वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में ₹2.23 लाख करोड़ की GST चोरी का खुलासा हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। CBIC सम्मेलन 2025 में प्रस्तुत आंकड़ों में स्वैच्छिक भुगतान, रिफंड प्रदर्शन, ऑडिट कवरेज और RMS प्रणाली में सुधार को दर्शाया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने त्वरित जांच, तकनीक आधारित पंजीकरण, हेल्पडेस्क स्थापना और जागरूकता अभियान तेज करने पर बल दिया। जानें GST चोरी के कारण, सरकारी रणनीतियाँ और कर सुधारों की विस्तृत जानकारी इस विश्लेषणात्मक लेख में।
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को जुलाई 2017 में एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के रूप में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और कुशल बनाना था। इसके बावजूद, GST चोरी की चुनौती अब भी बरकरार है और इसकी गंभीरता वर्ष दर वर्ष बढ़ती जा रही है।
हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) सम्मेलन 2025 में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जो आँकड़े प्रस्तुत किए गए, वे इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करते हैं। CBIC ने खुलासा किया कि इस वर्ष GST चोरी ₹2.23 लाख करोड़ तक पहुँच गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। इस लेख में हम इस चोरी की प्रकृति, आँकड़ों का विश्लेषण, सरकार की प्रतिक्रिया, सुधार प्रयासों तथा भविष्य की दिशा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
GST प्रणाली की पृष्ठभूमि
GST, अर्थात वस्तु एवं सेवा कर, भारत की ऐतिहासिक कर सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है। यह कर प्रणाली केंद्र और राज्य के विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर एक समान कर ढांचा प्रदान करती है। GST के तहत चार मुख्य घटक होते हैं:
- CGST (Central GST) – केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
- SGST (State GST) – राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाता है।
- IGST (Integrated GST) – अंतरराज्यीय आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- UTGST (Union Territory GST) – केंद्र शासित प्रदेशों में लगाया जाता है।
GST लागू करने का मुख्य उद्देश्य ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की अवधारणा को साकार करना था, लेकिन कर चोरी जैसी चुनौतियाँ इस लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा बन रही हैं।
FY 2024-25 में GST चोरी की स्थिति
CBIC द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में ₹2.23 लाख करोड़ की GST चोरी का पता चला है, जो FY24 में ₹2.02 लाख करोड़ थी। यह वृद्धि लगभग 10% की है, जो अत्यंत चिंता का विषय है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि करदाताओं और व्यावसायिक इकाइयों द्वारा अभी भी कर से बचने की प्रवृत्ति जारी है। हालाँकि कर विभाग की निगरानी प्रणाली में सुधार हुआ है, फिर भी यह चोरी की प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त करने में सक्षम नहीं हो सकी है।
प्रमुख आँकड़े: CBIC सम्मेलन 2025
CBIC सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण आँकड़े सामने रखे गए जो न केवल चोरी की स्थिति दर्शाते हैं, बल्कि प्रशासनिक सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों को भी उजागर करते हैं। इनमें प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. GST चोरी का खुलासा
- FY25 में: ₹2.23 लाख करोड़
- FY24 में: ₹2.02 लाख करोड़
- वृद्धि: 10%
2. स्वैच्छिक कर भुगतान
- ₹28,909 करोड़ की राशि करदाताओं द्वारा स्वयं जमा की गई, जो कर अनुपालन में एक सकारात्मक संकेत है।
3. ऑडिट कवरेज
- FY23 में 62.21%
- FY25 में बढ़कर 88.74%
- इससे यह संकेत मिलता है कि कर प्रशासन अधिक दक्षता से करदाताओं की निगरानी कर रहा है।
4. GSTR-3B फाइलिंग दर
- राष्ट्रीय औसत: 94.3%
- यह दर यह दर्शाती है कि अधिकांश पंजीकृत करदाता नियत समय पर रिटर्न भर रहे हैं।
5. रिफंड प्रदर्शन
- 60 दिनों के भीतर 85% रिफंड का निपटारा
- इससे व्यापारियों की पूंजी पर बोझ कम होता है और नकदी प्रवाह में सुधार होता है।
6. शिकायत निवारण समय
- पहले 21 दिन था, अब घटकर 9 दिन हो गया है।
7. CPGRAMS मामलों का समाधान
