‘मन की बात’ — प्रधानमंत्री मोदी का संवाद मंच, जिसने बदली जन-संवाद की परिभाषा

भारत में जन-संवाद के तरीकों में वर्ष 2014 के बाद से एक अनोखा परिवर्तन देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ ने न केवल राजनीति में संवाद का नया आयाम जोड़ा, बल्कि देश के नागरिकों को प्रेरणा, सहभागिता और सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक साझा मंच भी प्रदान किया। हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी कि इस कार्यक्रम ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक 34.13 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है, और वह भी बिना किसी अतिरिक्त सरकारी खर्च के।

उत्पत्ति और आरंभ

‘मन की बात’ का पहला प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 को हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक ऐसे मंच के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य सीधे नागरिकों से जुड़ना, उनकी कहानियाँ सुनना और उन्हें राष्ट्रीय विकास के सफर में सहभागी बनाना था।
इस कार्यक्रम का निर्माण आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) द्वारा किया जाता है, और विशेष बात यह है कि इसके लिए कोई अतिरिक्त सरकारी संसाधन या अलग बजट नहीं लगाया गया। मौजूदा इन-हाउस संसाधनों और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग कर इसे तैयार किया जाता है।

  • पहला प्रसारण: 3 अक्टूबर 2014
  • निर्माता: आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो)
  • बजट: कोई अतिरिक्त खर्च नहीं, मौजूदा संसाधनों से निर्माण
  • उद्देश्य: प्रधानमंत्री और नागरिकों के बीच सीधा संवाद, प्रेरणादायक कहानियों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा

आर्थिक उपलब्धि

08 अगस्त 2025 को राज्यसभा में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने बताया कि इस कार्यक्रम ने अब तक ₹34.13 करोड़ की आय अर्जित की है। यह आय विज्ञापनों, प्रसारण अधिकारों और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इसके प्रसारण से हुई है।
मंत्री के अनुसार, यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि यदि किसी कार्यक्रम की सामग्री जनसामान्य के लिए उपयोगी और भावनात्मक रूप से जुड़ी हो, तो वह न केवल लोकप्रिय होता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी सफल होता है।

कार्यक्रम की संकल्पना

‘मन की बात’ की संकल्पना सिर्फ एक रेडियो शो की तरह नहीं की गई थी। यह एक समुदाय-आधारित संवाद मंच है, जो हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।
इसमें प्रधानमंत्री देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियाँ, सामाजिक पहल, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता अभियान, खेल, शिक्षा, और विज्ञान-प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर चर्चा करते हैं।
यह मंच सिर्फ सरकार की योजनाओं के प्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आम नागरिकों की उपलब्धियों और नवाचारों को भी प्रमुखता दी जाती है।

बहु-माध्यम (Multi-Platform) प्रसारण

कार्यक्रम की एक और बड़ी खासियत यह है कि इसे एक साथ कई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाता है।

  1. आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो)
    • राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कई भाषाओं में सीधा प्रसारण
    • भारत के हर राज्य, केंद्रशासित प्रदेश और दूर-दराज के इलाकों तक पहुँच
  2. दूरदर्शन
    • राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनलों पर प्रसारण
    • टेलीविजन दर्शकों के लिए दृश्य प्रारूप में उपलब्धता
  3. डीडी फ्री डिश
    • 48 आकाशवाणी रेडियो चैनल
    • 92 निजी टीवी चैनलों के माध्यम से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच
  4. ओटीटी और मोबाइल प्लेटफॉर्म
    • प्रसार भारती का WAVES OTT प्लेटफॉर्म
    • NewsOnAIR ऐप — 260 से अधिक आकाशवाणी चैनलों की पहुंच

डिजिटल और सोशल मीडिया उपस्थिति

डिजिटल युग में ‘मन की बात’ ने सोशल मीडिया और इंटरनेट का भी पूरा लाभ उठाया है। कार्यक्रम को लाइव-स्ट्रीम और संग्रहित रूप में उपलब्ध कराया जाता है, जिससे इसे बाद में भी सुना और देखा जा सकता है।

