यह लेख “उद्देश्य पर आधारित संसाधनों के वर्गीकरण” विषय पर एक विस्तृत हिंदी लेख प्रस्तुत करता है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों के विभिन्न उपयोगों को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है – ऊर्जा संसाधन, कच्चा माल और खाद्य पदार्थ। लेख में ऊर्जा संसाधनों को समाप्य (गैर-पुनरुत्पादनीय) और असमाप्य (पुनरुत्पादनीय) दो वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि शामिल हैं। कच्चे माल की श्रेणी में खनिज पदार्थ, वनस्पति, पशु-आधारित उत्पाद एवं उत्पादित कृषि वस्तुओं को विस्तार से समझाया गया है। वहीं खाद्य पदार्थों को खनिज, वनस्पति एवं पशु स्रोतों के आधार पर विभाजित किया गया है, जैसे नमक, फल, मशरूम, मछली, दूध, अंडा आदि।
यह लेख प्राकृतिक संसाधनों के बहु-आयामी उपयोग, सतत विकास, औद्योगिक और खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में उनके महत्व को रेखांकित करता है। साथ ही यह भी स्पष्ट करता है कि संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण आज के वैश्विक परिवेश में अत्यंत आवश्यक है। यह लेख छात्रों, प्रतियोगी परीक्षा अभ्यर्थियों, पर्यावरणविदों और नीति-निर्माताओं के लिए समान रूप से उपयोगी है, जो संसाधनों की प्रकृति, उपयोगिता और संरक्षण को समझना चाहते हैं।
इस लेख में हम “उद्देश्य पर आधारित संसाधनों के वर्गीकरण” का विस्तृत अध्ययन करेंगे और यह जानेंगे कि विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संसाधनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है।
उद्देश्य पर आधारित वर्गीकरण
प्रकृति की गोद में असंख्य संसाधन विद्यमान हैं, जो मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करते हैं। इन संसाधनों का दोहन विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है – जैसे ऊर्जा प्राप्ति, औद्योगिक विकास, खाद्य सुरक्षा, परिवहन सुविधा, एवं जीवन के अन्य अनिवार्य कार्य। संसाधनों की उपलब्धता और उनका विवेकपूर्ण उपयोग किसी भी देश की प्रगति, आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास का संकेतक माना जाता है।
उद्देश्यों या संसाधन उपयोगिता के आधार पर संसाधनों का निम्नलिखित वर्गीकरण किया गया है:
1. ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)
परिचय
ऊर्जा संसाधनों का मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ये संसाधन न केवल यांत्रिक कार्यों को संचालित करते हैं, बल्कि आधुनिक औद्योगिक संरचना की रीढ़ भी हैं। ऊर्जा के बिना न तो उद्योग चल सकते हैं, न ही परिवहन प्रणाली, और न ही आधुनिक संचार तंत्र।
देश की समृद्धि का मापदंड
आज के वैश्विक परिवेश में ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता को किसी देश की आर्थिक क्षमता और विकास दर का मापदंड माना जाता है। ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति से ही निर्माण, कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों का विकास संभव हो पाता है।
ऊर्जा संसाधनों के प्रकार
ऊर्जा संसाधनों को दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:
(i) समाप्य या गैर-पुनरुत्पादनीय संसाधन (Non-renewable Energy Resources)
यह वे ऊर्जा संसाधन होते हैं जो सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और एक बार उपयोग किए जाने पर पुनः उपलब्ध नहीं होते। इनके निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं। प्रमुख उदाहरण हैं:
- कोयला – भारत में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत, विशेषतः थर्मल पावर प्लांट्स में उपयोगी।
- पेट्रोलियम – परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोग।
- प्राकृतिक गैस – घरेलू उपयोग के साथ-साथ उद्योगों में भी प्रयुक्त।
इन संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता ने पर्यावरणीय असंतुलन और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याएँ उत्पन्न की हैं।
(ii) असमाप्य या पुनरुत्पादनीय संसाधन (Renewable Energy Resources)
ये ऊर्जा स्रोत प्रकृति में सतत रूप से उपलब्ध रहते हैं और इनका पुनः प्रयोग संभव है। ये पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होते हैं। इनमें सम्मिलित हैं:
- जल विद्युत (Hydro Power) – जल प्रवाह से विद्युत उत्पन्न करना।
- पवन ऊर्जा (Wind Energy) – पवन टरबाइनों से विद्युत उत्पादन।
- सौर ऊर्जा (Solar Energy) – सूर्य की किरणों से बिजली का उत्पादन।
- भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) – पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा का प्रयोग।
- ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy) – समुद्र की ज्वार-भाटाओं से ऊर्जा उत्पादन।
- जैव ऊर्जा (Bio Energy) – जैविक अपशिष्टों से ऊर्जा निर्माण।
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा पर बल दिया जा रहा है, जिससे दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
