जर्मनी के संघीय चुनाव 2025 | एक व्यापक विश्लेषण और भारत से तुलना

विश्व के लोकतंत्रों में चुनावी प्रक्रिया जनता की इच्छा और राष्ट्र की दिशा निर्धारित करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम होती है। हाल ही में संपन्न हुए जर्मनी के संघीय चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी (CDC) ने बड़ी जीत हासिल करते हुए बुंडेस्टैग में 208 सीटें प्राप्त कीं। इसके परिणामस्वरूप फ्रेडरिक मर्ज़ का जर्मनी का अगला चांसलर बनना लगभग तय हो गया है। इस चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों, चुनावी प्रक्रियाओं, और प्रमुख मुद्दों पर मतदाताओं की राय का गहरा प्रभाव देखने को मिला।

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फ्रेडरिक मर्ज़ का राजनीतिक सफर

फ्रेडरिक मर्ज़ जर्मनी के एक प्रमुख राजनेता हैं, जिन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। 2005 में जब कंजरवेटिव पार्टी (CDC) ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के साथ मिलकर सरकार बनाई, तो तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ बेहतर रिश्ते न होने के कारण मर्ज़ को सरकार में शामिल नहीं किया गया। इससे पार्टी में उनका प्रभाव कम हो गया और उन्होंने 2009 में राजनीति से संन्यास ले लिया। इसके बाद मर्ज़ लगभग एक दशक तक प्राइवेट सेक्टर से जुड़े रहे और वैश्विक निवेश कंपनी “ब्लैकरॉक” के साथ काम किया।

2018 में मर्ज़ ने राजनीति में वापसी की, जब एंजेला मर्केल ने चांसलर पद छोड़ने का फैसला किया। मर्ज़ ने 2018 और 2021 में पार्टी लीडर का चुनाव लड़ा, हालांकि तब उन्हें सफलता नहीं मिली। अंततः 2022 में वे CDU के अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे और 2025 में पार्टी के चांसलर उम्मीदवार बने। उनकी जीत के पीछे मजबूत आर्थिक नीतियाँ, कड़ी आप्रवासन नीति और यूरोपीय संघ में जर्मनी की नेतृत्वकारी भूमिका को फिर से स्थापित करने का वादा था।

कौन होते हैं जर्मन चांसलर?

जर्मनी में चांसलर वही भूमिका निभाता है जो भारत में प्रधानमंत्री निभाता है। जर्मनी की संसद को “बुंडेस्टैग” कहा जाता है, जिसमें कुल 630 सीटें होती हैं। चांसलर सरकार का प्रमुख होता है और नीति निर्धारण में उसकी केंद्रीय भूमिका होती है। जर्मनी में राष्ट्रपति का पद औपचारिक होता है, जैसे भारत में राष्ट्रपति का मुख्यतः संवैधानिक महत्व होता है। चांसलर का चुनाव बुंडेस्टैग के सदस्य करते हैं और चुना गया चांसलर अपनी कैबिनेट का गठन करता है।

2025 के जर्मन संघीय चुनाव परिणाम (चार्ट सहित)

नीचे दिए गए चार्ट में 2025 के जर्मन संघीय चुनाव में कुल 299 निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टियों द्वारा जीती गई सीटों का विवरण (2025 के जर्मन संघीय चुनाव के परिणाम) दिया गया है –

पार्टी का नामसीटें प्रतिशत वोट (%)
CDU/CSU (कंजरवेटिव यूनियन)20828.5%
AfD (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी)15220.8%
SPD (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी)12016.4%
Greens (ग्रीन्स)8511.6%
The Left (डाई लिंक)648.8%
BSW55%
FDP44.3%
अन्य14.6%

2025 के जर्मन संघीय चुनाव परिणाम

जर्मनी के संघीय चुनाव | हालिया परिदृश्य

मुख्य दलों का प्रदर्शन

  • कंजरवेटिव पार्टी (CDC): 208 सीटों के साथ सर्वाधिक सीटें प्राप्त कर सत्ता में वापसी।
  • AfD (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी): 152 सीटों पर कब्जा करते हुए दूसरा स्थान।
  • सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD): महज 120 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर सिमटी।

