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बेटी का धन | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

बेटी का धन | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

बेटी का धन मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक मार्मिक कहानी है, जो पारिवारिक संघर्ष, सामाजिक प्रतिष्ठा और नैतिकता के ...
बड़े घर की बेटी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

बड़े घर की बेटी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

"बड़े घर की बेटी" कहानी के माध्यम से लेखक मुंशी प्रेमचंद जी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में ...
शराब की दुकान | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

शराब की दुकान | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

"शराब की दुकान" प्रेमचंद की प्रेरणादायक कहानी है जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज सुधार, शराबबंदी आंदोलन, और महिलाओं की ...
सुहाग की साड़ी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

सुहाग की साड़ी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

सुहाग की साड़ी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी एक दिल को छू लेने वाली कहानी है। आजादी के लिए ...
दिल की रानी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

दिल की रानी | एक ऐतिहासिक कहानी – मुंशी प्रेमचंद

दिल की रानी कहानी की शुरुआत तैमूर की इतिहाससम्मत क्रूरता, निर्दयता और आतंक को उद्घाटित करने से होती है। तैमूर ...
जुलूस | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

जुलूस | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

जुलूस कहानी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गई राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत एक कहानी है। यह कहानी कानूनी गांधीवादी ...
शतरंज के खिलाड़ी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी मुंशी प्रेमचंद जी की हिन्दी कहानी है। इसकी रचना उन्होने अक्टूबर 1924 में की थी और यह 'माधुरी' पत्रिका ...
ईदगाह | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानियों में एक है। इस में एक अनाथ बालक की कहानी बताई गई है। ईदगाह ...
दो बैलों की कथा | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

दो बैलों की कथा | कहानी – मुंशी प्रेमचंद | सारांश, समीक्षा, पात्र परिचय

"दो बैलों की कथा" में मुंशी प्रेमचंद ने दो बैलों, हीरा और मोती, की कहानी को बताया है। यह कहानी ...
मुंशी प्रेमचंद जी

मुंशी प्रेमचंद जी और उनकी रचनाएँ

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ ...
गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

36.दो दिन तक गाँव में ख़ूब धूमधाम रही। बाजे बजे, गाना-बजाना हुआ और रूपा रो-धोकर बिदा हो गयी; मगर होरी ...
गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

35.होरी की दशा दिन-दिन गिरती ही जा रही थी। जीवन के संघर्ष में उसे सदैव हार हुई; पर उसने कभी ...
गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

34.सिलिया का बालक अब दो साल का हो रहा था और सारे गाँव में दौड़ लगाता था। अपने साथ एक ...
गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

33.डाक्टर मेहता परीक्षक से परीक्षार्थी हो गये हैं। मालती से दूर-दूर रहकर उन्हें ऐसी शंका होने लगी है कि उसे ...
गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

32.मिरज़ा खुर्शेद ने अस्पताल से निकलकर एक नया काम शुरू कर दिया था। निश्चिन्त बैठना उनके स्वभाव में न था। ...
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.