भारत का इतिहास वीरता, पराक्रम और सांस्कृतिक समृद्धि से परिपूर्ण है। इस गौरवशाली इतिहास का एक अभिन्न अंग है मराठा साम्राज्य, जिसने 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के एक विशाल भूभाग पर अपना प्रभाव स्थापित किया। मराठा साम्राज्य की सैन्य ताकत का प्रमुख आधार था उनकी उत्कृष्ट किला निर्माण कला और रणनीतिक सैन्य परिदृश्य।
इस समृद्ध विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। विभाग के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल पेरिस स्थित यूनेस्को कार्यालय में ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ के तहत 12 महत्वपूर्ण किलों को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत है। यह पहल न केवल मराठा इतिहास को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का अवसर है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
मराठा सैन्य परिदृश्य | एक परिचय
मराठा सैन्य परिदृश्य भारत की किला निर्माण कला और रक्षा प्रणालियों का अद्भुत उदाहरण है। 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित यह प्रणाली मराठा शासकों की सैन्य दूरदर्शिता और रणनीतिक सोच को दर्शाती है। मराठा किले न केवल युद्ध के समय शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करते थे, बल्कि वे प्रशासनिक केंद्र, शस्त्रागार और व्यापारिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। इन किलों का निर्माण भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार किया गया था, जिससे वे अजेय और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गए।
भौगोलिक विशेषताएँ
मराठा सैन्य परिदृश्य की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका भूगोल के साथ सामंजस्य है। किलों का जटिल नेटवर्क विभिन्न भौगोलिक स्वरूपों पर आधारित था:
- सह्याद्री पर्वत श्रृंखला: इस पर्वत श्रृंखला पर स्थित किले ऊँचाई के कारण शत्रुओं की पहुँच से दूर रहते थे और युद्ध के समय सुरक्षित आश्रय प्रदान करते थे।
- कोंकण तट: तटीय किलों के माध्यम से समुद्री मार्गों की रक्षा और व्यापार पर नियंत्रण सुनिश्चित किया जाता था।
- दक्कन का पठार: पठारी किले मराठा साम्राज्य के केंद्र के रूप में कार्य करते थे और प्रशासनिक गतिविधियों का संचालन करते थे।
- पूर्वी घाट: साम्राज्य के विस्तार और रक्षा के लिए इन क्षेत्रों में भी किलों का निर्माण किया गया।
प्रमुख किले | मराठा सैन्य परिदृश्य के स्तंभ
यूनेस्को के प्रस्ताव में शामिल 12 प्रमुख किले मराठा सैन्य कौशल के अद्भुत उदाहरण हैं। इन्हें उनके भौगोलिक स्थान और संरचना के आधार पर विभाजित किया गया है:
1. पहाड़ी किले
- साल्हेर किला: सह्याद्री पर्वत पर स्थित यह किला रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। यह किला भारत में सबसे ऊँचे किलों में से एक है और मराठा-मुगल संघर्ष का गवाह रहा है।
- शिवनेरी किला: छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली, यह किला मराठा इतिहास में विशेष स्थान रखता है। इसकी मजबूत प्राचीर और अद्भुत वास्तुकला इसे विशिष्ट बनाती है।
- लोहगड़ किला: इसका नाम ही इसकी मजबूती का परिचायक है। यह किला पुणे के पास स्थित है और व्यापार मार्गों पर नजर रखने के लिए इसका विशेष महत्व था।
- रायगढ़ किला: छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का स्थल, यह किला मराठा साम्राज्य का प्रशासनिक केंद्र था।
- राजगढ़ किला: मराठा रणनीति का एक और महत्वपूर्ण केंद्र, यह किला शिवाजी महाराज की रणनीतिक योजनाओं का गवाह रहा है।
- जिंजी किला (तमिलनाडु): मराठा साम्राज्य की दक्षिणी सीमा की रक्षा के लिए इस किले का निर्माण किया गया था। यह किला अपने विशाल परिसर और मजबूत दीवारों के लिए प्रसिद्ध है।
2. पहाड़ी-जंगल किला
- प्रतापगढ़ किला: घने जंगलों से घिरा यह किला 1659 के अफ़जल खान वध का साक्षी रहा है। इसकी रणनीतिक स्थिति इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।
3. पहाड़ी-पठारी किला
- पन्हाला किला: यह किला दक्कन के पठार पर स्थित है और मराठा प्रशासन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता था। इसकी विशाल दीवारें और सुरंगें इसे अद्वितीय बनाती हैं।
4. तटीय किला
- विजयदुर्ग किला: समुद्र के किनारे स्थित यह किला मराठा नौसेना की ताकत का प्रतीक है। यह किला समुद्री आक्रमणों से रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।
5. द्वीपीय किले
- खांदेरी किला: समुद्र में स्थित यह किला नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बनाया गया था।
- सुवर्णदुर्ग किला: इसका उपयोग समुद्री व्यापार और सैन्य अभियानों के नियंत्रण के लिए होता था।
- सिंधुदुर्ग किला: छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित यह किला मराठा नौसेना का प्रमुख केंद्र था।
मराठा सैन्य विचारधारा | रणनीति और दूरदर्शिता
