कुक द्वीप समूह | चीन-न्यूजीलैंड तनाव के केंद्र में एक प्रशांत स्वशासी द्वीपसमूह

यह विस्तृत लेख कुक द्वीप समूह (Cook Islands) की भौगोलिक, राजनीतिक और भू-राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित है, जो वर्तमान में चीन और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। कुक द्वीप समूह एक स्वशासी राष्ट्र है जो न्यूजीलैंड के साथ स्वतंत्र संघ (Free Association) में है। हाल ही में न्यूजीलैंड ने चीन के साथ द्वीपसमूह के घनिष्ठ होते संबंधों के चलते करोड़ों डॉलर की सहायता राशि रोक दी है। इस कदम को प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन और वैश्विक शक्ति संघर्ष के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

लेख में कुक द्वीपों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रशासनिक ढांचा, राजधानी अवारुआ, प्रमुख द्वीप रारोटोंगा, भौगोलिक स्थिति, समुद्री क्षेत्र, जनसंख्या वितरण और स्थानीय जीवनशैली की गहन विवेचना की गई है। साथ ही यह भी बताया गया है कि कैसे चीन की “सॉफ्ट पावर” रणनीति और ऋण आधारित निवेश मॉडल कुक द्वीपों सहित अन्य छोटे द्वीप राष्ट्रों को प्रभावित कर रहे हैं।

न्यूज़ीलैंड और पश्चिमी देशों की चिंताओं, पर्यावरणीय चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को भी लेख में संतुलित दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। यह लेख कुक द्वीप समूह के वर्तमान और भविष्य को समझने के लिए अत्यंत उपयोगी है, विशेष रूप से उन पाठकों के लिए जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों, समुद्री भू-राजनीति और प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक दिशा में रुचि रखते हैं।

Table of Contents

बदलते भू-राजनीतिक समीकरण और कुक द्वीप समूह की भूमिका

दक्षिण प्रशांत महासागर में फैले शांत और सुरम्य द्वीपों का समूह — कुक द्वीप समूह (Cook Islands) — हाल के वर्षों में केवल एक पर्यटक स्थल नहीं रहा, बल्कि यह अब अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बनता जा रहा है। न्यूजीलैंड द्वारा कुक द्वीप समूह को दी जाने वाली करोड़ों डॉलर की सहायता राशि को रोकने का निर्णय इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह क्षेत्र अब केवल समुद्री सुंदरता तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक शक्तियों के बीच रणनीतिक रस्साकशी का अखाड़ा बन चुका है।

न्यूजीलैंड की यह चिंता इस बात को लेकर है कि कुक द्वीपों और चीन के बीच तेजी से बढ़ते संबंध, प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव और सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते हैं। यह घटनाक्रम न केवल कुक द्वीप समूह की विदेश नीति, बल्कि पूरे दक्षिण प्रशांत की राजनीतिक स्थिरता और संतुलन के लिए एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हो सकता है।

कुक द्वीप समूह का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

स्वशासन और स्वतंत्र संघ की संरचना

कुक द्वीप समूह एक स्वशासी राष्ट्र है, जो न्यूजीलैंड के साथ स्वतंत्र संघ (Free Association) में बंधा हुआ है। इसका अर्थ यह है कि जबकि कुक द्वीप समूह का अपना संविधान, संसद और प्रधानमंत्री है, परंतु उसकी विदेश नीति और रक्षा जिम्मेदारी मुख्यतः न्यूजीलैंड के पास बनी हुई है। यह संबंध कुछ-कुछ ब्रिटेन और उसके कई कॉमनवेल्थ देशों के रिश्तों जैसा है।

इतिहास पर नज़र डालें तो:

  • 1901 से 1965 तक कुक द्वीप समूह, न्यूजीलैंड का आश्रित उपनिवेश (Dependent Colony) रहा।
  • 1965 में, इसने स्वशासन की स्थिति प्राप्त की, लेकिन न्यूज़ीलैंड के साथ स्वतंत्र संघ बना रहा।
  • कुक द्वीप समूह के नागरिक न्यूजीलैंड की नागरिकता भी रखते हैं, जिससे उन्हें न्यूजीलैंड और उसके सहयोगी देशों में आने-जाने की स्वतंत्रता है।

यह व्यवस्था द्वीपों को राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग भी प्रदान करती है, लेकिन आज यह मॉडल चीन जैसे देशों के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण दबाव में आ गया है।

प्रशासनिक ढांचा और राजधानी

कुक द्वीप समूह की राजधानी अवारुआ (Avarua) है, जो रारोटोंगा (Rarotonga) नामक सबसे बड़े द्वीप पर स्थित है। यही द्वीप देश का प्रशासनिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है। यहीं पर सरकार की प्रमुख इमारतें, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और पर्यटन सुविधाएं केंद्रित हैं।

भौगोलिक स्थिति और संरचना

स्थान और विस्तार

कुक द्वीप समूह, दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है और यह पोलिनेशियन क्षेत्र का हिस्सा है। यह भू-स्थानिक रूप से:

  • न्यूजीलैंड के उत्तर-पूर्व में स्थित है।
  • फ्रेंच पोलिनेशिया और अमेरिकन समोआ के बीच आता है।

द्वीपों की संख्या और प्रकार

इस द्वीपसमूह में कुल 15 द्वीप हैं, जो मुख्यतः दो भौगोलिक वर्गों में विभाजित हैं:

  1. दक्षिणी समूह – जहाँ रारोटोंगा और अवारुआ जैसे प्रमुख द्वीप हैं, जो ज्वालामुखीय गतिविधियों से बने हैं और जनसंख्या घनत्व अधिक है।
  2. उत्तरी समूह – जो मुख्यतः कोरल एटोल (coral atolls) हैं, और कम जनसंख्या वाले द्वीपों का समूह है।

कुल क्षेत्रफल

इन द्वीपों का कुल भूमि क्षेत्रफल लगभग 236.7 वर्ग किलोमीटर है, जो आकार में बहुत छोटा है, लेकिन इनका समुद्री क्षेत्र — जिसे Exclusive Economic Zone (EEZ) कहते हैं — करीब 19 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह समुद्री क्षेत्र संसाधनों के दोहन और सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कुक द्वीप समूह और चीन के बढ़ते संबंध

आर्थिक सहयोग या रणनीतिक दखल?

