) अंटार्कटिका तक पहुंच सकती हैं।
  • यह स्थानीय खाद्य श्रृंखला (food web) को बाधित कर सकता है और पेंगुइन, सील, और क्रिल जैसी मूल प्रजातियों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
  • क्रिल (Krill), जो कई समुद्री प्राणियों का मुख्य आहार है, के वितरण और प्रजनन दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

3. बर्फ की चादरों के पिघलने का प्रभाव

  • पिघलती हुई हिमचादरें (Ice Shelves) समुद्र में मीठे पानी (Fresh Water) की मात्रा बढ़ा सकती हैं, जिससे महासागर की लवणता (Salinity) घट सकती है।
  • यह Antarctic Bottom Water के निर्माण को प्रभावित कर सकता है और ध्रुवीय जेट धाराओं (polar jet streams) की गति को कमजोर कर सकता है।
  • समुद्र का स्तर बढ़ सकता है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।

महासागरीय धाराएँ और उनका महत्व

महासागरीय धाराएँ निरंतर, पूर्वानुमान योग्य और दिशात्मक जल प्रवाह होती हैं, जो गुरुत्वाकर्षण (Gravity), पवन (Coriolis Effect), और जल घनत्व (Water Density) द्वारा संचालित होती हैं। महासागर में जल दो दिशाओं में गतिमान होता है:

  1. क्षैतिज प्रवाह (Horizontal Flow): इसे करेंट (Current) कहा जाता है।
  2. ऊर्ध्वाधर प्रवाह (Vertical Flow): इसे अपवेलिंग (Upwelling) और डाउनवेलिंग (Downwelling) कहा जाता है।

महासागरीय धाराओं की भूमिकाएँ

  1. गर्मी का वितरण: महासागरीय धाराएँ पृथ्वी के विभिन्न भागों में गर्मी के स्थानांतरण में सहायक होती हैं।
  2. जलवायु पर प्रभाव: ये धाराएँ जलवायु परिवर्तन और मौसम के स्वरूपों को प्रभावित करती हैं।
  3. पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन: महासागरीय धाराएँ जैव विविधता में परिवर्तन लाने और समुद्री जीवन के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करती हैं।

ACC और अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

  • अंटार्कटिक कन्वर्जेंस जोन का निर्माण – ACC, अंटार्कटिक कन्वर्जेंस नामक क्षेत्र बनाती है, जहाँ ठंडी अंटार्कटिक जलधाराएँ गर्म उप-अंटार्कटिक जल से मिलती हैं।
  • पोषक तत्वों की उच्च उत्पादकता – यह क्षेत्र पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है, जिससे समुद्री जीवों के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र बनता है।
  • विदेशी प्रजातियों को रोकना – यह धारा अंटार्कटिका को बाहरी जीवों और जलवायु प्रभावों से बचाने में मदद करती है।

ACC में छिपी प्राचीन जलमग्न पर्वत श्रृंखला की खोज

हाल ही में वैज्ञानिकों ने ACC के भीतर एक प्राचीन जलमग्न पर्वत श्रृंखला (submerged mountain range) की खोज की है। यह खोज महासागरीय भूगर्भशास्त्र और जलवायु अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इस खोज का महत्व

  • यह पर्वत श्रृंखला महासागर के जलधारा प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।
  • यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान कर सकती है।
  • यह अंटार्कटिका के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में मदद कर सकती है।

अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट ACC (अंटार्कटिक परिध्रुवीय धारा) वैश्विक जलवायु संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालिया शोध से पता चलता है कि मानवजनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण इसकी गति धीमी हो सकती है, जिससे जलवायु परिवर्तन, महासागर धाराओं में अस्थिरता, और अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह आवश्यक है कि हम अपने कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करें और जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के लिए ठोस कदम उठाएँ।

समाधान और भविष्य की संभावनाएँ

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (solar, wind, hydro) को बढ़ावा देना।
  • महासागरों की निगरानी और जलवायु अनुसंधान को और अधिक मजबूत करना।
  • अंटार्कटिका और दक्षिणी महासागर के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों को लागू करना।

ACC की स्थिरता न केवल अंटार्कटिका बल्कि पूरे ग्रह के लिए आवश्यक है। यदि हम इसे संरक्षित करने के प्रयास नहीं करते हैं, तो इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर हो सकते हैं।

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