हिंदी व्याकरण में अव्यय एक अत्यंत महत्वपूर्ण श्रेणी है, क्योंकि इसके माध्यम से वाक्य की संरचना में सूक्ष्म अर्थ, दिशा, कारण, साधन और अनेक प्रकार के संबंध स्पष्ट होते हैं। अव्यय का वह रूप जो दो संज्ञाओं, दो सर्वनामों अथवा एक संज्ञा और सर्वनाम के बीच किसी संबंध का संकेत करता है, संबंधबोधक अव्यय कहलाता है। आधुनिक हिंदी की अभिव्यक्ति-शक्ति में इनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना भाषा में स्पष्टता और व्याकरणिकता को बनाए रखना कठिन हो जाता है।
संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा
वे अव्यय शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम का किसी अन्य संज्ञा/सर्वनाम से संबंध स्थापित करते हैं, संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। सामान्यत: ये शब्द किसी न किसी परसर्ग या विभक्ति-चिह्न के साथ मिलकर प्रयुक्त होते हैं, जैसे — के पास, के लिए, के ऊपर, से दूर, के कारण आदि।
इनका प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के बाद होता है और ये उस संबंध की प्रकृति बताते हैं—स्थान, समय, दिशा, साधन, कारण, समानता आदि कोई भी।
संबंधबोधक अव्यय की आवश्यकता और महत्त्व
किसी भी भाषा में अलग-अलग तत्वों को जोड़कर एक सार्थक वाक्य बनाना व्याकरण का उद्देश्य होता है। हिंदी में यह कार्य संबंधबोधक अव्ययों की सहायता से और भी सटीक रूप में संपन्न होता है। उदाहरण के लिए—
- विद्यालय के सामने बगीचा है — यहाँ ‘के सामने’ विद्यालय और बगीचे के स्थान संबंध को बताता है।
- राम के बाद भरत आए — यहाँ ‘के बाद’ समय संबंध व्यक्त करता है।
यदि संबंधबोधक अव्यय न हों, तो संबंध व्यक्त करना अस्पष्ट और कठिन हो जाएगा।
संबंधबोधक अव्यय के प्रमुख भेद
व्याकरणाचार्यों ने संबंधबोधकों को कई आधारों पर वर्गीकृत किया है। सबसे सामान्य और विस्तृत वर्गीकरण निम्नलिखित है:
(क) अर्थ के आधार पर संबंधबोधक के भेद
(ख) प्रयोग की दृष्टि से संबंधबोधक के भेद
(ग) रूप के आधार पर संबंधबोधक के भेद
(क) अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद
संबंधबोधक अव्यय वे अव्यय हैं जो किसी शब्द या वाक्यांश को दूसरे से जोड़कर विशेष संबंध प्रकट करते हैं। ये वाक्य में स्थान, समय, दिशा, साधन, कारण आदि का स्पष्ट बोध कराते हैं। व्याकरणाचार्यों ने इन्हें अर्थ के आधार पर अनेक वर्गों में विभाजित किया है।
PART–1 : पारंपरिक वर्गीकरण (12 भेद)
- स्थानवाचक
- दिशावाचक
- कालवाचक
- साधनवाचक
- कारणवाचक
- सीमावाचक
- विरोधसूचक
- समतासूचक
- हेतुवाचक
- सहचरसूचक
- विषयवाचक
- संग्रवाचक
PART–2 : आधुनिक/विस्तृत वर्गीकरण (14 भेद)
- स्थानवाचक
- दिशावाचक
- कालवाचक
- साधनवाचक
- उद्देश्यवाचक
- व्यतिरेकवाचक
- विनिमयवाचक
- सादृशवाचक
- विरोधवाचक
- साहचर्यवाचक
- विषयवाचक
- संग्रहवाचक
- तुलनावाचक
- कारणवाचक
आइए सभी को विस्तार से समझते हैं।
अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय : विस्तृत विवेचन
1. स्थानवाचक संबंधबोधक (Locative Postpositions)