पिछले कुछ वर्षों में कुक द्वीप समूह और चीन के बीच आर्थिक साझेदारी में तेज़ी आई है। चीन ने वहाँ:

  • बुनियादी ढांचे (infrastructure) में निवेश किया है।
  • सड़कों, स्कूलों और सरकारी भवनों के निर्माण में सहायता दी है।
  • ऋण और अनुदान के माध्यम से राजनीतिक पहुंच बनाने की कोशिश की है।

न्यूजीलैंड की चिंताएं

चीन की यह बढ़ती उपस्थिति प्रशांत क्षेत्र में पश्चिमी देशों — विशेषकर ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और न्यूजीलैंड — के लिए एक सामरिक खतरे के रूप में देखी जा रही है। क्योंकि:

  • यदि चीन को कुक द्वीपों में बंदरगाह, संचार या सैन्य अड्डे जैसी सुविधाएं मिलती हैं, तो यह प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
  • कुक द्वीपों की भौगोलिक स्थिति इसे हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए अहम बनाती है।

न्यूजीलैंड की सहायता रोकने का निर्णय

विवाद की शुरुआत

2025 में न्यूजीलैंड सरकार ने कुक द्वीप समूह को दी जाने वाली करोड़ों डॉलर की सहायता पर रोक लगाने का निर्णय लिया। इसका मुख्य कारण:

  • चीन के साथ द्वीपों के बढ़ते कूटनीतिक और आर्थिक रिश्ते
  • कुक द्वीप सरकार द्वारा न्यूजीलैंड को बिना सूचित किए कुछ चीनी परियोजनाओं को हरी झंडी देना।

यह कदम न्यूजीलैंड के लिए एक राजनीतिक संदेश है कि यदि कुक द्वीप चीन के पाले में जाता है, तो उसे पारंपरिक सहायता पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

कुक द्वीप समूह की स्थिति आज प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते ‘इन्फ्लुएंस वॉर’ (Influence War) का प्रतिनिधित्व करती है। चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और फ्रांस — सभी देश इस क्षेत्र में ‘सॉफ्ट पावर’ और ‘स्ट्रैटेजिक पोजिशनिंग’ के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

चीन की रणनीति:

  • ऋण और अनुदान के माध्यम से द्वीपों को आर्थिक रूप से प्रभावित करना।
  • बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के जरिए अपनी छवि सुधारना।
  • भविष्य में सामरिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आधार बनाना।

पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया:

  • पारदर्शी और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रचार पर जोर।
  • चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए वैकल्पिक सहायता योजनाओं की पेशकश।

आर्थिक संरचना और जीवनशैली

कुक द्वीप समूह की अर्थव्यवस्था मुख्यतः:

  • पर्यटन
  • मत्स्य उद्योग (Fisheries)
  • प्रवासी रेमिटेंस
  • कोकोनट और नोनो (herbal plant) के निर्यात
    पर आधारित है।

वहाँ के लोग मुख्यतः पोलिनेशियन संस्कृति से जुड़े हैं, और पारंपरिक जीवनशैली में आज भी सामूहिकता और समुदाय का विशेष महत्व है।

भविष्य की दिशा: कुक द्वीपों के लिए चुनौतियाँ और अवसर

भू-राजनीतिक संतुलन साधने की चुनौती

कुक द्वीपों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे न्यूजीलैंड के साथ अपने पारंपरिक रिश्तों को बनाए रखते हुए चीन जैसे उभरते साझेदारों से भी लाभ प्राप्त करे — बिना किसी एक खेमे का हिस्सा बने।

जलवायु परिवर्तन का संकट

प्रशांत द्वीपों के लिए समुद्र स्तर में वृद्धि, तूफान और पर्यावरणीय परिवर्तन अस्तित्व का प्रश्न बनते जा रहे हैं। इन द्वीपों को बाहरी सहायता और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता है, जो अक्सर भू-राजनीति के रंग में रंगी हुई होती है।

कुक द्वीप समूह भले ही क्षेत्रफल में छोटा हो, लेकिन उसका भौगोलिक और राजनीतिक महत्व अपार है। आज वह वैश्विक शक्तियों की रणनीति का केंद्र बन गया है, जहाँ आर्थिक सहायता, कूटनीति और प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा चल रही है। न्यूज़ीलैंड की सहायता पर रोक और चीन के बढ़ते प्रभाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कुक द्वीपों की विदेश नीति अब केवल द्वीपीय विकास तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक सत्ता संघर्ष की दिशा में एक निर्णायक मोड़ बन गई है।

Sources:

  • Cook Islands Government Portal
  • Ministry of Foreign Affairs, New Zealand
  • South Pacific Geopolitical Studies (USP)
  • Recent news reports from RNZ, ABC News & The Diplomat

Geography – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Table of Contents

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.