भारत बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक परंपराओं वाला देश है, जहाँ प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट भाषा और संस्कृति है। इन्हीं भाषाओं में एक प्रमुख और प्राचीन भाषा है तमिल (Tamil) — जो द्रविड़ भाषा परिवार की अत्यंत समृद्ध, प्राचीन और जीवंत भाषा मानी जाती है।
तमिल भाषा न केवल भारत की बल्कि विश्व की भी सबसे पुरानी जीवित भाषाओं में से एक है, जिसकी साहित्यिक परंपरा लगभग 2500 वर्षों से अधिक पुरानी है। यह भाषा न केवल दक्षिण भारत में बल्कि श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया और अनेक देशों में बोली जाती है।
तमिल भाषा : एक प्राचीन और समृद्ध द्रविड़ भाषा
तमिल भाषा (தமிழ் மொழி) द्रविड़ भाषा परिवार की सबसे प्राचीन, सुसंस्कृत और जीवंत भाषाओं में से एक है। यह न केवल भारत की बल्कि संपूर्ण दक्षिण एशिया की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का अभिन्न अंग है। तमिल का प्रयोग मुख्यतः भारत के तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में किया जाता है, जबकि इसकी गूंज श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया, मॉरिशस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों तक सुनाई देती है।
विश्वभर में लगभग 7 करोड़ से अधिक लोग तमिल को मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, जिससे यह विश्व की प्रमुख जीवित भाषाओं में से एक बन गई है। इसकी साहित्यिक परंपरा लगभग 2500 वर्षों पुरानी है, और यही कारण है कि इसे भारत सरकार द्वारा सन् 2004 में पहली बार “शास्त्रीय भाषा” (Classical Language) का दर्जा प्रदान किया गया।
तमिल भाषा का इतिहास गहराई से जुड़ा हुआ है संगम कालीन साहित्य से, जो इसकी सांस्कृतिक समृद्धि, काव्य परंपरा और दार्शनिक चिंतन का साक्षी है। इस भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्राचीन होने के बावजूद आज भी आधुनिक जीवन, तकनीकी, शिक्षा, प्रशासन और साहित्य के हर क्षेत्र में समान रूप से प्रयोग की जाती है।
तमिल का स्वर-संगीत, लिपि की कोमलता, और शब्दों की मधुरता इसे न केवल एक भाषाई माध्यम बनाते हैं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी बनाते हैं। यही कारण है कि तमिल भाषा को “तमिऴ मोऴि” अर्थात् “मधुर भाषा” कहा जाता है — एक ऐसी भाषा जो अपने उच्चारण, साहित्य और सभ्यता में अद्वितीय है।
भाषा परिवार और बोलने वाले क्षेत्र
लिपि | तमिल लिपि (वट्ट एऴुत्तु) |
उच्चारण | संस्कृत, हिंदी, मारवाड़ी, मेवाती |
बोली क्षेत्र | भारत (तमिलनाडु), श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया और अन्य देशों में तमिल अप्रवासियों द्वारा। |
वक्ता | 6.8 करोड़ (मातृभाषा), 7.7 करोड़ (कुल) |
भाषा परिवार | द्रविड़ |
आधिकारिक भाषा | तमिलनाडु नाड़ु (भारत), श्रीलंका, सिंगापुर |
तमिल भाषा द्रविड़ भाषा परिवार की सदस्य है। यह परिवार सम्पूर्ण दक्षिण भारत, श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया, नेपाल, पाकिस्तान और यहाँ तक कि मॉरिशस व वियतनाम जैसे देशों में भी कुछ रूपों में बोला जाता है।
भारत में यह भाषा मुख्यतः तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की राजभाषा के रूप में प्रयोग में है। इसके अलावा यह श्रीलंका और सिंगापुर की भी राजभाषा है।
