निपात (अवधारक) : परिभाषा, भेद, उदाहरण और व्याकरणिक भूमिका

हिंदी व्याकरण में अव्यय शब्दों की एक महत्वपूर्ण श्रेणी है, जिसके अंतर्गत निपातों का उल्लेख विशेष रूप से किया जाता है। निपात छोटे आकार वाले ऐसे अव्यय होते हैं, जो स्वयं किसी ठोस अर्थ को व्यक्त नहीं करते, लेकिन वाक्य के आशय को प्रबल बनाने, उसमें भावात्मक गहराई उत्पन्न करने, किसी शब्द पर बल देने, प्रश्नसूचकता, स्वीकृति, निषेध या तुलना जैसी भावनाओं को अभिव्यक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाषा में निपातों का उपयोग जितना सहज दिखता है, उनका व्याकरणिक महत्व उतना ही गहन है।

हिंदी भाषा में “ही”, “भी”, “तो”, “तक”, “मात्र”, “केवल”, “सिर्फ”, “भर” आदि शब्द अक्सर देखने को मिलते हैं। इनका प्रमुख कार्य है—वाक्य के किसी तत्व को विशेष रूप से उभारना, वाक्य को भावात्मक, निर्णायक या प्रभावात्मक बनाना। निपात भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता को सशक्त बनाते हैं और वक्ता या लेखक के भावों को स्पष्ट दिशा प्रदान करते हैं।

यह लेख निपात की परिभाषा, उसके भेद, उदाहरण, भाषाई उपयोग, कार्य और आधुनिक हिंदी में उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा प्रस्तुत करता है।

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निपात की परिभाषा

हिंदी व्याकरण में निपात ऐसे अव्यय माने जाते हैं, जिनका प्रयोग वाक्य के किसी शब्द या संपूर्ण वाक्य पर विशेष बल देने, अतिरिक्त अर्थ-छाया जोड़ने या किसी भाव को उभारने के लिए किया जाता है।

संक्षेप में—
निपात वे अव्यय शब्द हैं जिनमें अपना स्वतंत्र अर्थ नहीं होता, लेकिन वे वाक्य में प्रयुक्त होकर किसी भाव, शब्द या वाक्यांश को विशेष अर्थगर्भित बना देते हैं।

उदाहरण देखें—

  • तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा।
  • तुमने तो हद कर दी।
  • कल मैं भी आपके साथ चलूँगा।
  • गांधीजी को बच्चे तक जानते हैं।

इन वाक्यों में ‘ही’, ‘तो’, ‘भी’, ‘तक’ आदि शब्द निपात हैं, जो किसी विशेष अर्थ या बल का संकेत देते हैं।

निपात की भाषिक विशेषताएँ

  1. निपात अव्यय होते हैं, अर्थात् इनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष आदि के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं होता।
  2. इनका अपना अर्थ सीमित या नगण्य होता है, परंतु वाक्य में ये नए अर्थ-छाया जोड़ते हैं।
  3. निपातों का प्रयोग वाक्य के भाव को प्रबल करता है, जैसे बल, प्रश्न, स्वीकृति, निषेध, आदर, विस्मय आदि।
  4. ये शब्दों को जोड़ने या वाक्य संरचना को भी सहज बनाते हैं।
  5. निपात सामान्यतः अव्ययों से भिन्न माने जाते हैं, क्योंकि सामान्य अव्ययों में अर्थ का कुछ स्वरूप विद्यमान रहता है, जबकि निपातों का प्रयोजन केवल भाव-निर्माण होता है।

निपात के कार्य

निपातों का प्रयोग अनेक प्रकार की भावनाओं को व्यक्त करता है। उनके प्रमुख कार्य हैं—

1. प्रश्न बोधक कार्य

प्रश्न करने के लिए प्रायः “क्या” का प्रयोग निपात के रूप में किया जाता है।
उदाहरण:

  • क्या वह जा रहा है?
  • क्या तुमने यह पुस्तक पढ़ी?

