पृथ्वी के रहस्यों को जानने और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को समझने की मानव जिज्ञासा ने अंतरिक्ष विज्ञान को लगातार नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। इसी दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हाल ही में सामने आई जब नासा (NASA) और इसरो (ISRO) के संयुक्त मिशन निसार (NISAR – NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Mission) ने पृथ्वी की सतह की अपनी पहली तस्वीरें भेजी हैं। यह तस्वीरें न केवल तकनीकी दृष्टि से चमत्कारिक हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन, कृषि निगरानी, अवसंरचना प्रबंधन और जलवायु अध्ययन के लिए एक नया अध्याय खोलती हैं।
पहली तस्वीरें और उनका महत्व
निसार उपग्रह द्वारा भेजी गई पहली रडार छवियाँ अमेरिका के मेन (Maine) स्थित माउंट डेज़र्ट आइलैंड और नॉर्थ डकोटा (North Dakota) के उत्तर–पूर्वी क्षेत्र से प्राप्त हुईं। इन तस्वीरों का महत्व अत्यंत गहरा है:
- तस्वीरों में जलाशय, जंगल, खाली ज़मीन और मानव-निर्मित संरचनाएँ स्पष्ट रूप से अलग-अलग दिखाई देती हैं।
- निसार के रडार की क्षमता इतनी उन्नत है कि यह 5 मीटर तक के छोटे-छोटे ऑब्जेक्ट को भी पहचान सकता है।
- भूमि उपयोग पैटर्न जैसे कि दलदली क्षेत्र (Wetlands), कृषि भूमि और सिंचाई तकनीकें तस्वीरों में साफ़-साफ़ परिलक्षित होती हैं।
ये शुरुआती परिणाम इस बात का प्रमाण हैं कि यह उपग्रह भविष्य में पृथ्वी अवलोकन और डेटा संग्रहण के क्षेत्र में क्रांतिकारी भूमिका निभाने वाला है।
निसार उपग्रह क्या है?
निसार एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite) है, जिसे नासा और इसरो ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसका प्रक्षेपण 30 जुलाई 2025 को किया गया। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एल-बैंड (L-Band) और एस-बैंड (S-Band) दोनों पर कार्य करता है, जिससे यह दुनिया का पहला डुअल-फ्रिक्वेंसी रडार इमेजिंग उपग्रह बन गया है।
निसार की क्षमताओं को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यह मौसम, बादल, अंधकार और वर्षा जैसी परिस्थितियों की परवाह किए बिना पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान कर सकता है।
मिशन प्रोफ़ाइल
- मिशन अवधि: न्यूनतम 3 वर्ष
- कक्षा (Orbit): सूर्य-समकालिक (Sun-Synchronous) कक्षा
- ऊँचाई – 747 किमी
- रिपीट साइकिल – 12 दिन
- भार (Weight): लगभग 2800 किग्रा
- लागत (Cost): लगभग 5 अरब अमेरिकी डॉलर – इसे अब तक के सबसे महंगे उपग्रह मिशनों में गिना जाता है।
- विशेषता: दुनिया का पहला उपग्रह जो S और L बैंड दोनों फ्रिक्वेंसी पर कार्य करता है।
रडार प्रौद्योगिकी
निसार को Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक से बनाया गया है, जिसे अब तक का सबसे उन्नत माना जाता है।
- एंटेना: 12-मीटर का विशाल SAR एंटेना लगाया गया है।
- स्वीप SAR तकनीक: एक बार में 242 किमी चौड़ाई क्षेत्र की 3D उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियाँ लेने की क्षमता।
L-Band SAR (NASA JPL द्वारा विकसित)
- तरंगदैर्घ्य (Wavelength): लगभग 24 सेमी
- विशेषता: यह वनस्पति और सतह सामग्री को भेदकर गहराई तक डेटा प्रदान करता है।
- उपयोग:
- ठोस पृथ्वी प्रक्रियाओं (भूकंप, टेक्टोनिक गतिविधि) का अध्ययन
- हिम चादरों और ग्लेशियर की गतिशीलता
