हिंदी भाषा भावों की अभिव्यक्ति के लिए विश्व की सबसे समृद्ध और लचीली भाषाओं में से एक मानी जाती है। संवाद करते समय मनुष्य के भीतर अनेक प्रकार की संवेदनाएँ जन्म लेती हैं—कभी आनंद, कभी दुःख, कभी विस्मय, कभी घृणा तो कभी भय। इन संवेदनाओं को तुरंत व्यक्त करने के लिए भाषा में कुछ ऐसे विशेष शब्दों का उपयोग किया जाता है जो किसी वाक्य की संरचना पर निर्भर नहीं होते, फिर भी वाक्य के भाव को प्रभावी ढंग से सामने ले आते हैं। इन्हीं विशेष शब्दों को विस्मयादिबोधक कहा जाता है।
विस्मयादिबोधक शब्द सामान्यत: अकेले ही भाव प्रकट कर देते हैं और उनके बाद अक्सर विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग होता है। हिंदी व्याकरण के अव्ययों की श्रेणी में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
इस विस्तृत लेख में हम विस्मयादिबोधकों की परिभाषा, प्रकृति, विशेषताएँ, प्रमुख प्रकार, उदाहरण और व्यावहारिक उपयोग का अध्ययन करेंगे।
विस्मयादिबोधक की परिभाषा
विस्मयादिबोधक वे शब्द हैं जो वक्ता के मन में उत्पन्न होने वाले किसी आकस्मिक भाव—जैसे आश्चर्य, क्रोध, पीड़ा, हर्ष, भय, तिरस्कार, घृणा, विवशता, संबोधन आदि—को सीधे और तीव्र रूप में व्यक्त करते हैं।
इन शब्दों का किसी अन्य शब्द से व्याकरणिक सामंजस्य स्थापित नहीं होता; न ये संज्ञा को विशेषित करते हैं, न क्रिया को। ये केवल भाव की अभिव्यक्ति करते हैं।
उदाहरण—
- अरे! तुम यहाँ कैसे?
- हाय! मुझे बहुत चोट लग गई।
- वाह! तुमने अद्भुत कार्य किया है।
इन सभी वाक्यों में विस्मयादिबोधक शब्द भाव को तुरंत व्यक्त कर देते हैं।
विस्मयादिबोधक की विशेषताएँ
विस्मयादिबोधक को समझने के लिए उनकी कुछ केंद्रीय विशेषताओं को जानना आवश्यक है—
- भाव-प्रधान शब्द
इनमें सूचना नहीं होती, बल्कि भाव होता है। - वाक्य में स्वतंत्र प्रयोग
ये वाक्य के किसी अव्यय या पद के नियमों से बँधे नहीं होते। - अचानक भावाभिव्यक्ति
अचानक या अप्रत्याशित स्थिति में निकले शब्द प्रायः विस्मयादिबोधक होते हैं। - विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग
यह चिह्न वाक्य में भाव की तीव्रता को बढ़ाता है। - मुख्यतः बोली भाषा का अंग, किंतु लेखन में भी उपयोगी
संवाद, नाटक, कहानी, उपन्यास तथा पत्रलेखन में इनका व्यावहारिक प्रयोग अधिक होता है।
विस्मयादिबोधक के प्रकार
हिंदी में विस्मयादिबोधक शब्दों को भाव के आधार पर 11 प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है।
- शोकबोधक
- तिरस्कारबोधक
- स्वीकृतिबोधक
- विस्मयादिबोधक
- संबोधनबोधक
- हर्षबोधक
- भयबोधक
- आशिर्वादबोधक
- अनुमोदनबोधक
- विदासबोधक
- विवशताबोधक
यहाँ प्रत्येक प्रकार का विस्तृत परिचय तथा उदाहरण दिया गया है।
1. शोकबोधक विस्मयादिबोधक
जब मनुष्य किसी दर्दनाक, दुखद, त्रासद या हृदयविदारक घटना का अनुभव करता है, तब स्वभाववश कुछ शब्द मुख से निकल जाते हैं। इन्हें शोकबोधक कहा जाता है।
प्रमुख शब्द — हाय, आह, ओह, हे राम, उफ, हा, त्राहि-त्राहि आदि
उदाहरण
- हाय! उसकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
- ओह! तुम इतनी चोटिल कैसे हो गए?
