स्पैनिश साम्राज्य (Spanish Empire) एक विशाल और प्रभावशाली साम्राज्य था जो 1492 ई. से 1976 ई. तक विस्तारित था। इसकी शुरुआत 1492 ई. में हुई जब क्रिस्टोफर कोलंबस द्वारा नवीन विश्व के पश्चिमी द्वीपसमूह में स्थान संदर्भ की खोज के बाद हिस्पानियोला (नवीन दुनिया के वर्तमान रूप में हाइटी और डोमिनिका) का गठन हुआ। इसके बाद स्पेन ने अमेरिकास, एशिया, अफ्रीका और पूरे विश्व में आप्रवासित क्षेत्रों का शासन किया।
स्पैनिश साम्राज्य ने अपनी सत्ता को विस्तारित किया और आक्रामक योजनाओं के माध्यम से कई देशों को वश में किया, जिसमें विशेष रूप से पेरू, मेक्सिको, ग्वाटेमाला, फिलीपींस, गोवा, एक्वाडोर, बोलिविया, चिली, और अर्जेंटीना शामिल थे।
स्पैनिश साम्राज्य (Spanish Empire) के अधीन इस्पानियोला, न्यू स्पेन, न्यू कास्टिल, अर्जेंटीना, चिली, फिलीपींस, और दक्षिण अमेरिका के कई अन्य भू-साम्राज्य हुए। स्पेनिश साम्राज्य ने विश्व इतिहास में बड़ी महत्वपूर्णता रखने वाले कई घटनाओं को उत्पन्न किया, जैसे कि स्पेनिश आंदोलन, अमेरिकी आंदोलन, अनेक सम्राटों की यात्रा और खोज, और कई सांस्कृतिक और वैज्ञानिक योगदान।
1976 ई. तक, स्पैनिश साम्राज्य के शक्ति का अवतरण हुआ, और इसके बाद स्पेन एक प्रजातंत्रिक राष्ट्र बना। 1978 ई. में स्पेन का संविधानिक संशोधन किया गया, और स्पेन का संविधानिक मूल्यांकन दर्जा प्राप्त हुआ।
कैथोलिक सम्राट और स्पैनिश साम्राज्य की उत्पत्ति
कैथोलिक सम्राट और स्पेनिश साम्राज्य की उत्पत्ति मध्ययुगीन यूरोप में हुई। स्पेनिश साम्राज्य को विशेष रूप से 15वीं और 16वीं सदी के दौरान विकसित किया गया।
कैथोलिक सम्राट शीर्षक का मतलब है “साम्राज्य का कैथोलिक अधिपति”। इसका अर्थ है कि सम्राट या शासक धर्मानुसार कैथोलिक धर्म के पक्षपाती होते थे और उनके शासनकाल में धार्मिक एकता के लिए कठोर उपाय अपनाए जाते थे।
स्पेनिश साम्राज्य की उत्पत्ति में, कैथोलिक सम्राट इज़ाबेला और फर्नांडो द्वारा खेती की गई थी। उन्होंने अपने शासनकाल में स्पेनिश राष्ट्रीयता को पुनर्जीवित किया और अनेक राजनीतिक, सामरिक और सांस्कृतिक प्रोजेक्ट्स को संचालित किया। उन्होंने मौर्य साम्राज्य के खिलाफ जीत प्राप्त की और ईसाई धर्म की सुरक्षा और प्रोत्साहन की गरिमा बढ़ाई।
इज़ाबेला और फर्नांदो के पुत्र कार्लोस पांचवां ने बाद में अपनी शासनकाल में साम्राज्य को बड़ा किया और स्पेनिश साम्राज्य को दुनिया भर में स्थापित किया। उन्होंने अमेरिका में स्पेनिश साम्राज्य की स्थापना की और अनेक आधिकारिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित किए। यह स्पेनिश साम्राज्य के अधिकांश क्षेत्रों की उत्पत्ति थी, जिसमें सहायक राज्यों में से कई थे, जिनमें अंडलुसिया, नावारा, कास्टिल, अरागोन, और वालेंसिया शामिल थे।
स्पेनिश साम्राज्य (Spanish Empire) की उत्पत्ति मध्ययुगीन यूरोप के साम्राज्यों के नये रूप की एक उदाहरण है, जहां धर्म और राजनीति का गहरा संबंध था। इसका प्रभाव स्पेनिश साम्राज्य के विस्तार में देखा जा सकता है, जब वे नये समाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान के साथ अपने क्षेत्रों को शासन करने लगे।
