भारत की जनगणना 2027 | एक ऐतिहासिक पुनरारंभ

भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में जनगणना (Census) केवल जनसंख्या की गणना मात्र नहीं होती, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से नीति-निर्माण की आधारशिला बनती है। वर्ष 2027 में होने जा रही अगली जनगणना इस दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह 16 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद की जा रही है, जबकि आमतौर पर जनगणना हर 10 वर्ष पर होती है। यह जनगणना कई नए प्रयोगों, नवाचारों और ऐतिहासिक संदर्भों को अपने भीतर समेटे होगी।

जनगणना: एक परिचय

भारत में जनगणना एक राष्ट्रीय स्तर की सांख्यिकीय प्रक्रिया है, जो हर 10 वर्षों में एक बार की जाती है। इसमें देश के हर निवासी – चाहे वह नागरिक हो या विदेशी – से संबंधित जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। यह प्रक्रिया न केवल सरकार को नीति निर्धारण में मदद करती है, बल्कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के निर्धारण, बजटीय आवंटन, संसाधनों के वितरण और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के संचालन में भी अत्यंत उपयोगी होती है।

कानूनी ढांचा और संचालन

भारत में जनगणना की प्रक्रिया जनगणना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत संचालित होती है। इसका संचालन गृह मंत्रालय के अधीनस्थ एक विशेष निकाय – भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त कार्यालय – द्वारा किया जाता है। यह कार्यालय देश भर में जनगणना के लिए कर्मचारियों की तैनाती, प्रशिक्षण, सामग्री वितरण, आंकड़ों का संकलन और विश्लेषण जैसे कार्यों को सुचारु रूप से निष्पादित करता है।

2027 की जनगणना: क्या है खास?

1. अभूतपूर्व देरी: 16 वर्षों बाद जनगणना

पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी और उसके बाद की विभिन्न प्रशासनिक व राजनीतिक परिस्थितियों के कारण यह लगातार टलती रही। अब यह तय हुआ है कि अगली जनगणना 1 मार्च 2027 को आयोजित की जाएगी – जो इसे स्वतंत्र भारत की सबसे लंबी देरी वाली जनगणना बनाती है।

2. संदर्भ तिथि

  • अधिकांश भारत में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 तय की गई है।
  • लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे ठंडे और दुर्गम क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 निर्धारित की गई है, ताकि भौगोलिक और मौसमी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए आंकड़े एकत्र किए जा सकें।

3. दो चरणों में होगी प्रक्रिया

भारत की जनगणना आमतौर पर दो चरणों में होती है:

पहला चरण – हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग शेड्यूल:
इस चरण में प्रत्येक घर की गणना की जाती है और आवास से संबंधित विवरण जैसे जल आपूर्ति, शौचालय की उपलब्धता, बिजली, रसोई गैस, आवास के निर्माण की सामग्री आदि की जानकारी ली जाती है।

दूसरा चरण – जनसंख्या गणना:
इस चरण में प्रत्येक व्यक्ति के बारे में व्यक्तिगत विवरण संकलित किया जाता है – जैसे नाम, उम्र, लिंग, धर्म, भाषा, साक्षरता, रोजगार, प्रवासन स्थिति, जाति आदि।

डिजिटल युग की पहली जनगणना

भारत की 2027 की जनगणना डिजिटल जनगणना होगी। यह पहली बार है जब डेटा एकत्र करने के लिए डिजिटल तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाएगा।

मोबाइल ऐप का उपयोग:

जनगणना कर्मचारियों को एक विशेष रूप से तैयार मोबाइल एप्लिकेशन दिया जाएगा, जिसके माध्यम से वे आंकड़े सीधे डिजिटल माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। इससे डेटा संग्रहण की गति, सटीकता और विश्लेषण की प्रक्रिया को अधिक दक्षता मिलेगी।

स्व-गणना (Self Enumeration):

एक और क्रांतिकारी पहल होगी स्व-गणना प्रणाली, जिसके तहत कुछ परिवारों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वयं अपने विवरण भरने की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा केवल उन्हीं परिवारों को मिलेगी जिनका राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पहले से अद्यतन है।

