भारत सरकार द्वारा 1 अगस्त 2025 से लागू की जाने वाली प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY), देश में रोजगार सृजन के परिदृश्य में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। यह योजना मौजूदा रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना (Employment Linked Incentive – ELI) का स्थान लेगी, जिसका उद्देश्य युवाओं को संगठित क्षेत्र में अधिक रोजगार अवसर प्रदान करना और देश की आर्थिक वृद्धि को तेज करना है।
PM-VBRY योजना का परिचय
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY) भारत सरकार की एक व्यापक रोजगार सृजन योजना है, जो ‘विकसित भारत’ दृष्टिकोण के तहत तैयार की गई है। यह योजना विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में समावेशी और सतत रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की जा रही है, जिसमें विशेष ध्यान उत्पादन क्षेत्र (Manufacturing Sector) पर दिया गया है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य
- नियोक्ताओं (Employers) को प्रोत्साहन प्रदान करना: नई भर्तियों हेतु नियोक्ताओं को वित्तीय सहायता देकर संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का विस्तार करना।
- पहली बार कार्यबल में प्रवेश करने वालों को सहयोग देना: युवाओं को पहली बार कार्यबल में प्रवेश करने पर आर्थिक और कौशल आधारित समर्थन देना।
- रोजगार आधारित आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना: रोजगार सृजन के माध्यम से समग्र आर्थिक विकास को गति देना।
कार्यान्वयन और वित्तीय प्रावधान
इस योजना का नोडल मंत्रालय श्रम और रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) होगा, जो योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी के लिए उत्तरदायी रहेगा।
- कुल बजटीय प्रावधान: ₹99,446 करोड़
- अवधि: 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 (कुल 2 वर्ष)
- रोजगार सृजन लक्ष्य: 3.5 करोड़ से अधिक नए रोजगार
- पहली बार कार्यबल में प्रवेश करने वाले लाभार्थी: 1.92 करोड़
योजना की संरचना
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY) को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:
भाग A – पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहन
यह भाग उन युवाओं पर केंद्रित है, जो पहली बार संगठित क्षेत्र में कार्यबल का हिस्सा बनेंगे।
लक्ष्य समूह:
- EPFO-पंजीकृत प्रथम बार कार्य करने वाले कर्मचारी, जिनकी मासिक EPF वेतन ₹1 लाख या उससे कम है।
प्रोत्साहन राशि का प्रावधान:
- पहली बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों को एक महीने की EPF वेतन राशि (अधिकतम ₹15,000) प्रोत्साहन के रूप में प्रदान की जाएगी।
- यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी:
- पहली किस्त: 6 महीने की सेवा पूरी करने पर
- दूसरी किस्त: 12 महीने की सेवा पूर्ण करने के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम (Financial Literacy Programme) में भाग लेने पर
बचत को बढ़ावा देने का प्रावधान:
प्रोत्साहन राशि का एक भाग बचत साधन (Savings Instrument) में जमा किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों में वित्तीय अनुशासन और भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
भुगतान प्रणाली:
- Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से भुगतान किया जाएगा।
- Aadhaar Bridge Payment System (ABPS) का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा ताकि पारदर्शिता और दक्षता बनी रहे।
भाग B – नियोक्ताओं (Employers) को प्रोत्साहन
इस भाग का उद्देश्य नियोक्ताओं को नई भर्तियों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना है, जिससे संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले।
पात्रता मानदंड:
- EPFO-पंजीकृत फर्में, जो नई भर्ती करेंगी:
- कम से कम 2 नए कर्मचारी, यदि कुल कर्मचारियों की संख्या 50 से कम हो।
- कम से कम 5 नए कर्मचारी, यदि कुल कर्मचारी 50 या उससे अधिक हों।
- इन कर्मचारियों को न्यूनतम 6 महीने तक रोजगार देना अनिवार्य होगा।
प्रत्येक कर्मचारी के लिए मासिक प्रोत्साहन:
- EPF वेतन ≤ ₹10,000: ₹1,000 प्रति माह
- EPF वेतन ₹10,001 – ₹20,000: ₹2,000 प्रति माह
- EPF वेतन ₹20,001 – ₹1,00,000: ₹3,000 प्रति माह
विशेष बोनस – मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर:
उत्पादन क्षेत्र (Manufacturing Sector) में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने हेतु नियोक्ताओं को तीसरे और चौथे वर्ष तक अतिरिक्त प्रोत्साहन (Special Bonus) भी प्रदान किया जाएगा, जिससे दीर्घकालिक रोजगार स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
भुगतान प्रणाली:
- नियोक्ताओं को प्रोत्साहन राशि PAN-लिंक्ड खातों में स्थानांतरित की जाएगी, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
योजना के संभावित लाभ और प्रभाव
1. संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन में वृद्धि
PM-VBRY के तहत वित्तीय प्रोत्साहन से संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन को अभूतपूर्व गति मिलेगी। नियोक्ताओं को नई भर्तियों हेतु दी जाने वाली सहायता उन्हें अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित करेगी।
2. युवाओं के लिए रोजगार अवसरों का विस्तार
पहली बार कार्यबल में प्रवेश करने वाले युवाओं को आर्थिक सहयोग और वित्तीय साक्षरता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाया जाएगा, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।
3. आर्थिक विकास में तेजी
रोजगार आधारित विकास रणनीति के तहत देश की आर्थिक वृद्धि दर में भी उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
4. सामाजिक समावेशन और सतत विकास
योजना का समावेशी दृष्टिकोण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार अवसरों को बढ़ावा देगा, जिससे आर्थिक असमानता को कम किया जा सकेगा।
5. औपचारिक श्रम बाजार का विस्तार
EPFO-पंजीकरण और डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से श्रमिकों को औपचारिक श्रम बाजार में लाने की दिशा में यह योजना एक बड़ा कदम है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY) भारत में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए एक निर्णायक पहल है। यह योजना केवल रोजगार के अवसर बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह श्रमिकों को वित्तीय अनुशासन, कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा से भी जोड़ती है। यह योजना भारत के ‘विकसित राष्ट्र’ बनने के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
आगामी वर्षों में PM-VBRY के प्रभाव का आकलन न केवल रोजगार के आँकड़ों से, बल्कि युवाओं में रोजगार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, उद्योगों में कार्यबल की स्थिरता और भारत की समग्र आर्थिक वृद्धि दर में वृद्धि के रूप में भी किया जाएगा।
यदि यह योजना सफल होती है, तो यह भविष्य में रोजगार आधारित विकास की एक मॉडल योजना के रूप में उभर सकती है, जिसे अन्य विकासशील देश भी अपनाने की दिशा में प्रेरित हो सकते हैं।
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