मलेशिया, मॉरिशस, वियतनाम, रियूनियन, दक्षिण अफ्रीका, और फिजी जैसे देशों में बसे तमिल अप्रवासी समुदायों द्वारा भी यह भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है।
विश्वभर में लगभग 7.7 करोड़ लोग तमिल बोलते हैं, जिनमें से लगभग 6.8 करोड़ लोग इसे मातृभाषा के रूप में उपयोग करते हैं।
तमिल भाषा का वैश्विक महत्व
तमिल भाषा ने सीमाओं को पार कर विश्व स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। सिंगापुर और श्रीलंका जैसे देशों में यह सरकारी कार्यों, शिक्षा, और मीडिया की प्रमुख भाषा है।
मलेशिया में भी तमिल माध्यम के अनेक विद्यालय, अख़बार और सांस्कृतिक संस्थान सक्रिय हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNESCO) ने भी तमिल को विश्व की सबसे पुरानी निरंतर जीवित भाषाओं में से एक माना है।
तमिल भाषा की प्राचीनता, निरंतरता और समृद्ध साहित्य के कारण भारत सरकार ने इसे वर्ष 2004 में “शास्त्रीय भाषा” (Classical Language) का दर्जा प्रदान किया। यह दर्जा प्राप्त करने वाली यह भारत की पहली भाषा थी।
तमिल भाषा की उत्पत्ति
तमिल भाषा की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों के बीच भिन्न मत हैं, परंतु यह सर्वमान्य है कि यह द्रविड़ भाषा परिवार की सबसे प्राचीन शाखा है।
तमिल भाषा की जड़ें ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी तक पहुँचती हैं। विद्वान यह मानते हैं कि यह भाषा ब्रह्मी लिपि से विकसित हुई और प्रारंभ में वट्ट एऴुत्तु (Vatteluttu) नामक लिपि में लिखी जाती थी।
तमिल भाषा की विशेषता यह है कि यह इतनी प्राचीन होने के बावजूद आज भी सक्रिय, जीवंत और आधुनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में उपयोग में है।
इसके विपरीत, विश्व की अनेक प्राचीन भाषाएँ जैसे — संस्कृत, लैटिन या ग्रीक — अब सामान्य जन-भाषा के रूप में प्रयोग में नहीं हैं, किंतु तमिल आज भी एक जीवित और विकसित होती भाषा है।
तमिल शब्द की व्युत्पत्ति
“तमिल” शब्द स्वयं अपने अर्थ में बहुत सुंदर है। तमिल के साहित्य और निघण्टु (शब्दकोश) में ‘तमिऴ’ शब्द का अर्थ “मधुर” बताया गया है।
हिन्दी और उत्तर भारतीय भाषाओं में इसे सामान्यतः “तामिल” कहा जाता है।
कुछ विद्वानों ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि तमिल शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘द्राविड़’ शब्द से हुई है —
द्राविड़ → द्रविड़ → द्रमिड → द्रमिल → तमिऴ
किन्तु अधिकांश तमिल विद्वान इस मत से असहमत हैं और मानते हैं कि “तमिऴ” एक स्वतंत्र और स्वदेशी शब्द है, जिसकी जड़ें इस भाषा की आत्मा में निहित हैं।
लिपि : तमिल लिपि (Vatteluttu)
तमिल भाषा तमिल लिपि में लिखी जाती है, जिसे ऐतिहासिक रूप से “वट्ट एऴुत्तु” (Vatteluttu) कहा जाता है।
यह लिपि ब्रह्मी लिपि से व्युत्पन्न मानी जाती है और इसमें 12 स्वर (Vowels) तथा 18 व्यंजन (Consonants) होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें कई संयुग्म अक्षर (Combinations) भी हैं।
तमिल लिपि को बाएँ से दाएँ लिखा जाता है और इसमें देवनागरी जैसी मात्रा या रेखा का प्रयोग नहीं होता।
