भारत की नदियाँ | अपवाह तंत्र | Rivers of India

भारत की नदियाँ भारत के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दी है। इन नदियों के किनारे ही मानव सभ्यताएं विकसित हुई। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का उदय भी सिंधु तथा गंगा नदी की घाटियों में ही हुआ था। नदी किनारे व्यापारिक, कृषि एवं यातायात की सुविधा होने के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए। यही कारण है कि आज भी देश के लगभग सभी शहर नदियों के किनारे देखने को मिलते हैं।

नदियों के उद्गम स्थल से उनके समागम तक के सफ़र को अपवाह तंत्र कहते हैं। नदियां आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या को कृषि एवं पीने के लिए जल उपलब्ध कराती है। इसके साथ ही पूरे देश में नदी प्रणाली सिंचाई, पीने योग्य पानी, सस्ते परिवहन, बिजली के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका प्रदान करती है।

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भारत की नदियाँ और उनका विभाजन

नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है। नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है।

नदियों को मुख्यतः दो भागों में विभक्त किया गया है-

  • सदानीरा नदियाँ अथवा बारहमासी नदियाँ अथवा हिमालयी नदियाँ
  • बरसाती नदियाँ अथवा प्रायद्वीपीय नदियाँ

सदानीरा नदियाँ अथवा बारहमासी नदियाँ

सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं। सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जल से परिपूर्ण रहती हैं। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र आदि सदानीरा नदियाँ हैं। इन नदियों को हिमालय क्षेत्र की नदिया, हिमालयी अपवाह तंत्र के नाम से भी जाना जाता है।

हिमालय से निकलने के कारण इन नदियों में हमेशा (12 महीने) जल भरा रहता है। क्योकि इनमे जल का स्रोत इन पहाड़ों पर जमी बर्फ और बारिश का पानी दोनों है। गर्मियों में बर्फ के पिघलने से तथा बारिश के पानी से दोनों ही कारणों से इनमे हमेशा जल भरा रहता है। सदानीरा नदियों के नाम गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि हैं। इनमे बर्ष भर जल भरा रहता है।

बरसाती नदियाँ अथवा प्रायद्वीपीय नदियाँ

बरसाती नदियाँ बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं। यह सबसे प्राचीन अपवाह तंत्र है। यहाँ की नदिया मौसमी है। अर्थात ये बारिश के पानी पर निर्भर करती है। ये नदियाँ प्रायद्वीपीय भारत से निकलती हैं। इसलिए इन्हें प्रायद्वीपीय नदियाँ कहा जाता है।

प्रायद्वीपीय नदियाँ महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा और तापी आदि हैं। ये पश्चिमी घाट की प्रमुख नदियाँ हैं। इनमे से महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं जबकि नर्मदा और तापी (ताप्ती) पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं।

भारत में उल्टी दिशा में बहने वाली नदी

भारत में उल्टी दिशा में बहने वाली नदी नर्मदा नदी और ताप्ती नदी है। नर्मदा नदी जिसे रेवा भी कहते हैं, पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में जाकर गिरती है। नर्मदा नदी भारत के दो बड़े राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश की मुख्य नदी है। यह धारा के विपरीत दिशा में बहती है। यानी ये रिवर्स फालोविंग रिवर्स है।

इस नदी की धारा प्रवाह उल्टी है। अर्थात जहाँ एक तरफ अधिकांश नदियां पश्चिम दिशा से बहते से हुए पूर्वी दिशी की ओर बढ़ती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। वहीं, यह नदी पूर्व दिशा से बहती हुई पश्चिम दिशा की ओर बढ़ती है और अरब सागर में गिर जाती है। नर्मदा नदी का उल्टा प्रवाहित होना रिफ्ट वैली के कारण होता है। रिफ्ट वैली का अर्थ है कि नदी का बहाव जिस दिशा में होता है, उसका ढलान उसके विपरीत दिशा में हो। इसी ढलान की वजह से नर्मदा नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है।

