नेपाल, हिमालय की गोद में बसा एक खूबसूरत देश, बीते सात दशकों में गहन राजनीतिक परिवर्तनों का गवाह रहा है। 1951 में राणा शासन के पतन के बाद से लेकर 2025 तक नेपाल की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए। कभी लोकतंत्र, कभी राजतंत्र का पुनः उदय, कभी दलहीन पंचायती शासन, तो कभी गणतंत्र की स्थापना – इन सबके बीच प्रधानमंत्री पद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
नेपाल में प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल प्रायः अस्थिर रहा है। कुछ नेताओं ने लंबे समय तक शासन किया, जबकि कई सिर्फ कुछ महीनों तक ही पद पर बने रहे। बार-बार सरकारों के बदलने ने नेपाल की राजनीतिक यात्रा को जटिल और दिलचस्प दोनों बना दिया।
इस लेख में हम 1951 से 2025 तक नेपाल के सभी प्रधानमंत्रियों की सूची, उनके कार्यकाल और राजनीतिक परिस्थितियों का विस्तृत अध्ययन करेंगे। साथ ही, वर्तमान में 2025 की स्थिति पर भी प्रकाश डालेंगे, जहाँ नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने इतिहास रचा है।
वर्तमान प्रधानमंत्री : सुशीला कार्की (2025)
नेपाल की वर्तमान प्रधानमंत्री सुशीला कार्की हैं, जिन्होंने 12 सितंबर 2025 को अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभाला। यह अवसर नेपाल के इतिहास में मील का पत्थर है क्योंकि वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं।
सुशीला कार्की पहले नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश (2016–2017) रह चुकी हैं और उस समय भी उन्होंने पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रचा था। उन्हें उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी सख्त रुख के लिए जाना जाता है।
2025 में “जनरेशन ज़ेड” (Gen Z) के बड़े पैमाने पर हुए जनांदोलन के बाद अंतरिम नेतृत्व की आवश्यकता पड़ी और इसी संदर्भ में कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह नेपाल की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और लोकतांत्रिक मूल्यों की एक सशक्त मिसाल है।
नेपाल की राजनीतिक यात्रा और प्रधानमंत्री पद
नेपाल का राजनीतिक इतिहास मुख्यतः चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है –
- संक्रमण काल (1951–1960) : राणा शासन का अंत और लोकतंत्र की शुरुआत।
- पंचायती शासन काल (1960–1990) : दलहीन राजनीति और राजा का वर्चस्व।
- संवैधानिक राजतंत्र (1990–2008) : राजनीतिक दलों की वापसी, लेकिन अस्थिरता।
- संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य (2008–वर्तमान) : राजतंत्र का अंत और गणतंत्र की स्थापना।
आइए अब क्रमवार इन सभी कालखंडों में प्रधानमंत्रियों की सूची और उनके कार्यकाल का अध्ययन करें।
1. संक्रमण काल (1951–1960)
1951 में राणा शासन के लंबे दौर का अंत हुआ और नेपाल ने लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत की। इस काल को संक्रमण काल इसलिए कहा जाता है क्योंकि सत्ता का संतुलन राजा और राजनीतिक नेताओं के बीच लगातार बदलता रहा। इसी अवधि में नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने और पहली बार आम जनता की भागीदारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में दिखाई दी। हालांकि अस्थिरता और शाही हस्तक्षेप ने इस लोकतांत्रिक प्रयोग को लंबा नहीं चलने दिया और 1960 में राजा महेन्द्र ने संसद भंग कर दिया।
क्रम संख्या | नाम | राजनीतिक दल | पदभार ग्रहण | पदत्याग |
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1 | मातृका प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 16 नवम्बर 1951 | 14 अगस्त 1952 |