यह लिपि बहुत ही सुगढ़, गोलाकार और सरल है, जिसके कारण इसे पढ़ना और लिखना अपेक्षाकृत आसान है।
तमिल भाषा का विकासक्रम
तमिल भाषा का विकास तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया जा सकता है —
- प्राचीन तमिल (Old Tamil) — लगभग 500 ईसा पूर्व से 700 ईस्वी तक
- इस काल में “संघम साहित्य (Sangam Literature)” की रचना हुई, जो तमिल साहित्य का सबसे पुराना और गौरवशाली हिस्सा है।
- इस काल की भाषा अधिक शुद्ध और संस्कृत-मुक्त थी।
- मध्य तमिल (Middle Tamil) — 700 से 1600 ईस्वी तक
- इस काल में संस्कृत और प्राकृत का प्रभाव बढ़ा।
- शैव और वैष्णव भक्ति आंदोलन के कारण धार्मिक ग्रंथों, कविताओं और भक्तिपरक साहित्य की रचना हुई।
- इस दौर के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्लुवर थे, जिन्होंने ‘तिरुक्कुरल’ नामक महान ग्रंथ लिखा।
- आधुनिक तमिल (Modern Tamil) — 1600 ईस्वी से वर्तमान तक
- इस काल में तमिल भाषा ने यूरोपीय भाषाओं से कुछ शब्द लिए और आधुनिक विज्ञान, शिक्षा, और तकनीकी क्षेत्रों में अपनी उपयोगिता बढ़ाई।
- आधुनिक तमिल आज शिक्षा, प्रशासन, सिनेमा, साहित्य और मीडिया की प्रमुख भाषा है।
तमिल भाषा की लिपि और वर्णमाला (தமிழ் எழுத்துமுறை)
मिल भाषा भारत की प्राचीनतम द्रविड़ भाषाओं में से एक है। इसकी लिपि और वर्णमाला न केवल भाषिक दृष्टि से अद्वितीय हैं, बल्कि दक्षिण भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को भी दर्शाती हैं। तमिल में प्रयुक्त लिपि को “वट्टेळுத்தु (Vatteluttu)” कहा जाता है, जो रूप और ध्वनि—दोनों ही स्तरों पर अन्य भारतीय लिपियों से भिन्न है।
लिपि की उत्पत्ति और स्वरूप
तमिल भाषा में तमिल लिपि (Vatteluttu) का प्रयोग किया जाता है, जो अन्य भारतीय भाषाओं की लिपियों से कुछ अलग और विशिष्ट है। तमिल लिपि की संरचना और नियमों में एक अद्वितीयता है, जिसे अन्य द्रविड़ भाषाओं से भी स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है। इस लिपि की संरचना ब्रह्मी लिपि से विकसित हुई है और इसे बाएं से दाएं लिखा जाता है, ठीक वैसे ही जैसे अंग्रेजी की लिपि में लिखा जाता है।
उदाहरण:
शब्द “தமிழ்” (तमिऴ) में बाएँ से दाएँ लिखने की यही पद्धति स्पष्ट दिखाई देती है।
तमिल लिपि की रेखाएँ गोलाकार होती हैं — यह दक्षिण भारत की ताड़पत्र लेखन परंपरा का प्रभाव है, जहाँ नुकीली रेखाएँ पत्तों को फाड़ देती थीं।
लिपि की संरचना
तमिल लिपि में 12 स्वर (Vowels) और 18 व्यंजन (Consonants) होते हैं, जो मिलकर 31 मूल अक्षरों का निर्माण करते हैं। तमिल भाषा की लिपि में वॉवेल और कॉन्सोनेंट्स दोनों का समावेश किया जाता है, जिससे यह एक सिलाबिक लिपि बनती है। यह अन्य भाषाओं की अल्फ़ाबेटिक लिपियों से अलग है, जहां हर अक्षर स्वतंत्र रूप से उपयोग होता है। तमिल में प्रत्येक स्वर और व्यंजन का संयोजन 247 संभावित ध्वन्यात्मक संयोजनों (Phonetic Combinations) को जन्म देता है।
उदाहरण:
- स्वर: அ (a), இ (i), உ (u), எ (e), ஒ (o)
- व्यंजन: க (ka), ச (cha), ட (ṭa), த (tha), ப (pa), ற (ṟa)
- संयोजन उदाहरण: கா (kā), பே (pē), தூ (thū)
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि व्यंजन और स्वर के मेल से तमिल ध्वनियाँ बनती हैं, जिनका प्रत्येक रूप अर्थ और उच्चारण में परिवर्तन लाता है।