2. अस्वीकृति या निषेध

नकारात्मकता उत्पन्न करने के लिए “न”, “नहीं”, “मत” आदि निपात प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:

  • मेरा छोटा भाई आज वहाँ नहीं जायेगा।
  • यह काम तुम मत करो।

3. विस्मय या आश्चर्य बोधक कार्य

विस्मय व्यक्त करने हेतु “क्या”, “अरे”, “वाह”, “हाय” आदि निपात प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:

  • क्या सुंदर चित्र है!
  • अरे! तुम यहाँ?

4. बल प्रदान करना

किसी शब्द पर विशेष जोर देने के लिए “ही”, “भी”, “तो”, “तक”, “सिर्फ”, “भर”, “केवल” आदि का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:

  • बच्चा भी जानता है।
  • वह ही जीत सकता है।

5. स्वीकृति या स्वीकारोक्ति

“हाँ”, “जी”, “जी हाँ” स्वीकृतिबोधक निपात हैं।
उदाहरण:

  • क्या तुम यह काम करोगे? — जी हाँ।

6. आदर-सूचक प्रयोग

सम्मान प्रकट करने के लिए “जी” का उपयोग होता है।
उदाहरण:

  • आप कैसे हैं, जी?

7. तुलना का संकेत

कुछ निपात तुलना बताने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे “सा”, “जैसे” आदि।
उदाहरण:

  • वह फूल सा खिल उठा।

8. लगभग या अनुमान बताना

अनुमान प्रकट करने वाले निपात—ठीक, करीब, लगभग, तकरीबन।
उदाहरण:

  • लगभग सौ लोग आए थे।

निपात की व्यावहारिक आवश्यकता

निपात भाषा को—

  • अधिक भावपूर्ण बनाते हैं,
  • वाक्य में गहराई और स्पष्टता जोड़ते हैं,
  • बातचीत में सहजता पैदा करते हैं,
  • लेखन में सूक्ष्म अभिप्राय व्यक्त करने में सहायक होते हैं।

यदि निपात हटा दिए जाएँ तो भाषा अत्यधिक रूखी और अर्थहीन-सी प्रतीत होगी। उदाहरण के रूप में—

  • तुम्हें आज रात रुकना पड़ेगा
    और
  • तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा

दोनों में अंतर स्पष्ट है। “ही” निपात रुकने की अनिवार्यता को अधिक बलपूर्वक व्यक्त करता है।

निपात के पारंपरिक भेद (यास्क के अनुसार)

संस्कृत व्याकरणाचार्य यास्क ने निपातों को तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया है। हिंदी में भी इनका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

1. उपमार्थक निपात

ये निपात उपमा या समानता का बोध कराते हैं।
उदाहरण— इव, न, चित्, नु
इनका कार्य होता है किसी वस्तु के साथ तुलना का भाव उत्पन्न करना।

2. कर्मोपसंग्रहार्थक निपात

इनका प्रयोग क्रिया या कार्य के साथ संबंधित भाव स्पष्ट करने के लिए होता है।
उदाहरण— न, आ, वा, ह
ये निपात क्रिया को सीमित, विस्तृत या विशिष्ट संदर्भ में बांधते हैं।

3. पदपूरणार्थक निपात

जब वाक्य को पूर्ण अर्थ देने के लिए कोई अव्यय आवश्यक हो, तब ये निपात प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण— नूनम्, खलु, हि, अथ
ये निपात संपूर्ण वाक्य के अर्थ को भावपूर्ण और सुगठित बनाते हैं।

निपात और अव्यय का अंतर

यद्यपि निपात अव्यय की श्रेणी में आते हैं, लेकिन दोनों में सूक्ष्म अंतर है—

अव्ययनिपात
इनमें कुछ न कुछ अर्थ निहित होता है।इनका अपना स्वतंत्र अर्थ नहीं होता।
संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के साथ जुड़कर अर्थविस्तार करते हैं।वाक्य या शब्द को भावात्मक बल या संकेत प्रदान करते हैं।
बिना इनके भी वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो सकता है।बिना इनके वाक्य का भाव अधूरा रह जाता है।
जैसे– अवश्य, शायद, शीघ्र, बहुत।जैसे– ही, भी, तो, तक, मात्र।

