भारत-चीन कूटनीतिक वार्ता और G-20 | वैश्विक सहयोग की नई दिशा

भारत और चीन एशिया की दो प्रमुख शक्तियाँ हैं, जिनका वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव है। हाल ही में जोहान्सबर्ग में आयोजित G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस वार्ता ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने का अवसर प्रदान किया बल्कि वैश्विक मंच पर G-20 की प्रासंगिकता को भी उजागर किया।

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G-20 | वैश्विक आर्थिक सहयोग मंच

G-20 एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंच है, जिसे 1999 में वैश्विक आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इसमें 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) व अफ्रीकी संघ (AU) सहित 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं। G-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है, और इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष एक अलग देश द्वारा की जाती है। यह मंच व्यापार, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा और भ्रष्टाचार-रोधी नीतियों जैसे विविध मुद्दों पर केंद्रित है। G-20 वैश्विक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और आर्थिक असमानताओं को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान समावेशिता, सतत विकास और विकासशील देशों के हितों को प्राथमिकता दी।

स्थापना और उद्देश्य

G-20 का गठन 1999 में एशियाई वित्तीय संकट (1997-1998) के बाद एक अनौपचारिक मंच के रूप में किया गया था। प्रारंभ में इसका मुख्य उद्देश्य वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के बीच व्यापक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करना था। हालांकि, समय के साथ इसका एजेंडा विस्तृत हुआ और अब इसमें व्यापार, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा और भ्रष्टाचार विरोधी विषय भी शामिल हो गए हैं।

सदस्यता

G-20 में 19 देश और 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं –

  • देश: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके और यूएस।
  • क्षेत्रीय संगठन: यूरोपीय संघ (EU) और अफ्रीकी संघ (AU)।

अध्यक्षता

G-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से घूमती रहती है, और प्रत्येक क्षेत्रीय समूह का एक देश बारी-बारी से इसकी मेजबानी करता है।

भारत-चीन वार्ता | मुख्य बिंदु

भारत और चीन के बीच जोहान्सबर्ग में आयोजित G-20 बैठक के दौरान कूटनीतिक संवाद हुआ, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई। कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने, व्यापारिक संबंधों को प्रोत्साहित करने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने पर दोनों देशों ने विचार साझा किए। इसके अलावा, सीमा विवादों को हल करने और पारस्परिक सहयोग को बढ़ाने के लिए वार्ता को और आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। भारत और चीन की यह चर्चा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में एक कदम थी, बल्कि G-20 की वैश्विक प्रासंगिकता को भी दर्शाती है। भारत-चीन वार्ता के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और क्षेत्रीय मुद्दे

  • बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
  • पूर्व में हुई सीमा शांति वार्ताओं की समीक्षा की गई, जिससे राजनयिक संवाद को और आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।
  • भारत और चीन ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता को दोहराया।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र

1. यात्रा और कनेक्टिविटी

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा की गई।
  • सीमा पार नदी प्रबंधन, हवाई संपर्क, और यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने पर भी विचार किया गया।

2. आर्थिक और बुनियादी ढांचे में सहयोग

  • आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने और अवसंरचनात्मक विकास को गति देने के उपायों पर चर्चा हुई।
  • व्यापार और निवेश के नए अवसरों की पहचान की गई।

भारत और G-20 | वैश्विक नेतृत्व में बढ़ती भूमिका

G-20 शिखर सम्मेलन 2023

भारत ने G-20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक चर्चाओं के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया। इस दौरान लीडर्स डिक्लरेशन (Leaders’ Declaration) के माध्यम से सर्वसम्मति बनाने की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।

समावेशिता (Inclusivity) पर जोर

  • 11 एंगेजमेंट ग्रुप्स (Engagement Groups) के माध्यम से युवा, महिलाएं, निजी क्षेत्र और सिविल सोसाइटी की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
  • वैश्विक मुद्दों पर जनता की चिंताओं को प्राथमिकता दी गई।

वैश्विक विकास लक्ष्यों का समर्थन

  • सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) की दिशा में कदम बढ़ाते हुए SDG 1 – “गरीबी उन्मूलन” को प्राथमिकता दी गई।

ग्लोबल साउथ की आवाज

  • भारत ने विकासशील देशों की ओर से उनकी चुनौतियों और हितों को प्रभावी रूप से G-20 में प्रस्तुत किया।

G-20 का विस्तृत एजेंडा | वैश्विक विकास की दिशा में एक समन्वित प्रयास

जी-20 (ग्रुप ऑफ ट्वेंटी) एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय मंच है जिसमें विश्व की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं। इसका गठन 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के स्तर पर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रारंभ में इसका मुख्य फोकस व्यापक आर्थिक मुद्दों पर था, लेकिन समय के साथ इसका एजेंडा व्यापक होता गया और विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें कई नए विषय शामिल किए गये, जिनका विवरण निम्न है –

  • व्यापार (Trade)
  • सतत विकास (Sustainable Development)
  • स्वास्थ्य (Health)
  • कृषि (Agriculture)
  • ऊर्जा (Energy)
  • पर्यावरण (Environment)
  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
  • भ्रष्टाचार-रोध (Anti-Corruption)