- उफ! कितना दुखद दृश्य है।
ये शब्द दुःख की तीव्रता को बिना किसी अतिरिक्त स्पष्टीकरण के व्यक्त कर देते हैं।
2. तिरस्कारबोधक विस्मयादिबोधक
किसी व्यक्ति या क्रिया के प्रति घृणा, नापसंदगी, उपेक्षा या तिरस्कार प्रकट करने वाले शब्द तिरस्कारबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — छि:, धिक्कार, धिक्, हट, धत, चुप, थू-थू आदि
उदाहरण
- धिक्कार! तुमने ऐसा क्यों किया?
- धत! यह क्या बचपना है?
- हट! मुझे परेशान मत करो।
ये शब्द नकारात्मक भाव को तत्काल व्यक्त करते हैं।
3. स्वीकृतिबोधक विस्मयादिबोधक
जब वक्ता किसी प्रस्ताव, विचार, कार्य या कथन को स्वीकार करता है, तब स्वीकृति दर्शाने वाले शब्द बोले जाते हैं। इन्हें स्वीकृतिबोधक कहा जाता है।
प्रमुख शब्द — हाँ, अच्छा, ठीक, बहुत अच्छा, जी, जी हाँ आदि
उदाहरण
- हाँ! मैं आपकी बात मानता हूँ।
- अच्छा! ऐसा ही कर लेते हैं।
- ठीक! कल मिलते हैं।
ये शब्द संवाद में सहमति प्रदर्शित करने में सहायक होते हैं।
4. विस्मयबोधक विस्मयादिबोधक
आश्चर्य, चकित होने, अचानक किसी अप्रत्याशित स्थिति के जन्म लेने पर जो शब्द मुख से निकलते हैं, वे विस्मयबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — अरे, क्या, सच, ओहो, वाह, हैं, ऐ आदि
उदाहरण
- अरे! तुम कब आए?
- क्या! उसने प्रतियोगिता जीत ली?
- वाह! कितना सुंदर नज़ारा है!
इस प्रकार के शब्द विस्मय को अत्यंत जीवंत बनाते हैं।
5. संबोधनबोधक विस्मयादिबोधक
किसी को पुकारने, संबोधित करने या ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रयुक्त शब्द संबोधनबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — ओ, अरे, अरी, रे, री, हो, अजी, हैलो, ऐ आदि
उदाहरण
- अजी! ज़रा यहाँ आइए।
- हैलो! कोई है क्या?
- ऐ! इधर सुनो।
ये शब्द विशेष रूप से संवाद और वार्तालाप में उपयोगी होते हैं।
6. हर्षबोधक विस्मयादिबोधक
आनंद, प्रसन्नता, गर्व या संतोष व्यक्त करने वाले विस्मयादिबोधक शब्द हर्षबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — वाह-वाह, शाबाश, अहा, धन्य, अति सुंदर, ओह (खुशी के संदर्भ में)
उदाहरण
- वाह! तुमने शानदार प्रदर्शन किया।
- शाबाश! बिल्कुल सही उत्तर दिया।
- अहा! कितना मनोहारी दृश्य है।
ये शब्द सकारात्मक भाव को ऊर्जावान बना देते हैं।
7. भयबोधक विस्मयादिबोधक
भय, आशंका, घबराहट या संकट की स्थिति में जो शब्द मुंह से निकलते हैं, उन्हें भयबोधक कहा जाता है।
प्रमुख शब्द — बाप रे!, हाय!, उई माँ!, त्राहि-त्राहि, ओह आदि
उदाहरण
- बाप रे! यह साँप कहाँ से आ गया?