निपात के नौ प्रकार (परंपरागत व्याकरण)

हिंदी व्याकरण निपातों को निम्नलिखित नौ श्रेणियों (9 प्रकार) में विभाजित करता है—

1. स्वीकृतिबोधक निपात

उदाहरण— हाँ, जी, जी हाँ
इनका उपयोग किसी बात की स्वीकृति देने के लिए किया जाता है।

2. नकारबोधक निपात

उदाहरण— न, नहीं, जी नहीं
इनसे अस्वीकृति या नकारात्मकता का भाव प्रकट होता है।

3. निषेधबोधक निपात

उदाहरण— मत
ये मनाही, रोक या निषेध प्रदर्शित करते हैं।

4. प्रश्नबोधक निपात

उदाहरण— क्या
इन्हें प्रश्न पूछने के लिए प्रयोग किया जाता है।

5. विस्मयबोधक निपात

उदाहरण— क्या!, काश!
ये आश्चर्य, विस्मय, दुःख, आकांक्षा आदि व्यक्त करते हैं।

6. तुलनाबोधक निपात

उदाहरण— सा, जैसे
इनसे तुलना का भाव उत्पन्न होता है।

7. अवधारणाबोधक निपात

उदाहरण— ठीक, करीब, लगभग, तकरीबन
अवधारणा, अनुमान या निकटता का संकेत करते हैं।

8. आदरबोधक निपात

उदाहरण— जी
इनसे सम्मान प्रदर्शित होता है।

9. बल प्रदायकबोधक निपात

उदाहरण— तो, ही, भी, तक, भर, सिर्फ, केवल
ये किसी शब्द पर विशेष बल प्रदान करते हैं।

निपात के प्रकारों का विस्तृत उदाहरण सहित व्याख्या

नीचे विभिन्न प्रकार के निपातों के उदाहरण वाक्य दिए गए हैं—

(1) स्वीकृतिबोधक निपात – उदाहरण

स्वीकृतिबोधक निपात वे अव्यय/शब्द हैं जिनसे स्वीकार, अनुमोदन, सहमति, या हाँ का भाव व्यक्त होता है।
मुख्य स्वीकृतिबोधक निपात — हाँ, जी, जी हाँ, हाँ जी

उदाहरण :

  • क्या तुम यह कार्य कर लोगे? — जी हाँ, मैं कर लूँगा।
  • क्या तुम्हें सब समझ में आया? — हाँ, बिल्कुल।
  • क्या तुम मेरा साथ दोगे? — हाँ, मैं जरूर दूँगा।
  • क्या आप चाय लेंगे? — जी, ले लूँगा।
  • क्या यह उत्तर सही है? — जी हाँ, बिल्कुल सही है।
  • क्या आप बैठक में उपस्थित रहेंगे? — हाँ जी, निश्चित रूप से।
  • क्या तुमने यह पुस्तक पढ़ी है? — हाँ, पढ़ ली है।
  • क्या शिक्षक ने तुम्हारी बात मान ली? — जी, उन्होंने अनुमति दे दी है।
  • क्या यह काम आज ही पूरा होगा? — जी हाँ, पूरी कोशिश है।
  • क्या तुम इस निर्णय से सहमत हो? — हाँ, मैं पूरी तरह सहमत हूँ।
  • क्या हमें अब चलना चाहिए? — हाँ जी, देर हो रही है।
  • क्या अधिकारी ने आवेदन स्वीकार किया? — जी, आवेदन मंज़ूर कर लिया गया है।

(2) नकारबोधक निपात – उदाहरण

नकारबोधक निपात वे अव्यय हैं जो नकार, इन्कार, अस्वीकार, या ना का भाव प्रकट करते हैं।
मुख्य नकारबोधक निपात — नहीं, जी नहीं, मत, न

उदाहरण :