प्रारंभ में G-20 मुख्य रूप से व्यापक आर्थिक मुद्दों (Macroeconomic Issues) पर केंद्रित था। समय के साथ इसका एजेंडा विस्तृत हुआ और इसमें कई नए विषय शामिल किए गए। जी-20 के विस्तृत एजेंडे के उपरोक्त विभिन्न पहलुओं का विस्तार पूर्वक विश्लेषण आगे किया गया है –

1. व्यापार (Trade)

वैश्विक व्यापार जी-20 के एजेंडे का एक मुख्य स्तंभ है। संगठन का उद्देश्य विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अंतर्गत एक मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार प्रणाली को बढ़ावा देना है। जी-20 देशों का मानना है कि व्यापार वैश्विक आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन है और इसके माध्यम से रोजगार सृजन, नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है। इसके अंतर्गत व्यापार बाधाओं को कम करना, निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना प्रमुख लक्ष्य हैं।

2. सतत विकास (Sustainable Development)

जी-20 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता और स्वच्छ जल व स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। जी-20 देशों द्वारा सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए हरित प्रौद्योगिकी के विकास, नवाचार को प्रोत्साहित करने और विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर बल दिया जाता है। इस एजेंडे का उद्देश्य एक समावेशी, लचीला और पर्यावरण अनुकूल वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है।

3. स्वास्थ्य (Health)

कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे की कमजोरियों को उजागर किया और इसके बाद स्वास्थ्य जी-20 के एजेंडे में एक केंद्रीय विषय बन गया। महामारी के अनुभव से सीख लेते हुए संगठन वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा, टीकाकरण अभियान, और स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, महामारी के भविष्य के खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

4. कृषि (Agriculture)

कृषि और खाद्य सुरक्षा जी-20 के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। संगठन का उद्देश्य वैश्विक खाद्य प्रणाली को टिकाऊ और लचीला बनाना है ताकि बढ़ती जनसंख्या की पोषण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इसमें खाद्य उत्पादन में नवाचार, जल प्रबंधन सुधार, छोटे किसानों को सहायता और कृषि में डिजिटल तकनीकों का उपयोग शामिल है। जी-20 सदस्य देश यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं कि कोई भी व्यक्ति भूख से पीड़ित न हो।

5. ऊर्जा (Energy)

ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में जी-20 की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। संगठन का उद्देश्य ऊर्जा तक सुलभता, ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना है। जी-20 सदस्य देश यह मानते हैं कि ऊर्जा संक्रमण को सुगम और न्यायसंगत बनाना आवश्यक है ताकि विकासशील देशों को भी स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच प्राप्त हो सके। इसके तहत सौर, पवन और जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

6. पर्यावरण (Environment)

तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ विकराल होती जा रही हैं। जी-20 का पर्यावरण एजेंडा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, वनों की कटाई को रोकने, प्रदूषण नियंत्रण और जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित है। संगठन सदस्य देशों को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने, टिकाऊ शहरी विकास को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय शिक्षा पर बल देने के लिए प्रोत्साहित करता है।

7. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

जलवायु परिवर्तन आज की सबसे गंभीर वैश्विक चुनौती है। जी-20 पेरिस समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखता है। इसके तहत कार्बन उत्सर्जन में कटौती, हरित वित्त पोषण को बढ़ावा, और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियाँ बनाई जा रही हैं। संगठन के सदस्य देश हरित बुनियादी ढांचे के विकास, स्वच्छ प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।

8. भ्रष्टाचार-रोध (Anti-Corruption)

भ्रष्टाचार वैश्विक विकास के मार्ग में एक बड़ी बाधा है। जी-20 इसके उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। संगठन द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने, मनी लॉन्ड्रिंग रोकने, और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानूनी ढांचे विकसित करने के लिए विभिन्न पहल की गई हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया जा रहा है।

जी-20 का विस्तृत एजेंडा यह दर्शाता है कि संगठन केवल आर्थिक मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक विकास, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सुरक्षा और भ्रष्टाचार-रोध जैसे विविध क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इन व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर जी-20 वैश्विक स्तर पर समावेशी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। संगठन के प्रयासों का उद्देश्य एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जो अधिक सुरक्षित, स्वच्छ, न्यायसंगत और समृद्ध हो।

जी-20 की यह पहल वैश्विक नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत और चीन के बीच जोहान्सबर्ग में हुई जी-20 वार्ता द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और वैश्विक सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। LAC पर शांति बनाए रखने से लेकर आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने तक, दोनों देशों ने अपने संबंधों को एक नई दिशा देने की प्रतिबद्धता जताई।

G-20 मंच पर भारत की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है, और भारत ने समावेशिता, सतत विकास और ग्लोबल साउथ की आवाज को प्राथमिकता देकर अपने नेतृत्व को और सशक्त किया है।

इस तरह, भारत और चीन न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में प्रयासरत हैं, बल्कि G-20 जैसे वैश्विक मंच पर भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

Polity – KnowledgeSthali


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