डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) नियम 2025: भारत में डेटा गोपनीयता का नया अध्याय

भारत ने डिजिटल गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) Rules, 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा 13 नवंबर 2025 को जारी इन नियमों के साथ ही DPDP Act, 2023 अब पूर्ण रूप से प्रभावी हो गया है। यह अधिनियम और नियम मिलकर एक आधुनिक, नागरिक-केन्द्रित, पारदर्शी और नवाचार-हितैषी डेटा शासन ढांचा तैयार करते हैं, जो भारत को विश्व के अग्रणी डेटा संरक्षण देशों की श्रेणी में ले जाता है।

इस विस्तृत लेख में हम DPDP नियम 2025 की पृष्ठभूमि, उद्देश्य, विशेषताएँ, सिद्धांत, अधिकार, दायित्व, दंड और उसके दूरगामी प्रभावों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।

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पृष्ठभूमि: भारत में डेटा संरक्षण की आवश्यकता

डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार के साथ ही व्यक्तिगत डेटा का संग्रह, भंडारण और उपयोग अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। मोबाइल ऐप्स, सोशल मीडिया, ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनियाँ और डिजिटल भुगतान सेवाएँ — सभी नागरिकों का बड़ा डेटा इकट्ठा कर रहे थे। लेकिन इतने बड़े स्तर पर डेटा संग्रहण के बावजूद भारत में एक समग्र डेटा संरक्षण कानून का अभाव था।

वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ मामले में यह स्पष्ट किया गया कि गोपनीयता नागरिकों का मौलिक अधिकार है। इस निर्णय ने केंद्र सरकार को एक व्यापक डेटा संरक्षण कानून बनाने की दिशा में प्रेरित किया।

इसके बाद:

  • DPDP Bill 2023 संसद में प्रस्तुत हुआ
  • 11 अगस्त 2023 को इसे संसद की मंजूरी मिली
  • और राष्ट्रपति की सहमति के बाद कानून बना
  • 2025 में इसके नियम (DPDP Rules 2025) अधिसूचित कर इसके पूर्ण क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त किया गया

नियमों को बनाने की प्रक्रिया में सरकार ने व्यापक स्तर पर परामर्श लिए और टेक कंपनियों, स्टार्टअप्स, उद्योग संगठनों, सिविल सोसाइटी, सरकारी संस्थाओं और नागरिकों से कुल 6,915 सुझाव प्राप्त किए। इतने व्यापक सुझावों को शामिल करते हुए नियमों को आधुनिक डेटा संरक्षण आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया।

DPDP Rules 2025 क्या हैं?

DPDP Rules 2025 वे प्रशासनिक और प्रक्रियागत दिशानिर्देश हैं जिनके आधार पर DPDP Act 2023 लागू किया जाएगा।

इन नियमों में:

  • डेटा कैसे एकत्र किया जाए
  • कैसे उपयोग किया जाए
  • वेबसाइट या कंपनियों को नागरिकों को क्या-क्या बताना होगा
  • डेटा उल्लंघन होने पर क्या प्रक्रिया होगी
  • नागरिकों के अधिकार क्या होंगे
  • कंपनियों की जिम्मेदारियाँ क्या होंगी

— इन सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

ये नियम भारत में उत्पन्न तथा प्रसंस्कृत सभी डिजिटल निजी डेटा पर लागू होते हैं, चाहे डेटा ऑनलाइन एकत्र किया गया हो या ऑफलाइन माध्यमों द्वारा।

SARAL ढांचा: नियमों की मूल आत्मा

DPDP नियम 2025 की संरचना SARAL सिद्धांत पर आधारित है:

  • सरल – सरल भाषा में नीतियाँ
  • सुलभ – सभी के लिए उपलब्ध और समझने योग्य
  • तार्किक – व्यावहारिक और तार्किक प्रावधान
  • क्रियाशील – सुगमता से लागू किए जा सकने वाले नियम

सरकार का उद्देश्य था कि डेटा संरक्षण अत्यधिक तकनीकी या जटिल न हो, बल्कि नागरिकों और संगठनों दोनों के लिए आसान और व्यावहारिक रहे।

सात मूल सिद्धांत: DPDP नियमों का आधार

DPDP नियम सात महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित हैं:

1. सहमति (Consent)

डेटा एकत्र करने से पहले उपयोगकर्ता की स्पष्ट, सूचित और उद्देश्य-विशिष्ट सहमति आवश्यक होगी।

2. पारदर्शिता (Transparency)

कंपनियों को यह बताना होगा कि डेटा क्यों इकट्ठा किया जा रहा है और इसका क्या उपयोग होगा।

3. उद्देश्य-सीमा (Purpose Limitation)