- उई माँ! कितना बड़ा खतरा था।
- हाय! मैं गिर गया।
ऐसे शब्द भय की अचानक प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं।
8. आशिर्वादबोधक विस्मयादिबोधक
दुआ देने, शुभकामना प्रकट करने या आशीर्वाद प्रदान करने वाले शब्द आशीर्वादबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — दीर्घायु हो, जीते रहो, सुखी रहो, सफल रहो आदि
उदाहरण
- जीते रहो! भगवान तुम्हें सद्बुद्धि दे।
- दीर्घायु हो! तुम्हारा जीवन मंगलमय हो।
इन शब्दों में सकारात्मक और मंगलकामना का भाव निहित होता है।
9. अनुमोदनबोधक विस्मयादिबोधक
किसी कार्य या प्रस्ताव का समर्थन करने, सहमति जताने या उत्साह प्रदान करने वाले विस्मयादिबोधक शब्द अनुमोदनबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — हाँ-हाँ, अवश्य, बहुत अच्छा, ठीक है आदि
उदाहरण
- हाँ-हाँ! तुम्हारी बात बिल्कुल सही है।
- अवश्य! मैं इसमें आपकी मदद करूँगा।
- बहुत अच्छा! ऐसा ही करते हैं।
ये शब्द किसी विचार की पुष्टि करने हेतु प्रयुक्त होते हैं।
10. विदासबोधक विस्मयादिबोधक
किसी से विदा लेते समय प्रयुक्त शब्द विदासबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — अच्छा, अच्छा जी, टा-टा, फिर मिलेंगे आदि
उदाहरण
- अच्छा! अब मैं चलता हूँ।
- टा-टा! कल मिलते हैं।
- अच्छा जी! ध्यान रखना।
ये शब्द सौहार्दपूर्ण विदाई को व्यक्त करते हैं।
11. विवशताबोधक विस्मयादिबोधक
जब व्यक्ति असहायता, दुख, निराशा, दुविधा या इच्छा की पूर्ति न होने की स्थिति को व्यक्त करता है, तब उपयोग किए गए शब्द विवशताबोधक कहलाते हैं।
प्रमुख शब्द — काश, हे भगवान, कदाचित, अरे राम आदि
उदाहरण
- काश! मेरी माँ आज मेरे साथ होती।
- हे भगवान! अब मैं क्या करूँ?
- कदाचित! मैं उस दिन जाता तो स्थिति अलग होती।
ये शब्द किसी भावनात्मक विवशता को गहराई से व्यक्त करते हैं।
विस्मयादिबोधक का भाषा में महत्व
विस्मयादिबोधक केवल भाव-सूचक शब्द नहीं हैं; ये भाषा का वह उपकरण हैं जो वाक्य को जीवंत, प्रभावशाली और मानवीय बनाते हैं।
1. संवाद को स्वाभाविक बनाते हैं
मनुष्य जैसे स्वाभाविक रूप से बोलता है, वैसी ही भाषा प्रस्तुत करने में विस्मयादिबोधक मदद करते हैं।
2. भाव की तीव्रता बढ़ाते हैं
एक साधारण वाक्य भी विस्मयादिबोधक शब्द से अधिक आकर्षक और प्रभावी बन जाता है।
उदाहरण—
- “तुम आ गए” की तुलना में “अरे! तुम आ गए” अधिक भावपूर्ण है।
3. लेखक के भावों को स्पष्ट करते हैं
कहानी, कविता, नाटक, संवाद, उपन्यास आदि में ये पात्रों के मनोभावों को उजागर करते हैं।
4. पाठक से भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करते हैं
विस्मयादिबोधक सीधे पाठक की भावनाओं को प्रभावित करते हैं।
5. भाषा को अभिव्यक्तिपूर्ण बनाते हैं
इनसे भाषा में जीवंतता, उत्साह और विविधता आती है।
विस्मयादिबोधक और अन्य अव्ययों का अंतर
| अव्यय | कार्य | उदाहरण |
|---|---|---|
| समुच्चयबोधक | शब्द या वाक्य जोड़ना | और, लेकिन |