स्पेनिश साम्राज्य (Spanish Empire) की उत्पत्ति
स्पेनिश साम्राज्य की उत्पत्ति इज़ाबेला और फर्नांदो के शासनकाल में हुई। इज़ाबेला कैस्टिल और लियोन की रानी थीं और फर्नांदो अरागोन और अपने पिता के राज्य के राजा थे। इन दोनों ने विवाह किया और इससे दोनों राज्यों का एकीकरण हुआ। इनकी सामरिक और राजनीतिक योग्यता ने उन्हें साम्राज्य की स्थापना करने की क्षमता प्रदान की।
इज़ाबेला और फर्नांदो के पुत्र कार्लोस पांचवां ने इस साम्राज्य को और विस्तार किया। कार्लोस पांचवां के शासनकाल में स्पेनिश साम्राज्य उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, फिलिपींस, और विभिन्न यूरोपीय देशों को शासित करता था। उन्होंने स्पेनिश साम्राज्य को एक महत्वपूर्ण आर्थिक, सामरिक, और सांस्कृतिक केंद्र बनाया। उनके शासनकाल में शांति और समृद्धि का युग था, जो स्पेनिश साम्राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण था।
विस्तार
स्पेनिश साम्राज्य का विस्तार उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में हुआ। कार्लोस पांचवां के समय में स्पेनिश साम्राज्य ने नवीन विश्व को अनजान और अप्रत्यक्ष धर्म, सांस्कृतिक, और आर्थिक संपर्क के लिए खोला। यह विस्तारित हुआ और स्पेनिश साम्राज्य को अमेरिका में एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में मान्यता मिली। यह साम्राज्य विभिन्न धर्म, भाषा, और सांस्कृतिक विविधताओं का मनचला था।
ग्रेनेडा का पतन
ग्रेनाडा का पतन एक महत्वपूर्ण इतिहासी घटना है जो 2 जनवरी 1492 को घटित हुई। यह घटना स्पेनिश साम्राज्य के राजा फर्नांडो और क्वीन इसाबेला के नेतृत्व में हुई और मार्को पोलो द्वारा स्थापित इस्लामी साम्राज्य का अंत किया। ग्रेनेडा पहले से ही मूरिश खगोलीय साम्राज्य का मुख्य केंद्र था और इसे “अंदलुसिया का अंतिम बस्तियों” के रूप में जाना जाता था। ग्रेनेडा का पतन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जिसने स्पेनिश साम्राज्य के नवीनीकरण के प्रक्रम को पूरा किया और उसके बाद स्पेन की शक्ति और प्रभाव दुनिया भर में बढ़ गई।
ग्रेनेडा का पतन अपने समय में एक बड़ी और महत्वपूर्ण नगरी थी। यह स्पेन की अंदलुसिया प्रान्त में स्थित थी और अपनी विविधता, संस्कृति, कला, और वैभव के लिए प्रसिद्ध थी। ग्रेनेडा ने मूरिश साम्राज्य का मुख्य केंद्र के रूप में 781 ईसापूर्व से अपनी गठन की शुरुआत की थी और इसे आलहम्ब्रा क़िले के निर्माण के लिए जाना जाता है, जो एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।
ग्रेनेडा का पतन का मुख्य कारण था स्पेनिश साम्राज्य के राजा फर्नांदो और क्वीन इसाबेला की प्राथमिकता हिस्पानियों को मूरिश साम्राज्य को आवास नहीं मिला जाएगा और उन्हें इस्लामी सम्राट बोअबडिला के नियंत्रण से मुक्त करने का निर्णय लिया गया। फर्नांदो और इसाबेला ने 1482 में ग्रेनेडा के विजय की योजना बनाई और 10 वर्षों तक इसे लड़ाई और आत्मसमर्पण के माध्यम से आवासीय नहीं बनाने का प्रयास किया।