परिभाषा: वे अव्यय जो किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान अथवा स्थिति के स्थान का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, सामने, पीछे, बीच, निकट, समीप, आगे, आसपास।
उदाहरण:
- मेरे घर के सामने पार्क है।
- वह नदी के किनारे बैठा है।
2. दिशावाचक संबंधबोधक (Directional Postpositions)
परिभाषा: ये दिशा, ओर, तरफ या किसी स्थान की गति का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: ओर, तरफ, दाएँ, बाएँ, पास, समीप, आगे, उधर, इधर।
उदाहरण:
- गाँव की ओर चलो।
- विद्यालय की तरफ सड़क जाती है।
3. कालवाचक संबंधबोधक (Temporal Postpositions)
परिभाषा: ये समय, पहले–बाद, अवधि या सीमा का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: पहले, बाद, उपरांत, पश्चात, अब तक, आगे, पीछे।
उदाहरण:
- राम के बाद कोई नहीं आया।
- भोजन से पहले पानी पी लो।
4. साधनवाचक संबंधबोधक (Instrumental Postpositions)
परिभाषा: किसी कार्य के होने के साधन, माध्यम या जरिये को दर्शाते हैं।
मुख्य शब्द: द्वारा, सहारे, माध्यम से, मार्फ़त, जरिये।
उदाहरण:
- सूचना पत्र द्वारा दी गई।
- वह अपने मित्र के सहारे सफल हुआ।
5. कारणवाचक संबंधबोधक (Causal Postpositions)
परिभाषा: वे अव्यय जो किसी घटना के कारण का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: कारण, चलते, मारे, वजह से, हेतु, वास्ते।
उदाहरण:
- बारिश के कारण खेल रद्द हुआ।
- डर के मारे वह भाग गया।
6. उद्देश्यवाचक संबंधबोधक (Purpose Postpositions) | विस्तृत सूची में
परिभाषा: ये किसी कार्य के उद्देश्य, प्रयोजन या मकसद को व्यक्त करते हैं।
मुख्य शब्द: लिए, हेतु, वास्ते, निमित्त।
उदाहरण:
- वह परीक्षा के लिए पढ़ता है।
- देश की खातिर/वास्ते बलिदान देता है।
7. व्यतिरेकवाचक / हेतुवाचक संबंधबोधक (Exceptive Postpositions)
परिभाषा: ये किसी वस्तु के अभाव, अतिरिक्तता या अपवाद को दर्शाते हैं।
मुख्य शब्द: सिवा, अतिरिक्त, अलावा, बिना, रहित, छोड़कर।
उदाहरण:
- राम के सिवा कोई नहीं आया।
- वह गुण रहित व्यक्ति है।
8. विनिमयवाचक संबंधबोधक (Exchange Postpositions)
परिभाषा: जहाँ किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के स्थान पर रखा जाए या बदले के अर्थ का बोध हो।
मुख्य शब्द: स्थान पर, बदले, एवज में, जगह पर।
उदाहरण:
- उसने पैसे के बदले किताब ली।
- तुम मेरे स्थान पर जाओ।
9. सीमावाचक संबंधबोधक (Limitative Postpositions)
परिभाषा: सीमा या extent का बोध कराते हैं—कहाँ तक, कितनी मात्रा में, किस दायरे तक।
मुख्य शब्द: तक, पर्यंत, भर, मात्र।
उदाहरण:
- वह रात भर जागता रहा।
- खेत नदी तक फैला है।
10. सादृशवाचक / समतासूचक संबंधबोधक (Comparative/Similative Postpositions)
परिभाषा: ये समानता, तुल्यता या मिलते-जुलते स्वरूप का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: समान, अनुसार, सरीखा, जैसा, वैसा, तुल्य, बराबर।
उदाहरण:
- राधा के समान मीरा भी सुंदर है।
- नियम के अनुसार कार्य करो।
11. विरोधवाचक / विरोधसूचक संबंधबोधक (Adversative Postpositions)
