भारत तेजी से शहरीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अब गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहा है, जिससे शहरी क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे की मांग अत्यधिक बढ़ गई है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार ने वर्ष 2015 में एक महत्वाकांक्षी मिशन की शुरुआत की, जिसे अटल मिशन फॉर रीजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) कहा गया। इस मिशन का मूल उद्देश्य था – शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।
अब जब यह योजना एक दशक पूरा कर चुकी है, यह आवश्यक हो जाता है कि हम इसकी उपलब्धियों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर एक विस्तृत दृष्टिपात करें।
AMRUT मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
AMRUT की शुरुआत 25 जून 2015 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। यह योजना देश के 500 शहरों और कस्बों में लागू की गई, जो शहरीकरण की दृष्टि से प्राथमिकता वाले क्षेत्र माने जाते हैं।
मुख्य उद्देश्य:
- हर घर नल जल सुनिश्चित करना – सभी घरों को पाइपलाइन से जलापूर्ति।
- सीवरेज और मलजल प्रबंधन में सुधार – स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा को प्राथमिकता।
- शहरी गतिशीलता सुधारना – सार्वजनिक परिवहन और यातायात व्यवस्था में सुधार।
- हरी खुली जगहों का सृजन – शहरी जीवन में हरियाली और जीवन गुणवत्ता में वृद्धि।
- शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना – प्रशासनिक सुधारों और क्षमता निर्माण के माध्यम से।
वित्तपोषण और कार्यान्वयन ढांचा
AMRUT एक केंद्रीय प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) है, जिसमें वित्तपोषण केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच साझा आधार पर होता है। यह भागीदारी संबंधित राज्य की शहरी जनसंख्या और वहां के सांविधिक नगरों की संख्या पर आधारित होती है।
नोडल मंत्रालय:
इस योजना की निगरानी और क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के पास है। मंत्रालय ने मिशन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक पारदर्शी और तकनीकी दृष्टिकोण अपनाया है।
AMRUT 1.0 की प्रमुख उपलब्धियां
AMRUT 1.0 के अंतर्गत निम्नलिखित उपलब्धियां रेखांकित की जा सकती हैं:
जलापूर्ति और सीवरेज:
- लाखों घरों को पहली बार पाइपलाइन से जलापूर्ति की सुविधा मिली।
- आधुनिक जल उपचार संयंत्रों की स्थापना की गई।
- पुराने जल आपूर्ति नेटवर्क का नवीनीकरण कर पानी की बर्बादी को रोका गया।
हरी क्षेत्र विकास:
- शहरी पार्क, खुले मैदान, ग्रीन बेल्ट्स का विकास।
- 2,000 से अधिक शहरी पार्कों का पुनर्निर्माण और नया निर्माण।
शहरी परिवहन:
- नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट जैसे साइकिल ट्रैक और पैदल पथों का निर्माण।
- स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स और बस शेल्टर्स का विकास।
AMRUT 2.0: एक नया चरण, विस्तृत दृष्टिकोण
AMRUT 1.0 की सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने इसका दूसरा चरण AMRUT 2.0 एक अक्टूबर 2021 को शुरू किया। इस बार योजना का विस्तार करते हुए सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को इसमें शामिल किया गया है।
AMRUT 2.0 के लक्ष्य:
- हर घर जल: हर घर तक 100% नल कनेक्शन देना।
- सीवरेज कवरेज: समुचित मलजल प्रबंधन और उपचार।
- डिजिटल निगरानी: SCADA प्रणाली के ज़रिए जल आपूर्ति का रीयल टाइम डेटा।
- वित्तीय आत्मनिर्भरता: ULBs को स्वयं सक्षम बनाना।
- हरित एवं सतत विकास: प्रदूषण में कमी और पारिस्थितिक संतुलन।
नवाचार और प्रमुख पहलें
(i) जल ही अमृत पहल:
AMRUT 1.0 के अंतर्गत शुरू की गई यह पहल उपचारित जल के पुन: उपयोग को बढ़ावा देती है। इसमें अपशिष्ट जल को रिसाइकल कर पार्कों, औद्योगिक इकाइयों, और सफाई कार्यों में दोबारा इस्तेमाल करने की दिशा में काम किया गया।
(ii) ‘ड्रिंक फ्रॉम टैप’ मिशन:
यह पहल लोगों को सीधे नल से पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई। ओडिशा के पुरी में इसकी शुरुआत हुई और इसके तहत गुणवत्ता मानकों के अनुसार जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है।
(iii) SCADA प्रणाली:
Supervisory Control and Data Acquisition (SCADA) एक तकनीकी समाधान है, जिसके माध्यम से जल आपूर्ति और सीवरेज प्रणालियों की रीयल-टाइम निगरानी की जाती है। इससे लीकेज, गड़बड़ी और अनियमित आपूर्ति जैसे मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई संभव होती है।
सुधारात्मक दृष्टिकोण और क्षमता निर्माण
AMRUT ने केवल अवसंरचना ही नहीं दी, बल्कि प्रशासनिक सुधारों की भी दिशा तय की। इसके अंतर्गत:
- डिजिटल नगर नियोजन को बढ़ावा दिया गया।
- GIS आधारित मास्टर प्लानिंग को प्राथमिकता दी गई।
- शहरी निकायों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की गई।
मिशन का व्यापक प्रभाव
सामाजिक प्रभाव:
- महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि उन्हें स्वच्छ जल और साफ-सफाई की सुविधाएं मिलीं।
- झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में जीवन स्तर में स्पष्ट सुधार देखने को मिला।
आर्थिक प्रभाव:
- जल संरक्षण और अपशिष्ट जल पुन: उपयोग से औद्योगिक लागत में कमी आई।
- हरित क्षेत्रों के विकास से पर्यटन और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े।
पर्यावरणीय प्रभाव:
- शहरी प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी।
- वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण की पहलों से जल स्तर सुधार।
भविष्य की दिशा: शहरी भारत की संकल्पना
भारत का शहरी भविष्य AMRUT जैसे मिशनों के सफल क्रियान्वयन पर निर्भर करता है। आने वाले समय में इस योजना के तहत निम्नलिखित पहलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
- स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट के लिए AI आधारित समाधान।
- नेट जीरो वाटर सिटी की अवधारणा पर कार्य।
- जन भागीदारी आधारित योजना निर्माण – नागरिकों की सीधी भागीदारी से योजनाएं बनाना।
निष्कर्ष
AMRUT न केवल एक योजना है, बल्कि “शहरी भारत” के नवनिर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है। इसने शहरी विकास की परिभाषा को केवल संरचनात्मक विकास तक सीमित नहीं रखा, बल्कि जीवन गुणवत्ता, पर्यावरणीय संतुलन, और शासन के नवाचारों को भी इसके साथ जोड़ा है।
अब जबकि यह योजना एक दशक पार कर चुकी है, हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि AMRUT ने भारतीय शहरों को “सुव्यवस्थित, सुरक्षित, और सतत” बनाने की दिशा में ठोस प्रगति की है। आने वाले वर्षों में इसके दूरगामी परिणाम भारतीय शहरी परिदृश्य को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं।
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