  • वह आज नहीं आएगा।
  • मैं यह काम नहीं कर सकता।
  • क्या तुम आज स्कूल जाओगे? — नहीं, आज मेरी तबीयत खराब है।
  • क्या आप यह कार्य करेंगे? — जी नहीं, यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
  • तुम वहाँ मत जाओ — रात बहुत हो चुकी है।
  • वह अभी नहीं आ सकता, उसे जरूरी काम है।
  • क्या यह तुम्हारा बैग है? — नहीं, यह मेरे दोस्त का है।
  • बच्चों को तेज सड़क पर दौड़ना चाहिए।
  • क्या तुमने अपना होमवर्क पूरा कर लिया? — जी नहीं, अभी कुछ बाकी है।
  • मैंने उसे रोका, पर वह नहीं माना।
  • कृपया इस कमरे में मत आइए — सफाई चल रही है।
  • क्या उसने सच बोला? — नहीं, उसने बात छिपाई।

(3) निषेधबोधक निपात – उदाहरण

निषेधबोधक निपात वे अव्यय हैं जो किसी कार्य को रोकने, मनाही करने, वर्जना या निषेध का भाव प्रकट करते हैं।
मुख्य निषेधबोधक निपात — मत, न, नहिं

उदाहरण :

  1. तुम यहाँ मत आओ — अंदर काम चल रहा है।
  2. बच्चों, सड़क पर तेज मत दौड़ो।
  3. इस कागज़ को फाड़ो — यह जरूरी दस्तावेज़ है।
  4. कृपया बात करते समय बीच में मत टोकिए।
  5. वह दुखी है, उसे परेशान करो।
  6. उससे यह बात साझा करना — वह तुरंत फैला देता है।
  7. इस कमरे में बिना अनुमति प्रवेश मत कीजिए।
  8. कहीं जाना हो तो अकेले जाना।
  9. कृपया यहाँ मोबाइल फ़ोन का उपयोग मत करें।
  10. इस विषय पर अभी बोलो — समय उचित नहीं है।
  11. तुम उसे मत छेड़ो।
  12. यह पुस्तक मत खोना।

(4) प्रश्नबोधक निपात – उदाहरण

प्रश्नबोधक निपात वे अव्यय हैं जो किसी भी प्रकार का प्रश्न, जिज्ञासा, पूछताछ या अज्ञान का संकेत प्रकट करते हैं।
मुख्य प्रश्नबोधक निपात — क्या, क्यों, कहाँ, कब, कैसे, कितना, कौन

उदाहरण :

  1. तुम यहाँ इतनी देर से क्यों आए?
  2. वह आदमी दरवाजे पर क्या पूछ रहा था?
  3. तुम कल से कहाँ ठहरे हुए हो?
  4. परीक्षा कब शुरू होगी?
  5. तुमने यह काम कैसे किया?
  6. यह पुस्तक किसकी है?
  7. यह रास्ता किधर जाता है?
  8. आज तापमान कितना है?
  9. कक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन कौन कर रहा है?
  10. तुमने भोजन क्यों नहीं किया?
  11. क्या तुम यह जानते हो?
  12. क्या वह सत्य बोल रहा है?

(5) विस्मयबोधक निपात – उदाहरण

विस्मयबोधक निपात वे अव्यय हैं जो आश्चर्य, आनंद, दुःख, खुशी, प्रशंसा, पीड़ा, क्रोध या अन्य भावनात्मक विस्मय** को व्यक्त करते हैं।
मुख्य विस्मयबोधक निपात — क्या!, वाह!, अहा!, अरे!, ओह!, हाय!, काश!

