संज्ञा शब्द विशेष रूप से एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ नाम होता है। इस संसार की प्रत्येक वस्तु या व्यक्ति का नाम संज्ञा होता है। संज्ञा(noun) एक ऐसा शब्द है जिससे किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या विचार के नाम का बोध होता है। एक वाक्य में, संज्ञा विषय, प्रत्यक्ष वस्तु, अप्रत्यक्ष वस्तु, विषय पूरक, वस्तु पूरक, या विशेषण की भूमिका निभा सकती हैं।
संज्ञा की परिभाषा – किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम के घोतक शब्द को संज्ञा (Noun) कहते हैं। संज्ञा (Noun) का अर्थ नाम होता है, क्योंकि sangya किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम को दर्शाती है। संज्ञा(noun) एक विकारी शब्द है।
‘संज्ञा’ शब्द का उपयोग किसी वस्तु, प्राणी, व्यक्ति, गुण, भाव या स्थान के लिए नहीं किया जाता, बल्कि किसी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के “नाम” के लिए किया जाता है। जैसे- मोहन जाता है। इस वाक्य में मोहन नामक व्यक्ति संज्ञा नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति का नाम “मोहन” संज्ञा(noun) है।
संज्ञा के उदाहरण
संज्ञा को निम्न उदाहरणों से समझा जा सकता है-
- व्यक्ति का नाम – रमेश, अजय, विराट कोहली, नवदीप, राकेश, शंकर
- वस्तु का नाम – कलम, डंडा, चारपाई, कंघा
- गुण का नाम – सुन्दरता, ईमानदारी, बेईमानी, चालाकी
- भाव का नाम – प्रेम, ग़ुस्सा, आश्चर्य, दया, करूणा, क्रोध
- स्थान का नाम – आगरा, दिल्ली, जयपुर
संज्ञा शब्द कौन से होते है?
किसी भी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी के नाम को दर्शाने वाले शब्द को संज्ञा शब्द कहते हैं। जैसे-
- मोहन
- कलम
- बैलगाड़ी
- चारपाई
- गुस्सा
- दया
- प्रेम
- क्रोध
- कार
- जयपुर
संज्ञा के भेद
संज्ञा के पांच भेद होते हैं।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
- जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
- भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
- समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun)
- द्रव्यवाचक संज्ञा (Mass Noun)
1.व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं?
किसी व्यक्ति विशेष, स्थान विशेष और किसी वस्तु विशेष के नाम के घोतक शब्द को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
किसी व्यक्ति विशेष, स्थान विशेष या वस्तु विशेष के नाम के द्योतक शब्द को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- कविता, दिल्ली, रामायण इत्यादि।
- व्यक्ति विशेष – रवि, महेश, अक्षय, विकास, तुलसीदास, कालिदास, राम, सीता, कृष्ण, राधा, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरु, नरेंद्र मोदी, शाहरुख खान इत्यादि।
- स्थान विशेष – जयपुर, दिल्ली, एशिया, यूरोप, राजस्थान, कलकत्ता, मुम्बई, भारत, श्रीलंका, अमेरिका, चीन, बिहार, बीकानेर, पंजाब, हरियाणा, पुष्कर, नासिक, अमरनाथ इत्यादि।
- वस्तु विशेष – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, रामायण, गीता, शिवपुराण इत्यादि।
- रवि
- यहाँ रवि नाम प्रत्येक व्यक्ति का नाम नहीं हो सकता, किसी एक का ही होगा।
- जयपुर
- जयपुर देश या दुनिया के प्रत्येक शहर का नाम नहीं हो सकता।
- ऋग्वेद
- ऋग्वेद नाम प्रत्येक वेद का नाम नहीं हो सकता, किसी एक का ही होगा।
- रवि
व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं। इनका बहुवचन जातिवाचक संज्ञा शब्द बन जाता है। जैसे-