पूर्व तैयारी का पुनः उपयोग

2021 में प्रस्तावित जनगणना के लिए देश को 24 लाख से अधिक गणना ब्लॉक्स में बांटा गया था। अब इन ब्लॉकों को 2027 की जनगणना में दोबारा उपयोग में लाया जाएगा, जिससे प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से संसाधनों की बचत होगी।

जातिगत गणना: एक नया आयाम

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में 1931 के बाद से अब तक किसी भी जनगणना में सम्पूर्ण जातिगत आंकड़े (SC/ST के अलावा) एकत्र नहीं किए गए। स्वतंत्र भारत में 1951 से 2011 तक केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों का ही डेटा संकलित किया जाता रहा।

SECC 2011 (Social-Economic and Caste Census) में जाति आधारित जानकारी जरूर एकत्र की गई थी, लेकिन उसे आज तक सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया।

2027 में क्या नया होगा?

  • आगामी जनगणना में पहली बार जातिगत विवरण भी एकत्र किए जाएंगे।
  • जाति के लिए एक ड्रॉपडाउन विकल्प दिया जाएगा, जिसमें व्यक्ति अपनी जाति दर्ज कर सकेंगे।
  • यह संभवतः केवल Plain List के रूप में होगा – यानी इसमें OBC, MBC, या अन्य उप-वर्गीकरण नहीं होंगे।

यह पहल सामाजिक न्याय, आरक्षण नीति, और संसाधनों के वितरण में जातिगत असमानता को समझने के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगी।

महिला आरक्षण और जनगणना का संबंध

128वां संविधान संशोधन, जिसे 2023 में संसद ने पारित किया, 33% महिला आरक्षण को लागू करने की बात करता है – लेकिन इसकी प्रभावी शुरुआत जनसंख्या आंकड़ों पर आधारित परिसीमन के बाद ही होगी। चूंकि परिसीमन 2026 के बाद की पहली जनगणना के आधार पर ही किया जा सकता है (84वां संविधान संशोधन, 2001), इसलिए 2027 की जनगणना महिला आरक्षण को लागू करने की दिशा में एक नींव रखने वाला कदम साबित होगी।

परिसीमन और संसदीय सीमाएं

भारतीय संविधान के 84वें संशोधन (2001) के अनुसार, संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण अब 2026 के बाद की पहली जनगणना के आधार पर किया जाएगा। इसका अर्थ है कि 2027 की जनगणना के बाद संसदीय क्षेत्रों की संख्या, जनसंख्या अनुपात और आरक्षण संरचना में बड़ा परिवर्तन संभव है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का अद्यतन

भारत में 119 करोड़ निवासियों का डेटा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में पहले से मौजूद है। हालांकि अब तक इसे अपडेट करने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। जनगणना 2027 के साथ ही NPR का अद्यतन किया जा सकता है, जिससे प्रवासन, पहचान और जनसंख्या आधारित योजनाओं में अधिक पारदर्शिता आ सकती है।

चुनौतियाँ और आशंकाएँ

  • प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा: डिजिटल जनगणना के चलते नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के लीक या दुरुपयोग की आशंका बनी रहेगी।
  • राजनीतिक विवाद: जाति गणना जैसे विषय पर राजनीतिक दलों के बीच गंभीर मतभेद हैं, जिससे इसकी निष्पक्षता को लेकर प्रश्न उठ सकते हैं।
  • भौगोलिक विविधता: भारत के दूरदराज़ और आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल पहुँच की कमी इस प्रक्रिया में बाधा बन सकती है।
  • संवेदनशील प्रश्न: जाति, धर्म, और भाषा से संबंधित प्रश्नों को लेकर लोगों में झिझक या असहजता हो सकती है।

2027 की जनगणना भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को समझने, सुधारने और भविष्य की योजनाओं को दिशा देने का एक ऐतिहासिक अवसर है। यह केवल एक आंकड़ा संकलन नहीं, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज़ है जो भारत की संरचना, समरसता और संसाधनों के वितरण की नींव रखेगा।

जनगणना की पारदर्शिता, निष्पक्षता और आधुनिक तकनीकी उपयोग भारत को डेटा आधारित नीति-निर्माण की दिशा में और आगे ले जाएगा। एक जिम्मेदार नागरिक के नाते हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हम इसमें सक्रिय भागीदारी करें, सत्य और पूर्ण जानकारी दें, और इस राष्ट्रीय प्रयास को सफल बनाने में योगदान दें।

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