उदाहरण :

  1. क्या! तुमने यह काम अकेले कर लिया?
  2. वाह! कितना सुंदर दृश्य है!
  3. अरे! तुम यहाँ कैसे आ गए?
  4. ओह! मेरा मोबाइल गिर गया।
  5. अहा! कितना मधुर संगीत है!
  6. हाय! मैं अपनी पेन घर पर भूल आया।
  7. काश! मैं भी उसके साथ जा पाता।
  8. अरे वाह! तुम्हारी handwriting तो बहुत अच्छी है।
  9. ओह भगवान! यह क्या हो गया?
  10. क्या खूब! तुमने तो कमाल कर दिया।
  11. क्या अद्भुत दृश्य है!
  12. काश! तुम पहले आ जाते।

(6) तुलनाबोधक निपात – उदाहरण

तुलनाबोधक निपात वे अव्यय हैं जिनका प्रयोग दो वस्तुओं, गुणों, व्यक्तियों या स्थितियों के बीच तुलना, समानता, सदृश्यता, या उपमा प्रकट करने के लिए किया जाता है।
मुख्य तुलनाबोधक निपात — सा, समान, जैसा, वैसा, जितना, उतना

उदाहरण :

  1. वह फूल चाँद सा चमक रहा है।
  2. तुम्हारी आवाज़ मधुर सी लगती है।
  3. वह बिलकुल अपने पिता जैसा दिखता है।
  4. उसका स्वभाव मेरे मित्र जैसा ही है।
  5. गंगा का पानी क्रिस्टल सा स्वच्छ है।
  6. जितना पढ़ोगे, उतना ज्ञान बढ़ेगा।
  7. यह बच्चा मोर सा नाच रहा है।
  8. उसकी आँखें सितारों सी चमकती हैं।
  9. वह अपने गुरु समान सम्मानित है।
  10. दोनों भाई स्वभाव से एक-दूसरे के काफी समान हैं।
  11. वह चाँद सा सुंदर है।
  12. बच्चा फूल सा खिल उठा।

(7) अवधारणाबोधक निपात – उदाहरण

ये निपात संख्या, दूरी, समय या मात्रा के अनुमान, करीबी, लगभग समानता या अवधारणा का भाव व्यक्त करते हैं।

उदाहरण:

  • यह रास्ता लगभग पाँच किलोमीटर लंबा है।
  • समारोह में करीब दो सौ लोग उपस्थित थे।
  • मैं ठीक पाँच बजे पहुँचा था।
  • दोनों गाँवों के बीच तकरीबन दस किलोमीटर की दूरी है।

(जो किसी बात को मानकर, कल्पना करके या धारण करके कहा जाता है)

नीचे ऐसे निपात दिए जा रहे हैं जो अवधारणा/कल्पना/मान्यता प्रकट करते हैं—

  1. मानो
    मानो वह कोई साधु हो।
  2. जैसे
    जैसे सभी को इसकी खबर थी।
  3. गोया
    वह ऐसे चुप बैठा है, गोया कुछ हुआ ही न हो।
  4. जणूँ / जनूँ
    वह ऐसे भागा, जणूँ पीछे कोई राक्षस लगा हो।
  5. शायद(कभी-कभी संभावना व कल्पना दोनों दर्शाता है)
    शायद वह आज न आए।
  6. कदाचित्
    कदाचित् यह कार्य कल तक पूरा हो जाए।
  7. तथा (कल्पना/धारणा के अर्थ में)
    सब उसे दोष दे रहे थे तथा वह कुछ कह भी नहीं पा रहा था।

(8) आदरबोधक निपात – उदाहरण

(जो सम्मान, आदर या शिष्टाचार प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते हैं)

  • कैसे हैं आप, जी?
  • जी हाँ, मैं तैयार हूँ।

आदरबोधक निपात – उदाहरण

  1. जी
    आप कैसे हैं, जी?
    हाँ जी, मैं अभी आता हूँ।
  2. हुजूर
    हुजूर, आपकी आज्ञा का पालन होगा।
  3. जनाब
    कहिए जनाब, मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ?
  4. साहब
    आइए साहब, बैठिए।
  5. महाराज
    क्या आदेश है, महाराज?
  6. श्रीमान
    श्रीमान, कृपया यहाँ हस्ताक्षर करें।
  7. देवी / देव
    देवी, कृपया मंच पर पधारें।

(9) बल प्रदायक निपात – उदाहरण

(वे निपात जो वाक्य में बल, ज़ोर, विशेष प्रभाव या पुष्टि उत्पन्न करते हैं)

