दुनिया भर में जंगलों और घास के मैदानों में बसने वाली बड़ी बिल्लियाँ यानी बिग कैट्स लंबे समय से प्राकृतिक विरासत का हिस्सा रही हैं। बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा जैसे जानवर ना केवल पारिस्थितिकी तंत्र में एक विशेष स्थान रखते हैं, बल्कि यह मानव संस्कृति, अर्थव्यवस्था और विज्ञान के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनकी रक्षा पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती और जिम्मेदारी दोनों है। इसी संदर्भ में, 2024 में स्थापित किया गया अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) एक ऐतिहासिक पहल है, जो विश्वभर में बिग कैट्स के संरक्षण को समर्पित है।
IBCA का गठन और इसकी कानूनी स्थिति
IBCA का गठन कब और किसके तहत हुआ?
IBCA की स्थापना 2024 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), जो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्य करता है, के तत्वावधान में हुई। यह एक वैश्विक संगठन है जो बिग कैट्स और इनके आवास के संरक्षण के लिए समर्पित है।
IBCA को कानूनी दर्जा कब मिला?
IBCA को तब कानूनी दर्जा प्राप्त हुआ जब पांच देशों – निकारागुआ, एस्वातिनी, भारत, सोमालिया और लाइबेरिया – ने इसके फ़्रेमवर्क एग्रीमेंट (Framework Agreement) पर हस्ताक्षर किया। यह कदम IBCA को एक सुदृढ़ कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, जिससे यह एक प्रभावी वैश्विक संगठन के रूप में कार्य कर सके।
IBCA में कितने देश शामिल हैं?
IBCA में वर्तमान में 95 रेंज देश शामिल हैं यानी वे देश, जिनके जंगलों में बिग कैट्स का प्राकृतिक निवास है। यह वैश्विक संगठन बड़े पैमाने पर संरक्षण और नीति निर्धारण में समन्वय स्थापित करेगा, जो अब तक व्यक्तिगत देशों या कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था।
IBCA का उद्देश्य एवं लक्षित प्रजातियाँ
IBCA का मूल उद्देश्य विश्वभर में बिग कैट्स और उनके आवासों की सुरक्षा है। यह संगठन इन जानवरों की दीर्घकालिक और सतत संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। IBCA सात प्रमुख बिग कैट्स की प्रजातियों के संरक्षण को लक्षित करता है:
- बाघ (Tiger)
- शेर (Lion)
- तेंदुआ (Leopard)
- हिम तेंदुआ (Snow Leopard)
- चीता (Cheetah)
- जगुआर (Jaguar)
- प्यूमा (Puma)
IBCA के प्रमुख उद्देश्यों का विश्लेषण
1. सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना
IBCA का पहला उद्देश्य सभी हितधारकों – सरकारी संगठनों, संरक्षणविदों, वैज्ञानिकों, आदिवासियों और समुदायों – के बीच समन्वय स्थापित करना है। यह संगठन एक ऐसा मंच है जो सभी रेंज देशों को आपसी संवाद और सहकारिता में सहायक बनेगा।
2. संरक्षण प्रथाओं का एकीकरण
IBCA का एक प्रमुख लक्ष्य यह है कि संरक्षण के सफल प्रयासों का आदान-प्रदान किया जाए और विशेषज्ञता साझा की जाए। जैसे भारत में बाघ संरक्षण में “प्रोजेक्ट टाइगर” एक वैश्विक आदर्श है, तो अफ्रीका या अमेरिका में शेर या जगुआर संरक्षण में जो उपाय अपनाए गए हैं, वे सभी रेंज देश आपसी साझा कर सके, यह IBCA का मूल उद्देश्य है।
3. वैश्विक स्तर पर संरक्षण में सहकारिता
बिग कैट्स के संरक्षण में एक देश या क्षेत्र का प्रयास पर्याप्त नहीं है। यह एक वैश्विक जिम्मेदारी है। IBCA इसी जिम्मेदारी को निभाने के लिए बनाया गया है ताकि सभी देश दीर्घकालिक और सतत संरक्षण योजनाएँ बनाकर उनपर अमल कर सके। यह मंच सभी रेंज देशों को नीति निर्धारण और तकनीकी समर्थन में सहकार्य करने में सहूलियत देता है।
भारत का नेतृत्वकारी भूमिका
