रियल एस्टेट क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसमें वर्षों से पारदर्शिता, अनुशासन और खरीदारों के अधिकारों की सुरक्षा की कमी रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA) लागू किया। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने RERA के कार्यान्वयन पर असंतोष जताते हुए इसे “निराशाजनक” करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह प्राधिकरण होमबायर्स की सुरक्षा और रियल एस्टेट सेक्टर के प्रभावी नियमन में सफल नहीं हो पाया है।
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA) का परिचय
रियल एस्टेट क्षेत्र को अधिक पारदर्शी और संगठित बनाने के उद्देश्य से संसद ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 पारित किया। हालाँकि, भूमि और उपनिवेशीकरण राज्य का विषय होता है, लेकिन घर खरीदारों की सुरक्षा और रियल एस्टेट क्षेत्र में अधिक अनुशासन लाने के लिए केंद्र सरकार ने यह कानून लागू किया।
Real Estate Regulatory Authority (RERA) का मुख्य उद्देश्य
- रियल एस्टेट क्षेत्र का विनियमन और संवर्धन।
- पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
- होमबायर्स के अधिकारों की सुरक्षा।
- तेजी से विवाद निपटान की व्यवस्था करना।
- रियल एस्टेट क्षेत्र में अनुशासन और व्यावसायिकता को बढ़ावा देना।
RERA (रेरा) के तहत मुख्य प्रावधान
1. नियामक प्राधिकरण की स्थापना
RERA (रेरा) अधिनियम के तहत प्रत्येक राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में अनुशासन लागू करना और खरीदारों की शिकायतों का निवारण करना है।
- राज्य RERA: प्रत्येक राज्य में एक RERA प्राधिकरण स्थापित किया जाता है जो परियोजनाओं का पंजीकरण, खरीदारों की सुरक्षा और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
- अपीलीय अधिकरण: RERA (रेरा) के निर्णयों के विरुद्ध अपील करने और विवादों को निपटाने के लिए एक अपीलीय अधिकरण का गठन किया गया है।
2. वित्तीय सुरक्षा उपाय
- एस्क्रो खाता: डेवलपर्स को खरीदारों से प्राप्त 70% धनराशि को एक एस्क्रो खाते में रखना अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह राशि केवल परियोजना निर्माण में ही उपयोग होगी।
- अग्रिम भुगतान सीमा: कोई भी डेवलपर 10% से अधिक अग्रिम भुगतान बिना लिखित अनुबंध के नहीं ले सकता।
3. होमबायर्स की सुरक्षा
- कालीन क्षेत्र (Carpet Area) की परिभाषा: अब खरीदारों को केवल नेट उपयोगी फर्श क्षेत्र (Carpet Area) के आधार पर ही शुल्क देना होगा, जिससे किसी प्रकार की धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
- परियोजना की समय पर पूर्णता: यदि कोई परियोजना निर्धारित समय में पूरी नहीं होती, तो डेवलपर को खरीदार को मुआवजा देना होगा।
- संरचनात्मक दोष दायित्व: यदि निर्माण में कोई दोष निकलता है, तो डेवलपर को पाँच वर्षों तक उसकी मरम्मत करनी होगी।
4. दंड प्रावधान और कानूनी अनुपालन
- परियोजना में देरी पर जुर्माना: विलंब होने पर बिल्डर को खरीदार को बैंक की समान ब्याज दर पर मुआवजा देना होगा।
- कानूनी दंड: नियमों का उल्लंघन करने वाले डेवलपर्स को तीन साल तक की सजा हो सकती है, जबकि एजेंट्स और खरीदारों के लिए एक साल तक की सजा का प्रावधान है।
RERA (रेरा) के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ
हालाँकि RERA अधिनियम ने रियल एस्टेट क्षेत्र को अधिक संगठित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं:
- पंजीकरण प्रक्रिया जटिल और महंगी: RERA (रेरा) पंजीकरण प्रक्रिया लंबी और खर्चीली होने के कारण कई डेवलपर्स नई परियोजनाएँ शुरू करने में हिचकते हैं।
- छोटे डेवलपर्स के लिए अनुपालन कठिनाइयाँ: सीमित संसाधनों के कारण छोटे डेवलपर्स RERA नियमों का पूरी तरह पालन करने में असमर्थ होते हैं।
- राज्यों में असंगत कार्यान्वयन: सभी राज्यों में RERA समान रूप से प्रभावी नहीं है, जिससे नियामक प्रवर्तन में अंतर बना रहता है।
- अपर्याप्त अवसंरचना और मानव संसाधन: कई राज्यों में उचित बुनियादी ढाँचा और स्टाफ की कमी के कारण पंजीकरण और शिकायत निपटान में देरी होती है।
- हितधारकों में जागरूकता की कमी: कई खरीदार और डेवलपर्स RERA के प्रावधानों से अनजान होते हैं, जिससे वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को सही ढंग से नहीं समझ पाते।
RERA का प्रभाव और भविष्य की राह
सकारात्मक प्रभाव
- बढ़ी हुई पारदर्शिता: रियल एस्टेट लेन-देन में धोखाधड़ी की घटनाएँ कम हुई हैं।
- बेहतर ग्राहक सुरक्षा: होमबायर्स को अब उनकी जमा पूँजी के दुरुपयोग का डर नहीं रहता।
- नियामक नियंत्रण: बिल्डरों और एजेंट्स की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
- अधूरी परियोजनाओं में कमी: कई परियोजनाएँ जो अधर में थीं, अब RERA के कारण समय पर पूरी हो रही हैं।
भविष्य की राह
- सभी राज्यों में सख्त अनुपालन: सभी राज्यों को RERA के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा।
- जागरूकता अभियान: खरीदारों और डेवलपर्स के बीच RERA के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार को अभियान चलाने होंगे।
- डिजिटल सुधार: RERA प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से अधिक सरल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
RERA अधिनियम ने भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र को एक नए और पारदर्शी युग में प्रवेश कराया है। हालाँकि, इसके कार्यान्वयन में अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सरकार, नियामक प्राधिकरण, डेवलपर्स और होमबायर्स को मिलकर इस अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। यदि RERA को पूरी क्षमता से लागू किया जाए, तो यह रियल एस्टेट क्षेत्र में विश्वास, पारदर्शिता और स्थिरता को मजबूत कर सकता है।
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