मराठा सैन्य परिदृश्य केवल किले निर्माण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सैन्य विचारधारा का हिस्सा था। इसकी नींव छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल (1670 ईस्वी) में रखी गई। शिवाजी महाराज ने अपने सैन्य अभियानों में भूगोल का कुशलता से उपयोग किया और किलों को युद्ध की रणनीतियों में केंद्र स्थान दिया। यह परंपरा पेशवा शासन (1818 ईस्वी) तक जारी रही। मराठा सैन्य रणनीति में निम्नलिखित विशेषताएँ प्रमुख थीं –
- गणिमी कावा (गुरिल्ला युद्ध नीति): दुश्मन पर अचानक हमला कर उसे अचंभित करना।
- तेज गति से सैनिकों की आवाजाही: छोटे दलों के माध्यम से युद्ध जीतना।
- किलों के माध्यम से क्षेत्रीय नियंत्रण: प्रत्येक किला एक स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई के रूप में कार्य करता था।
- समुद्री शक्ति का विकास: तटीय और द्वीपीय किलों के माध्यम से नौसैनिक ताकत को बढ़ावा देना।
नामांकन और मानदंड प्रक्रिया
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में किसी भी स्थल को शामिल करने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। मराठा सैन्य परिदृश्य को सांस्कृतिक श्रेणी में नामित किया गया है। इसके लिए निम्नलिखित मानदंडों के तहत नामांकन किया गया:
मानदंड (iii)
किसी सांस्कृतिक परंपरा या सभ्यता की अद्वितीय गवाही देना। मराठा किले इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे एक क्षेत्रीय शक्ति ने भूगोल और स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया।
मानदंड (iv)
ऐसे अद्वितीय वास्तु या तकनीकी समूहों का उदाहरण प्रस्तुत करना, जो मानव इतिहास के महत्वपूर्ण चरणों को दर्शाते हैं। मराठा किलों की निर्माण तकनीक, जल संचयन प्रणाली और सुरक्षा प्रबंध इस श्रेणी में आते हैं।
मानदंड (vi)
महत्वपूर्ण घटनाओं, परंपराओं, विश्वासों और सार्वभौमिक महत्व के कार्यों से मूर्त रूप से जुड़ा होना। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और मराठा संघर्ष की कई महत्वपूर्ण घटनाएँ इन किलों से जुड़ी हुई हैं।
भारत की समृद्ध यूनेस्को धरोहर
भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर विश्वभर में प्रसिद्ध है। वर्तमान में भारत में कुल 43 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
- 35 सांस्कृतिक स्थल: ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, किले, और सांस्कृतिक परिदृश्य शामिल हैं।
- 7 प्राकृतिक स्थल: जैव विविधता वाले क्षेत्र और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान।
- 1 मिश्रित स्थल: सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व का संयुक्त उदाहरण।
महाराष्ट्र का योगदान
महाराष्ट्र अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। राज्य में वर्तमान में छह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं:
- अजंता गुफाएँ: बौद्ध कला का उत्कृष्ट उदाहरण।
- एलोरा गुफाएँ: हिंदू, बौद्ध और जैन वास्तुकला का संगम।
- एलीफेंटा गुफाएँ: भगवान शिव को समर्पित शिल्पकला का अद्भुत नमूना।
- छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस: गोथिक और भारतीय स्थापत्य शैली का अनूठा मिश्रण।
- विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको भवन समूह: मुंबई के स्थापत्य वैभव का प्रतीक।
- पश्चिमी घाट: जैव विविधता से भरपूर प्राकृतिक धरोहर।
मराठा सैन्य परिदृश्य | नया उम्मीदवार
मराठा सैन्य परिदृश्य 2021 में यूनेस्को की संभावित सूची (Tentative List) में शामिल किया गया था। यदि इसे अंतिम सूची में स्थान मिलता है, तो यह महाराष्ट्र की छठी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विश्व धरोहर सूची में शामिल होगा। इससे न केवल इन किलों के संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
मराठा सैन्य परिदृश्य केवल किलों का समूह नहीं है, बल्कि यह एक पूरी सभ्यता की गवाही देता है जो अपने गौरवशाली इतिहास, समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और अद्भुत वास्तुकला के लिए जानी जाती है। यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में इसे शामिल कराने का प्रयास मराठा विरासत को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल मराठा इतिहास के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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इन्हें भी देखें –
- मराठा साम्राज्य के शासक और पेशवा
- मराठा साम्राज्य | MARATHA EMPIRE | 1674 – 1818
- मगध साम्राज्य | Magadha Empire | 1700-322 BC
- छत्रपति शिवाजी महाराज | 1674 – 1680 ई.
- हिन्द यवन आक्रमण | Indo-Greek Invasion |180 BC – 10 AD
- बाबर | 1483 ई. – 1530 ई.
- चन्द्रगुप्त द्वितीय | 380 ईस्वी – 415 ईस्वी
- बीरबल (1528 ई.-1586 ई.)
- चन्द्रगुप्त द्वितीय | 380 ईस्वी – 415 ईस्वी
- History of Goa गोवा का इतिहास
- भारत के द्वीप समूह | Islands of India
- भारत और उसके पड़ोसी राज्य | India and Its Neighboring Countries
- भारत का भौतिक विभाजन | Physical divisions of India
- भारत का भौगोलिक परिचय | Geographical Introduction of India
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- हिंदी गद्य साहित्य का उद्भव और विकास
- छायावादी युग के कवि और उनकी रचनाएँ
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