| निपात | विशेष अर्थ सूचित करना | ही, भी |
| विस्मयादिबोधक | भाव व्यक्त करना | अरे!, हाय! |
विस्मयादिबोधक किसी तार्किक संबंध की बजाय भावनात्मक प्रतिक्रिया प्रकट करते हैं।
विस्मयादिबोधक – भेद, प्रमुख शब्द और विस्तृत उदाहरण (सारणी)
| क्र. | विस्मयादिबोधक का भेद | प्रमुख शब्द / चिह्न | उदाहरण वाक्य |
|---|---|---|---|
| 1 | शोकबोधक | हाय!, हे राम!, ओह!, आह!, उफ़!, त्राहि–त्राहि!, हा! | 1. हाय! मेरा मोबाइल टूट गया। 2. हे राम! यह कैसी दुर्घटना हो गई। 3. ओह! तुम्हें इतनी चोट कैसे लगी? 4. उफ़! कितना दुखद समाचार है। |
| 2 | तिरस्कारबोधक | छी:, धिक्कार!, थू-थू!, धत!, हट!, चुप! | 1. छि: तुमने बहुत गलत किया। 2. धत! यह हरकत बिल्कुल ठीक नहीं। 3. थू-थू! कैसी शर्म की बात है। 4. हट! यहाँ से दूर हो जाओ। |
| 3 | स्वीकृतिबोधक | हाँ!, अच्छा!, ठीक!, जी!, बहुत अच्छा! | 1. हाँ! मैं तुम्हारी मदद करूँगा। 2. ठीक! मैं समय पर आ जाऊँगा। 3. अच्छा! चलो, ऐसा ही कर लेते हैं। 4. जी! मैं तैयार हूँ। |
| 4 | विस्मयबोधक | अरे!, क्या!, ओह!, सच!, हैं!, ओहो!, वाह! | 1. अरे! तुम अचानक यहाँ कैसे? 2. क्या! उसने प्रतियोगिता जीत ली? 3. ओहो! यह तो शानदार खबर है। 4. वाह! कितना बड़ा बदलाव है! |
| 5 | संबोधनबोधक | हो!, अजी!, ओ!, रे!, री!, अरे!, अरी!, हैलो!, ऐ! | 1. हैलो! कोई है यहाँ? 2. अजी! सुनते हो, ज़रा इधर आओ। 3. अरे! भाई, कुछ मदद चाहिए। 4. ऐ! तुम कहाँ जा रहे हो? |
| 6 | हर्षबोधक | वाह!, वाह-वाह!, अहा!, धन्य!, शाबाश!, ओह! | 1. वाह! तुमने कमाल कर दिया। 2. अहा! कितना सुंदर दृश्य है। 3. शाबाश! बहुत बढ़िया काम किया। 4. धन्य! तुम्हारी मेहनत सफल हुई। |
| 7 | भयबोधक | बाप रे बाप!, उई माँ!, हाय!, ओह!, त्राहि–त्राहि! | 1. बाप रे बाप! कितना बड़ा साँप है। 2. उई माँ! मैं गिरते–गिरते बचा। 3. त्राहि-त्राहि! आग लग गई है। 4. हाय! यह कितनी खतरनाक स्थिति है। |
| 8 | आशीर्वादबोधक | दीर्घायु हो!, जीते रहो!, शुभम भव! | 1. जीते रहो! खूब तरक्की करो। 2. दीर्घायु हो! पुत्र, सदा स्वस्थ रहो। 3. शुभम भव! तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल हो। |
| 9 | अनुमोदनबोधक | हाँ-हाँ!, बहुत अच्छा!, अवश्य!, ठीक है! | 1. हाँ-हाँ! मुझे तुम्हारी बात पसंद आई। 2. अवश्य! मैं तुम्हारे साथ चलूँगा। 3. बहुत अच्छा! यह निर्णय उचित है। 4. ठीक है! ऐसा ही करेंगे। |
| 10 | विदासबोधक | अच्छा!, अच्छा जी!, टा-टा!, नमस्ते! | 1. अच्छा! अब मैं चलता हूँ। 2. टा-टा! फिर मिलेंगे। 3. अच्छा जी! अब अनुमति दें। 4. नमस्ते! आपका दिन शुभ हो। |
| 11 | विवशताबोधक | काश!, कदाचित्!, हे भगवान!, हाय राम! | 1. काश! मुझे एक और मौका मिलता। 2. हे भगवान! अब क्या होगा? 3. हाय राम! इतना बड़ा धोखा! 4. कदाचित्! मेरी बात कोई समझ पाता। |
वाक्यों में विस्मयादिबोधक का प्रयोग – उदाहरण
- अरे! तुम इतने जल्दी आ गए?