अंततः, 1491 और 1492 के दौरान, फर्नांदो और इसाबेला ने एक महत्वपूर्ण आक्रमण चलाया जिसमें ग्रेनेडा की जनता और उसके सामरिक सेनापति बोअबडिला से लड़ाई की गई। आक्रमण के दौरान, आलहम्ब्रा क़िले पर दबाव बढ़ा और मूरिश शासकों को निराशा का सामना करना पड़ा। 2 जनवरी 1492 को बोअबडिला ने अंततः समझौता किया और ग्रेनेडा की सौख्यपूर्ण समर्पण की घोषणा की।
ग्रेनेडा का पतन इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस्लामी साम्राज्य का अंत करके स्पेनिश साम्राज्य के अंदलुसिया प्रान्त में पूरी तरह से हावी हो गया। यह घटना दक्षिणी यूरोप में इस्लामी सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव के एक महत्वपूर्ण पहलू का समाप्त होने का कारण बनी। स्पेनिश साम्राज्य के शासनकाल के बाद से ग्रेनेडा धर्मिक, सांस्कृतिक, और कला केंद्र के रूप में अपना महत्व खो गई और इसे स्पेनिश संस्कृति और राजनीतिक आदान-प्रदान का मुख्य केंद्र बनाने का नया कार्यक्रम शुरू हुआ।
ग्रेनेडा का पतन न केवल दक्षिणी यूरोप बल्कि पूरे विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण इवेंट है। इससे स्पेनिश साम्राज्य ने इस्लामी साम्राज्य का अंत किया और अपना प्रभाव बढ़ाया। इसके बाद, स्पेनिश साम्राज्य ने एक नया युग शुरू किया और अपनी साम्राज्यवादी और कोलोनियल शक्ति का विस्तार किया। ग्रेनेडा का पतन स्पेनिश साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण धारणा का प्रतीक है, जो इसे एक विशाल और महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में उभारता है।
ग्रेनेडा के पतन के बाद, फर्नांदो और इसाबेला ने अंदलुसिया प्रान्त के बाकी हिस्सों को भी अपने नियंत्रण में लिया और स्पेनिश साम्राज्य की बाकी भूमि में इस्लामी साम्राज्य के प्रभाव को पूरी तरह से खत्म किया। इसके बाद से, स्पेनिश साम्राज्य ने अपने प्रभाव को दक्षिणी और पूर्वी यूरोप में बढ़ाया और बाद में अमेरिका का आविष्कार करके एक विशाल विप्लव शुरू किया।
ग्रेनेडा के पतन का इतिहास एक दृष्टि से भारत के इतिहास से भी सम्बंधित हो सकता है। ग्रेनेडा इस्लामी साम्राज्य के मूल केंद्रों में से एक था और इसलिए इसका पतन एक मुस्लिम साम्राज्य के अंत की निशानी है। इसके अलावा, ग्रेनेडा का पतन एक महत्वपूर्ण घटना थी जो स्पेनिश साम्राज्य के नवीनीकरण का प्रतीक है और विश्व इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
उत्तरी अफ्रीका में अभियान
उत्तरी अफ्रीका में स्पेनिश साम्राज्य के अभियान एक रोमांचकारी और महत्वपूर्ण अध्याय थे। इस क्षेत्र में स्पेनिश साम्राज्य ने व्यापक सामरिक, वाणिज्यिक और धार्मिक स्थान कायम किए। यहां उत्तरी अफ्रीका में स्पेनिश साम्राज्य के कुछ प्रमुख अभियानों के बारे में विस्तृत जानकारी है:
- मोरोक्को के अभियान: 16वीं और 17वीं सदी में, स्पेनिश साम्राज्य ने मोरोक्को के विभिन्न हिस्सों पर अभियान चलाए। इसका मुख्य उद्देश्य था व्यापारिक मुनाफे, धर्मीय स्वतंत्रता और राजनीतिक प्रभाव की प्राप्ति। स्पेनिश सेना ने अल्हुसैन बनानसर के युद्ध (1578) और कासेर अल-केबीर के युद्ध (1578) में मोरोक्को के साथ युद्ध किया।