ताप्ती नदी अथवा तापी नदी मध्य भारत की एक नदी है जिसका उद्गम बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक ‘नादर कुंड’ से होता है। इस नदी की धारा प्रवाह भी उल्टी है। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है।

इसके अलावा चम्बल नदी भी अन्य नदियों की अपेक्षा विपरीत दिशा में बहती है। यह नदी दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा में बहती है। यह नदी मध्य प्रदेश में इंदौर के पास जानापाव की पहाड़ी से निकल कर दक्षिण में महू शहर से होते हुए इन्दौर के पास, विन्ध्य पर्वत श्रेणी में दक्षिण ढलान से होकर प्रवाहित होती है।

भारत में नदियों का वर्गीकरण | Classification of Rivers

अधिकांश नदियाँ अपना पानी बंगाल की खाड़ी में बहाती हैं। और कुछ नदियाँ ऐसी हैं जो अपना पानी देश के पश्चिमी भाग से होते हुए हिमाचल प्रदेश के पूर्व की ओर अरब सागर में ले जाती हैं। जबकि कुछ नदियाँ का लद्दाख के कुछ हिस्सों, अरावली रेंज के उत्तरी हिस्से तथा थार रेगिस्तान के शुष्क हिस्सों में अंतर्देशीय जल निकासी है। भारत की नदियों को उनके उत्पादन के स्रोत और उनके बहने वाले क्षेत्र के आधार पर चार मुख्य समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है। ये समूह हैं: 

नदियों का समूहनदियों के समूह का विवरण
हिमालयी नदियाँहिमालयी नदियाँ हिमालय पर्वत श्रृंग से उत्पन्न होती हैं। इन नदियों में लगातार प्रवाह होता है, जो वर्षा और पिघलते हुए बर्फ द्वारा प्राप्त होता है। हिमालयी नदियों में प्रमुख नदियाँ सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र हैं। प्रत्येक नदी के पास विशाल नदी तंत्र होता है और अनेक महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ होती हैं।
प्रायद्वीपीय नदियाँभारतीय प्रायद्वीपीय नदियाँ वर्षा पर निर्भर करती हैं। ये नदियाँ मुख्य रूप से डेक्कन में स्थित उच्च पठार से उद्गमित होती हैं। प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियों में गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, तापी और नर्मदा नदी शामिल हैं।
तटीय नदियाँतटीय नदियाँ अपेक्षाकृत छोटी होती हैं। ये आरब सागर और बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं। इनकी लंबाई कम होती है, एवं इनके पाठ पतले और लंबवत होते हैं। ये नदियाँ प्रमुखतः वर्षावशेष पर निर्भर होती हैं और इसलिए इनकी मात्रा में बदलाव होता रहता है।
अंतःस्थलीय नदी या बेसिन की नदियाँअंतःस्थलीय नदी अथवा बेसिन की नदियाँ समुद्र में नहीं बहती हैं। इनकी धाराएँ आंतरिक झीलों में मिलती हैं तथा मरुस्थल में लुप्त हो जाती हैं। भारत में अंतःस्थलीय जलाशय का मुख्य क्षेत्र राजस्थान है, जहां पर लूनी, रूपेण, और सूकरी जैसी नदियाँ बहती हैं।

भारत में नदी प्रणाली / अपवाह तंत्र

भारत की नदियाँ | अपवाह तंत्र | Rivers of India

नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः दो नदी प्रणाली है-

हिमालयी अपवाह तंत्र / हिमालयी नदी प्रणाली

हिमालय नदी प्रणाली के अंतर्गत हिमालय से निकलने वाली नदियाँ आती हैं। हिमालय की नदियाँ बड़े बेसिन बनाती हैं। कई नदियाँ हिमालय से होकर गुजरती हैं। खड़ी चट्टान वाले इन गहरी घाटियों का निर्माण हिमालय के उत्थान के दौरान नदी के कटाव से हुआ था। ये नदियाँ बारहमासी हैं। क्योंकि इन नदियों को वर्षा से पानी मिलता है और साथ ही साथ बर्फ भी पिघलती रहती है। हिमालयी नदियों में लगभग सभी नदियाँ विशाल मैदान बनाती हैं। इन नदियों से पनबिजली भी उत्पन्न किया जाता है।