- बायोमास और वनस्पति परिवर्तन का अध्ययन
S-Band SAR (ISRO द्वारा विकसित)
- तरंगदैर्घ्य (Wavelength): लगभग 10 सेमी
- विशेषता: सतह की हल्की-सी विकृति (Surface Deformation) पकड़ने में सक्षम।
- उपयोग:
- भूकंप की निगरानी
- ज्वालामुखी गतिविधि का पता लगाना
- भूस्खलन जैसी आपदाओं का अध्ययन
निसार के प्रमुख उपयोग
निसार उपग्रह के उपयोग अत्यंत व्यापक हैं। इसके द्वारा प्राप्त डेटा अनेक क्षेत्रों में सहायक होंगे:
1. आपदा प्रबंधन
- भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी आपदाओं का त्वरित आकलन।
- आपदा प्रभावित क्षेत्रों का रियल-टाइम मानचित्रण।
2. कृषि और पारिस्थितिकी निगरानी
- बायोमास मापन और वनों की कटाई की निगरानी।
- फसलों की स्थिति और मृदा नमी (Soil Moisture) का आकलन।
- सिंचाई पद्धतियों और कृषि क्षेत्र के विस्तार का अध्ययन।
3. जलवायु और हिमनद अध्ययन
- ग्लेशियर और हिमचादरों की निगरानी।
- समुद्र स्तर में होने वाले संभावित परिवर्तनों का अनुमान।
4. भूगर्भीय और सतही परिवर्तन निगरानी
- टेक्टोनिक प्लेटों की गति और संरचनात्मक बदलावों का पता लगाना।
- नगरीकरण और मानव निर्मित ढाँचों के प्रभाव का अध्ययन।
5. वैश्विक अवसंरचना निगरानी
- बड़े बांध, पुल, नहरें और सड़क परियोजनाओं की स्थिरता का विश्लेषण।
- स्मार्ट शहरों और शहरी योजनाओं के लिए डेटा।
भारत और विश्व के लिए निसार का महत्व
भारत के लिए:
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए फसल स्वास्थ्य, जल प्रबंधन और मृदा नमी के डेटा से बड़ा लाभ।
- मानसून और आपदाओं के पूर्वानुमान में सुधार।
- हिमालयी ग्लेशियरों के अध्ययन से गंगा-ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के जल प्रवाह का बेहतर आकलन।
वैश्विक महत्व:
- जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन (Global Warming) पर विस्तृत डेटा।
- समुद्र स्तर वृद्धि की सटीक भविष्यवाणी।
- प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूती।
वैज्ञानिक दृष्टि से उपलब्धि
निसार उपग्रह की पहली तस्वीरें केवल तकनीकी सफलता नहीं हैं, बल्कि यह पृथ्वी अवलोकन विज्ञान (Earth Observation Science) के नए युग की शुरुआत हैं। अब वैज्ञानिकों के पास सतह और उपसतह दोनों की विस्तृत जानकारी होगी। यह उपग्रह भविष्य में:
- पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की गहन समझ विकसित करेगा।
- जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ठोस नीतिगत सुझाव उपलब्ध कराएगा।
- अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की तकनीकी क्षमता को और अधिक मजबूती देगा।
निष्कर्ष
नासा और इसरो का संयुक्त मिशन निसार न केवल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का चमत्कार है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक अमूल्य वैज्ञानिक संपदा है। इसकी पहली तस्वीरों ने यह साबित कर दिया है कि यह मिशन आने वाले वर्षों में पृथ्वी और मानव समाज को अनगिनत लाभ पहुँचाएगा। आपदा प्रबंधन से लेकर कृषि सुधार, जलवायु अध्ययन से लेकर शहरी नियोजन तक – निसार के डेटा का महत्व आने वाले दशकों में लगातार बढ़ता जाएगा।
संक्षेप में कहा जाए तो निसार मिशन एक ऐसा ‘आकाशीय प्रहरी’ है जो धरती की नब्ज को समझने और मानवता के भविष्य को सुरक्षित बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
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