- सहारा के अभियान: स्पेनिश साम्राज्य ने सहारा क्षेत्र में भी अपने अभियान चलाए। वे सहारा क्षेत्र में उपस्थित बर्बर गणराज्यों के साथ संघर्ष करते थे। इसका मुख्य उद्देश्य था व्यापारिक और भूमि के नियंत्रण की प्राप्ति।
- कैनारी द्वीपसमूह के अभियान: स्पेनिश साम्राज्य ने उत्तरी अफ्रीका के कैनारी द्वीपसमूह पर भी अभियान चलाए। यह अभियान व्यापार, आप्रवासिता और कब्ज़े के लक्ष्य के साथ संबंधित थे। स्पेनिश साम्राज्य ने इस क्षेत्र में अपना आप्रवासी स्थापित किया और इसे अपना महत्वपूर्ण कैंप बनाया।
ये उत्तरी अफ्रीका में स्पेनिश साम्राज्य के कुछ प्रमुख अभियान थे, जिनके माध्यम से उन्होंने अपना साम्राज्य विस्तारित किया और नये सामरिक, आर्थिक और धार्मिक संपर्क स्थापित किए।
नवारे और इटली के लिए संघर्ष
स्पेनिश साम्राज्य ने नवारे (Navarre) और इटली में भी अपने संघर्ष का सामना किया। यहां उनके नवारे और इटली में हुए महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण है:
- नवारे का विलय: 1512 में, स्पेनिश साम्राज्य ने नवारे को अपने अधीन कर लिया। यह घटना नवारे में स्थित अभिन्नता और राजनीतिक द्वंद्व की वजह से हुई। नवारे के विलय के बाद, स्पेनिश साम्राज्य ने इस क्षेत्र में अपना शासन स्थापित किया और अपनी संस्कृति, भाषा और आदर्शों को प्रचारित किया।
- इटली में संघर्ष: 16वीं सदी में, स्पेनिश साम्राज्य ने इटली में अपने संघर्ष का सामना किया। यह संघर्ष प्रमुखतः द्विपक्षीय युद्धों के माध्यम से हुआ, जिसमें स्पेनिश साम्राज्य और अन्य राजनीतिक और साम्राज्यिक शक्तियां शामिल थीं। स्पेनिश सेना ने इटली में विभिन्न युद्धों में भाग लिया और अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की। इसके परिणामस्वरूप, स्पेनिश साम्राज्य ने इटली के कुछ हिस्सों को अपने नियंत्रण में लिया।
इन संघर्षों के माध्यम से स्पेनिश साम्राज्य ने नवारे और इटली में अपना प्रभाव विस्तारित किया। वे अपनी आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव को दिखाने के लिए इन क्षेत्रों में अपनी विजय प्राप्त करने के प्रयास किए।
कैनेरी द्वीप समूह
पुर्तगाल ने कई पापल बैल प्राप्त किए जिन्होंने खोजे गए क्षेत्रों पर पुर्तगाली नियंत्रण को स्वीकार किया, लेकिन कैस्टिले ने पोप से कैनरी द्वीप पर अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए बैल रोमानी पोंटिफेक्स दिनांक ६ नवंबर १४३६ और डोमिनैटर डोमिनस दिनांक ३० अप्रैल १४३७ प्राप्त किया।
गुआंचे लोगों द्वारा बसाए गए कैनरी द्वीपों की विजय , 1402 में कैस्टिले के हेनरी III के शासनकाल के दौरान , नॉर्मन रईस जीन डे बेथेनकोर्ट द्वारा ताज के साथ एक सामंती समझौते के तहत शुरू हुई थी । 1478 और 1496 के बीच क्राउन ऑफ कैस्टिले की सेनाओं के अभियानों के साथ विजय पूरी हुई , जब ग्रैन कैनरिया (1478-1483), ला पाल्मा (1492-1493), और टेनेरिफ़ (1494-1496) के द्वीपों को वशीभूत किया गया। [35]
स्पेनिश साम्राज्य की योजनाबद्धता और प्रबंधन