- हाय! मैं अपनी किताब घर भूल आया।
- छि:! यह कैसी गंदी जगह है।
- ओह! मेरी घड़ी टूट गई।
- वाह! यह चित्र तो बेहद सुंदर है।
- हाँ! मैं तुम्हारी बात समझ गया।
- हट! मुझे परेशान मत करो।
- उई माँ! यह कितनी ऊँचाई है।
- दीर्घायु हो! सदा स्वस्थ रहो।
- अवश्य! मैं इस काम में तुम्हारे साथ हूँ।
- अच्छा! अब मैं चलता हूँ।
- काश! ऐसा पहले पता होता।
- अजी! सुनिए तो ज़रा।
- शाबाश! तुमने कमाल कर दिया।
- हे भगवान! बारिश फिर शुरू हो गई।
- सच! क्या वह सचमुच सफल हो गया?
- अरे! कितना सुंदर संगीत है।
- ओहो! अब समझ आया।
- हा! अब तो खेल खत्म।
- अच्छा जी! कल मिलते हैं।
निष्कर्ष
विस्मयादिबोधक (Interjection) हिंदी भाषा का वह महत्वपूर्ण अव्यय वर्ग है जो भावों को तुरंत, स्वाभाविक और तीव्र रूप से व्यक्त करता है। संवाद, लेखन और भावप्रकाशन में इनका अद्वितीय योगदान है।
इन शब्दों का उपयोग जितना सरल लगता है, वे इतने ही गहरे स्तर पर मानव भावनाओं को व्यक्त करते हैं। चाहे आनंद हो या दुःख, भय हो या विस्मय, तिरस्कार हो या आश्चर्य—हर भावना को प्रभावी रूप में सामने लाने में विस्मयादिबोधक अत्यंत सहायक होते हैं।
इस लेख में हमने विस्मयादिबोधक की परिभाषा, प्रकृति, महत्व और इसके 11 प्रमुख प्रकारों का गहन अध्ययन किया। उपयुक्त उदाहरणों के साथ यह विषय किसी भी छात्र, शिक्षक और हिंदी व्याकरण के अध्येता के लिए अत्यंत उपयोगी है।
इन्हें भी देखें –
- समुच्चय बोधक अव्यय : स्वरूप, प्रकार और प्रयोग
- क्रिया-विशेषण (Adverb): परिभाषा, प्रकार और 100+ उदाहरण
- देवनागरी लिपि : जन्म, विकास, स्वरूप, विशेषताएँ, गुण–दोष और महत्व
- लेखक: परिभाषा, प्रकार और प्रमुख साहित्यकार
- सरस्वती पत्रिका : इतिहास, संपादक और संपादन काल
- भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति
- असमिया भाषा : असम की भाषा, इतिहास, विकास, लिपि, वर्णमाला और साहित्यिक परंपरा
- मारवाड़ी भाषा : इतिहास, विकास, स्वरूप और साहित्यिक परम्परा
- क़लम का सिपाही | प्रेमचन्द जी की जीवनी : अमृत राय
- जीवनी – परिभाषा, स्वरूप, भेद, साहित्यिक महत्व और उदाहरण