- जयचंद – चयचंदों,
- अशोक – अशोकों आदि।
व्यक्तिवाचक संज्ञा में हम जिस व्यक्ति, वस्तु या स्थान की बात कर रहे होते हैं, वो इकलौता होता है।
यदि कोई जातिवाचक संज्ञा शब्द किसी वाक्य में व्यक्ति विशेष को प्रकट करने लगे तो वहाँ उसमें जातिवाचक संज्ञा न होकर व्यक्तिवाचक संज्ञा होगी। जैसे-
- शास्त्री – शास्त्री जी एक ईमानदार प्रधानमंत्री थे।
- मोदी – मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं।
- गाँधी – गाँधी जी के नेतृत्व में भारत को आज़ादी मिली।
- नेताजी – नेताजी की मृत्यु आज भी एक रहस्य है।
- पंडित जी – पंडित जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण
- मोहन गाता है।
- श्याम मेरा दुश्मन है।
- विराट कोहली एक महान बल्लेबाज है।
- जयपुर में हवामहल है।
- दिल्ली भारत की राजधानी है।
- मैं जयपुर में रहता हूँ।
- राम का कुत्ता मर गया।
- महेश की भैंस भाग गई।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश गए।
- विराट कोहली दिग्गज बल्लेबाज हैं।
- हितेश फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी है।
- मोहन मेरा दोस्त है।
- घनश्याम एक ईमानदार नेता है।
- विजय के पास एक साईकिल है।
- मुम्बई भारत की आर्थिक राजधानी है।
- अमित शाह भारत के गृहमंत्री है।
- शंकर के पास तीन बीघा जमीन है।
- ताजमहल आगरा में स्थित है।
- गंगा भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी है।
2.जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं?
किसी प्राणी, वस्तु या स्थान विशेष की जाति या सम्पूर्ण वर्ग का बोध करवाने वाले शब्द को जाति वाचक संज्ञा कहते हैं। जाति वाचक संज्ञा में किसी एक प्राणी, वस्तु या स्थान विशेष का बोध नहीं होता, बल्कि उस प्राणी, वस्तु या स्थान विशेष की सम्पूर्ण जाति या वर्ग का बोध होता है। जैसे: नदी, पहाड़, जानवर, शहर, गाँव इत्यादि। जैसे: मनुष्य, घर, पहाड़, गाय, बकरी इत्यादि।
रमेश, महेश, राधा या घनश्याम अलग-अलग व्यक्तियों के नाम हैं। अतः ये सभी व्यक्ति वाचक संज्ञा हैं, लेकिन सम्पूर्ण व्यक्तियों को मनुष्य कह कर सम्बोधित कर सकते हैं। मनुष्य कहने से सम्पूर्ण जाति का बोध होता है। अतः मनुष्य जातिवाचक संज्ञा है।
- प्राणी – मनुष्य, मानव, लड़का, लड़की, सेना, बिल्ली, कुत्ता, घोड़ा, मोर, सभा इत्यादि।
- वस्तु – पुस्तकें, मशीन आदि।
- स्थान – पहाड़, नदी, शहर, गाँव, विद्यालय, भवन इत्यादि।
- मोर
- यहाँ मोर शब्द किसी एक मोर का बोध करवाने के बजाय सम्पूर्ण मोर जाति या वर्ग का बोध करवा रहा है. अतः मोर जातिवाचक संज्ञा शब्द है।
- लड़का
- यदि किसी लड़के को उसके नाम से सम्बोधित किया जाय तो वहाँ व्यक्तिवाचक संज्ञा होगी, लेकिन लड़का शब्द से किसी भी लड़के को सम्बोधित किया जा सकता है. अतः लड़का जातिवाचक संज्ञा है।
- पहाड़
- यदि किसी पहाड़ विशेष को उसके नाम से सम्बोधित किया जाए तो यकीनन वह व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द होगा, किन्तु पहाड़ शब्द एक ऐसे वर्ग को दर्शाता है जिसमें विश्व के सभी पहाड़ शामिल होंगे, क्यूंकि उन सभी की जाति एक ही है।
- मोर
जातिवाचक संज्ञा के उदहारण
- बिल्ली को जानवरों की मौसी कहा जाता है।
- मानव सबसे अधिक बुद्धिमान प्राणी है।
- गाय का दूध मीठा होता है।
- पक्षियों को क़ैद करना पाप है।
- कुत्ता पालतू जानवर है।
- डाँक्टर भगवान का रूप होते हैं।
- महिलाएं बहुत बात करती हैं।
- पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं।