  • वह ही सबसे योग्य उम्मीदवार है।
  • राम भी वहाँ जाएगा।
  • मैं तो पहले ही बता चुका था।

बल-प्रदायक निपात – उदाहरण

  1. ही
    वह ही सच बोल रहा है।
    मैं ही यह कार्य करूँगा।
  2. तो
    अगर तुम कहो, तो मैं आ जाऊँ।
    वह तो पहले ही जा चुका है।
  3. भी
    वह आज भी नहीं आया।
    मुझे भी यह बात पता थी।
  4. ही तो
    यही ही तो मैं कहना चाहता था।
  5. भी तो
    तुम्हें भी तो समझना चाहिए।
  6. सब
    सब जान चुके हैं कि क्या हुआ।
  7. खुद
    वह खुद मान रहा है।

निपात के अन्य कार्यात्मक (विस्तृत) वर्ग / उपवर्ग

पारंपरिक व्याकरण में निपात सामान्यतः नौ प्रकारों में वर्गीकृत किए जाते हैं, किंतु आधुनिक भाषावैज्ञानिक विश्लेषण में निपातों के कार्यों को और अधिक सूक्ष्म रूप से वर्गीकृत किया गया है।
यही कारण है कि निपातों के कई उपवर्ग सामने आते हैं, जिनकी कुल संख्या 20 से अधिक हो जाती है।
नीचे निपातों का आधुनिक, कार्य-आधारित वर्गीकरण सार-तालिका के रूप में दिया गया है।

सभी निपातों का पूर्ण सार-तालिका (उदाहरण सहित)

निपात का प्रकारनिपात शब्दअर्थ / भूमिकाउदाहरण वाक्य
1. स्वीकृतिबोधक निपातहाँ, जी, ठीक, अवश्यस्वीकृति / सहमति प्रकट करनाहाँ, मैं वहाँ जाऊँगा। / जी, ठीक है।
2. नकारबोधक निपातनहीं, मत, नअस्वीकार, निषेध या इंकारमैं वहाँ नहीं जाऊँगा। / मत जाओ।
3. निषेधबोधक निपातमत, न, मतैकिसी कार्य से रोकनायह बात अभी किसी से मत कहना।
4. प्रश्नबोधक निपातक्या, क्यों, कहाँ, कबप्रश्न अथवा जिज्ञासा प्रकट करनातुम क्यों नहीं आए? / कहाँ जा रहे हो?
5. विस्मयबोधक निपातवाह, अरे, ओह, अहाआश्चर्य, खुशी, दुख आदि का भाववाह! तुमने बहुत अच्छा लिखा। / अरे! यह क्या हुआ?
6. तुलना-बोधक निपातजैसे—वैसे, जितना—उतना, जैसा—वैसातुलना करनाजैसा बोओगे, वैसा काटोगे। / जितना पढ़ोगे, उतना सीखोगे।
7. अवधारणाबोधक निपातही, तो, भी, मात्रकथन में विशेष अवधारणा या ध्यान केन्द्रित करनावह आज ही आएगा। / तुम भी चलो।
8. आदरबोधक निपातजी, श्रीमान, महाराज, जनाबसम्मान या आदर दर्शानाक्या हाल हैं, जी? / श्रीमान, कृपया बैठिए।
9. बल-प्रदायक निपातही, तो, खुद, भी तोवाक्य में बल/ज़ोर देनामैं ही यह काम करूँगा। / वह खुद आया है।
10. संयोगबोधक निपातऔर, तथा, परंतु, लेकिनवाक्यों/विचारों को जोड़नाराम और श्याम स्कूल गए।
11. विकल्पबोधक निपातया, अथवाविकल्प / चुनाव दर्शानाचाय या कॉफी लोगे?
12. शर्तबोधक निपातयदि, तो, चाहेशर्त व्यक्त करनायदि तुम पढ़ोगे, तो पास हो जाओगे।
13. निवेदनबोधक निपातकृपया, ज़राविनम्र अनुरोध व्यक्त करनाकृपया यहाँ आइए।
14. अनिश्‍चित्ताबोधक निपातशायद, कदाचित, सम्भवतःअनिश्चितता या अनुमानवह शायद अभी सो रहा है।
15. सीमाबोधक निपातमात्र, ही, केवलसीमा/परिमाण की निश्चिततामेरे पास केवल दो पुस्तकें हैं।
16. पुनरुक्तिबोधक निपातही-ही, तो-तोजोर और पुनरुक्ति का बोधवह ही-ही हँसती रही।
17. आश्चर्य-सूचक निपातअरे, अरी, अरे बाप रेतीव्र आश्चर्य या भावअरे! इतनी जल्दी आ गए?
18. सम्बोधनबोधक निपातओ, अरे, हे, ऐकिसी को पुकारनाहे राजन्, कृपया सुनो।
19. उद्देश्य-सूचक निपातताकि, जिससेउद्देश्य या परिणाम प्रकटमैं जल्दी उठा ताकि पढ़ सकूँ।
20. क्रमबोधक निपातपहले, फिर, तबकार्यों का क्रमपहले पढ़ो, फिर खेलो।
21. कथन-सूचक निपाततो, अब, और भीकथन की दिशा निर्धारित करनाअब तो सब समझ आ गया।
22. सीमा-बोधक निपाततक, भर, मात्रकिसी सीमा का संकेतवह पाँच किलोमीटर तक चला।
23. निष्कर्ष-बोधक निपातइसलिए, अतःनिष्कर्ष प्रकट करनाबारिश हो रही है, इसलिए मत निकलो।