IBCA में भारत की भूमिका विशेष है। यह संगठन भारत की वैश्विक वन्यजीव संरक्षण में नेतृत्वकारी भूमिका को उजागर करता है। भारत में लंबे समय से बिग कैट्स और विशेषकर बाघों के संरक्षण में कई सफल प्रयास हुए हैं:
- प्रोजेक्ट टाइगर: 1973 में शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट दुनिया में बाघ संरक्षण का एक आदर्श मॉडल है।
- भारत में बाघों की बढ़ती संख्या: विश्व में वर्तमान में लगभग 75% बाघ भारत में रहते हैं। यह भारत के प्रयासों और नीति निर्धारण का सीधा परिणाम है।
भारत अब IBCA के जरिए विश्वभर में बिग कैट संरक्षण में अपना अनुभव साझा करेगा और अन्य रेंज देशों को तकनीकी एवं वैज्ञानिक समर्थन प्रदान करेगा। यह पहल वैश्विक संरक्षण में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
IBCA का वैश्विक महत्त्व
IBCA केवल एक संगठन नहीं है, यह बिग कैट्स के संरक्षण में एक वैश्विक जनांदोलन है। यह पहल जंगलों, घास के मैदानों और पहाड़ों में रहने वाले इन जानवरों और उन लोगों दोनों के हित में है जो इनके सहवास में रहते हैं। यह संगठन पर्यावरणीय समरसता और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में सहायक होगा।
IBCA और सतत विकास लक्ष्यों का संबंध
IBCA का सीधा संबंध संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) से है। यह संगठन:
- SDG 15 (स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण): बिग कैट्स और उनके आवासों के संरक्षण से सीधा जुड़ा है।
- SDG 17 (वैश्विक साझेदारी): IBCA रेंज देशों और अन्य हितधारकों में सहकारिता और साझेदारी स्थापित करता है।
IBCA और आदिवासी समुदाय
IBCA आदिवासी समुदायों और जंगलों में रहने वाले लोगों की भूमिका को भी रेखांकित करता है। यह संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि संरक्षण प्रयासों में आदिवासियों और जंगल में बसने वाले समुदायों का समावेश किया जाए। आदिवासी समुदायों का पारम्परिक ज्ञान बिग कैट्स और जंगलों के संरक्षण में बेहद सहायक है। IBCA सभी हितधारकों के समावेश से एक समावेशी संरक्षण मॉडल पेश करेगा।
समापन समारोह में पर्यावरण मंत्री का चुनाव
IBCA के पहले समापन समारोह में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को IBCA का राष्ट्रपति चुना गया। यह निर्णय वैश्विक मंचों में भारत के पर्यावरण और संरक्षण प्रयासों का प्रमाण है। इसके साथ ही यह भारत को विश्व पर्यावरण नीति और बिग कैट संरक्षण में एक अग्रणी भूमिका में स्थापित करता है।
IBCA का भविष्य और आगे का मार्ग
IBCA का आगे का सफर बेहद महत्त्वपूर्ण है। यह संगठन विश्वभर में बिग कैट्स और उनके आवासों के संरक्षण में नीति निर्धारण, तकनीकी हस्तांतरण, संसाधनों का समन्वय और सहकारिता स्थापित करेगा।
आने वाले वर्षों में IBCA:
- सभी रेंज देशों में बिग कैट संरक्षण योजनाएँ विकसित करेगा।
- संरक्षण तकनीक और अनुसंधान को साझा करेगा।
- मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व और संघर्ष समाधान जैसे मुद्दों का समाधान करेगा।
- बिग कैट्स की तस्करी और अवैध शिकार जैसे मुद्दों से वैश्विक स्तर पर निपटेगा।
अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) विश्वभर में बिग कैट्स और उनके आवासों के संरक्षण में एक ऐतिहासिक पहल है। यह संगठन नीति निर्धारण, तकनीकी हस्तांतरण, समन्वय और सहकारिता के माध्यम से बिग कैट्स को बचाने का एक साझा वैश्विक मंच है।
भारत का नेतृत्व इस संगठन में एक विशेष स्थान लेता है, जो उसकी वैश्विक संरक्षण नीति और प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। IBCA के सफल संचालन से दुनिया में बिग कैट्स और जंगलों का भविष्य सुरक्षित होगा, जो पूरी मानवता और पर्यावरण के लिए समृद्धि का आधार बनेगा।
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