  • यूट्यूब — पीएमओ इंडिया और ऑल इंडिया रेडियो के आधिकारिक चैनलों पर
  • फेसबुक, X (पूर्व में ट्विटर), और इंस्टाग्राम — हाइलाइट्स, क्लिप्स और लाइव अपडेट
  • PB SHABD न्यूज़ फीड सेवा — व्यापक सिंडिकेशन के लिए

इस तरह, ‘मन की बात’ ने पारंपरिक रेडियो से लेकर आधुनिक डिजिटल मीडिया तक का सहज मिश्रण प्रस्तुत किया है।

जनसंपर्क का नया मॉडल

प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम ने भारतीय राजनीति में जनसंपर्क की पद्धति बदल दी है। पहले नेताओं और जनता के बीच संवाद प्रायः चुनावी रैलियों या प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित रहता था।
लेकिन ‘मन की बात’ ने हर महीने एक निश्चित और भरोसेमंद समय पर प्रधानमंत्री को सीधे नागरिकों से जोड़ने का काम किया।

इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह हुआ कि—

  • राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सामूहिक चिंतन को बढ़ावा मिला
  • सामाजिक अभियानों में जनभागीदारी बढ़ी
  • प्रेरक कहानियों का प्रसार हुआ
  • नागरिकों को लगा कि उनकी आवाज़ देश के सर्वोच्च स्तर तक पहुँच रही है

सामाजिक अभियानों में योगदान

कई बड़े सामाजिक अभियान ‘मन की बात’ के माध्यम से न केवल प्रचारित हुए, बल्कि उनमें व्यापक जनसहभागिता भी देखने को मिली। उदाहरण के लिए—

  • स्वच्छ भारत मिशन
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
  • फिट इंडिया मूवमेंट
  • जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान

जब प्रधानमंत्री स्वयं किसी विषय पर बात करते हैं, तो उसका असर निचले स्तर तक जाता है, जिससे लोग उस अभियान को अपनाने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित होते हैं।

मुख्य आर्थिक आंकड़े (2014–2025)

वर्षअनुमानित एपिसोड की संख्याअनुमानित श्रोता संख्या (करोड़)आय (₹ करोड़ में)मुख्य विशेषताएं
2014-1564.52.1कार्यक्रम की शुरुआत, स्वच्छ भारत पर जोर
2015-16126.02.8बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, डिजिटल इंडिया
2016-17126.83.2जल संरक्षण, योग दिवस, फिट इंडिया विचार
2017-18127.53.0न्यू इंडिया, ग्रामीण नवाचार
2018-19128.03.4आयुष्मान भारत, स्टार्टअप संस्कृति
2019-20128.53.1जल जीवन मिशन, पर्यावरण
2020-211210.04.0कोविड-19 संदेश, आत्मनिर्भर भारत
2021-221210.53.8वोकल फॉर लोकल, महिला सशक्तिकरण
2022-231211.03.5आजादी का अमृत महोत्सव
2023-241211.83.5स्वच्छ भारत 2.0, ग्रीन एनर्जी
2024-25 (अगस्त तक)56.02.33100वें एपिसोड के बाद बढ़ी अंतरराष्ट्रीय पहुँच
कुल11990+ करोड़ (कुल श्रोता)34.13

नोट: ये आंकड़े अनुमानित हैं और सरकारी आय विवरण व उपलब्ध सार्वजनिक डाटा पर आधारित हैं।