विशिष्ट ध्वनियाँ और ध्वन्यात्मक संरचना
तमिल लिपि की एक विशेष ध्वनि “ழ” (Za) है, जिसे देवनागरी में “ऴ” के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यह ध्वनि तमिल शब्दों के भीतर ही विशेष रूप से उपयोग की जाती है और इसे किसी अन्य भारतीय भाषा में नहीं पाया जाता। यह तमिल भाषा की एक महत्वपूर्ण विशेषता है और इसे “तमिऴ” शब्द में भी देखा जा सकता है, जो इस लिपि की पहचान को स्पष्ट करता है।
तमिल में हृस्व ए (ऎ) और हृस्व ओ (ऒ) जैसी ध्वनियाँ भी पाई जाती हैं, जो अन्य भारतीय भाषाओं में आमतौर पर नहीं होतीं। इन विशेषताओं के कारण तमिल लिपि को अन्य भारतीय लिपियों से अलग और विशिष्ट माना जाता है।
सबसे प्रसिद्ध ध्वनि है — “ழ” (ḻa)।
यह एक गूढ़ ध्वनि है जिसे जीभ को हल्का पीछे मोड़कर उच्चारित किया जाता है। यह ध्वनि तमिल पहचान का प्रतीक मानी जाती है।
उदाहरण:
- “தமிழ்” (Tamizh) — तमिल
- “வாழ்க்கை” (Vazhkkai) — जीवन
- “ழகு” (Zhagu) — सुंदरता
इन शब्दों में “ழ” की ध्वनि का विशेष स्थान है। देवनागरी में इसका सटीक प्रतिनिधित्व कठिन है, लेकिन इसे “ऴ” के रूप में निकटतम रूप से लिखा जा सकता है।
हृस्व और दीर्घ स्वर
तमिल में स्वरों का वर्गीकरण हृस्व (Short) और दीर्घ (Long) रूपों में होता है।
हृस्व स्वर एक मात्रा में बोले जाते हैं, जबकि दीर्घ स्वर दो मात्राओं में।
उदाहरण:
- हृस्व: அ (a), இ (i), உ (u)
- दीर्घ: ஆ (ā), ஈ (ī), ஊ (ū)
इसके अतिरिक्त, तमिल में कुछ ऐसे स्वरों का प्रयोग भी होता है जो अन्य भाषाओं में नहीं मिलते, जैसे ऎ (எ) और ऒ (ஒ)।
ये ध्वनियाँ तमिल की उच्चारण समृद्धि को और भी बढ़ा देती हैं।
उदाहरण:
- எலி (Eli) — चूहा
- ஒலி (Oli) — ध्वनि
वर्णमाला और ध्वनि-नियम (Sound System Rules)
तमिल की वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों के अलावा एक आयतम (அய்தம்) नामक चरित्र भी होता है, जो न तो स्वर होता है और न ही व्यंजन, बल्कि यह विशिष्ट ध्वनियों के प्रतिनिधित्व के लिए प्रयोग किया जाता है। इस लिपि में स्वर और व्यंजन दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट किया गया है, और इनमें से कई अक्षर एक दूसरे के साथ मिलकर ध्वन्यात्मक बदलावों का संकेत देते हैं।
उदाहरण स्वरूप, तमिल में र और ल की तीव्र ध्वनियाँ (या उच्चारण) भी पाई जाती हैं, जो अन्य भाषाओं में समान नहीं होतीं। इसी तरह न का कोमल रूप भी विशेष होता है।
उदाहरण:
- அஃது (Aḥdu) — वह
यहाँ “ஃ” (Aytham) ध्वनि में एक हल्का विराम या श्वास जैसा प्रभाव लाता है।
तमिल ध्वनि प्रणाली में “ர” (ra), “ற” (ṟa), “ல” (la), “ள” (ḷa), “ன” (ṇa) जैसी ध्वनियाँ भी हैं, जिनके सूक्ष्म भेद उच्चारण में विशेष ध्यान देने योग्य हैं।
उदाहरण:
- கரம் (karam) — हाथ
- கற்றல் (kaṟṟal) — सीखना
- நலம் (nalam) — भलाई
- மணம் (maṇam) — सुगंध
कम्पोज़िट अक्षर और विशेषक चिन्ह (Diacritic Marks)
तमिल लिपि की सबसे दिलचस्प विशेषता यह है कि इसके वर्गीय अक्षरों (जैसे क वर्ग, च वर्ग आदि) में केवल पहले और आखिरी अक्षर ही प्रयोग होते हैं, बीच के अक्षर नहीं होते। उदाहरण के तौर पर, क और क् के संयोजन से एक ही ध्वनि उत्पन्न होती है, लेकिन अन्य द्रविड़ भाषाओं जैसे तेलुगु, कन्नड़ या मलयालम में इस प्रकार के मध्य अक्षर भी पाए जाते हैं। इस रूप में तमिल लिपि थोड़ी सरल और संक्षिप्त होती है।