स्पेनिश साम्राज्य की योजनाबद्धता और प्रबंधन के पीछे अद्वितीय तत्व थे। यह एक कैथोलिक साम्राज्य था और कैथोलिक धर्म को अपनी मूलभूत धार्मिकता मानता था। धार्मिकता स्पेनिश साम्राज्य के संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी और इसने उसे एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। स्पेनिश साम्राज्य में नारीवाद का प्रचार होता था और महिलाओं को उच्च स्थान प्राप्त करने की अनुमति दी जाती थी। इसके अलावा, यह साम्राज्य एक केंद्रीय प्रशासनिक संरचना के साथ चलता था, जिसमें स्थानीय शासकों की अधिकारिता होती थी, लेकिन स्पेनिश साम्राज्य की सर्वोच्चता को मान्यता दी जाती थी।
धर्म और सांस्कृतिक प्रभाव
स्पेनिश साम्राज्य ने धर्म और सांस्कृतिक प्रभाव में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। कैथोलिक धर्म ने साम्राज्य के संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्पेनिश साम्राज्य की संस्कृति और कार्यक्रमों में कैथोलिसिज़म का गहरा प्रभाव दिखाई दिया। स्पेनिश साम्राज्य के नेताओं ने कैथोलिक धर्म को प्रचारित किया और इसकी सरकारी और सामाजिक नीतियों पर आधारित कड़ी कानूनी कार्रवाई ली। स्पेनिश साम्राज्य का एक मुख्य लक्ष्य था अन्य धर्मों के प्रचार और प्रभाव को कम करके कैथोलिसिज़म को बढ़ावा देना। इसके परिणामस्वरूप, स्पेनिश साम्राज्य के अंतर्गत संगठित होकर धार्मिक दल, मिशनरियों, और धार्मिक संस्थाओं ने उदार योजनाएं चलाईं और नए स्थानों पर चर्चों का निर्माण किया।
आर्थिक प्रभाव
स्पेनिश साम्राज्य का आर्थिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण था। यह विशेष रूप से उदार और धानी साम्राज्य था, जिसने विदेशी व्यापार के लिए व्यापारी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित किया। अमेरिका में स्पेनिश साम्राज्य के आगमन से पहले, यहां के संसाधनों का आर्थिक उपयोग किया जा रहा था। स्पेनिश साम्राज्य ने स्वर्ण और चांदी के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अमेरिका से अनेक मूल्यवान खजाने प्राप्त किए। इसके अलावा, वस्त्र, मसालों, मसाले, और अन्य उत्पादों के निर्यात में भी यह साम्राज्य महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सामरिक प्रभाव
स्पेनिश साम्राज्य ने सामरिक रूप से भी एक प्रमुख भूमिका निभाई। यह एक शक्तिशाली सेना का संगठन किया और विभिन्न युद्धों और आक्रमणों में भाग लिया। स्पेनिश साम्राज्य के सैन्य बल की सबसे प्रसिद्ध घटना 1588 में उनकी नौसेना के द्वारा अंग्रेज़ी आर्मडा के विरुद्ध विजय थी, जिसे स्पेनिश आर्मडा ने दिखाया। यह घटना स्पेनिश साम्राज्य की सामरिक शक्ति और उनके समुद्री बल की प्रभावशाली प्रतीक है।
साम्राज्य के अध्यक्षण
स्पेनिश साम्राज्य के विकास के पीछे अद्वितीय नेतृत्व था। नेतृत्व ने साम्राज्य को दृढ़ता से चलाया और उसकी प्रगति को सुनिश्चित किया। कार्लोस पांचवां के नेतृत्व में स्पेनिश साम्राज्य की सत्ता और प्रभावशालीता में वृद्धि हुई। उन्होंने संगठन को मजबूत किया, संबंधों को सुदृढ़ किया, और अपनी सामरिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक सशक्ति का उपयोग किया। उनके नेतृत्व में स्पेनिश साम्राज्य ने विश्व में एक प्रमुख शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई।