- नदियों का जल अब साफ़ नहीं रहा।
- किसान देश का आधार हैं।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में बिल्ली, मानव, गाय, पक्षी, कुत्ता, डॉक्टर, महिलाएं, पुस्तकें, नदियाँ, किसान, मनुष्य इत्यादि शब्द अपनी सम्पूर्ण जाति का बोध करवा रहे हैं। अतः ये सभी शब्द जातिवाचक संज्ञा शब्द हैं।
जातिवाचक संज्ञा और व्यक्तिवाचक संज्ञा में अंतर
क्र. | व्यक्तिवाचक संज्ञा | जातिवाचक संज्ञा |
1 | व्यक्ति वाचक संज्ञा सदैव एकवचन होती है। | जाति वाचक संज्ञा सदैव बहुवचन होती है। |
2 | व्यक्तिवाचक संज्ञा सदैव अर्थवान नहीं होती। | जातिवाचक संज्ञा सदैव अर्थवान होती है। |
3 | व्यक्ति वाचक संज्ञा में जिसके बारे में बात हो रही है वह एक ही होता है। | जाति वाचक संज्ञा में किसी प्राणी, वस्तु या स्थान विशेष के वर्ग की बात होती है। |
4 | जैसे: मोहन, रामायण, गीता, राधा, लाल किला, जयपुर, मुम्बई, राजस्थान, गोवा, रमेश इत्यादि। | जैसे: बिल्ली, मानव, गाय, पक्षी, कुत्ता, डॉक्टर, महिलाएं, पुस्तकें, नदियाँ, किसान, मनुष्य इत्यादि। |
3.भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं?
किसी भाव, गुण, दशा और अवस्था का ज्ञान करवाने वाले शब्द को भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे–
क्रोध, प्रसन्नता, प्रेम, आश्चर्य, लालच, जवानी इत्यादि।
भाववाचक संज्ञा शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं। भाववाचक संज्ञा शब्दों का बहुवचन बनाने पर वह जातिवाचक संज्ञा शब्द बन जाता है। जैसे- दूरी से दूरियाँ, चोरी से चोरियाँ, प्रार्थना से प्रार्थनाएँ इत्यादि।
व्याकरण शब्द में भाववाचक संज्ञा है। भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण किसी जातिवाचक संज्ञा / सर्वनाम / विशेषण / क्रिया या अव्यय शब्दों में प्रत्यय जुड़ने से होता है।
भाववाचक संज्ञा को यथार्थ में नहीं देखा जा सकता, बल्कि मन में महसूस किया जा सकता है। जैसे– मिठास, कड़वाहट, क्रोध, जवानी, स्त्रीत्व, बालकपन, मित्रता, अपनत्व, अहंकार, अच्छाई, बुराई इत्यादि।
भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण जातिवाचक संज्ञा / सर्वनाम / विशेषण / क्रिया / अव्यय शब्दों में प्रत्यय जोड़कर किया जाता है।
भाववाचक संज्ञा के उदाहरण
- क्रोध, प्रसन्नता, प्रेम, आश्चर्य – यहाँ शब्द भाव का बोध करवा रहे हैं। अतः क्रोध, प्रसन्नता, प्रेम एवं आश्चर्य भाववाचक संज्ञा हैं।
- सुन्दरता, ईमानदारी – यहाँ दोनों शब्द गुण को दर्शाते हैं। अतः सुन्दरता एवं ईमानदारी भाववाचक संज्ञा हैं।
- बुढ़ापा, बचपन, सुख – यहाँ शब्द अवस्था को दर्शाते हैं। अतः बुढ़ापा, बचपन एवं सुख भाववाचक संज्ञा हैं।
- रवि की आवाज़ में मिठास है।
- सरिता को क्रोध बहुत आता है।
- मोहन एक चापलूस लड़का है।
- सरिता की लम्बाई विजय से अधिक है।
- वह बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा है।
- कमल कमला से प्रेम करता है।
- बीमारी के बाद मुझे बहुत थकावट होने लग गई है।
- रमेश और सुरेश की दोस्ती पूरे गाँव में मशहूर है।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में मिठास, क्रोध, चापलूस, लम्बाई, बचपन, प्रेम, थकावट, दोस्ती इत्यादि शब्दों से किसी न किसी भाव का बोध हो रहा है। अतः ये सभी भाववाचक संज्ञा शब्द हैं।
भाववाचक शब्द
किसी भाव की सुचना या बोध करवाने वाले शब्दों को भाववाचक शब्द कहते हैं। जैसे- क्रोध, शांत, चालक, मिठास, कड़वाहट, इत्यादि।
भाववाचक संज्ञा कैसे बनते हैं?
भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए जातिवाचक संज्ञा / सर्वनाम / क्रिया / विशेषण / अव्यय शब्दों में प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। जैसे–
- दूर + ई = दूरी,
- लड़ (ना) + आई = लड़ाई,
- काला + पन = कालापन।
जातिवाचक संज्ञा शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक संज्ञा शब्दों से भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना की जा सकती है। जातिवाचक संज्ञा शब्दों के साथ प्रत्यय जोड़कर भाव वाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण किया जा सकता है। जैसे-
- जातिवाचक संज्ञा + प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा
- मित्र + ता = मित्रता
- प्रभु + ता = प्रभुता
- बच्चा + पन = बच्च्पन
- मुर्ख + ता = मुर्खता
- युवा + अन = यौवन
- बालक + पन = बालकपन
- पुरुष + अ = पौरुष
- पुरुष + त्व = पुरुषत्व
- स्त्रीत्व + त्व = स्त्रीत्व
- पात्र + ता = पात्रता
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम शब्दों से भी भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना की जा सकती है। सर्वनाम शब्दों के साथ प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा शब्द बनाए जा सकते हैं। जैसे-
- सर्वनाम + प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा
- पराया + पन = परायापन
- निज + त्व = निजत्व
- अपना + पन = अपनापन
- अपना + त्व = अपनत्व
- मम + ता = ममता
- मम + त्व = ममत्व
- अहम् + कार = अहंकार
- सर्व + स्व = सर्वस्व
विशेषण से भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
विशेषण शब्दों से भी भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना की जा सकती है। विशेषण शब्दों के साथ प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा शब्द बना सकते हैं। जैसे-
- अच्छा + आई = अच्छाई
- छोटा + पन = छुटपन
- तीक्ष्ण + ता = तीक्ष्णता
- नीच + ता = नीचता
- बड़ा + पन = बड़प्पन
- बड़ा + आई = बड़ाई
- सुंदर + ता = सुंदरता
- सुंदर + य = सौंदर्य
- मीठा + आस = मिठास
- एक + ता = एकता
- एक + त्व = एकत्व
- दुष्ट + ता = दुष्टता
- संपन्न + ता = सम्पन्नता
- शीघ्र + ता = शीघ्रता
- काला + पन = कालापन
- निपुण + ता = निपुणता
क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया से भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना की जा सकती है। क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए क्रिया शब्दों के साथ प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। जैसे-
- घबरा (ना) + आहट = घबराहट
- मिल (ना) + आवट = मिलावट
- मिल (ना) + आप = मिलाप
- चढ़ (ना) + आव = चढ़ाव
- चढ़ (ना) + आई = चढ़ाई
- काट (ना) + आई = कटाई
- लिख (ना) + आवट = लिखावट
- लड़ (ना) + आई = लड़ाई
- पढ़ (ना) + आई = पढ़ाई
- थक (ना) + आवट = थकावट
अव्यय शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाना
अव्यय शब्दों से भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना की जा सकती है। अव्यय शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए अव्यय शब्दों के साथ प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। जैसे-
- दूर + ई = दूरी
- समीप + ता = समीपता
- निकट + ता = निकटता
- नजदीक + ई = नजदीकी
स्वतन्त्र भाववाचक संज्ञा शब्द किसे कहते हैं?