समयरेखा (Timeline) — ‘मन की बात’ के प्रमुख पड़ाव

  • 3 अक्टूबर 2014: पहला प्रसारण, स्वच्छ भारत अभियान और स्वच्छता की अपील
  • जनवरी 2015: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर विशेष चर्चा
  • 2016: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को बढ़ावा, जल संरक्षण संदेश
  • 2017: न्यू इंडिया विज़न, ग्रामीण नवाचार कहानियाँ
  • 2018: आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख
  • 2019: जल जीवन मिशन और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
  • मार्च 2020: कोविड-19 जागरूकता और जन-सुरक्षा संदेश
  • 2021: वोकल फॉर लोकल और महिला सशक्तिकरण पहल
  • 2022: आजादी का अमृत महोत्सव की कहानियाँ
  • अप्रैल 2023: 100वां एपिसोड, वैश्विक स्तर पर भारतीय दूतावासों में सामूहिक श्रवण
  • 2025: ₹34.13 करोड़ की कुल आय की घोषणा

सामाजिक अभियानों में योगदान (उदाहरण)

अभियान‘मन की बात’ से प्रेरित परिणाम
स्वच्छ भारत मिशनगाँव और शहरों में शौचालय निर्माण में तेजी
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओमहिला शिक्षा के प्रति जागरूकता में वृद्धि
फिट इंडिया मूवमेंटयोग और फिटनेस कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ी
जल संरक्षणवर्षा जल संचयन योजनाओं को अपनाना
आत्मनिर्भर भारतस्थानीय उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भारतीय प्रवासी समुदाय

‘मन की बात’ केवल भारत तक सीमित नहीं है। इसे विदेशों में भी सुना और देखा जाता है, खासकर भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा।
विदेशों में भारतीय दूतावास और सांस्कृतिक केंद्र अक्सर इस कार्यक्रम के सामूहिक श्रवण/दर्शन कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिससे विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय मुद्दों पर जुड़ाव बना रहता है।

लोकप्रियता के कारण

कार्यक्रम की लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं—

  1. सरल भाषा और भावनात्मक जुड़ाव — प्रधानमंत्री आम और सीधी भाषा में बात करते हैं।
  2. विविध विषय — राजनीति से लेकर विज्ञान, खेल, पर्यावरण, कला—सब कुछ।
  3. लोगों की कहानियाँ — सरकारी उपलब्धियों के साथ आम नागरिकों के प्रयासों को सम्मान।
  4. नियमितता — हर महीने एक निश्चित समय पर प्रसारण।
  5. मल्टी-प्लेटफॉर्म उपलब्धता — रेडियो, टीवी, मोबाइल, इंटरनेट—हर जगह।

आलोचनाएँ और बहसें

जैसा कि हर लोकप्रिय कार्यक्रम के साथ होता है, ‘मन की बात’ को भी कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
कुछ विरोधियों का मानना है कि यह कार्यक्रम सरकार का प्रचार माध्यम है, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह लोगों को प्रेरित करने और सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम है।
इसके बावजूद, श्रोताओं और दर्शकों की संख्या में निरंतर वृद्धि दर्शाती है कि इसकी स्वीकार्यता बहुत अधिक है।

भविष्य की दिशा

डिजिटल क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में ‘मन की बात’ और अधिक इंटरैक्टिव हो सकता है। भविष्य में इसमें—

  • लाइव पोल्स और फीडबैक सेशन
  • ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) आधारित प्रस्तुतियां
  • दर्शकों के वीडियो संदेश
    शामिल किए जा सकते हैं, जिससे यह और भी भागीदारीपूर्ण बन सके।

निष्कर्ष

‘मन की बात’ ने भारतीय राजनीति और समाज में संवाद की परंपरा को एक नई दिशा दी है। यह सिर्फ एक मासिक प्रसारण नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें हर नागरिक को भाग लेने का अवसर मिलता है।
चाहे वह स्वच्छता का संदेश हो, बेटियों की शिक्षा की बात हो, या पर्यावरण संरक्षण की पुकार—‘मन की बात’ ने हर विषय को जन-जन तक पहुँचाया है।

₹34.13 करोड़ की आय इसका आर्थिक पक्ष है, लेकिन असली कमाई है जनता का भरोसा, जुड़ाव और सहभागिता।


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