स्पेनिश साम्राज्य की उपयोगिता और अवसान
स्पेनिश साम्राज्य अपनी उपयोगिता के बावजूद दीर्घकालिक नहीं रह सका। विभिन्न कारणों के चलते, जैसे आर्थिक क्षति, युद्ध, और आंतरविदेशी संकट, इसका अवसान हो गया। 17वीं और 18वीं सदी में स्पेनिश साम्राज्य की सत्ता और प्रभाव कम हो गए और अंततः यह साम्राज्य स्थानीय और आंतरविदेशी विरोध का सामना करने के लिए असमर्थ हो गया। इसके बावजूद, स्पेनिश साम्राज्य ने विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान किया है और इसकी विस्तृतता और प्रभावशाली विस्तार की घटना स्थानीय और वैश्विक मानचित्र में एक महत्वपूर्ण चर्चा बनाई है।
अन्य साम्राज्यों से मुकाबला
स्पैनिश साम्राज्य, जिसे विश्व इतिहास में “Spanish Empire” के रूप में जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण और विशाल साम्राज्य था जो विश्व के विभिन्न हिस्सों में अपनी सत्ता और प्रभाव को बढ़ावा देने में सक्षम था। यह साम्राज्य मुख्य रूप से 15वीं से 19वीं शताब्दी तक अपने शिखर पर था और विश्व के विभिन्न हिस्सों में आक्रमण, व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान द्वारा मशहूर हुआ था।
स्पैनिश साम्राज्य ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी सत्ता को बढ़ावा दिया, जिसमें दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, उत्तर अमेरिका, अफ्रीका और एशिया शामिल थे। स्पैनिश साम्राज्य के प्रमुख स्थानों में मेक्सिको, पेरू, फिलिपींस, और कुबा शामिल थे, जो उनकी व्यापारिक और सांस्कृतिक बदलावों के केंद्र बने थे।
हालांकि स्पैनिश साम्राज्य ने विश्वभर में अपनी सत्ता को प्रदर्शित किया, लेकिन इसके साथ ही उसने अपनी सत्ता की अत्यधिक प्रबलता की वजह से संघटित विरोध भी खेते थे। ब्रिटिश और अन्य देशों के साथ विवादों और संघर्षों के कारण स्पैनिश साम्राज्य की सत्ता कम होने लगी और इसका पतन हो गया। 19वीं शताब्दी के अंत तक, स्पैनिश साम्राज्य की सत्ता पूरी तरह से समाप्त हो गई और नए राष्ट्रों ने अपने स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाया।
अमेरिकी क्रांति में भूमिका
अमेरिकी क्रांति में स्पेन ने, फ्रांस के साथ, 13 उपनिवेशों (जिनसे संयुक्त राज्य अमेरिका बना) की स्वतंत्रता में योगदान दिया। ब्रिटेन के साथ हस्ताक्षरित बॉर्बन्स के “फैमिली पैक्ट” के कारण स्पेन और फ्रांस सहयोगी थे।
जिब्राल्टर तीन साल से अधिक समय तक पराजित रहा, लेकिन ब्रिटिश गैरीसन दृढ़ता से डटे रहे, और 1780 में केप सेंट विंसेंट की लड़ाई में जुआन डी लैंगारा पर और 1782 में रिचर्ड होवे पर एडमिरल जॉर्ज रॉडनी की जीत के बाद, एडमिरल फिर से संगठित हुए। जिब्राल्टर पर कब्ज़ा करने के फ़्रांस और स्पेन के आगे के प्रयास विफल रहे। 5 फरवरी, 1782 को स्पेनियों द्वारा मिनोर्का पर पुनः कब्ज़ा करने से एक बड़ी सफलता मिली।