भाववाचक शब्द संज्ञा / सर्वनाम / विशेषण / क्रिया / अव्यय शब्दों में प्रत्यय जोड़कर बनाए जाते हैं लेकिन कुछ भाववाचक संज्ञा शब्द ऐसे भी होते हैं जिनमें कोई प्रत्यय नहीं जुड़ा होता फिर भी वे शब्द किसी न किसी भाव विशेष को प्रकट करते हैं ऐसे शब्दों को स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा शब्द कहते हैं। जैसे- सुख, दुःख, स्नेह, प्रेम, दुलार, नींद, संसार, रोग इत्यादि।
- स्वतन्त्र भाववाचक संज्ञा शब्दों में यदि कोई प्रत्यय जोड़ दिया जाए तो बनने वाला शब्द विशेषण शब्द होता है। जैसे-
- स्वतन्त्र भाववाचक संज्ञा शब्द + प्रत्यय = विशेषण शब्द
- सुख + ई = सुखी
- दुःख + ई = दुखी
- प्रेम + ई = प्रेमी
- प्यार + आ = प्यारा
- संसार + इक = सांसारिक
- यदि किसी धातु या क्रिया शब्द में अन / ति / य / अ प्रत्यय जोड़ दिया जाए तो बनने वाला शब्द प्रायः भाववाचक संज्ञा शब्द होता है. जैसे-
- धातु + प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा शब्द
- मृ + अन = मरण
- वि + आ + कृ + अन = व्याकरण
- सृ + अ = सार
- भज् + ति = भक्ति
- खाद् + य = खाद्य
भाववाचक संज्ञा से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- ममता / एकता / करूणा / दया / कोमल जैसे शब्दों को भाववाचक संज्ञा शब्द ही माना जाता है, लेकिन, यदि ये शब्द किसी व्यक्ति विशेष के नाम का बोध कराते हों तो इनको भाव वाचक संज्ञा न मानकर व्यक्ति वाचक संज्ञा माना जाता है। जैसे-
- महेश के परिवार में एकता नहीं हैं। (भाववाचक संज्ञा)
- आज एकता की शादी है। (व्यक्ति वाचक संज्ञा)
- कमला में सभी बच्चों के लिए ममता का भाव है। (भाव वाचक संज्ञा)
- ममता कक्षा में सबसे होशियार छात्रा है। (व्यक्ति वाचक संज्ञा)
- यदि किसी धातु शब्द या क्रिया शब्द में अन / अ / ति / य प्रत्यय जोड़ दिया जाए तो बनने वाला शब्द भाववाचक संज्ञा शब्द होता है। जैसे-
- सृ + अ = सार
- वि + आ + कृ + अन = व्याकरण
- परि + आ + वृ + अन = पर्यावरण
- कृ + अ = कार
- कृ + य = कार्य
- वृ + अन = वरण
- आ + कृ + ति = आकृति
- भज् + ति = भक्ति
- पा + य = पेय
- पठ् + य = पाठ्य
4.समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं?
वे संज्ञा शब्द, जो किसी समूह या समुदाय विशेष की स्थिति को प्रकट करते हैं उन्हें समूहवाचक संज्ञा या समुदाय वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-
भीड़, मेला, सभा, कक्षा, परिवार, पुस्तकालय, झुंड, गिरोह, सेना, दल, गुच्छा, दल, टुकड़ी आदि शब्द हमें किसी न किसी समूह का बोध कराते हैं।
जिस प्रकार पुस्तकालय पुस्तकों के एक समूह से बनता है उसी प्रकार टुकड़ी सैनिकों का एक समूह होता है। इसके अलावा गुच्छा हमें फलों के समूह के बारे में बताता है और भीड़ शब्द हमें लोगों के एक बड़े समूह के बारे में बताता हैं।
समूहवाचक संज्ञा के उदहारण
- क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता।
- दिए गए वाक्य में ‘टीम’ शब्द से खिलाड़ियों के एक समूह का बोध हो रहा है। अतः ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मुझे एक दर्जन केले खरीदने हैं।
- दिए गए वाक्य में ‘दर्जन’ एक समूह का बोध करा रहा है, इसलिए यह समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण है।
- भारतीय सेना विश्व की सबसे बड़ी सेना हैं।
- दिए गए वाक्य में ‘सेना’ शब्द से जवानों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सेना’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मेरी पूरी कक्षा के विद्यार्थी घूमने जा रहे हैं।
- दिए गए वाक्य में ‘कक्षा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। अतः ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- कल बस स्टैंड पर भीड़ जमा हो गयी।
- दिए गए वाक्य में ‘भीड़’ शब्द से लोगों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘भीड़’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मेरे परिवार में आठ सदस्य हैं।
- दिए गए वाक्य में ‘परिवार’ शब्द से सदस्यों के एक समूह का बोध हो रहा है। अतः ‘परिवार’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- पुलिस ने चोरों की गाडी से हथियारों का जखीरा बरामद किया।