2 | त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह | प्रत्यक्ष शाही शासन | 14 अगस्त 1952 | 15 जून 1953 |
3 | मातृका प्रसाद कोइराला | राष्ट्रीय प्रजा पार्टी | 15 जून 1953 | 11 अप्रैल 1955 |
4 | सूर्य बहादुर थापा | राष्ट्रीय प्रजा पार्टी | 11 अप्रैल 1955 | 14 अप्रैल 1955 |
5 | महेन्द्र बीर बिक्रम शाह | प्रत्यक्ष शाही शासन | 14 अप्रैल 1955 | 27 जनवरी 1956 |
6 | टंका प्रसाद आचार्य | नेपाल प्रजा परिषद | 27 जनवरी 1956 | 26 जुलाई 1957 |
7 | कुंवर इंद्रजीत सिंह | युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी | 26 जुलाई 1957 | 15 मई 1958 |
8 | सुबर्ण शमशेर राणा | नेपाली कांग्रेस | 15 मई 1958 | 27 मई 1959 |
9 | बिश्वेश्वर प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 27 मई 1959 | 15 दिसम्बर 1960 |
2. पंचायती शासन काल (1960–1990)
1960 से 1990 तक नेपाल में “पंचायती शासन” लागू रहा, जिसमें राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह एक प्रकार की दलहीन प्रणाली थी, जिसे प्रत्यक्ष रूप से राजा के नियंत्रण में चलाया जाता था। प्रधानमंत्री भी राजा द्वारा नियुक्त किए जाते थे, इसलिए लोकतांत्रिक भागीदारी लगभग समाप्त हो गई थी। इस दौरान सत्ता में स्थिरता तो रही, लेकिन जनता को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया, जिससे धीरे-धीरे असंतोष बढ़ता गया।
क्रम संख्या | नाम | पदभार ग्रहण | पदत्याग |
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10 | महेन्द्र बीर बिक्रम शाह | 15 दिसम्बर 1960 | 2 अप्रैल 1963 |
11 | तुलसी गिरि | 2 अप्रैल 1963 | 23 दिसम्बर 1963 |
12 | सूर्य बहादुर थापा | 23 दिसम्बर 1963 | 26 फरवरी 1964 |
13 | तुलसी गिरि | 26 फरवरी 1964 | 26 जनवरी 1965 |
14 | सूर्य बहादुर थापा | 26 जनवरी 1965 | 7 अप्रैल 1969 |
15 | कीर्ति निधि बिस्ट | 7 अप्रैल 1969 | 13 अप्रैल 1970 |
16 | गेहन्द्र बहादुर राजभंडारी | 13 अप्रैल 1970 | 14 अप्रैल 1971 |
17 | कीर्ति निधि बिस्ट | 14 अप्रैल 1971 | 16 जुलाई 1973 |
18 | नागेन्द्र प्रसाद रिजाल | 16 जुलाई 1973 | 1 दिसम्बर 1975 |
19 | तुलसी गिरि | 1 दिसम्बर 1975 | 12 सितम्बर 1977 |
20 | कीर्ति निधि बिस्ट | 12 सितम्बर 1977 | 30 मई 1979 |
21 | सूर्य बहादुर थापा | 30 मई 1979 | 12 जुलाई 1983 |
22 | लोकेन्द्र बहादुर चन्द | 12 जुलाई 1983 | 21 मार्च 1986 |
23 | नागेन्द्र प्रसाद रिजाल | 21 मार्च 1986 | 15 जून 1986 |
24 | मरीच मान सिंह श्रेष्ठ | 15 जून 1986 | 6 अप्रैल 1990 |
25 | लोकेन्द्र बहादुर चन्द | 6 अप्रैल 1990 | 19 अप्रैल 1990 |
3. संवैधानिक राजतंत्र (1990–2008)
1990 के जनआंदोलन के बाद नेपाल में बहुदलीय लोकतंत्र बहाल हुआ और राजा की शक्तियाँ सीमित कर दी गईं। संविधान के तहत राजतंत्र बना रहा, लेकिन निर्वाचित सरकारों को कार्यकारी अधिकार प्राप्त हुए। इस काल में राजनीतिक दलों ने सत्ता में वापसी की, लेकिन सरकारें अस्थिर रहीं और बार-बार नेतृत्व परिवर्तन होता रहा। साथ ही, माओवादी आंदोलन और राजपरिवार नरसंहार जैसी घटनाओं ने इस काल को और भी अशांत बना दिया। अंततः 2006 के जनआंदोलन ने राजशाही की शक्ति को पूरी तरह समाप्त कर दिया।
क्रम संख्या | नाम | राजनीतिक दल | पदभार ग्रहण | पदत्याग |
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26 | कृष्ण प्रसाद भट्टराई | नेपाली कांग्रेस | 6 अप्रैल 1990 | 26 मई 1991 |