1779 में, इंग्लैंड पर आक्रमण करने की महत्वाकांक्षी योजनाओं को छोड़ना पड़ा। एडमिरल लुइस डी कोर्डोबा और कोर्डोबा की कार्रवाइयों ने 9 अगस्त, 1780 को 69 जहाजों के दो ब्रिटिश काफिले पर कब्जा कर लिया, जिसमें 55 व्यापारी और युद्धपोतों का बेड़ा भी शामिल था।
लुइसियाना के स्पेनिश गवर्नर बर्नार्डो डी गैल्वेज़ ने ब्रिटिश फ्लोरिडा (1781-1779) के खिलाफ कई सफल छापे मारे और पूरे पश्चिमी फ्लोरिडा को अंग्रेजों से जीत लिया। गैलोज़ ने बहामास में न्यू प्रोविडेंस द्वीप पर भी विजय प्राप्त की। जमैका कैरेबियन में अंतिम प्रमुख ब्रिटिश बेस था। गैलोज़ ने द्वीप को जीतने के लिए एक अभियान आयोजित करने का प्रयास किया। हालाँकि, 1783 में पेरिस की शांति पर हस्ताक्षर किए गए और आक्रमण रुक गया।
चार्ल्स तृतीय के शाही आदेश से। स्पेन, गैल्वेज़ ने अमेरिकी विद्रोहियों के लिए आपूर्ति कार्यों का समर्थन करना जारी रखा। अंग्रेजों ने तेरह कालोनियों के औपनिवेशिक बंदरगाहों को अवरुद्ध कर दिया, और स्पेनिश-नियंत्रित न्यू ऑरलियन्स से मिसिसिपी नदी तक का मार्ग अमेरिकी विद्रोहियों को फिर से आपूर्ति करने के लिए एक प्रभावी विकल्प था।
स्पेन ने 1776 से अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान रोडेरिगु हार्टलेज़ एंड कंपनी के साथ सक्रिय रूप से तेरह कालोनियों का समर्थन किया, जो एक व्यापारिक कंपनी थी, जिसने 1781 में हवाना से सोना और चांदी इकट्ठा करके 1781 में यॉर्कटाउन की आखिरी घेराबंदी को वित्तपोषित किया था।
युद्धकालीन आपूर्ति, सह-वित्तपोषित, उपनिवेशों में स्पेनिश सहायता चार मुख्य मार्गों से पहुंचाई गई: रोडेरिगो हॉर्टल्स एंड कंपनी द्वारा वित्त पोषित फ्रांसीसी बंदरगाहों से; न्यू ऑरलियन्स के बंदरगाह के पार और मिसिसिपी तक; हवाना में गोदाम; और (4) गार्डोकी परिवार की व्यापारिक कंपनी के माध्यम से बिलबाओ के उत्तर-पश्चिमी स्पेनिश बंदरगाह से, जो महत्वपूर्ण युद्ध सामग्री की आपूर्ति करती थी।
ब्राज़ील में प्रतियोगिता
जब फ्रांसिस्को डी ओरेलाना ने 1541-1542 में अमेज़ॅन में नौकायन शुरू किया, तो स्पैनिश ने अब ब्राज़ील के अधिकांश हिस्से पर दावा किया। कई स्पैनिश अभियानों ने इस विशाल क्षेत्र का अधिकांश भाग खोजा, विशेषकर स्पैनिश बस्तियों के आसपास। 16वीं और 17वीं शताब्दी में, स्पेनिश सैनिकों, मिशनरियों और साहसी लोगों ने भी अग्रणी समुदायों की स्थापना की, मुख्य रूप से पराना, सांता कैटरीना और साओ पाउलो में, जबकि पूर्वोत्तर तट पर किलों को फ्रांसीसी और डचों से खतरा था।
जैसे-जैसे डाकुओं के शोषण के बाद पुर्तगाली-ब्राज़ीलियाई बस्तियों का विस्तार हुआ, ये अलग-थलग स्पेनिश समूह अंततः ब्राज़ीलियाई समाज में समाहित हो गए। रियो ग्रांडे डो सुल राज्य के विवादित पम्पा क्षेत्र से पलायन करने वाले भारतीयों, पुर्तगालियों और अश्वेतों के साथ मिश्रित होकर केवल थोड़ी संख्या में कैस्टिलियन, जो 18 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में आए थे, ने एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा। गैचोस का गठन स्पैनिश लोगों को कानून द्वारा स्वदेशी लोगों को गुलाम बनाने से मना किया गया था और वे अमेज़ॅन बेसिन में व्यावसायिक हित हासिल करने में असमर्थ थे।
