स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर DHRUV64: भारत की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की ओर एक ऐतिहासिक कदम

21वीं सदी को यदि तकनीकी संप्रभुता (Technological Sovereignty) की सदी कहा जाए, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आज किसी भी राष्ट्र की सामरिक शक्ति, आर्थिक क्षमता और डिजिटल सुरक्षा सीधे तौर पर उसकी सेमीकंडक्टर और माइक्रोप्रोसेसर क्षमता से जुड़ी हुई है। कंप्यूटर, मोबाइल फोन, 5G नेटवर्क, रक्षा प्रणाली, अंतरिक्ष तकनीक, ऑटोमोटिव, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) — इन सभी का मूल आधार माइक्रोप्रोसेसर ही हैं।

ऐसे वैश्विक परिदृश्य में भारत द्वारा अपने पहले पूर्णतः स्वदेशी 64-बिट माइक्रोप्रोसेसर DHRUV64 का सफल लॉन्च न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय आत्मविश्वास और रणनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक भी है। यह उपलब्धि भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उपभोक्ता से निर्माता की ओर ले जाने वाला निर्णायक मोड़ है।

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DHRUV64 माइक्रोप्रोसेसर: एक परिचय

DHRUV64 भारत का पहला ऐसा माइक्रोप्रोसेसर है जिसे पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। इसका विकास सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) द्वारा किया गया है। यह प्रोसेसर भारत सरकार के Microprocessor Development Programme (MDP) के अंतर्गत तैयार किया गया है।

इस परियोजना का उद्देश्य केवल एक चिप बनाना नहीं था, बल्कि एक ऐसा स्वदेशी प्रोसेसर इकोसिस्टम विकसित करना था, जो भारत की दीर्घकालिक तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम (MDP) की पृष्ठभूमि

भारत में लंबे समय तक माइक्रोप्रोसेसरों के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों — जैसे Intel, AMD, ARM और Qualcomm — का वर्चस्व रहा है। इस निर्भरता के कारण:

  • भारत को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती थी
  • राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सिस्टम विदेशी हार्डवेयर पर आधारित थे
  • घरेलू नवाचार और स्टार्टअप्स को महंगे लाइसेंस शुल्क चुकाने पड़ते थे

इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने Microprocessor Development Programme (MDP) की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत C-DAC, IITs और अन्य अनुसंधान संस्थानों को स्वदेशी प्रोसेसर विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई।

DHRUV64 इसी दीर्घकालिक रणनीति का प्रतिफल है।

DHRUV64 का आर्किटेक्चर: RISC-V आधारित ओपन-सोर्स क्रांति

DHRUV64 की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका RISC-V Instruction Set Architecture (ISA) पर आधारित होना है।

RISC-V क्या है?

RISC-V एक ओपन-सोर्स इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर है, जिसका अर्थ है कि:

  • इसके उपयोग के लिए किसी विदेशी कंपनी को लाइसेंस शुल्क नहीं देना पड़ता
  • डेवलपर्स इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित कर सकते हैं
  • इसमें पारदर्शिता और सुरक्षा अधिक होती है

RISC-V का रणनीतिक महत्व

जहाँ ARM आधारित प्रोसेसरों के लिए लाइसेंसिंग प्रतिबंध और भू-राजनीतिक जोखिम जुड़े हैं, वहीं RISC-V भारत को तकनीकी स्वतंत्रता प्रदान करता है। यही कारण है कि भारत ने RISC-V को अपने स्वदेशी प्रोसेसर विकास की रीढ़ बनाया है।

तकनीकी विशेषताएँ (Technical Specifications)

1. 64-बिट प्रोसेसर क्षमता

DHRUV64 एक 64-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जो आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम और उच्च स्तरीय अनुप्रयोगों के लिए अनुकूल है। 64-बिट आर्किटेक्चर के लाभ:

  • अधिक मेमोरी एड्रेसिंग क्षमता
  • बेहतर परफॉर्मेंस
  • भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त

2. क्लॉक स्पीड

यह प्रोसेसर 1.0 GHz की क्लॉक स्पीड पर कार्य करता है, जो इसे:

  • औद्योगिक अनुप्रयोग
  • टेलीकॉम
  • ऑटोमेशन सिस्टम

के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम बनाता है।

3. डुअल-कोर आर्किटेक्चर

DHRUV64 में दो कोर (Dual-Core) हैं, जिससे:

  • मल्टीटास्किंग क्षमता बढ़ती है
  • समानांतर प्रोसेसिंग संभव होती है
  • सिस्टम की कुल दक्षता में सुधार होता है

4. सुपरस्केलर और आउट-ऑफ-ऑर्डर एग्जीक्यूशन

यह प्रोसेसर Superscalar और Out-of-Order Execution तकनीक का समर्थन करता है। इसके लाभ:

  • एक साथ कई निर्देशों का निष्पादन
  • प्रोसेसर पाइपलाइन का बेहतर उपयोग
  • उच्च प्रदर्शन और कम लेटेंसी

5. निर्माण तकनीक: 28nm प्रोसेस नोड

DHRUV64 को 28 नैनोमीटर प्रोसेस नोड तकनीक पर निर्मित किया गया है। यद्यपि वैश्विक स्तर पर 5nm या 3nm जैसी तकनीकें उपलब्ध हैं, फिर भी:

  • 28nm तकनीक स्थिर, विश्वसनीय और लागत प्रभावी है
  • औद्योगिक, रक्षा और एम्बेडेड सिस्टम के लिए उपयुक्त है
  • भारत की वर्तमान विनिर्माण क्षमता के अनुरूप है

6. पैकेजिंग तकनीक: FCBGA

इसमें FCBGA (Flip-Chip Ball Grid Array) पैकेजिंग का उपयोग किया गया है, जिससे:

  • बेहतर थर्मल मैनेजमेंट
  • अधिक कॉम्पैक्ट डिजाइन
  • उच्च विश्वसनीयता

सुनिश्चित होती है।

DHRUV64 के व्यावसायिक और रणनीतिक अनुप्रयोग

1. 5G इंफ्रास्ट्रक्चर

DHRUV64 को विशेष रूप से:

  • टेलीकॉम बेस स्टेशन
  • राउटर
  • नेटवर्क स्विच

जैसे 5G इंफ्रास्ट्रक्चर घटकों के लिए डिजाइन किया गया है। इससे भारत को स्वदेशी 5G नेटवर्क विकसित करने में सहायता मिलेगी।

2. रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा

रक्षा क्षेत्र में विदेशी चिप्स पर निर्भरता हमेशा एक जोखिम रही है। DHRUV64:

  • सुरक्षित संचार प्रणालियों
  • सैन्य इलेक्ट्रॉनिक्स
  • निगरानी और नियंत्रण सिस्टम

में उपयोग के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

स्वदेशी चिप होने के कारण इसमें हार्डवेयर ट्रोजन या बैकडोर का जोखिम न्यूनतम होता है।

3. ऑटोमोटिव और IoT क्षेत्र

स्मार्ट वाहनों में:

  • इंजन कंट्रोल यूनिट
  • इंफोटेनमेंट सिस्टम
  • सेंसर नेटवर्क

के लिए DHRUV64 एक भरोसेमंद विकल्प बन सकता है। इसके अतिरिक्त IoT उपकरणों में इसका उपयोग भारत को स्मार्ट सिटी और स्मार्ट इंडस्ट्री की दिशा में आगे बढ़ाएगा।

4. औद्योगिक स्वचालन

DHRUV64 को स्मार्ट फैक्ट्रियों में:

  • PLC सिस्टम
  • रोबोटिक्स
  • इंडस्ट्रियल कंट्रोल यूनिट

के “मस्तिष्क” के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत के अन्य प्रमुख स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर

DHRUV64 भारत के प्रोसेसर विकास प्रयासों की श्रृंखला की एक कड़ी है:

  • SHAKTI – IIT मद्रास द्वारा विकसित (2018)
  • AJIT – IIT बॉम्बे द्वारा विकसित
  • VIKRAM – ISRO-SCL द्वारा अंतरिक्ष अनुप्रयोगों हेतु (2025)
  • THEJAS32/64 – C-DAC द्वारा विकसित औद्योगिक प्रोसेसर

ये सभी मिलकर भारत का स्वदेशी प्रोसेसर इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं।

भारत के लिए DHRUV64 का महत्व

1. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में

वर्तमान में भारत अपनी माइक्रोप्रोसेसर आवश्यकता का लगभग 20% उपभोग करता है, लेकिन अधिकांश चिप्स आयात करता है। DHRUV64:

  • आयात निर्भरता कम करेगा
  • घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देगा
  • रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देगा

2. DIR-V कार्यक्रम का हिस्सा

DHRUV64, Digital India RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य:

  • भारत को ESDM (Electronics System Design & Manufacturing) का वैश्विक हब बनाना
  • स्टार्टअप्स को सस्ती और सुरक्षित तकनीक उपलब्ध कराना

3. सुरक्षा और तकनीकी संप्रभुता

विदेशी चिप्स में संभावित Backdoor और Hardware Trojan का खतरा रहता है। स्वदेशी प्रोसेसर:

  • राष्ट्रीय डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं
  • संवेदनशील प्रणालियों पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करते हैं

भविष्य की दिशा: धनुष और धनुष+

DHRUV64 की सफलता के बाद भारत अब अगली पीढ़ी के प्रोसेसरों पर कार्य कर रहा है:

  • DHANUSH – 1.2 GHz
  • DHANUSH+ – 2.0 GHz

ये प्रोसेसर:

  • 14/16nm जैसी उन्नत तकनीक
  • उच्च ऊर्जा दक्षता
  • बेहतर प्रदर्शन

पर आधारित होंगे।

निष्कर्ष

DHRUV64 माइक्रोप्रोसेसर केवल एक तकनीकी उत्पाद नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल स्वतंत्रता, राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भर भविष्य का प्रतीक है। यह भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर मानचित्र पर एक सम्मानजनक स्थान दिलाने की दिशा में निर्णायक कदम है।

जिस प्रकार अंतरिक्ष क्षेत्र में ISRO ने भारत को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई, उसी प्रकार DHRUV64 और इसके बाद आने वाले स्वदेशी प्रोसेसर भारत को सेमीकंडक्टर महाशक्ति बनाने की नींव रख रहे हैं।


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