अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तेज़ी से हो रही प्रगति के साथ-साथ अंतरिक्ष मलबा (Space Debris) की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। हाल ही में केन्या में 500 किलोग्राम की एक धातु वस्तु के गिरने की घटना ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह मलबा संभावित रूप से अंतरिक्ष से आया हुआ माना जा रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष गतिविधियों की जवाबदेही और मौजूदा कानूनी खामियों को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस लेख में अंतरिक्ष मलबे की परिभाषा, इसके प्रकार, संभावित खतरे, कानूनी पहलू और इससे निपटने के संभावित उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई है।
अंतरिक्ष मलबा क्या है?
अंतरिक्ष मलबा, जिसे स्पेस जंक (Space Junk) भी कहा जाता है, वे सभी मानव निर्मित वस्तुएँ हैं जो अब उपयोग में नहीं हैं और पृथ्वी की कक्षा में घूम रही हैं या वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर रही हैं। इन मलबों में निष्क्रिय उपग्रहों से लेकर रॉकेट के बचे हुए हिस्से, औजार और अन्य छोटे-छोटे टुकड़े शामिल होते हैं।
अंतरिक्ष मलबे के उदाहरण
- निष्क्रिय उपग्रह (Retired Satellites): वे उपग्रह जो अपनी कार्यक्षमता खो चुके हैं और अब नियंत्रण से बाहर हैं।
- प्रयुक्त रॉकेट चरण (Spent Rocket Stages): लॉन्चिंग के दौरान छोड़े गए रॉकेट के हिस्से जो कक्षा में घूमते रहते हैं।
- टकराव से उत्पन्न टुकड़े (Fragments from Collisions): जब दो उपग्रह या कोई अन्य अंतरिक्ष वस्तु आपस में टकराती हैं, तो मलबे के छोटे-छोटे टुकड़े उत्पन्न होते हैं।
- गिरे हुए औजार, पेंच, तार, और कैमरे: अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा गलती से छोड़ी गई वस्तुएँ भी मलबे का हिस्सा बन जाती हैं।
अंतरिक्ष मलबे से उत्पन्न खतरे
अंतरिक्ष मलबा कई गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है। इनमें प्रमुख खतरे निम्नलिखित हैं:
1. टकराव का खतरा (Collision Risk)
अंतरिक्ष मलबा लगभग 28,000 किमी/घंटा की तेज़ गति से चलता है। इतनी तेज़ रफ्तार से घूमते हुए यह सक्रिय उपग्रहों, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य महत्वपूर्ण अंतरिक्ष यानों को क्षतिग्रस्त कर सकता है। इससे न केवल अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान होता है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों की जान को भी खतरा हो सकता है।
2. केस्सलर सिंड्रोम (Kessler Syndrome)
केस्सलर सिंड्रोम एक श्रृंखलाबद्ध टकराव (Cascading Effect) की स्थिति है, जिसमें अंतरिक्ष मलबा आपस में टकरा कर और अधिक मलबा उत्पन्न करता है। यह मलबा बढ़ते हुए कुछ कक्षाओं को पूरी तरह से अनुपयोगी बना सकता है, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को भारी नुकसान हो सकता है।
3. संचार और नेविगेशन पर प्रभाव
बहुत से उपग्रह संचार, मौसम पूर्वानुमान, GPS और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए आवश्यक हैं। अंतरिक्ष मलबे के कारण यदि ये उपग्रह क्षतिग्रस्त हो जाएँ, तो संचार व्यवस्था में भारी बाधा आ सकती है।
4. अंतरिक्ष मिशनों की लागत और सुरक्षा जोखिम
बढ़ते मलबे के कारण अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाना मुश्किल होता जा रहा है। सुरक्षित रूप से मलबे से बचने के लिए अतिरिक्त ईंधन और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे मिशनों की लागत में बढ़ोतरी होती है।
5. पर्यावरणीय खतरा
जब अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह जलकर नष्ट हो सकता है, लेकिन कई बार इसके बड़े टुकड़े बच जाते हैं। यदि ये जनसंख्या वाले क्षेत्रों में गिरते हैं, तो जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
अंतरिक्ष मलबे से संबंधित कानून और समझौते
1. आउटर स्पेस संधि, 1967 (Outer Space Treaty)
आउटर स्पेस संधि, 1967 (Outer Space Treaty) संधि सरकारों और निजी संस्थाओं द्वारा किए गए अंतरिक्ष अभियानों के लिए संबंधित देश को उत्तरदायी ठहराती है।
2. दायित्व अभिसमय, 1972 (Liability Convention)
यदि किसी देश का अंतरिक्ष यान किसी अन्य देश को नुकसान पहुँचाता है, तो लॉन्चिंग देश को इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेनी होती है।
3. अंतरिक्ष मलबा न्यूनीकरण दिशानिर्देश
ये दिशानिर्देश उपग्रहों के सुरक्षित निपटान को बढ़ावा देते हैं, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं।
4. 25-वर्षीय नियम
यह नियम सिफारिश करता है कि उपग्रहों को उनके मिशन समाप्ति के 25 वर्षों के भीतर डीऑर्बिट कर दिया जाए, लेकिन वैश्विक अनुपालन दर मात्र 30% ही है।
5. राष्ट्रीय नियम
अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन ने अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने, नष्ट करने और डीऑर्बिट करने के लिए नियम बनाए हैं, लेकिन इनका प्रवर्तन अभी भी चुनौतीपूर्ण है।
अंतरिक्ष मलबे से निपटने के उपाय
वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसियाँ इस बढ़ती समस्या के समाधान के लिए कई उपाय कर रही हैं। इनमें कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
1. सक्रिय मलबा निष्कासन (Active Debris Removal)
इस प्रक्रिया में विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
- हार्पून तकनीक: मलबे को पकड़ने और नष्ट करने के लिए हार्पून का उपयोग।
- नेट तकनीक: जाल के माध्यम से मलबे को इकट्ठा करना।
- लेजर तकनीक: मलबे को जलाने और छोटे टुकड़ों में विभाजित करने के लिए लेजर का प्रयोग।
2. उपग्रहों का पुनः उपयोग और डीऑर्बिटिंग
कुछ नई कंपनियाँ ऐसे उपग्रह विकसित कर रही हैं, जिन्हें पुनः उपयोग किया जा सकता है या स्वचालित रूप से डीऑर्बिट किया जा सकता है।
3. अंतरिक्ष यान में सुधार
नए यान और उपग्रहों को इस तरह डिज़ाइन किया जा रहा है कि वे अपने मिशन समाप्त होने के बाद स्वतः नष्ट हो जाएँ या नियंत्रित रूप से पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर जाएँ।
अंतरिक्ष मलबा आज वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुका है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों और पृथ्वी पर आधारित सेवाओं के लिए यह भारी संकट खड़ा कर सकता है। सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और निजी अंतरिक्ष कंपनियों को मिलकर प्रभावी नीति और तकनीकी उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि अंतरिक्ष मलबे की समस्या को नियंत्रित किया जा सके और सुरक्षित अंतरिक्ष अन्वेषण सुनिश्चित किया जा सके।
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