हिमालयी नदियाँ अपने पहाड़ी मार्ग में V-आकार की घाटियाँ, रैपिड्स और झरने बनाती हैं। जब ये नदियाँ मैदानी भागों में प्रवेश करती हैं तो समतल घाटियों, गोखुर झीलों, बाढ़ के मैदानों, और नदी के मुहाने के पास डेल्टा का निर्माण करती हैं।

हिमालयी नदी प्रणाली को तीन प्रमुख नदी तंत्रों / नदी प्रणाली में विभाजित किया गया है। सिन्धु नदी-तंत्र, गंगा नदी-तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र। ऐसा माना जाता है कि इन तीनों नदी-तंत्रों का विकास एक अत्यन्त विशाल नदी से हुआ था। इस विशाल नदी को ‘शिवालिक’ अथवा हिन्द-ब्रह्म नदी कहा जाता था। जब प्लीस्टोसीन काल में पोटवार पठार का उत्थान हुआ तो यह नदी छिन्न-भिन्न होकर वर्तमान तीन नदी तंत्रों में बंट गई। हालाँकि इस संबंध में भूगर्भ वैज्ञानिकों में मतभेद है। हिमालयी अपवाह तंत्र / हिमालयी नदी प्रणाली के अंतर्गत आने वाले प्रमुख नदी प्रणाली के नाम निम्नलिखित हैं –

सिंधु नदी प्रणाली

  • सिन्धु नदी प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी नदी प्रणाली में से एक है।
  • इसे सिंधु के नाम से भी जाना जाता है और यह भारत में हिमालय की नदियों में सबसे पश्चिमी नदी है।
  • सिन्धु नदी कैलाश पर्वत शृंखला में तिब्बती क्षेत्र में बोखार-चू ग्लेशियर से निकलती है।
  • तिब्बत में इसे सिंगी खंबन या शेर का मुँह के नाम से जाना जाता है।
  • सिंधु नदी भारत में केवल केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में लेह जिले से होकर बहती है।
  • सिंधु की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ सतलुज, रावी, झेलम, चिनाब और व्यास हैं।
  • चिनाब नदी, सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

गंगा नदी प्रणाली

  • यह उत्तराखंड में गौमुख के पास गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है जहाँ इसे भागीरथी के नाम से जाना जाता है।
  • देवप्रयाग में भागीरथी अलकनंदा से मिलती है। अलकनंदा से मिलने के बाद इसे गंगा के रूप में जाना जाता है।
  • गंगा नदी उत्तरी मैदानों में हरिद्वार में प्रवेश करती है। अर्थात यह नदी हरिद्वार से मैदानी भाग में प्रवाहित होने लगती है।
  • गंगा नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है।
  • यमुना और सोन नदी गंगा नदी की दाहिने किनारे की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं और बाएँ किनारे की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा हैं।
  • यमुना गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है। यमुना का स्रोत यमुनोत्री ग्लेशियर है।
  • गंगा नदी सागर द्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली

  • ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है और इसका उद्गम स्थल मानसरोवर झील के पास चेमायुंगडुंग ग्लेशियर है। यह ग्लेशियर कैलाश रेंज में है।
  • दक्षिणी तिब्बत में इसे ब्रह्मपुत्र नदी को त्संगपो के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘शोधक’।
  • हिमालय की तलहटी से निकलते समय इस नदी को सियांग अथवा दिहांग के नाम से जाना जाता है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम भाग से भारत में प्रवेश करती है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी के बाएँ किनारे की मुख्य सहायक नदियाँ दिबांग या सिकांग, लोहित, बूढ़ी दिहिंग और धनसारी हैं।
  • इसके दाहिने किनारे की महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ सुबनसिरी, कामेंग, मानस और संकोश हैं।
  • बांग्लादेश में आकर यह पद्मा नदी में मिल जाती है, जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र / प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली

प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली व्यवस्था हिमालय नदी प्रणाली व्यवस्था से पुरानी है । पश्चमी घाट जो की पश्चमी तट के पास है, प्रायद्वीपीय नदियों के पानी को बांटने का कार्य करती हैं। इस कारण यह पानी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बंट जाता है। नर्मदा और तापी (ताप्ती) नदियों को छोडकर अधिकांश प्रमुख प्रायद्वीपीय नदिया पश्चिम से पूर्व की और प्रवाहित होती है। चंबल, सिंध, बेतवा, केन, सोन प्रायद्वीप के उत्तरी भाग से निकलती है। ये नदियाँ गंगा नदी प्रणाली से सम्बंधित है। प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली की अन्य प्रमुख नदियाँ महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी हैं।

नर्मदा नदी प्रणाली

  • नर्मदा नदी प्रणाली प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सबसे बड़ी और पश्चिम में बहने वाली नदी है।
  • यह नदी विंध्य (उत्तर) और सतपुड़ा रेंज (दक्षिण) के बीच एक भ्रंश घाटी से होकर बहती है।
  • नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक के पास मैकाल श्रेणी से निकलती है।
  • इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हिरन, ओरसंग, बरना और कोलार हैं।
  • नर्मदा बेसिन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
  • इसी नदी पर सरदार सरोवर परियोजना का निर्माण किया गया है।

तापी (ताप्ती) नदी प्रणाली

  • तापी (ताप्ती) नदी प्रणाली पश्चिम की ओर बहने वाली एक महत्त्वपूर्ण नदी प्रणाली है।
  • यह नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वतमाला में निकलती है।
  • तापी (ताप्ती) नदी, नर्मदा नदी के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है। परन्तु इसकी लंबाई बहुत कम है।
  • इस नदी का बेसिन मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को कवर करता है।

महानदी नदी प्रणाली

  • महानदी नदी प्रणाली के अंतर्गत आने वाली महानदी छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले से निकलकर ओडिशा से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • इस नदी का 53% अपवाह बेसिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में है, जबकि 47% ओडिशा में स्थित है।
  • इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ – सिवनाथ, हसदेव, मांड, इब, जोंकिंग और तेल नदी है।
  • इस नदी का बेसिन उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों और पश्चिम में मैकाल श्रेणी से घिरा हुआ है।

गोदावरी नदी प्रणाली

  • गोदावरी नदी प्रणाली सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है।
  • यह दक्षिण भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है।
  • इसे “दक्षिण गंगा”, “बूढी गंगा”, “प्राचीन गंगा” भी कहा जाता है।
  • यह नदी महाराष्ट्र के नासिक ज़िले से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर प्रवाहित होती हैं।
  • इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता और मांजरा हैं।

कृष्णा नदी प्रणाली

  • कृष्णा नदी प्रणाली दूसरी सबसे बड़ी पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है।
  • यह नदी सह्याद्री में महाबलेश्वर के पास से निकलती है।
  • इस नदी की प्रमुख सहायक नदिया कोयना, तुंगभद्रा और भीमा हैं।
  • कृष्णा नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • कृष्णा नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।

कावेरी नदी प्रणाली

  • कावेरी नदी कर्नाटक में कोडागु ज़िले की ब्रह्मगिरि पहाड़ियों से निकलती है।
  • यह नदी दक्षिण भारत की पवित्र नदी है।
  • इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ अर्कावती, हेमावती, भवानी, काबिनी और अमरावती हैं।
  • यह नदी कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों से होते हुए दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है। तथा पांडिचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