कभी-कभी इस लिपि में विविध विशेषक चिन्ह (Diacritic Marks) का प्रयोग भी किया जाता है, ताकि ध्वनियों और उच्चारणों में अंतर को स्पष्ट किया जा सके। ये चिन्ह मूल 31 अक्षरों पर लगाए जाते हैं और इनसे ध्वन्यात्मक परिवर्तन की जानकारी मिलती है, जैसे स्वर की उच्चारण में बदलाव या व्यंजन के साथ किसी विशेष स्वर का मेल।
तमिल भाषा की लिपि और वर्णमाला भारतीय भाषाओं की लिपियों में एक अद्वितीय स्थान रखती है। इसकी सिलाबिक प्रकृति, ध्वन्यात्मक विशेषताएँ और अक्षरों का संयोजन इसे अन्य भाषाओं से अलग और प्रभावशाली बनाता है। तमिल लिपि के द्वारा प्रकट की जाने वाली ध्वनियाँ और संकेतन न केवल इसकी विशेषता को दर्शाते हैं, बल्कि यह तमिल भाषा के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को भी बल प्रदान करते हैं।
उदाहरण:
- கல் (kal) — पत्थर
- பல் (pal) — दाँत
इन शब्दों में व्यंजन का रूप नहीं बदलता, केवल स्वर और व्यंजन के मेल से अर्थ बदलता है।
तमिल में विशेषक चिन्ह (Diacritic Marks) का प्रयोग स्वर के साथ किया जाता है ताकि उच्चारण का भेद स्पष्ट किया जा सके।
ये चिन्ह व्यंजनों के ऊपर, नीचे या बगल में लगते हैं।
उदाहरण:
- க (ka)
- கா (kā) — यहाँ “ா” दीर्घ स्वर का सूचक है
- கி (ki) — यहाँ “ி” हृस्व “इ” का सूचक है
तमिल लिपि की विशेषताएँ — सारांश
तत्व | विवरण | उदाहरण |
---|---|---|
स्वर (Vowels) | 12 | அ, ஆ, இ, ஈ, உ, ஊ, எ, ஏ, ஒ, ஓ, ஐ, ஔ |
व्यंजन (Consonants) | 18 | க, ச, ட, த, ப, ற, ஞ, ண, ந, ம, ய, ர, ல, வ, ழ, ள, ற, ன |
आयतम (Aytham) | 1 | ஃ |
दिशा | बाएँ से दाएँ | தமிழ் |
ध्वन्यात्मक संयोजन | लगभग 247 | கா, பே, தூ |
विशिष्ट ध्वनि | “ழ” (ḻ) | தமிழ், வாழ் |
तमिल लिपि अपनी सौंदर्यपूर्ण गोलाकार आकृति, अद्वितीय ध्वनियों और व्यवस्थित संरचना के कारण विश्व की सबसे विशिष्ट लिपियों में से एक है।
इसकी सरलता और ध्वनि-संपन्नता इसे न केवल द्रविड़ भाषाओं में बल्कि समूची भारतीय भाषिक परंपरा में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है।
तमिल भाषा में संख्याएँ (தமிழ் எண்கள்)
तमिल भाषा में संख्याओं का उच्चारण और लेखन अपनी विशिष्ट ध्वन्यात्मकता तथा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। इन संख्याओं का उपयोग न केवल दैनिक जीवन में होता है, बल्कि तमिल साहित्य, व्यापार, शिक्षा और पारंपरिक गणना पद्धतियों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तमिल में एक से दस तक की संख्याएँ इस प्रकार हैं—
क्रमांक | तमिल संख्या | उच्चारण | हिन्दी अर्थ |
---|---|---|---|
1 | ஒன்று (ऒऩ्ऱु) | ऑन्रु | एक |
2 | இரண்டு (इरंडू) | इरंडू | दो |
3 | மூன்று (मूऩ्ऱु) | मून्ऱु | तीन |
4 | நான்கு (नाऩ्गु) | नांगु | चार |
5 | ஐந்து (ऐन्दु) | ऐन्दु | पाँच |
6 | ஆறு (आऱु) | आऱु | छः |
7 | ஏழு (एऴु) | एऴु | सात |
8 | எட்டு (ऎट्टु) | एट्टु | आठ |
9 | ஒன்பது (ऒऩ्पदु) | ऑन्पदु | नौ |
10 | பத்து (पत्तु) | पत्तु | दस |