- 95-97% अपीलों का समाधान 30 दिनों में किया गया, जिससे CBIC 90 मंत्रालयों में शीर्ष 5 में शामिल हुआ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रतिक्रिया
CBIC सम्मेलन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GST चोरी पर चिंता जताते हुए कई महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए:
1. सीमा शुल्क और CGST मामलों की शीघ्र जांच
उन्होंने इन मामलों को लंबित न रखने और त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
2. GST पंजीकरण की प्रक्रिया में सरलता
उन्होंने कहा कि तकनीक और जोखिम-आधारित प्रणाली के माध्यम से GST पंजीकरण को अधिक सरल और सहज बनाया जाए।
3. CGST ज़ोन में हेल्पडेस्क की स्थापना
CGST ज़ोन में दस्तावेज़ों की अस्वीकृति को कम करने के लिए हेल्पडेस्क बनाए जाएं।
4. जागरूकता अभियान
व्यापारियों और करदाताओं के बीच कर अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
5. CBIC में रिक्त पदों की पूर्ति
रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए ताकि संसाधनों की कमी के कारण कार्यक्षमता प्रभावित न हो।
6. अनुशासनात्मक मामलों का शीघ्र निपटान
CBIC में लंबित अनुशासनात्मक मामलों का जल्द समाधान हो।
सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा से जुड़े सुधार
CBIC ने केवल GST चोरी पर ही नहीं, बल्कि सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में भी कई सुधार लागू किए हैं।
1. जोखिम प्रबंधन प्रणाली (RMS) का विकास
- 2022 में RMS का उपयोग 82% था, जो 2025 में बढ़कर 86% हो गया है।
- इससे माल की त्वरित निकासी और व्यापार सुविधा में वृद्धि होती है।
2. बंदरगाहों और ICDs में डवेल टाइम में कमी
डवेल टाइम (माल के बंदरगाह पर रुकने की अवधि) को कम करने के लिए कदम उठाए गए हैं ताकि निर्यात-आयात प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
3. सीज सोने का निपटान
- 2,140.35 किलोग्राम सीज किया गया सोना सिक्का और नोट छपाई निगम (SPMCIL) को सौंपा गया।
- इससे राष्ट्रीय संपत्ति को व्यर्थ पड़े रहने से रोका गया।
कर चोरी की प्रवृत्ति के कारण
GST चोरी को समझने के लिए हमें इसके संभावित कारणों पर भी विचार करना होगा:
- फर्जी GST पंजीकरण: नकली कंपनियाँ बनाकर बिलिंग और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग।
- इनवॉइसिंग में धोखाधड़ी: वास्तविक आपूर्ति के बिना ही बिल बनाना।
- ITC का फर्जी दावा: बिना टैक्स भुगतान किए क्रेडिट लेना।
- डिजिटल निगरानी की सीमाएँ: तकनीकी साधनों की सीमित पहुँच और मानव संसाधन की कमी।
समाधान और भविष्य की दिशा
GST चोरी को रोकने के लिए सरकार और कर अधिकारियों को बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा:
1. एआई और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग
संदिग्ध लेन-देन को पहचानने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित निगरानी प्रणाली अपनाना।
2. व्यापक कर शिक्षा अभियान
करदाताओं को उनके दायित्वों और अनुपालन की प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करना।
3. सार्वजनिक भागीदारी
कर भुगतान को नागरिक कर्तव्य के रूप में प्रचारित कर सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को जाग्रत करना।
4. कड़े दंड और त्वरित कार्रवाई
कर चोरी पर सख्त दंड और शीघ्र न्यायिक कार्रवाई से निवारक प्रभाव डाला जा सकता है।
5. डिजिटलीकरण का विस्तार
छोटे व्यवसायों तक डिजिटल इनवॉइसिंग, ई-वे बिल और ऑटोमैटिक फाइलिंग की पहुँच बढ़ाना।
भारत की GST प्रणाली कर सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम रहा है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुपालन की आवश्यकता निरंतर बनी हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में ₹2.23 लाख करोड़ की कर चोरी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार को अभी भी कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। CBIC द्वारा प्रस्तुत आँकड़े यह दर्शाते हैं कि प्रशासनिक प्रयासों में प्रगति हो रही है, परंतु जमीनी स्तर पर करदाताओं की भागीदारी और ईमानदारी को सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है।
यदि सरकार और करदाता एक साझा दृष्टिकोण से इस प्रणाली को मजबूत करें, तो न केवल कर संग्रह बढ़ेगा, बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी स्थायित्व आएगा।
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