2. कच्चा माल (Raw Material)
परिचय
कच्चा माल किसी भी उद्योग की नींव होता है। यह वह आधारभूत सामग्री है, जिसे विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा परिष्कृत करके उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है। कच्चे माल का सही दोहन किसी देश की औद्योगिक नीति और उत्पादन क्षमता को निर्धारित करता है।
प्रकार
कच्चे माल को सामान्यतः चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
(i) खनिज पदार्थ (Minerals)
खनिज वे अकार्बनिक पदार्थ हैं जो पृथ्वी की सतह या गर्त से निकाले जाते हैं। ये विभिन्न उद्योगों का आधार होते हैं। इनमें सम्मिलित हैं:
- लौह अयस्क (Iron Ore) – इस्पात उद्योग की रीढ़।
- अलौह धातुएँ (Non-ferrous metals) – जैसे एल्युमीनियम, ताँबा, जस्ता।
- गंधक (Sulphur) – रासायनिक उद्योग में प्रयुक्त।
- नमक, चूना पत्थर, बालू – निर्माण कार्यों में उपयोगी।
- इमारती पत्थर – भवन निर्माण में प्रयुक्त।
खनिज पदार्थों का अधिकतम उपयोग और संरक्षण सतत औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक है।
(ii) वनस्पति उत्पाद (Vegetation)
प्राकृतिक वनस्पतियाँ विविध प्रकार के कच्चे माल प्रदान करती हैं। इनमें सम्मिलित हैं:
- लकड़ी – निर्माण, कागज उद्योग, फर्नीचर।
- रेशेदार उत्पाद – जैसे सन, पटसन।
- गोंद, रबर, तेल बीज – औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और उद्योगों में उपयोग।
- छाले, कार्क, शैवाल – औद्योगिक रसायनों और फाइबर उद्योगों के लिए।
वनस्पति आधारित संसाधन नवीकरणीय होते हैं और जैव विविधता के संरक्षण के साथ उपयोग किए जाने चाहिए।
(iii) पशु आधारित उत्पाद (Animals)
पशुओं से प्राप्त कच्चा माल भी अनेक प्रकार के उद्योगों के लिए उपयोगी होता है:
- खालें व ऊन – चमड़ा उद्योग, वस्त्र उद्योग।
- सींग, चर्बी, हड्डियाँ – औषधीय, सजावटी और खाद्य उद्योगों में।
- रेशम, बाल – वस्त्र निर्माण।
पालतू, जंगली व सामूहिक पशु संसाधन इस श्रेणी में आते हैं।
(iv) उत्पादित वन एवं कृषि पदार्थ (Product Materials)
ये ऐसे कच्चे पदार्थ हैं जिन्हें विशेष प्रकार की कृषि या बागवानी द्वारा उगाया जाता है:
- कपास, सन, पटसन – वस्त्र उद्योग में मूल आधार।
- बागानी रबर – औद्योगिक उपयोग।
- तिलहन बीज – खाद्य तेल उत्पादन।
- इत्र निकालने के फूल – परफ्यूम और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग।
ये उत्पाद कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।
3. खाद्य पदार्थ (Food Stuff)
परिचय
मानव सभ्यता के आरंभ से ही खाद्य संग्रह और उत्पादन मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता रही है। आज भी खाद्य सुरक्षा किसी भी देश की सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य नीति का महत्वपूर्ण अंग है। खाद्य संसाधनों का वर्गीकरण उनके स्रोतों के आधार पर किया जाता है:
प्रमुख श्रेणियाँ
(i) खनिज आधारित खाद्य पदार्थ
- नमक (Salt) – यह एक प्रमुख खनिज खाद्य पदार्थ है, जो समुद्र जल या चट्टानों से प्राप्त होता है।
- जल – जीवन का मूल आधार। पीने योग्य जल के बिना खाद्य उपभोग अधूरा है।
(ii) वनस्पति आधारित खाद्य पदार्थ
- फल, कन्दमूल, पत्तियाँ – ये खाद्य पदार्थ जंगलों या खेतों से प्राप्त होते हैं।
- मशरूम (Khubi) – प्राकृतिक रूप से उगने वाला अत्यंत पौष्टिक भोज्य पदार्थ।
भारत में शाकाहार आधारित भोजन का महत्व अत्यधिक है, जो इस श्रेणी में मुख्य रूप से आता है।
(iii) पशु एवं जीव-जन्तु आधारित खाद्य पदार्थ
- दुग्ध उत्पाद – दूध, दही, घी आदि।
- अंडा, मांस, मछली – गैर-शाकाहारी आहार के स्रोत।
- मधु (शहद) – मधुमक्खियों द्वारा उत्पादित स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ।
मत्स्य व्यवसाय, मुर्गीपालन, डेयरी फार्मिंग आदि खाद्य सुरक्षा एवं रोजगार के मुख्य स्रोत बनते जा रहे हैं।
निष्कर्ष
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण केवल उनकी प्रकृति पर ही नहीं, बल्कि उनके उपयोग के उद्देश्य पर भी आधारित है। ऊर्जा, औद्योगिक विकास और खाद्य सुरक्षा जैसे उद्देश्य संसाधनों की विभिन्न श्रेणियों को परिभाषित करते हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है कि इन संसाधनों का दोहन पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए किया जाए। समाप्य संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और असमाप्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग मानव जाति के दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
सरकारों, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर प्राकृतिक संसाधनों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग की दिशा में प्रयास करना चाहिए, जिससे न केवल वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ उठा सकें।
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