इन संख्याओं की विशेषता यह है कि प्रत्येक शब्द में तमिल ध्वनियों का सौंदर्य झलकता है, जिससे भाषा की प्राचीनता और स्वर-संपन्नता का परिचय मिलता है। तमिल लिपि में प्रयुक्त ये अंक दक्षिण भारतीय भाषाओं की समृद्ध परंपरा और द्रविड़ भाषिक परिवार की संरचनात्मक विशिष्टता को भी उजागर करते हैं।
तमिल वर्णमाला चार्ट (Tamil Vowel + Consonant Table)
(1) स्वर — Uyir Ezhuthukkal (Vowels)
क्रमांक | तमिल स्वर | उच्चारण | हिंदी अर्थ / ध्वनि |
---|---|---|---|
1 | அ | a | अ |
2 | ஆ | ā | आ |
3 | இ | i | इ |
4 | ஈ | ī | ई |
5 | உ | u | उ |
6 | ஊ | ū | ऊ |
7 | எ | e | ए (हृस्व) |
8 | ஏ | ē | ए (दीर्घ) |
9 | ஐ | ai | ऐ |
10 | ஒ | o | ओ (हृस्व) |
11 | ஓ | ō | ओ (दीर्घ) |
12 | ஔ | au | औ |
(2) व्यंजन — Mei Ezhuthukkal (Consonants)
तमिल व्यंजनों को छह समूहों में बाँटा जाता है —
क, च, ट, त, प और य वर्ग।
वर्ग | तमिल व्यंजन | उच्चारण | हिंदी समान ध्वनि |
---|---|---|---|
க वर्ग | க | ka | क |
ங | ṅa | ङ | |
ச वर्ग | ச | ca | च |
ஞ | ña | ञ | |
ட वर्ग | ட | ṭa | ट |
ண | ṇa | ण | |
த वर्ग | த | tha | त |
ந | na | न | |
ப वर्ग | ப | pa | प |
ம | ma | म | |
य वर्ग | ய | ya | य |
ர | ra | र | |
ல | la | ल | |
வ | va | व | |
ழ | ḻa | ऴ (विशिष्ट तमिल ध्वनि) | |
ள | ḷa | ळ | |
ற | ṟa | र्र (तीव्र र) | |
ன | ṉa | न (कोमल रूप) |
(3) विशेष वर्ण — Aytham (அய்தம்)
चिन्ह | नाम | विवरण | उदाहरण |
---|---|---|---|
ஃ | Aytham | यह न स्वर है न व्यंजन; विशेष ध्वनि सूचक चिन्ह | அஃது (Aḥdu) — “वह” |
(4) संयुक्त स्वर + व्यंजन (Composite Letters)
तमिल लिपि की विशेषता यह है कि स्वर और व्यंजन मिलकर एक संयुक्त रूप धारण करते हैं।
नीचे “க (ka)” के साथ सभी 12 स्वरों के मेल से बने उदाहरण दिए गए हैं —
स्वर | संयोजन | उच्चारण | अर्थ (अनुमानित) |
---|---|---|---|
அ (a) | க | ka | क |
ஆ (ā) | கா | kā | का |
இ (i) | கி | ki | कि |
ஈ (ī) | கீ | kī | की |
உ (u) | கு | ku | कु |
ஊ (ū) | கூ | kū | कू |
எ (e) | கெ | ke | के (हृस्व) |
ஏ (ē) | கே | kē | के (दीर्घ) |
ஐ (ai) | கை | kai | कै |
ஒ (o) | கொ | ko | को (हृस्व) |
ஓ (ō) | கோ | kō | को (दीर्घ) |
ஔ (au) | கௌ | kau | कौ |
(5) तमिल संख्याएँ (தமிழ் எண்கள்)
क्रमांक | तमिल संख्या | उच्चारण | हिंदी अर्थ |
---|---|---|---|
1 | ஒன்று | onṟu | एक |
2 | இரண்டு | iraṇḍu | दो |
3 | மூன்று | mūnṟu | तीन |
4 | நான்கு | nāngu | चार |
5 | ஐந்து | ainthu | पाँच |
6 | ஆறு | āṟu | छः |
7 | ஏழு | ēḻu | सात |
8 | எட்டு | eṭṭu | आठ |
9 | ஒன்பது | oṉpadu | नौ |
10 | பத்து | pattu | दस |
तमिल वर्णमाला का यह चार्ट यह दर्शाता है कि यह लिपि न केवल सुसंगठित और वैज्ञानिक है, बल्कि ध्वन्यात्मक रूप से भी अत्यंत समृद्ध है।
इसकी स्पष्टता, स्वर-व्यंजन संयोजन की व्यवस्था, और विशिष्ट ध्वनियों जैसे “ழ” तथा “ஃ” की उपस्थिति तमिल को एक प्राचीन, परंतु जीवंत भाषा के रूप में पहचान दिलाती है।
तमिल साहित्य : एक गौरवशाली परंपरा
तमिल साहित्य की परंपरा अत्यंत समृद्ध और प्राचीन है। इसकी शुरुआत संघम युग (Sangam Age) से होती है, जो लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक फैला हुआ था।