भारत की प्रमुख नदी प्रणाली के नाम एवं उनकी लम्बाई

भारत की प्रमुख नदी प्रणाली के नाम एवं उनकी लम्बाई निम्नलिखित है –

भारत की प्रमुख नदी प्रणालियांकुल लंबाईभारत में लंबाई
सिंधु नदी प्रणाली3180 किमी700 किमी
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली2900 किमी916 किमी
गंगा नदी प्रणाली2510 किमी2510 किमी
यमुना नदी प्रणाली1376 किमी1376 किमी
नर्मदा नदी प्रणाली1312 किमी1312 किमी
तापी नदी प्रणाली724 किमी724 किमी
गोदावरी नदी प्रणाली1465 किमी1465 किमी
कृष्णा नदी प्रणाली1400 किमी1400 किमी
कावेरी नदी प्रणाली805 किमी805 किमी
महानदी नदी प्रणाली851 किमी851 किमी

भारत की प्रमुख नदियों के नाम

भारत नदियों का देश कहा जाता है। यहाँ पर नदियों को देवी के रूप में भी माना जाता है। निचे दिए गए सारणी (Table) में भारत की कुछ प्रमुख नदियों के नाम दिए गए हैं-

गंगा नदीब्यास नदीसाबरी नदीसुवर्णमुखी नदी
यमुना नदीरामगंगा नदीइंद्रावती नदीकाबिनी नदी
सरस्वती नदीदामोदर नदीशारदा नदीबागमती नदी
ब्रह्मपुत्र नदीवैतरणी नदीतवा नदीइंद्रायणी नदी
भागीरथी नदीस्वर्ण रेखा नदीहसदेव नदीमालप्रभा नदी
कावेरी नदीसाबरमती नदीकेन नदीघाटप्रभा नदी
गोदावरी नदीतुंगभद्रा नदीपार्वती नदीवंशधारा नदी
अलकनंदा नदीसोन नदीघग्गर नदीअमरावती नदी
बेतवा नदीकाली सिंध नदीबाणगंगा नदीहेमावती नदी
काली नदीकोयना नदीसोम नदीवैगई नदी
गंडक नदीपेरियार नदीआहड़ नदीपलार नदी
झेलम नदीतीस्ता नदीतमसा नदीताम्रवर्णी नदी
चम्बल नदीताप्ती नदीदमन गंगा नदीवेल्लार नदी
चिनाब नदीशरावती नदीवरुणा नदीअड्यार नदी
घाघरा नदीमांडवी नदीमाँड नदीनोय्याल नदी
कोसी नदीमानस नदीफेनी नदीनेत्रावती नदी
हुगली नदीक्षिप्रा नदीमन्दाकिनी नदीअघनाशिनी नदी
कृष्णा नदीजुवारी नदीऋषिगंगा नदीभारतपुड़ा नदी
महानदीलूनी नदीजाह्नवी नदीसावित्री नदी
नर्मदा नदीबनास नदीइंद्रावती नदीउल्हास नदी
सरयू नदीमाही नदीकन्हान नदीगोमती नदी
सतलुज नदीपेन्ना नदीकोलार नदीअरुणावती नदी
सिन्धु नदीमूसी नदीनाग नदीभवानी नदी
रावी नदीपेरियार नदीवेदवती नदीब्राह्मणी नदी
कर्णावती नदीकूनो नदीमनोरमा नदीपंचगंगा नदी