बर्गोस का कानून (1512) और नया कानून (1542) का उद्देश्य स्वदेशी लोगों के हितों की रक्षा करना था। पुर्तगाली-ब्राज़ीलियाई दासों, बंदेइरेंटेस को टॉर्डेसिलस लाइन के पुर्तगाली पक्ष पर अमेज़ॅन के मुहाने से पहुंचने का लाभ मिला। 1628 में स्पेनिश दूतों पर हुए प्रसिद्ध हमले में लगभग 60,000 स्थानीय लोगों को गुलाम बना लिया गया था। [अल]
समय के साथ, कब्ज़ा एक आभासी निजी वित्तपोषित सेना में विकसित हो गया। 18वीं शताब्दी तक अधिकांश स्पेनिश क्षेत्र पर पुर्तगाली-ब्राज़ीलियाई लोगों का प्रभावी नियंत्रण था। इस तथ्य को 1750 में मैड्रिड की संधि में मान्यता दी गई थी, जिसने कानूनी तौर पर अधिकांश अमेज़ॅन बेसिन और आसपास के क्षेत्रों पर संप्रभुता पुर्तगाल को सौंप दी थी। इस समझौते ने 1756 के गुआरानी युद्ध की नींव रखी।
स्पैनिश साम्राज्य का अंत
स्पैनिश साम्राज्य का अंत एक दीर्घकालिक प्रक्रिया के बाद हुआ था जिसमें कई कारणों ने मिलकर साम्राज्य की पतन की दिशा में बदल दी। यह प्रक्रिया विभिन्न घटकों के संयोजन के कारण हुई थी, जिनमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और विशेष रूप से बाहरी दबाव के प्रभाव शामिल थे।
आर्थिक कारण: स्पैनिश साम्राज्य के विस्तार और व्यापार के क्षेत्र में संकट पैदा हुआ, जो बाहरी देशों के साथ व्यापारिक संघर्ष की तरफ बढ़ गया। यह आर्थिक संकट नियंत्रण में असमर्थता, आर्थिक संस्थानों के पतन और साम्राज्य के संघर्ष में विफलता के रूप में प्रकट हुआ।
सामाजिक कारण: साम्राज्य के अंतिम दिनों में, यह आर्थिक असमर्थता और अशास्त्रीय शासन ने सामाजिक असमानता और आपत्तियों को बढ़ावा दिया। वर्गवाद, श्रमिकों के विरोध और समुदायिक आदिवासी जनजातियों के आंदोलन ने साम्राज्य की स्थिति को दिन-प्रतिदिन बिगाड़ते हुए दिखाया।
राजनीतिक कारण: स्पैनिश साम्राज्य के आंतरिक संरचना में आपसी टकराव, प्रशासनिक विफलता और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ रहे आंदोलनों ने साम्राज्य की दिशा को दुर्बल किया।
बाहरी दबाव: स्पैनिश साम्राज्य के अंत में बाहरी दबाव भी एक महत्वपूर्ण कारण था। ब्रिटिश और अन्य यूरोपीय देशों का स्पैनिश साम्राज्य के ऊपर बहुत दबाव था।
इन्हें भी देखें –
- समुद्रगुप्त SAMUDRAGUPTA |335-350 ई.
- चन्द्रगुप्त प्रथम: एक प्रशस्त शासक |320-350 ई.
- महान विजेता चन्द्रगुप्त मौर्य का अद्वितीय साम्राज्य | 345-298 ई.पू.
- बहमनी वंश 1347-1538
- परमार वंश (800-1327 ई.)
- महात्मा गांधी ‘बापू’ (1869-1948) ई.
- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन 1857 – 1947
- History of Goa गोवा का इतिहास
- भारत की चट्टानें: संरचना, वर्गीकरण, विशेषताएं| Rocks
- भारत की जनजातियाँ | Tribes of India
- भारत में खनिज संसाधन | Minerals in India
- भारत में ऊर्जा के स्रोत | Sources of Energy in India
- भारत में परिवहन | Transport System in India