जर्मनी के प्रमुख चुनावी मुद्दे

जर्मनी एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति है, जिसकी राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जाती है। देश की चुनावी प्रणाली अन्य देशों से भिन्न है और इसमें प्रत्यक्ष तथा आनुपातिक प्रतिनिधित्व का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। 2025 के जर्मन चुनावों में कई प्रमुख मुद्दे छाए रहे, जिनमें यूक्रेन युद्ध, आर्थिक संकट, ऊर्जा की ऊँची कीमतें और अवैध प्रवास जैसे विषय शामिल थे। इन चुनावों में मतदाता सीधे चांसलर का चुनाव नहीं करते, बल्कि वे संसद के सदस्यों के लिए मतदान करते हैं, जो बाद में चांसलर का चयन करते हैं।

2025 के जर्मन संघीय चुनाव में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उभरकर सामने आए, जिन्होंने मतदाताओं के फैसले को प्रभावित किया। प्रमुख चुनावी मुद्दों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –

1. यूक्रेन युद्ध और उसकी राजनीतिक गूँज

रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक भू-राजनीति को प्रभावित किया है, और जर्मनी इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। युद्ध के कारण जर्मनी की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हुई है और देश को रूस से गैस आयात में कटौती करनी पड़ी है। इसके अलावा, जर्मनी ने यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान की है, जो राजनीतिक बहस का एक प्रमुख विषय बन गया।

2. अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ

जर्मनी की अर्थव्यवस्था यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में यह कई चुनौतियों का सामना कर रही है। उच्च मुद्रास्फीति, बेरोजगारी दर में वृद्धि, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने जर्मन नागरिकों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है। चुनावी अभियान के दौरान विभिन्न पार्टियों ने आर्थिक सुधारों और कर नीतियों पर जोर दिया।

3. ऊर्जा संकट और ऊँची कीमतें

यूक्रेन युद्ध के बाद जर्मनी को अपने ऊर्जा स्रोतों में बदलाव लाना पड़ा। रूस से गैस आयात में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा पर बढ़ती निर्भरता ने ऊर्जा की कीमतों को बढ़ा दिया। इस मुद्दे को लेकर विभिन्न दलों ने अलग-अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।

4. अवैध प्रवास और प्रवासी नीतियाँ

यूरोप में प्रवास और शरणार्थियों का मुद्दा हमेशा से चर्चा का विषय रहा है, और जर्मनी इस संकट से अछूता नहीं रहा है। मध्य-पूर्व और अफ्रीका से बढ़ते प्रवासियों के आगमन ने सामाजिक और आर्थिक तनाव उत्पन्न किए हैं। कई दलों ने प्रवासी नीति को सख्त करने की वकालत की, जबकि कुछ ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की बात की।

चुनाव परिणाम और सरकार गठन

जर्मनी में किसी भी पार्टी के लिए पूर्ण बहुमत प्राप्त करना दुर्लभ होता है। इसलिए, गठबंधन सरकार बनाना एक सामान्य प्रक्रिया है। चुनावों के बाद, बुंडेस्टैग में विभिन्न दलों की सीटों की गणना की जाती है और संभावित गठबंधन सरकार बनाने के लिए वार्ताएँ शुरू होती हैं।

यदि कोई पार्टी स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त करती है, तो सबसे बड़ी पार्टी अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने का प्रयास करती है। गठबंधन सरकार बनने के बाद, संसद के सदस्य चांसलर का चुनाव करते हैं।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता

जर्मनी की चुनावी प्रणाली को विश्व की सबसे पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। मतदान और मतगणना की प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र होती है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की बजाय पारंपरिक बैलेट पेपर का उपयोग किया जाता है, जिससे चुनावों की विश्वसनीयता बनी रहती है।

जर्मन संघीय चुनावों का संविधानिक आधार

जर्मनी का चुनावी ढांचा उसके संविधान (Basic Law) के अनुच्छेद 38 में निहित है, जो निम्नलिखित पांच मतदान सिद्धांतों पर आधारित है:

  1. सार्वभौमिकता: सभी पात्र नागरिकों को मतदान का अधिकार।
  2. प्रत्यक्षता: मतदाता सीधे अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।
  3. स्वतंत्रता: बिना किसी दबाव के मतदान का अधिकार।
  4. समानता: प्रत्येक वोट का समान महत्व।
  5. गुप्त मतदान: मतदाता की पहचान और वोट गोपनीय रहता है।

मतदान के प्रमुख तथ्य

  • बुंडेस्टैग के चुनाव हर चार वर्ष में अनिवार्य हैं।
  • मतदाता आयु सीमा: 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिक वोट डाल सकते हैं।
  • चुनाव हमेशा रविवार को आयोजित होते हैं, ताकि अधिकतम मतदान सुनिश्चित हो सके।
  • मेल वोट की सुविधा विशेष परिस्थितियों में उपलब्ध होती है।

जर्मनी की दो वोटों की प्रणाली | जर्मनी में चुनावी प्रक्रिया

जर्मनी की चुनावी प्रणाली जटिल लेकिन प्रभावी है। जर्मनी में एक अनूठी “मिश्रित सदस्य समानुपातिक (Mixed-Member Proportional – MMP)” प्रणाली लागू होती है, इसमें दोहरे मतदान की प्रक्रिया अपनाई जाती है, अर्थात हर मतदाता को दो वोट डालने का अधिकार होता है। , जिसमें प्रत्येक नागरिक को दो वोट मिलते हैं –

  1. पहला वोट (First Vote):
    • सीधे अपने निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए होता है।
    • उम्मीदवार को बहुमत (plurality) प्राप्त करना होता है।
  2. दूसरा वोट (Second Vote):
    • पार्टी की राज्य स्तरीय सूची के लिए होता है।
    • बुंडेस्टैग में सीटों का समानुपातिक वितरण इसी वोट पर आधारित होता है।

पहला वोट (प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व)

यह वोट स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि को दिया जाता है। जर्मनी में कुल 299 निर्वाचन क्षेत्र हैं, और प्रत्येक क्षेत्र से एक प्रतिनिधि सीधे निर्वाचित होता है। यह प्रणाली प्रथम-आगमन-प्रथम-सेवा (फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट) प्रणाली के समान है, जिसमें सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार विजयी होता है।

दूसरा वोट (आनुपातिक प्रतिनिधित्व)

यह वोट किसी राजनीतिक दल को दिया जाता है, जो बुंडेस्टैग (जर्मन संसद) में सीटों के आनुपातिक वितरण को निर्धारित करता है। इसका अर्थ यह है कि किसी पार्टी को मिलने वाले कुल वोटों की प्रतिशतता के आधार पर उसे संसद में सीटें आवंटित की जाती हैं।

बुंडेस्टैग में कुल 630 सीटें होती हैं, जिनमें से 299 सीटें पहले वोट से चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा भरी जाती हैं, जबकि शेष 331 सीटें पार्टी के वोटों के आधार पर आवंटित की जाती हैं।

    सीट वितरण प्रक्रिया

    • कुल सीटें: 630 (299 निर्वाचन क्षेत्र सीटें + 331 पार्टी सूची सीटें)।
    • उम्मीदवार यदि अपने क्षेत्र में हारता है लेकिन पार्टी सूची में उच्च स्थान पर होता है, तो उसे सूची के आधार पर प्रवेश मिलता है।
    • सीटों का आवंटन “Webster/Sainte-Laguë विधि” से होता है।

    न्यूनतम पात्रता सीमा (Threshold)

    • किसी पार्टी को बुंडेस्टैग में प्रवेश के लिए:
      • देशभर में कम से कम 5% वोट प्राप्त करना, या
      • कम से कम 3 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करनी होती है।

    संघीय चुनावों की असामान्य परिस्थितियाँ

    हालाँकि संघीय चुनाव नियमित रूप से होते हैं, लेकिन असाधारण स्थितियों में बुंडेस्टैग को भंग किया जा सकता है। इसके दो मुख्य आधार हैं:

    1. चांसलर के चुनाव में विफलता:
      • चुनाव के 15 दिनों के भीतर चांसलर नहीं चुने जाने पर राष्ट्रपति बुंडेस्टैग भंग कर सकते हैं।
    2. विश्वास प्रस्ताव का अस्वीकार:
      • यदि चांसलर विश्वास मत हारते हैं, तो राष्ट्रपति बुंडेस्टैग भंग कर सकते हैं।

    चुनाव प्रबंधन और निगरानी तंत्र

    जर्मनी में चुनाव प्रबंधन के लिए एक स्वतंत्र तंत्र स्थापित है:

    • संघीय चुनाव अधिकारी:
      • संघीय आंतरिक मंत्रालय द्वारा नियुक्त।
      • चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करता है।
    • अन्य निकाय:
      • राज्य स्तरीय अधिकारी, निर्वाचन क्षेत्र समिति, और चुनाव न्यायधीश।
      • चुनाव समिति स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है।

    2025 में चुनावी सुधार | बुंडेस्टैग में बदलाव

    17 मार्च 2023 को पारित नए कानून के अनुसार, 2025 से चुनावी प्रक्रिया में प्रमुख बदलाव लागू हुए –

    • बुंडेस्टैग की सदस्य संख्या सीमित: अब सीटें 630 तक सीमित कर दी गई हैं।
    • ओवरहैंग और बैलेंस सीटें समाप्त: इससे सीट वितरण अधिक पारदर्शी बना।
    • निर्वाचन क्षेत्र सीटों का महत्व घटा: पार्टी सूची सीटों को प्राथमिकता दी गई।
    • 299 निर्वाचन क्षेत्र सीटें अपरिवर्तित, जबकि 331 पार्टी सूची सीटें सुनिश्चित।

    बुंडेस्टैग किसे कहते हैं?

    जर्मनी के लोकतंत्र में संसद को “बुंडेस्टैग” कहा जाता है, जो संघीय गणराज्य जर्मनी की विधायिका का निचला सदन है। यह जर्मनी की राजनीतिक संरचना का केंद्र बिंदु होता है और सरकार के निर्माण, कानून बनाने तथा राष्ट्रीय नीतियाँ निर्धारित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। बुंडेस्टैग का गठन प्रत्यक्ष चुनावों के माध्यम से होता है, जिसमें देश के नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चयन करते हैं।

    बुंडेस्टैग की संरचना और सदस्य संख्या

    बुंडेस्टैग में सामान्यतः 630 सदस्य होते हैं। ये सदस्य देश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जर्मनी को कुल 299 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है, जहाँ से प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। शेष सीटें पार्टी की राज्य स्तरीय सूची से समानुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर भरी जाती हैं।

    बुंडेस्टैग के कार्य

    बुंडेस्टैग के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं –

    1. कानून निर्माण: अधिकांश राष्ट्रीय कानून बुंडेस्टैग में पारित होते हैं।
    2. चांसलर का चुनाव: बुंडेस्टैग के सदस्य जर्मनी के चांसलर का चुनाव करते हैं।
    3. सरकार पर निगरानी: संसद सरकार की गतिविधियों पर निगरानी रखती है और नीतियों पर चर्चा करती है।
    4. बजट स्वीकृति: राष्ट्रीय बजट को मंजूरी देने का अधिकार बुंडेस्टैग के पास होता है।
    5. विदेश और रक्षा नीतियाँ: जर्मनी की विदेश नीति और सैन्य मिशनों पर संसद की सहमति आवश्यक होती है।

    बुंडेस्टैग के चुनाव प्रक्रिया

    बुंडेस्टैग के चुनाव हर चार वर्ष में होते हैं। जर्मनी में नागरिकों को दो वोट देने का अधिकार होता है:

    • पहला वोट: प्रत्यक्ष प्रतिनिधि के चुनाव के लिए होता है।
    • दूसरा वोट: पार्टी के लिए होता है, जो समानुपातिक सीट वितरण में निर्णायक होता है।

    इन दो वोटों की प्रणाली को “मिश्रित सदस्य समानुपातिक प्रणाली” (Mixed-Member Proportional – MMP) कहा जाता है, जो प्रत्यक्ष और समानुपातिक प्रतिनिधित्व का संतुलन सुनिश्चित करती है।