भाषा में निपातों का महत्व

निपात भाषा को केवल व्याकरणिक रूप से सुगठित नहीं बनाते, बल्कि उसकी संवेदनशीलता को भी बढ़ाते हैं।
इनका उपयोग—

  • भावार्थ को स्पष्ट करने,
  • वाक्य में मनोवैज्ञानिक प्रभाव उत्पन्न करने,
  • पाठक/श्रोता के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने,
  • वाक्य को स्वाभाविकता प्रदान करने,
  • तथा साहित्यिक अभिव्यक्ति को गहन बनाने में अत्यंत उपयोगी है।

कविता, कहानी, संवाद, भाषण, दैनिक वार्तालाप—हर प्रकार की भाषा में निपातों का प्रयोग देखा जाता है।

निपात के उपयोग में सावधानियाँ

  1. अधिक प्रयोग से भाषा भद्दी या बोझिल लग सकती है।
  2. सही स्थान पर निपात का प्रयोग आवश्यक है; गलत स्थान पर प्रयुक्त निपात वाक्य-भाव बिगाड़ सकता है।
  3. निपातों को एक ही वाक्य में अनावश्यक रूप से दोहराना उचित नहीं।

उदाहरण—

  • गलत: वह भी ही आएगा।
  • सही: वह ही आएगा। / वह भी आएगा।

निष्कर्ष

निपात हिंदी भाषा की एक सशक्त व्याकरणिक इकाई है, जो वाक्यों में न केवल बल और भाव जोड़ती है, बल्कि भाषा की अर्थ-संपन्नता को भी बढ़ाती है। यास्क के प्राचीन वर्गीकरण से लेकर आधुनिक हिंदी के नौ प्रकारों तक निपातों की समृद्ध परंपरा मौजूद है। इनका महत्व केवल व्याकरण में ही नहीं, बल्कि भाषा की भावनात्मक तथा साहित्यिक संरचना में भी अत्यंत गहरा है।

चाहे दैनिक बातचीत हो या साहित्यिक सृजन—निपात सूक्ष्म रूप से हमारे संवाद को अधिक प्रभावशाली, सुंदर और जीवंत बनाते हैं। इसलिए निपातों की समझ भाषा-अध्ययन का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है।


इन्हें भी देखें –

हिन्दी की उपभाषाएं (हिन्दी की बोलियां):

भारतीय आर्य भाषाएं:

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