- दिए गए वाक्य में ‘जखीरा’ शब्द से हथियारों के एक समूह का बोध हो रहा है। अतः ‘जखीरा’ समूहवाचक संज्ञा हैं।
- कालेधन की बात चलते ही सभा में सन्नाटा छा गया।
- दिए गए वाक्य में ‘सभा’ शब्द से एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सभा’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मैंने जंगल में हिरणों का झूंड देखा।
- दिए गए वाक्य में ‘झुण्ड’ शब्द से हिरणों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘झुण्ड’ समूहवाचक संज्ञा हैं।
- आज मैंने अंगूरों का एक गुच्छा खाया।
- इस वाक्य में ‘गुच्छा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। अतः ‘गुच्छा’ समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मेरी पूरी कक्षा में मुझे पहला स्थान प्राप्त हुआ।
- इस वाक्य में ‘कक्षा’ शब्द हमें एक समूह का बोध करा रहा है अतः यह एक समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण हैं।
- मेरे भाषण की सभा में उपस्थित सभी लोगों ने मेरी प्रशंसा की।
- इस वाक्य में ‘सभा’ शब्द से हमें एक समूह का बोध हो रहा है अतः यह एक समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण हैं।
- हाथी हमेशा झुण्ड में चलते हैं।
- इस वाक्य में ‘झुण्ड’ शब्द के द्वारा हमें हाथियों के एक समूह का बोध हो रहा है अतः झुण्ड समूहवाचक संज्ञा है।
- श्याम के गाना को सुनते ही देखते-देखते वहां भीड़ जमा हो गयी।
- इस वाक्य में ‘भीड़’ शब्द हैं एक समूह का बोध करा रहा है अतः भीड़ समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण हैं।
5.द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं ?
किसी द्रव्य, पदार्थ, धातु तथा अधातु का बोध करवाने वाले शब्द को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
वह शब्द जो किसी तरल, ठोस, अधातु, धातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध कराते हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है। द्रव्यवाचक संज्ञा अगणनीय होती है और इन्हें ढेर के रूप में तोली या मापी जाती है।
- ठोस अवस्था – सोना, चाँदी, लोहा आदि शब्द अलग-अलग धातु को दर्शाते हैं। अतः सोना, चाँदी, लोहा द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- द्रव अवस्था – पानी, दूध आदि शब्द द्रव को दर्शाते हैं। अतः पानी, दूध द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- गैस अवस्था – ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन इत्यादि।
पानी, घी, तेल, कोयला, चाँदी, सोना, फल, सब्जी, हिरा, लोहा, चीनी, आदि द्रव्य द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते है। इन्हें गिना नहीं जाता बल्कि इन्हें मापा या फिर तोला जाता है।
यदि उदाहरण स्वरुप घी को लेते हैं। हम एक घी या दो घी नहीं कह करके एक किलो घी या दो किलो घी कहते हैं। किलो एक नापने का प्रमाण है।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण
- कोहिनूर हीरा सबसे महंगा है।
- यहां पर हीरा शब्द से बोध हो रहा है कि यह द्रव्य है, इसलिए यहां पर हीरा द्रव्यवाचक संज्ञा का एक उदाहरण है।
- मुझे फल बहुत पसंद है।
- यहां पर फल द्रव्य होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- सुनार के पास सोना है।
- यहां पर सोना शब्द से द्रव्य का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सोना शब्द में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- चाँदी के आभूषण बहुत सुंदर होते हैं।
- यहां पर चाँदी से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर चाँदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- सोने का रंग सुनहरा होता है।
- यहां पर सोना द्रव्य का बोध करा रहा है, इसलिए सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- लोहा बहुत महंगा हो रहा है।
- यहां पर लोहा शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- घी खाने से हम स्वस्थ रहते हैं।