    बुंडेस्टैग का महत्व

    बुंडेस्टैग न केवल कानून निर्माण करता है, बल्कि जर्मनी के लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। यहाँ पर खुली बहसों के माध्यम से राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लिए जाते हैं। संसद में विपक्ष की भूमिका भी अहम होती है, जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाकर लोकतंत्र को सशक्त बनाती है।

    बुंडेस्टैग जर्मनी के लोकतंत्र का आधार स्तंभ है, जो नीतिगत फैसलों, कानून निर्माण और सरकार की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी संरचना और कार्य प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि देश में सभी नागरिकों की आवाज़ संसद तक पहुँचे और राष्ट्रीय हितों के अनुरूप निर्णय लिए जाएँ।

    भारत की चुनावी प्रणाली | एक तुलनात्मक दृष्टिकोण

    भारत में चुनावी प्रक्रिया दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आत्मा है। यहाँ चुनाव “भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI)” के अधीन स्वतंत्र रूप से आयोजित होते हैं।

    प्रमुख विशेषताएँ

    • चुनाव अवधि: प्रत्येक 5 वर्षों में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव।
    • मतदान आयु: 18 वर्ष या उससे अधिक के नागरिकों को मतदान का अधिकार।
    • प्रौद्योगिकी का उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) द्वारा त्वरित और पारदर्शी मतदान।
    • आदर्श आचार संहिता: निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए लागू।

    चुनावी प्रणाली

    • फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (FPTP) प्रणाली:
      • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से सर्वाधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार विजेता घोषित होता है।
      • बहुमत (50% से अधिक वोट) आवश्यक नहीं होता।

    जर्मनी और भारत की चुनावी प्रणाली में मुख्य अंतर

    विशेषताजर्मनीभारत
    प्रणालीमिश्रित सदस्य समानुपातिक (MMP)फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (FPTP)
    मतों की संख्याप्रत्येक नागरिक को दो वोटप्रत्येक नागरिक को एक वोट
    सीट आवंटनसमानुपातिक प्रतिनिधित्वबहुमत आधारित
    संवैधानिक आधारBasic Law अनुच्छेद 38भारतीय संविधान अनुच्छेद 324
    आयु सीमा18 वर्ष18 वर्ष
    प्रबंधन निकायसंघीय चुनाव अधिकारीभारतीय निर्वाचन आयोग
    टेक्नोलॉजी उपयोगपारंपरिक + मेल वोटEVM आधारित
    चुनाव की अवधिहर 4 वर्षहर 5 वर्ष

    जर्मनी और भारत दोनों लोकतांत्रिक देश हैं, परंतु उनकी चुनावी प्रणालियाँ उनके ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचों के अनुरूप विकसित हुई हैं। जर्मनी की “मिश्रित प्रणाली” समानुपातिकता और प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व के संतुलन पर आधारित है, जबकि भारत की “FPTP प्रणाली” सरलता और शीघ्रता प्रदान करती है। दोनों प्रणालियाँ मतदाताओं की सहभागिता सुनिश्चित करती हैं, किंतु सुधार की आवश्यकता सदैव बनी रहती है।

    हाल के जर्मन सुधारों ने सीटों के वितरण को अधिक पारदर्शी बनाया है, जो भारत के लिए भी विचारणीय हो सकता है। लोकतंत्र की सफलता जनता की सक्रिय भागीदारी और पारदर्शिता में निहित है। ऐसे में दोनों देशों का अनुभव एक-दूसरे से सीखने का अवसर प्रदान करता है।

    जर्मन चुनाव केवल राष्ट्रीय राजनीति तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे यूरोपीय और वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित करते हैं। 2025 के जर्मन संघीय चुनाव में मतदाताओं ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया, जिनका प्रभाव आने वाले वर्षों तक रहेगा। लोकतांत्रिक प्रणाली और गठबंधन सरकार की प्रकृति के कारण, नीतियों में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर, जर्मनी की चुनाव प्रक्रिया दुनिया के लिए एक मजबूत लोकतांत्रिक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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