भारत की प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम स्थल

Bharat ki Nadiya और उनके उद्गम स्थल नीचे दिए गए हैं-

क्रमांकनदी उद्गम स्थल
1ब्रह्मपुत्रमानसरोवर झील के समीप स्थित चेमायुंगडुंग ग्लेशियर
2सिन्धुमानसरोवर झील के समीप स्थित बोखार-चू ग्लेशियर
3गंगाभागीरथी और अलकनंदा संगम स्थल देवप्रयाग
4चिनाबबारालाचा दर्रा ( लाहोल-स्पीति )
5गोदावरीनासिक ( महाराष्ट्र ) के दक्षिण-पश्चिम में 42 किमी. दूर स्थित गाँव की एक पहाड़ी
6सतलुजमानसरोवर झील के समीप स्थित राकस ताल
7यमुनाबन्दरपूँछ के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमानी
8कृष्णामहाबलेश्वर के समीप पश्चिमी घाट के पहाड़ों से
9नर्मदाविंध्याचल पर्वत श्रेणियों में स्थित अमरकंटक नामक स्थान
10महानदीमध्य प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित सिंहवा के समीप
11घाघरामत्सातुंग हिमानी
12चम्बलमध्य प्रदेश में महू के निकट स्थित जनापाव पहाड़ी
13कावेरीकर्नाटक के कुर्ग जिले में स्थित ब्रह्मागिरी पहाड़ी
14सोनअमरकंटक की पहाड़ियाँ
15कोसीगोसाई थाम चोटी के उत्तर में
16झेलमबेरेनाग ( कश्मीर ) के समीप शेषनाग झील
17रावीकांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के समीप
18ताप्तीबैतूल जिले ( म.प्र. ) मुल्ताई नगर के पास
19रामगंगानैनीताल के निकट एक हिमनदी से
20माहीविंध्याचल पर्वत श्रेणी
21घघ्घरकालका के समीप हिमालय
22बेतवाविंध्याचल पर्वत
23व्यासरोहतांग दर्रे के समीप ताल
24लूनीअजमेर जिले में स्थित नाग पहाड़ ( अरावली पर्वत )
25गण्डकनेपाल
26साबरमतीउदयपुर जिले में दक्षिण पश्चिमी भाग ( अरावली पर्वत )

भारत के दस सबसे लम्बी नदियों के नाम और उनकी लम्बाई

क्रमांकनदी का नामभारत में नदी की लम्बाई (किमी)
 1Ganga (गंगा)2,525 
 2Godavari (गोदावरी)1,465 
 3Krishna (कृष्णा)1,400 
 4Yamuna (यमुना)1,376
 5Narmada (नर्मदा)1,312 
 6Indus (सिंधु)1,114 
 7Brahmaputra (ब्रह्मपुत्र)916 
 8Mahanadi (महानदी)890 
 9Kaveri (कावेरी)800 
 10Tapti (ताप्ती)724 

भारत की नदियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

भारत में नदी प्रणाली से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं –

  • भारत की वृहत्तम नदी गंगा है।
  • गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्मा नाम से जाना जाता है।
  • सुन्दर वन का डेल्टा ब्रह्मपुत्र नदी बनाती है
  • ‘माजुली’ का निर्माण करने वाली नदी ब्रह्मपुत्र नदी हैं।
  • तवा नदी नर्मदा की सहायक नदी है।
  • दक्षिण भारत की नदियों में सबसे लम्बी नदी गोदावरी है।
  • गोदावरी नदी को दक्षिण की गंगा, बूढी गंगा तथा प्राचीन गंगा (Old Ganga) नाम से भी जाना जाता है।
  • गोदावरी नदी का उद्गम स्थल त्र्यंबक गाँव है।
  • कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • पंचगंगा तथा दूधगंगा कृष्णा नदी की सहायक नदी है।
  • गंगा नदी भारत की सबसे लम्बी नदी है।
  • गंगा अलकनंदा और भागीरथी आपस में मिलकर आगे गंगा नाम से प्रवाहित होती हैं।
  • अलकनंदा और भागीरथी नदी देवप्रयाग में आपस में मिलती है और मिलकर मुख्य धारा गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
  • गंगा की प्रमुख सहायक नदियां यमुना, गंडक, घाघरा, कोसी है।
  • बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले गंगा नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल से गुजरती है।
  • लुधियाना और फिरोजपुर सतलुज के तटों पर स्थित हैं।
  • रावी का पौराणिक तथा वैदिक नाम परुषनी या इरावती भी है।

इन्हें भी देखें –

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