- यहां पर घी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर घी द्रव्यवाचक संज्ञा का उदाहरण है।
- चाय में चीनी डालने से चाय में स्वाद आ जाता है।
- यहां पर चीनी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर चीनी शब्द में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मैं सब्जी लेकर आया हूँ।
- यहां पर सब्जी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सब्जी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मैं पानी पीने के लिए जा रहा हूँ।
- यहां पर पानी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए पानी द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- आज मैंने दूध पिया है।
- यहां पर दूध से हमें द्रव्य होने का हमें बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर दूध में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- अबकी बार बाजरे की फसल अच्छी हुई है।
- यहां पर बाजरे शब्द से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर बाजरे में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- आम बहुत मीठा होता है।
- यहां पर आम शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए आम में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मुझे फल बहुत पसंद है।
- चाय में चीनी डालने से चाय में स्वाद आ जाता है।
- आज मैंने दूध पिया है।
- मैं सब्जी लेकर आया हूँ।
- चाँदी के आभूषण बहुत सुंदर होते हैं।
- लोहा बहुत महंगा हो रहा है।
- कोहिनूर हीरा सबसे महंगा है।
- सुनार के पास सोना है।
- मैं पानी पीने के लिए जा रहा हूँ।
- सोने का रंग सुनहरा होता है।
- अबकी बार बाजरे की फसल अच्छी हुई है।
- आम बहुत मीठा होता है।
- घी खाने से हम स्वस्थ रहते हैं।
संज्ञा से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी वाक्य में कोई शब्द संज्ञा के एक भेद को दर्शाता है, जबकि अन्य किसी वाक्य में वही शब्द संज्ञा के दूसरे भेद को दर्शाता है। जैसे:-
- देश का प्रत्येक परिवार खुशहाल है।
- इस वाक्य में यदि हम “परिवार” की संज्ञा देखें तो, समूहवाचक संज्ञा होनी चाहिए क्योंकि “परिवार” शब्द समूह का बोध करवाता है, लेकिन यहाँ “परिवार” जातिवाचक संज्ञा को दर्शाता है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस वाक्य में “परिवार” शब्द संपूर्ण देश के परिवारों को दर्शा रहा है।
- अतः किसी शब्द की संज्ञा का निर्धारण करते समय हमें उस शब्द के वाक्य में प्रयोग पर ध्यान देना होगा। हमें यह देखना होगा कि शब्द वाक्य में क्या दर्शा रहा है, न कि परिभाषाएं रट कर किसी शब्द की संज्ञा का निर्धारण करना है।
- जब किसी एक ही नाम से अनेक व्यक्तियों का बोध करवाया जाता है तो, वहां व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे-
- जयचंदों से सावधान रहना चाहिए।
- इस वाक्य ने जयचंदों शब्द व्यक्तिओअचक न होकर जातिवाचक संज्ञा का बोध करा रहा है।
- कलियुग में हरिश्चन्द्रों की कमी नही है ।
- यहाँ ‘हरिश्चन्द्र’ व्यक्तिवाचक संज्ञा उसके ‘सत्य’ और ‘निष्ठा’ के गुण को प्रगट करने से जातिवाचक संज्ञा है।
- जयचंदों से सावधान रहना चाहिए।
- जब कोई जातिवाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति के लिये प्रयुक्त हो, तब वह जातिवाचक संज्ञा होते हुए भी व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है । जैसे:–
- पंडितजी देश के लिये कई बार जेल गए ।
- गाँधीजी ने देश के लिए अपना तन–मन–धन लगा दिया ।
- यहाँ ‘पंडितजी ‘और ‘गाँधीजी ‘शब्द जातिवाचक होते हुए भी व्यक्ति विशेष अर्थात् पंडित जवाहरलाल नेहरु और महात्मा गाँधी के लिये प्रयुक्त हुए है। अतः यहाँ ये दोनों शब्द व्यक्तिवाचक हो गए है ।
- जब कभी ‘द्रव्यवाचक ‘संज्ञा शब्द बहुवचन के रुप में द्रव्य के प्रकारों का बोध कराते है, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते है । जैसे – यह फर्नीचर कई प्रकार की लकड़ियों से बना है ।
- जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते है, तब वे जातिवाचक संज्ञा शब्द बन जाते है । जैसे –
- बुराइयों से बचो।
- हमारी दूरियाँ बढ़ती जा रही है।