परिभाषा: विपरीतता, उलट अर्थ या विरोध को दर्शाते हैं।
मुख्य शब्द: विपरीत, विरुद्ध, खिलाफ, प्रतिकूल।
उदाहरण:
- आतंकवादी कानून के विरुद्ध काम करते हैं।
- यह निर्णय जनता के खिलाफ है।
12. सहचरसूचक / साहचर्यवाचक संबंधबोधक (Associative Postpositions)
परिभाषा: संग-साथ, सहभागिता या साथ रहने का संकेत देते हैं।
मुख्य शब्द: संग, साथ, समेत, सहित।
उदाहरण:
- वह परिवार सहित आया।
- राम अपने मित्र के साथ गया।
13. विषयवाचक संबंधबोधक (Subjective Postpositions)
परिभाषा: किसी विषय, प्रसंग, बाबत या आश्रय का बोध कराते हैं।
मुख्य शब्द: विषय में, बाबत, आश्रय, संबंध में, भरोसे।
उदाहरण:
- इस मुद्दे के बाबत पत्र लिखा गया।
- वह तुम्हारे भरोसे काम कर रहा है।
14. संग्रहवाचक संबंधबोधक (Collective Postpositions)
परिभाषा:समूह, संग्रह, समावेश या परिमाण का संकेत देते हैं।
मुख्य शब्द: भर, तक, समेत, लगभग, अंतर्गत, मात्र।
उदाहरण:
- वह बच्चों समेत आया।
- दुकान में बीस लोग तक आ सकते हैं।
15. तुलनावाचक संबंधबोधक (Comparative Postpositions)
परिभाषा: दो वस्तुओं/व्यक्तियों के बीच तुलना, अपेक्षा या श्रेष्ठता का भाव दर्शाते हैं।
मुख्य शब्द: अपेक्षा, समक्ष, बनिस्बत, समान।
उदाहरण:
- राम की अपेक्षा श्याम अधिक तेज है।
- वह सबके समक्ष सत्य बोलता है।
(ख) प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय
संबंधबोधकों का एक दूसरा महत्त्वपूर्ण वर्गीकरण विभक्ति के प्रयोग पर आधारित है।
(1) सविभक्तिक संबंधबोधक
ये वे अव्यय हैं जो किसी विभक्ति के साथ प्रयुक्त होते हैं।
प्रमुख शब्द: आगे, पीछे, पहले, दूर, पास, ओर, समीप आदि।
उदाहरण :
- घर के आगे पार्क बनाया गया है।
- सीता राम के पीछे चल रही थी।
- सभी विद्यार्थी लक्ष्मण से पहले पहुँच गए।
- वह गाँव से दूर रहता है।
- मेरी मेज़ के पास एक कुर्सी रखी है।
- विद्यालय के समीप पुस्तकालय है।
- नदी के ओर नाव खड़ी है।
प्रमुख शब्दों का प्रयोग
- आगे = मंदिर के आगे भीड़ लगी हुई है।
- पीछे = विद्यालय के पीछे खेल का मैदान है।
- पहले = भोजन से पहले हाथ धोएँ।
- दूर = शहर से दूर एक छोटा गाँव है।
- पास = मेरे पास समय बहुत कम है।
- ओर = उत्तर की ओर तेज़ हवाएँ चल रही हैं।
- समीप = रेलवे स्टेशन के समीप अस्पताल है।
(2) निर्विभक्तिक संबंधबोधक
ये अव्यय बिना किसी विभक्ति-चिह्न के संज्ञा/सर्वनाम के बाद आते हैं।
प्रमुख शब्द: भर, तक, समेत, पर्यन्त, सहित।
उदाहरण :
- वह पूरी रात भर पढ़ता रहा।
- वह जीवन पर्यन्त सत्य के मार्ग पर चला।
- वह अपने बाल-बच्चों समेत यहाँ आया।
- वह सुबह तक सोता रहा।
- दूल्हे का परिवार सहित सभी मेहमान आ गए।
प्रमुख शब्दों का प्रयोग
- भर = वह दिन भर काम करता रहा।
- तक = मैं शाम तक लौट आऊँगा।
- समेत = राम अपने मित्रों समेत घूमने गया।
- पर्यन्त = वह मृत्यु पर्यन्त अविवाहित रहा।
- सहित = राजा अपने मंत्रियों सहित सभा में आया।
(3) उभय-विभक्ति संबंधबोधक
इनका प्रयोग कभी विभक्ति के साथ, कभी बिना विभक्ति के होता है।
प्रमुख शब्द: द्वारा, रहित, बिना, अनुसार।
उदाहरण :
- पत्र द्वारा सूचना भेजी गई।