इस काल में लगभग 2000 से अधिक कविताएँ और ग्रंथ रचे गए, जिनमें समाज, संस्कृति, प्रेम, युद्ध, वीरता और नैतिकता के विषयों का सुंदर चित्रण मिलता है।
मुख्य साहित्यिक ग्रंथों में शामिल हैं —
- एत्तुत्तोक्कै (Ettuthokai) — आठ संकलनों का समूह
- पत्तुपाट्टु (Pattuppaattu) — दस दीर्घ कविताएँ
- तिरुक्कुरल (Tirukkural) — नैतिकता और नीति पर आधारित महान ग्रंथ
मध्यकालीन तमिल साहित्य में शैव और वैष्णव भक्ति आंदोलन का प्रभाव देखा गया। तिरुनावुक्करसर, सुंदरर, मणिक्कवाचकर जैसे कवियों ने तमिल भक्ति काव्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
आधुनिक काल में सुबरमण्यम भारती जैसे कवियों ने स्वतंत्रता, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक सुधार के विषयों पर तमिल काव्य को समृद्ध किया।
धर्म और तमिल भाषा का संबंध
तमिल भाषा और हिंदू धर्म का गहरा संबंध रहा है। अनेक पुराणों, धार्मिक आख्यानों और देवताओं की कथाएँ तमिल में अनूदित और रचित हुई हैं।
दक्षिण भारत के भक्ति आंदोलन में तमिल कवियों ने भक्ति साहित्य की एक अनूठी परंपरा स्थापित की, जो बाद में हिन्दी, मराठी और बंगाली जैसी भाषाओं को भी प्रभावित करती रही।
तमिल भाषा में शैव, वैष्णव, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित अनेक ग्रंथ मिलते हैं।
इन धार्मिक ग्रंथों ने न केवल तमिल को एक धार्मिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया, बल्कि उसकी साहित्यिक गरिमा को भी अमर बना दिया।
तमिल और अन्य भाषाओं पर प्रभाव
तमिल भाषा ने मलयालम, कन्नड़, तेलुगु जैसी अन्य द्रविड़ भाषाओं पर गहरा प्रभाव डाला है।
मलयालम भाषा का तो लगभग आधा शब्दकोष तमिल से प्रभावित है।
इसके अतिरिक्त, तमिल में भी संस्कृत, पाली और प्राकृत भाषाओं से कुछ शब्द अपनाए गए हैं, विशेषकर धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में।
तमिल भाषा की व्याकरणिक विशेषताएँ
तमिल भाषा की व्याकरण प्रणाली अत्यंत विकसित और संगठित है। इसकी व्याकरणिक परंपरा “तोल्काप्पियम” नामक ग्रंथ में व्यवस्थित की गई थी, जिसे विश्व की सबसे पुरानी व्याकरणिक पुस्तकों में गिना जाता है।
तमिल व्याकरण की प्रमुख विशेषताएँ —
- इसमें लिंग (Gender) की तुलना में सजीव-अजीव (Animate–Inanimate) का भेद महत्वपूर्ण है।
- क्रिया रूप (Verb forms) अत्यंत लचीले और सटीक हैं।
- इसमें वाक्यरचना स्पष्ट, तर्कसंगत और ध्वन्यात्मक रूप से सुरीली है।
- तमिल में ध्वनि-लालित्य और शब्द-संरचना का विशेष ध्यान रखा जाता है।
आधुनिक तमिल : प्रौद्योगिकी और मीडिया में भूमिका
21वीं सदी के डिजिटल युग में तमिल भाषा ने स्वयं को पूरी तरह आधुनिक बनाया है।
यह भाषा इंटरनेट, मोबाइल एप्स, फिल्म उद्योग, और शिक्षा प्रणाली में व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जा रही है।
तमिल सिनेमा (Kollywood) ने इस भाषा को वैश्विक पहचान दिलाई है। तमिल फिल्मों के गीत, संवाद और सांस्कृतिक प्रतीक न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं।
तमिलनाडु सरकार ने शिक्षा, प्रशासन और न्यायिक प्रणाली में भी तमिल के प्रयोग को बढ़ावा दिया है।
इसके अतिरिक्त, सिंगापुर और श्रीलंका में भी तमिल माध्यम के विद्यालय और विश्वविद्यालय सक्रिय हैं।
तमिल भाषा का सांस्कृतिक योगदान