27 | गिरिजा प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 26 मई 1991 | 30 नवम्बर 1994 |
28 | मन मोहन अधिकारी | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी | 30 नवम्बर 1994 | 12 सितम्बर 1995 |
29 | शेर बहादुर देउबा | नेपाली कांग्रेस | 12 सितम्बर 1995 | 12 मार्च 1997 |
30 | लोकेन्द्र बहादुर चन्द | राष्ट्रवादी प्रजातंत्र पार्टी | 12 मार्च 1997 | 7 अक्टूबर 1997 |
31 | सूर्य बहादुर थापा | राष्ट्रवादी प्रजातंत्र पार्टी | 7 अक्टूबर 1997 | 15 अप्रैल 1998 |
32 | गिरिजा प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 15 अप्रैल 1998 | 31 मई 1999 |
33 | कृष्ण प्रसाद भट्टराई | नेपाली कांग्रेस | 31 मई 1999 | 22 मार्च 2000 |
34 | गिरिजा प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 22 मार्च 2000 | 26 जुलाई 2001 |
35 | शेर बहादुर देउबा | नेपाली कांग्रेस | 26 जुलाई 2001 | 4 अक्टूबर 2002 |
36 | ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह | – | 4 अक्टूबर 2002 | 11 अक्टूबर 2002 |
37 | लोकेन्द्र बहादुर चन्द | राष्ट्रवादी प्रजातंत्र पार्टी | 11 अक्टूबर 2002 | 5 जून 2003 |
38 | सूर्य बहादुर थापा | राष्ट्रवादी प्रजातंत्र पार्टी | 5 जून 2003 | 3 जून 2004 |
39 | शेर बहादुर देउबा | नेपाली कांग्रेस | 3 जून 2004 | 1 फरवरी 2005 |
40 | ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह | – | 1 फरवरी 2005 | 25 अप्रैल 2006 |
41 | गिरिजा प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 25 अप्रैल 2006 | 28 मई 2008 |
4. संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य (2008–2025)
2008 में नेपाल ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राजतंत्र को समाप्त कर संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। अब प्रधानमंत्री संसद द्वारा चुने जाने लगे और वे वास्तविक कार्यकारी प्रमुख बने। इस काल ने नेपाल को आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में नई पहचान दी। हालांकि राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा और गठबंधन की मजबूरियों के कारण अस्थिरता बनी रही, लेकिन यह दौर लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता की सहभागिता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ। 2025 में सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना इसी यात्रा का एक ऐतिहासिक पड़ाव है।
क्रम संख्या | नाम | राजनीतिक दल | पदभार ग्रहण | पदत्याग |
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42 | गिरिजा प्रसाद कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 28 मई 2008 | 18 अगस्त 2008 |
43 | पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) | 18 अगस्त 2008 | 25 मई 2009 |
44 | माधव कुमार नेपाल | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 25 मई 2009 | 6 फरवरी 2011 |
45 | झलनाथ खनाल | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 6 फरवरी 2011 | 29 अगस्त 2011 |
46 | बाबूराम भट्टराई | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) | 29 अगस्त 2011 | 14 मार्च 2013 |
47 | खिलराज रेग्मी | निर्दलीय | 14 मार्च 2013 | 11 फरवरी 2014 |
48 | सुशील कोइराला | नेपाली कांग्रेस | 11 फरवरी 2014 | 12 अक्टूबर 2015 |
49 | केपी शर्मा ओली | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 12 अक्टूबर 2015 | 4 अगस्त 2016 |
50 | पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) | 4 अगस्त 2016 | 7 जून 2017 |
