हावर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक | भारतीय छात्रों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

संयुक्त राज्य अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (Department of Homeland Security – DHS) द्वारा लिए गए एक ऐतिहासिक और विवादास्पद फैसले ने अमेरिका में पढ़ाई का सपना देख रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को गहरी चिंता में डाल दिया है। प्रतिष्ठित हावर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) की स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) के तहत मान्यता को रद्द कर दिया गया है, जिससे वह आगामी 2025–26 शैक्षणिक सत्र के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने में अयोग्य हो गया है। इस निर्णय का सीधा प्रभाव भारतीय छात्रों पर भी पड़ सकता है, जिनकी संख्या हावर्ड में उल्लेखनीय है।

यह फैसला सिर्फ एक विश्वविद्यालय की प्रशासनिक त्रुटि या जांच असहयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक जटिलताएं भी छिपी हैं। आइए विस्तार से समझते हैं इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि, घटनाक्रम, भारतीय छात्रों पर प्रभाव, कानूनी विकल्प और व्यापक शैक्षणिक परिदृश्य पर इसका असर।

पृष्ठभूमि: SEVP और SEVIS क्या है?

SEVP (Student and Exchange Visitor Program) एक विशेष कार्यक्रम है, जिसे DHS द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों और उनके शैक्षणिक संस्थानों की निगरानी के लिए संचालित किया जाता है। इसके अंतर्गत SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) नामक एक ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग किया जाता है, जिसमें छात्रों की स्थिति, उपस्थिति, वीज़ा जानकारी आदि दर्ज की जाती है।

कोई भी अमेरिकी विश्वविद्यालय, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देना चाहता है, उसे SEVP प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य होता है। यही प्रमाणन उन्हें F-1 (शैक्षणिक अध्ययन) और J-1 (एक्सचेंज प्रोग्राम) वीज़ा के लिए आवश्यक दस्तावेज़ जारी करने की अनुमति देता है।

हावर्ड विश्वविद्यालय पर कार्रवाई क्यों?

हावर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका का सबसे प्रतिष्ठित Ivy League संस्थान है, जहां इस समय 7,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें लगभग 800 भारतीय छात्र भी शामिल हैं। लेकिन हाल के दिनों में यह विश्वविद्यालय फिलिस्तीन समर्थक छात्र प्रदर्शनों के केंद्र में रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने आरोप लगाया कि इन प्रदर्शनों के दौरान यहूदी छात्रों के लिए “शत्रुतापूर्ण वातावरण” बना दिया गया है और विश्वविद्यालय प्रशासन इन घटनाओं की जांच में पूरा सहयोग नहीं कर रहा।

DHS ने यह भी आरोप लगाया कि हावर्ड ने बार-बार मांगने के बावजूद सुरक्षा फुटेज और प्रदर्शनकारियों की पहचान संबंधी जानकारी साझा नहीं की। इसके परिणामस्वरूप, SEVP ने विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द कर दी।

मुख्य घटनाक्रम

  1. SEVP प्रमाणन रद्द:
    अब हावर्ड विश्वविद्यालय F-1 और J-1 वीज़ा दस्तावेज़ (जैसे I-20 फॉर्म) जारी नहीं कर सकता।
  2. DHS की शर्तें:
    हावर्ड को 72 घंटे के भीतर सर्विलांस फुटेज, छात्र आयोजकों की जानकारी और प्रदर्शन से संबंधित अन्य डेटा सौंपने का आदेश दिया गया।
  3. कानूनी प्रतिक्रिया:
    विश्वविद्यालय ने इसके खिलाफ टेम्पररी रेस्ट्रेनिंग ऑर्डर (TRO) दायर किया है और इसे शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
  4. छात्रों की कानूनी स्थिति संकट में:
    OPT (Optional Practical Training) और STEM OPT (विज्ञान-तकनीकी क्षेत्रों में विस्तारित वर्क परमिट) पर रह रहे छात्र भी प्रभावित होंगे।

हावर्ड की प्रतिक्रिया

हावर्ड प्रशासन ने एक सशक्त बयान जारी करते हुए कहा:

“बिना अंतरराष्ट्रीय छात्रों के, हावर्ड वह हावर्ड नहीं रह जाता। हमारी विविधता, वैश्विक दृष्टिकोण और शैक्षणिक स्वतंत्रता ही हमारी पहचान है। DHS का यह कदम उन मूल्यों पर सीधा हमला है।”

विश्वविद्यालय का यह भी कहना है कि वह इस मामले को न्यायालय में चुनौती देगा और छात्रों के हितों की रक्षा करेगा।

भारतीय छात्रों पर प्रभाव

1. वर्तमान में नामांकित छात्र:

जो छात्र पहले से हावर्ड में पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी वीज़ा स्थिति संकट में पड़ सकती है। यदि विश्वविद्यालय SEVP मान्यता पुनः प्राप्त नहीं करता, तो ये छात्र अमेरिका में वैध रूप से नहीं रह पाएंगे।

2. नए छात्रों का भविष्य अधर में:

कई भारतीय छात्रों ने 2025–26 सत्र के लिए पहले ही हावर्ड को गैर-वापसी योग्य (non-refundable) जमा राशि दे दी है। उन्होंने अन्य विश्वविद्यालयों के प्रस्ताव भी ठुकरा दिए थे। अब वे डिफरमेंट, वित्तीय नुकसान और अनिश्चितता की स्थिति में हैं।

3. छात्रवृत्ति और प्रतिष्ठित प्रोग्राम:

Kennedy Fellowship और लोक नीति कार्यक्रमों के लिए चयनित कई भारतीय छात्र भी इस फैसले से प्रभावित होंगे। यह उनके करियर और उच्च शिक्षा के सपनों पर बड़ा आघात है।

4. OPT और वर्क परमिट:

जो छात्र हावर्ड से स्नातक करके OPT या STEM OPT पर कार्यरत हैं, उनकी वर्क परमिट वैधता भी संकट में आ सकती है।

छात्र क्या कर सकते हैं?

1. Reinstatement प्रक्रिया:

USCIS (U.S. Citizenship and Immigration Services) के माध्यम से स्थिति की पुनर्स्थापना (Reinstatement) के लिए आवेदन किया जा सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है और इसमें सफलता की कोई गारंटी नहीं है।

2. नया I-20 लेकर फिर से प्रवेश:

छात्र किसी अन्य SEVP-मान्यता प्राप्त संस्थान से I-20 लेकर अमेरिका से बाहर जाकर दोबारा प्रवेश का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन इसमें छात्रवृत्ति और सीट खोने का खतरा रहता है।

3. TRO के निर्णय की प्रतीक्षा:

इमिग्रेशन वकीलों ने छात्रों को सलाह दी है कि वे TRO पर अदालत के निर्णय तक कोई भी बड़ा कदम न उठाएं।

विश्वविद्यालय और संकाय का समर्थन

हावर्ड के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों ने छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट की है। उन्होंने सार्वजनिक बयानों, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से बताया कि छात्रों को “राजनीतिक मोहरे” के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

साथ ही, छात्रों को ईमेल, सूचना सत्र, हेल्प डेस्क और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श जैसी सहायता भी दी जा रही है।

वैश्विक शिक्षा पर प्रभाव

हावर्ड का मामला एक उदाहरण बन सकता है, जिससे अन्य विश्वविद्यालयों को भी चेतावनी मिल सकती है। इससे अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की धारणा प्रभावित हो सकती है, जो पहले से ही वीज़ा नीति, भेदभाव और सुरक्षा कारणों से चिंतित रहते हैं।

भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान और नाइजीरिया जैसे देशों के छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका जाते हैं। हावर्ड जैसी संस्था का इस तरह की स्थिति में आना वैश्विक अकादमिक वातावरण को झटका दे सकता है।

हावर्ड विश्वविद्यालय पर SEVP प्रमाणन रद्द होना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की वर्तमान राजनीतिक जलवायु, शैक्षणिक स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की स्थिति को दर्शाने वाला बड़ा संकेत है।

भारतीय छात्रों के लिए यह फैसला कई स्तरों पर संकटपूर्ण है — वित्तीय, शैक्षणिक, और भावनात्मक। ऐसे समय में विवेकपूर्ण निर्णय, वैकल्पिक योजनाएं और उचित कानूनी मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक हो जाते हैं।

विश्वविद्यालय, सरकार, वकील और छात्र समुदाय — सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा को राजनीतिक द्वंद्व का शिकार न बनने दिया जाए और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।

यदि अदालत हावर्ड को TRO के माध्यम से राहत देती है और SEVP प्रमाणन बहाल होता है, तो यह एक सकारात्मक संदेश होगा। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता, तो हज़ारों छात्र एक ऐसी स्थिति में होंगे, जहां उनका सपना अधूरा रह सकता है।

यह घटना वैश्विक शिक्षा नीति में एक मील का पत्थर बन सकती है — और भारत जैसे देशों के लिए एक चेतावनी भी, कि केवल संस्थान की प्रतिष्ठा देखकर ही नहीं, बल्कि उसकी कानूनी और राजनीतिक स्थिति को भी समझ कर विदेश में शिक्षा की योजना बनानी चाहिए।

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