तमिल भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण संस्कृति की वाहक है।
इसमें निहित लोकगीत, नृत्य, संगीत और कला रूप — जैसे भरतनाट्यम, कावडी, और कोलम — तमिल सभ्यता की आत्मा को प्रकट करते हैं।
हर वर्ष “तमिल भाषा दिवस” (Tamil Language Day) मनाया जाता है, ताकि नई पीढ़ी को इस भाषा की विरासत से जोड़ा जा सके।
तमिल भाषा का संगीत, कविता, नाटक और सिनेमा — सभी क्षेत्रों में योगदान अनुपम है।
महत्वपूर्ण तथ्य
क्रमांक | विषय | विवरण |
---|---|---|
1 | भाषा परिवार | द्रविड़ भाषा परिवार |
2 | बोलने वाले देश | भारत, श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया, मॉरिशस आदि |
3 | मातृभाषी वक्ता | लगभग 6.8 करोड़ |
4 | कुल वक्ता | लगभग 7.7 करोड़ |
5 | लिपि | तमिल लिपि (वट्ट एऴुत्तु) |
6 | लेखन दिशा | बाएँ से दाएँ |
7 | शास्त्रीय दर्जा | वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा प्रदान |
8 | प्रमुख ग्रंथ | तिरुक्कुरल, तोलकाप्पियम, एत्तुत्तोक्कै |
9 | धार्मिक प्रभाव | हिंदू, जैन, बौद्ध परंपराएँ |
10 | आधुनिक क्षेत्र | सिनेमा, मीडिया, शिक्षा, इंटरनेट |
निष्कर्ष
तमिल भाषा केवल एक भाषाई प्रणाली नहीं, बल्कि एक सभ्यता की आत्मा है जिसने हजारों वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा तय की है।
इस भाषा ने न केवल दक्षिण भारत बल्कि समूचे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान को सशक्त किया है।
तमिल आज भी एक जीवंत, प्रगतिशील और समृद्ध भाषा है, जो अपने गौरवशाली अतीत के साथ आधुनिकता को भी अपनाती चली जा रही है।
संघम युग की कविताओं से लेकर आधुनिक डिजिटल अभिव्यक्तियों तक, तमिल भाषा ने अपनी आत्मा को अक्षुण्ण रखा है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि —
“तमिल केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह एक जीवित परंपरा, एक संस्कृति और एक अमर पहचान है।”
इन्हें भी देखें –
- भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति
- हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास
- हिंदी भाषा का अतीत और वर्तमान
- हिंदी भाषा का इतिहास
- राजभाषा : भारत की राजभाषा, राज्यों की राजभाषाएं, परिभाषा, महत्व और सूची
- राष्ट्रभाषा : स्वरूप, अवधारणा, परिभाषा और महत्व
- मातृभाषा: परिभाषा, अर्थ, विशेषताएँ और दिवस – संस्कृति, पहचान और अभिव्यक्ति का आधार
- लिपि : परिभाषा, अर्थ, इतिहास, प्रकार, रूपांतरण और उदाहरण
- ब्राह्मी लिपि से आधुनिक भारतीय लिपियों तक: उद्भव, विकास, शास्त्रीय प्रमाण, अशोक शिलालेख
- सिंधी भाषा : उद्भव, विकास, लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य और भाषिक संरचना
- उर्दू भाषा : इतिहास, लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य, विकास और वैश्विक महत्व
- बंगाली भाषा : बांग्ला भाषा, लिपि, वर्णमाला, साहित्य, इतिहास, विकास और वैश्विक महत्व
- असमिया भाषा : असम की भाषा, इतिहास, विकास, लिपि, वर्णमाला और साहित्यिक परंपरा
- दीवाली 2025: कब है, क्या हैं पाँच शुभ योग, लक्ष्मी-गणेश पूजा का सही मुहूर्त, पूजा विधि, तिथि और महत्त्व
- छोटी दिवाली 2025: नरक चतुर्दशी का पर्व – अंधकार से प्रकाश की ओर एक पवित्र यात्रा