डेटा केवल घोषित उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जाएगा।

4. डेटा न्यूनकरण (Data Minimisation)

कंपनियाँ केवल उतना ही डेटा लेंगी जो आवश्यक हो।

5. शुद्धता (Accuracy)

डेटा का अद्यतन, सही और सटीक रखना अनिवार्य है।

6. भंडारण-सीमा (Storage Limitation)

डेटा को आवश्यक समय से अधिक नहीं रखा जाएगा।

7. सुरक्षा और उत्तरदायित्व (Security and Accountability)

कंपनियों पर डेटा सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने का दायित्व होगा।

इन सिद्धांतों का उद्देश्य नागरिकों के डेटा की संपूर्ण सुरक्षा और दुरुपयोग की रोकथाम सुनिश्चित करना है।

चरणबद्ध कार्यान्वयन: 18 महीने की अवधि

DPDP Rules 2025 को तुरंत लागू नहीं किया गया है। कंपनियों और संस्थानों को 18 महीने की अवधि दी गई है ताकि वे:

  • अपने डेटा भंडारण तंत्र को संशोधित कर सकें
  • प्राइवेसी-बाय-डिज़ाइन अपनाएँ
  • कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम को अपडेट करें
  • नए सुरक्षा मानकों के अनुरूप कार्य करें

यह विशेष रूप से स्टार्टअप्स और छोटे संगठनों के लिए एक व्यावहारिक कदम है ताकि वे वित्तीय बोझ के बिना अनुपालन सुनिश्चित कर सकें।

सहमति प्रबंधक (Consent Manager): डिजिटल अधिकारों का प्रहरी

नियमों के तहत Consent Managers की व्यवस्था एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है।

ये:

  • भारत में पंजीकृत संस्थान होंगे
  • पूरी तरह से इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म प्रदान करेंगे
  • नागरिकों को सहमति प्रबंधन में सहायता करेंगे

नागरिक एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई कंपनियों को दी गई सहमति को देख, संशोधित या वापस ले सकेंगे।

डेटा उल्लंघन प्रोटोकॉल: पारदर्शिता और त्वरित सूचना

यदि किसी संगठन में डेटा ब्रीच होता है, तो उसे:

  • डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को
  • और प्रभावित व्यक्तियों को

तुरंत एक सरल और समझने योग्य भाषा में सूचना देनी होगी।

इस सूचना में शामिल होगा:

  • उल्लंघन का प्रकार
  • संभावित प्रभाव
  • सुधारात्मक कदम
  • सहायता की जानकारी

यह प्रावधान नागरिकों को समय पर आवश्यक कदम उठाने में सक्षम बनाता है।

बच्चों और दिव्यांग नागरिकों के लिए विशेष सुरक्षा

DPDP Rules बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।

  • बच्चों के डेटा के लिए सत्यापित अभिभावक की सहमति अनिवार्य है।
  • केवल शिक्षा, स्वास्थ्य या सुरक्षा सेवाओं के लिए सीमित अपवाद रखे गए हैं।
  • दिव्यांग व्यक्तियों के मामलों में वैध अभिभावक डेटा संबंधी निर्णय ले सकेगा।

यह प्रावधान कमजोर वर्गों की सुरक्षा को मजबूत करता है।

नागरिकों के डिजिटल अधिकार: डेटा पर पूर्ण नियंत्रण

DPDP अधिनियम और नियम नागरिकों को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करते हैं:

1. सहमति देने या अस्वीकार करने का अधिकार

किसी भी डेटा प्रोसेसिंग के लिए सहमति स्वैच्छिक और सूचित होगी।

2. डेटा के उपयोग के उद्देश्य को जानने का अधिकार

उपयोगकर्ता को बताया जाएगा कि डेटा क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है।

3. डेटा तक पहुँच का अधिकार

नागरिक अपने डेटा की कॉपी मांग सकते हैं।

4. संशोधन व अद्यतन का अधिकार

गलत या पुराना डेटा सही कराया जा सकता है।

5. डेटा विलोपन का अधिकार

जब उद्देश्य पूरा हो जाए, तो डेटा मिटाने का अनुरोध किया जा सकता है।

6. प्रतिनिधि (Nominee) नियुक्त करने का अधिकार

यदि व्यक्ति सक्षम न हो तो वह अपने अधिकारों के उपयोग के लिए किसी को अधिकृत कर सकता है।

7. 90 दिनों में जवाब पाने का अधिकार

डेटा फिड्यूशियरी को 90 दिनों के भीतर जवाब देना अनिवार्य होगा।

ये अधिकार नागरिकों को वास्तविक डिजिटल नियंत्रण प्रदान करते हैं।

डेटा फिड्यूशियरी की जिम्मेदारियाँ

हर डेटा फिड्यूशियरी को:

  • संपर्क विवरण सार्वजनिक करना
  • सुरक्षा उपाय लागू करना
  • डेटा प्रशिक्षण व ऑडिट प्रक्रिया विकसित करना
  • डेटा न्यूनकरण नीतियाँ अपनाना

जैसी जिम्मेदारियाँ निभानी होंगी।

महत्वपूर्ण (Significant) Data Fiduciary के लिए नियम और भी कठोर हैं:

  • स्वतंत्र डेटा ऑडिट
  • जोखिम मूल्यांकन
  • डेटा स्थानीयकरण (case-by-case)
  • सुदृढ़ निगरानी

डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया: डिजिटल-प्रथम नियामक

DPDP नियम एक पूरी तरह डिजिटल प्राधिकरण स्थापित करते हैं —
डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया (DPB)।

बोर्ड:

  • नागरिकों की शिकायतें ऑनलाइन स्वीकार करेगा
  • जांच कर सकेगा
  • सुधारात्मक कार्रवाई लागू कर सकेगा
  • दंड निर्धारित कर सकेगा

बोर्ड के निर्णयों के विरुद्ध TDSAT में अपील की जा सकेगी।

बोर्ड में चार सदस्य होंगे, और यह पूरी तरह डिजिटल साधनों पर आधारित आधुनिक संस्था होगी।

DPDP अधिनियम के अंतर्गत दंड

कठोर लेकिन न्यायसंगत दंड नियमों की एक प्रमुख विशेषता हैं:

  • सुरक्षा उपाय लागू न करने पर: ₹250 करोड़ तक
  • बच्चों से संबंधित उल्लंघनों या डेटा ब्रीच की सूचना न देने पर: ₹200 करोड़ तक
  • अन्य उल्लंघनों पर: ₹50 करोड़ तक

ये दंड कंपनियों को डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करते हैं।

RTI कानून के साथ सामंजस्य: गोपनीयता और पारदर्शिता का संतुलन

DPDP अधिनियम ने RTI Act की धारा 8(1)(j) में संशोधन किया है ताकि:

  • व्यक्तिगत डेटा तभी सार्वजनिक हो जब सार्वजनिक हित अधिक महत्वपूर्ण हो
  • नागरिकों के गोपनीयता अधिकार सुरक्षित रहें
  • धारा 8(2) यथावत बनी रहे, जिससे शासन में पारदर्शिता जारी रहे

यह सुधार गोपनीयता और जन-हितकारी सूचना के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।

DPDP Rules 2025 के प्रमुख तथ्य (सार)

  • अधिसूचित: 14 नवंबर 2025
  • अधिनियम लागू: 11 अगस्त 2023
  • प्राप्त सुझाव: 6,915
  • अनुपालन अवधि: 18 महीने
  • नियामक प्राधिकरण: डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया
  • अपीलीय प्राधिकारी: TDSAT
  • अधिकतम दंड: ₹250 करोड़
  • मुख्य अवधारणाएँ:
    • Data Principal
    • Data Fiduciary
    • Consent Manager
    • Data Processor

DPDP Rules 2025 का व्यापक प्रभाव

DPDP Rules 2025 के लागू होने से भारत में कई सकारात्मक परिवर्तन होंगे:

1. डेटा गोपनीयता मजबूत होगी

नागरिक अपने निजी डेटा पर पूर्ण नियंत्रण रख सकेंगे।

2. कंपनियों में जवाबदेही बढ़ेगी

उन्हें पारदर्शिता और सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देनी होगी।

3. डिजिटल अर्थव्यवस्था अधिक विश्वसनीय बनेगी

उपभोक्ता विश्वास बढ़ेगा, जिससे डिजिटल सेवाओं का विस्तार होगा।

4. वैश्विक मानक स्थापित होंगे

भारत एक मजबूत डेटा संरक्षण प्रणाली वाले देशों की पंक्ति में शामिल होगा।

5. नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा

स्पष्ट नियमों से व्यवसायिक अनिश्चितता कम होगी।

निष्कर्ष

DPDP Rules 2025 भारत के डिजिटल इतिहास में एक मील का पत्थर हैं।
यह केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं बल्कि डिजिटल नागरिक अधिकारों की एक मजबूत नींव है।

ये नियम एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं जहाँ:

  • डेटा सुरक्षित होगा
  • उपयोगकर्ता सशक्त होगा
  • कंपनियाँ जवाबदेह होंगी
  • और डिजिटल अर्थव्यवस्था तेज गति से विकसित होगी

भारत अब डिजिटल गोपनीयता और डेटा शासन के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर तेजी से अग्रसर है।


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