- पत्र के द्वारा सूचना भेजी गई — दोनों सही।
- वह गुण रहित है।
- वह गुण के रहित है — दोनों प्रयोग स्वीकार्य।
- मैं धन बिना यात्रा नहीं कर सकता।
- मैं धन के बिना यात्रा नहीं कर सकता — दोनों सही।
- उसने नियम अनुसार कार्य किया।
- उसने नियम के अनुसार कार्य किया — दोनों सही।
प्रमुख शब्दों का प्रयोग
- द्वारा = सूचना ई-मेल द्वारा दी गई।
- रहित = वह अभिमान रहित व्यक्ति है।
- बिना = वह बिना कारण नाराज़ हो गया।
- अनुसार = संविधान के अनुसार सब समान हैं।
(ग) रूप के आधार पर संबंधबोधक के भेद
(1) मूल संबंधबोधक
जो शब्द स्वयंसिद्ध हों, किसी अन्य शब्द से मिलकर न बने हों।
जैसे: बिना, तक, समेत।
(जो अपने मूल रूप में हों और किसी अन्य शब्द से मिलकर न बने हों)
उदाहरण :
- बिना मेहनत सफलता नहीं मिलती।
- वह सुबह तक स्कूल पहुँच गया।
- वह अपने परिवार समेत कार्यक्रम में उपस्थित हुआ।
- सैनिक सहित पूरा दल आगे बढ़ा।
- वह रात भर जागता रहा।
(2) यौगिक संबंधबोधक
जो संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया या अन्य अव्यय के योग से बने हों।
जैसे: पर्यन्त (परि + अंत)।
(जो दो शब्दों के योग से बने हों — संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया या अव्यय के संयोजन से)
उदाहरण :
- वह जीवन पर्यन्त शिक्षा देता रहा।
- (पर्यन्त = परि + अंत)
- यहाँ वर्षा के कारण सड़क बंद है।
- उसके स्वभाव के अनुरूप व्यवहार करो।
- यह नियम देश के हितार्थ बनाया गया है।
- वह पिता की जगह काम कर रहा है।
(नोट: केवल एक ही शब्द “पर्यन्त” शुद्ध रूप से परि + अंत का यौगिक अव्यय है, किंतु लेख लिखते समय आप उन सभी को शामिल कर सकते हैं जो संयोग से बने रूप माने जाते हैं।)
क्रिया-विशेषण और संबंधबोधक में अंतर
कई शब्द परिस्थिति के अनुसार क्रियाविशेषण भी हो सकते हैं और संबंधबोधक भी।
मुख्य अंतर यह है कि—
संबंधबोधक
• संज्ञा/सर्वनाम के साथ आता है
• दो चीज़ों के बीच संबंध बताता है
उदाहरण:
- दुकान के भीतर जाओ। — ‘के भीतर’ संबंधबोधक।
क्रियाविशेषण
• सीधे क्रिया की विशेषता बताता है
• किसी अन्य संज्ञा से संबंध नहीं
उदाहरण:
- अंदर जाओ। — यहाँ ‘अंदर’ क्रियाविशेषण है।
क्रिया-विशेषण और संबंधबोधक अव्यय में अंतर — सारणीबद्ध रूप में
| आधार | क्रिया-विशेषण | संबंधबोधक अव्यय |
|---|---|---|
| 1. परिभाषा | वे अव्यय जो क्रिया, विशेषण या अन्य क्रिया-विशेषण की विशेषता बताते हैं। | वे अव्यय जो संज्ञा या सर्वनाम का किसी अन्य संज्ञा/सर्वनाम से संबंध बताते हैं। |
| 2. मुख्य भूमिका | कार्य (क्रिया) कैसे, कब, कहाँ, किस प्रकार हुआ — यह बताते हैं। | दो संज्ञाओं/सर्वनामों के बीच स्थान, दिशा, समय, कारण, साधन आदि का संबंध स्थापित करते हैं। |
| 3. प्रयोग का तरीका | अकेले प्रयोग होते हैं, इनके साथ संज्ञा/सर्वनाम नहीं लगता। | प्रायः ‘के/की/से/को/पर’ जैसे परसर्गों के साथ संज्ञा/सर्वनाम के बाद लगते हैं। |
| 4. वाक्य में स्थान | सामान्यतः क्रिया के निकट रहते हैं। | संज्ञा/सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होते हैं। |