51 | शेर बहादुर देउबा | नेपाली कांग्रेस | 7 जून 2017 | 15 फरवरी 2018 |
52 | केपी शर्मा ओली | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 15 फरवरी 2018 | 13 मई 2021 |
53 | केपी शर्मा ओली | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 13 मई 2021 | 13 जुलाई 2021 |
54 | शेर बहादुर देउबा | नेपाली कांग्रेस | 13 जुलाई 2021 | 26 दिसम्बर 2022 |
55 | पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) | 26 दिसम्बर 2022 | 15 जुलाई 2024 |
56 | केपी शर्मा ओली | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) | 15 जुलाई 2024 | 9 सितम्बर 2025 |
57 | सुशीला कार्की | – | 12 सितम्बर 2025 | वर्तमान |
नेपाल की राजनीति और प्रधानमंत्रियों की संक्षिप्त टाइमलाइन (1951–2025)
वर्ष | प्रमुख घटनाक्रम | प्रधानमंत्री |
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1951 | राणा शासन का अंत, लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत | मातृका प्रसाद कोइराला (पहले आम जनता से आए पीएम) |
1959 | नेपाल का पहला आम चुनाव, लोकतांत्रिक सरकार | बी.पी. कोइराला |
1960 | राजा महेन्द्र ने संसद भंग कर पंचायती प्रणाली लागू की | महेन्द्र बीर बिक्रम शाह (राजा ने प्रत्यक्ष शासन किया) |
1963–1990 | पंचायती शासन का दौर, प्रधानमंत्री राजा द्वारा नियुक्त | तुलसी गिरि, सूर्य बहादुर थापा, कीर्ति निधि बिस्ट आदि |
1990 | जनआंदोलन, बहुदलीय लोकतंत्र की वापसी | कृष्ण प्रसाद भट्टराई |
1991–2001 | लोकतांत्रिक अस्थिरता, बार-बार सरकारें बदलीं | गिरिजा प्रसाद कोइराला, मनमोहन अधिकारी, शेर बहादुर देउबा |
2001 | राजपरिवार नरसंहार, राजा ज्ञानेन्द्र का उदय | शेर बहादुर देउबा |
2005 | राजा ज्ञानेन्द्र ने आपातकाल लगाकर सत्ता अपने हाथ में ली | ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह |
2006 | दूसरा जनआंदोलन, शाही सत्ता का अंत | गिरिजा प्रसाद कोइराला |
2008 | राजतंत्र का अंत, नेपाल गणराज्य बना | गिरिजा प्रसाद कोइराला (अंतरिम) |
2008–2017 | माओवादी और वाम दलों का उदय | पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड), माधव कुमार नेपाल, बाबूराम भट्टराई |
2015 | नेपाल का नया संविधान लागू हुआ | सुशील कोइराला |
2018–2022 | स्थिर वामपंथी सरकार की कोशिशें | के.पी. शर्मा ओली |
2022–2024 | गठबंधन सरकारें और फिर अस्थिरता | प्रचंड |
2025 (सितम्बर) | Gen Z आंदोलन, महिला नेतृत्व की शुरुआत | सुशीला कार्की (नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री) |
निष्कर्ष
1951 से लेकर 2025 तक नेपाल ने राजनीतिक अस्थिरता, राजतंत्र, लोकतांत्रिक प्रयोग और अंततः गणराज्य तक का सफर तय किया। इस पूरे कालखंड में प्रधानमंत्री का पद बार-बार बदला और कई नेताओं ने इस कुर्सी को संभाला।
आज 2025 में, जब सुशीला कार्की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं, तो यह नेपाल के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक समानता की ओर बढ़ता हुआ कदम है। नेपाल का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस लोकतांत्रिक यात्रा को कितनी स्थिरता और मजबूती से आगे बढ़ा पाता है।
इन्हें भी देखें –
- नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की : Gen-Z आंदोलन से सत्ता परिवर्तन तक की ऐतिहासिक यात्रा
- ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना: भारत के सबसे दक्षिणी द्वीप का रूपांतरण
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