| 5. उदाहरण | अंदर जाओ। (यहाँ ‘अंदर’ क्रिया की विशेषता बता रहा है—कहाँ जाओ?) | दुकान के अंदर जाओ। (यहाँ ‘अंदर’ संबंध दिखा रहा है—‘दुकान’ और ‘जाने’ की दिशा का संबंध) |
| 6. अर्थ का केंद्र | क्रिया-केंद्रित अर्थ—क्रिया की अवस्था, प्रकार, समय, स्थान बताते हैं। | संज्ञा-केंद्रित अर्थ—संज्ञाओं के बीच व्यावहारिक, स्थानिक, कारणात्मक संबंध बताते हैं। |
| 7. क्या यह वाक्य में किसी का ‘संबंध’ दिखाता है? | नहीं – क्रिया की विशेषता बताता है, संबंध नहीं। | हाँ – दो संज्ञाओं या संज्ञा-सर्वनाम के बीच संबंध स्थापित करता है। |
| 8. पहचान कैसे करें? | यदि अव्यय हटाने पर भी संज्ञाओं का संबंध न टूटे और सिर्फ क्रिया की विशेषता घटे — तो वह क्रिया-विशेषण। | यदि अव्यय हटाने पर दो संज्ञाओं के बीच संबंध टूट जाए — तो वह संबंधबोधक अव्यय। |
| 9. एक और उदाहरण | वह धीरे चला। (‘धीरे’ चलने की विधि बता रहा है → क्रिया-विशेषण) | वह सड़क के ऊपर खड़ा है। (‘ऊपर’ सड़क और खड़े होने के स्थान का संबंध → संबंधबोधक) |
अतिरिक्त स्पष्टता के लिए दो युग्म उदाहरण
(1) भीतर / के भीतर
| वाक्य | प्रकार | कारण |
|---|---|---|
| भीतर आओ। | क्रिया-विशेषण | क्रिया “आओ” का स्थान बताया। |
| घर के भीतर आओ। | संबंधबोधक अव्यय | ‘घर’ और ‘आने’ के बीच स्थान संबंध बनाया। |
(2) सामने / के सामने
| वाक्य | प्रकार | कारण |
|---|---|---|
| सामने बैठो। | क्रिया-विशेषण | बैठने की दिशा/स्थान बता रहा है। |
| विद्यालय के सामने बगीचा है। | संबंधबोधक अव्यय | विद्यालय और बगीचे का संबंध स्थापित किया। |
संबंधबोधक अव्यय की पहचान के तरीके
- वाक्य में दो संज्ञाएं/सर्वनाम हों और उनके बीच संबंध बताने वाला शब्द हो।
- शब्द अक्सर “के”, “से”, “में”, “पर” आदि परसर्गों के साथ मिलता है।
- उस शब्द को हटाने पर वाक्य का संबंध अस्पष्ट हो जाता है।
उदाहरण वाक्य:
- यहाँ से पूरब की ओर तालाब है। — ‘से’, ‘की ओर’ संबंधबोधक
- मैं कार्यालय से दूर था। — ‘से दूर’
- इसी जंगल के पीछे नदी है। — ‘के पीछे’
- तुम घर के भीतर जाओ। — ‘के भीतर’
निष्कर्ष
संबंधबोधक अव्यय हिंदी व्याकरण की वह सशक्त इकाई हैं जो भाषा को स्पष्टता, सुसंगति और अर्थ की गहराई प्रदान करते हैं। इनके माध्यम से न केवल वस्तुओं, व्यक्तियों और स्थानों का संबंध व्यक्त होता है, बल्कि समय, कारण, दिशा, साधन, सीमा, समानता और विरोध जैसी सूक्ष्म विशेषताएँ भी स्पष्टता पूर्वक सामने आती हैं।
यदि हिंदी में संबंधबोधक अव्यय न हों, तो वाक्य केवल शब्दों का समूह बनकर रह जाएँ।
इन्हीं अव्ययों के कारण भाषा सहज, सरस और अर्थपूर्ण बनती है।
इन्हें भी देखें –
- निपात (अवधारक) : परिभाषा, भेद, उदाहरण और व्याकरणिक भूमिका
- विस्मयादिबोधक अव्यय : परिभाषा, प्रकार, प्रयोग और उदाहरण
- समुच्चय बोधक अव्यय : स्वरूप, प्रकार और प्रयोग
- क्रिया-विशेषण (Adverb): परिभाषा, प्रकार और 100+ उदाहरण
- देवनागरी लिपि : जन्म, विकास, स्वरूप, विशेषताएँ, गुण–दोष और महत्व
- जीवनी – परिभाषा, स्वरूप, भेद, साहित्यिक महत्व और उदाहरण
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