भारत के साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में साहित्य अकादमी एक प्रतिष्ठित संस्था के रूप में जानी जाती है, जिसने देश की विविध भाषाओं में सृजित साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व निभाया है। इन्हीं प्रयासों की श्रृंखला में साहित्य अकादमी द्वारा दिया जाने वाला बाल साहित्य पुरस्कार विशेष महत्व रखता है, जो 9 से 16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए उत्कृष्ट और प्रेरणादायक लेखन को प्रोत्साहित करता है। वर्ष 2025 के लिए बाल साहित्य पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है, और इस बार भी देश की 24 भाषाओं से चुनिंदा लेखकों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
पुरस्कार वितरण समारोह 14 नवंबर 2025 (बाल दिवस) को नई दिल्ली स्थित त्रिवेणी सभागार, तानसेन मार्ग में आयोजित होगा। इस अवसर की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक करेंगे। यह दिन केवल पुरस्कार वितरण का ही नहीं, बल्कि भारतीय बाल साहित्य की विविधता, समृद्धि और रचनात्मकता का उत्सव भी होगा।
बाल साहित्य पुरस्कार 2025: भाषानुसार विजेता सूची
वर्ष 2025 में साहित्य अकादमी ने 24 भाषाओं में उल्लेखनीय रचनाओं को चयनित कर सूची जारी की है। इनमें कविताएँ, कहानियाँ, लघुकथाएँ, नाटक, उपन्यास और संस्मरण जैसी विविध विधाएँ शामिल हैं। विजेताओं की सूची इस प्रकार है—
| भाषा | कृति का नाम | विधा | लेखक/लेखिका |
|---|---|---|---|
| असमिया | मैनाहंतार पद्य | कविता | सुरेंद्र मोहन दास |
| बंगाली | एहिोनो गए कांता दये | कहानियाँ | त्रिदीब कुमार चट्टोपाध्याय |
| बोडो | खांथी ब्स्वन अर्व अखु दानई | कहानियाँ | बिनय कुमार ब्रह्मा |
| डोगरी | नन्हीं तोर | कविता | पी. एल. परिहार ‘शौक’ |
| अंग्रेज़ी | दक्षिण: साउथ इंडियन मिथ्स एंड फैबल्स रिटोल्ड | कहानियाँ | नितिन कुशलप्पा एम.पी. |
| गुजराती | तिनचक | कविता | कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट |
| हिंदी | एक बटे बारह | नॉन-फ़िक्शन/संस्मरण | सुशील शुक्ला |
| कन्नड़ | नोटबुक | लघुकथाएँ | के. शिवलिंगप्पा हंडीहाल |
| कश्मीरी | शुरे ते त्चुरे ग्युश | लघुकथाएँ | इज़हार मुबाशिर |
| कोंकणी | बेलाबाईचो शंकर अनी वारिस कान्यो | कहानियाँ | नयना अदारकर |
| मैथिली | चुक्का | लघुकथाएँ | मुन्नी कामत |
| मलयालम | पेंगुइनुकालुडे वंकाराविल | उपन्यास | श्रीजीत मूथेदथ |
| मणिपुरी | अंगांगशिंग जी शन्नाबुंगशिदा | नाटक | शान्तो एम. |
| मराठी | अभयमाया | कविता | सुरेश गोविंदराव सावंत |
| नेपाली | शांति वन | उपन्यास | संगमू लेप्चा |
| उड़िया | केते फुला फूटिची | कविता | राजकिशोर पारही |
| पंजाबी | जद्दू पत्ता | उपन्यास | पाली खादिम (अमृत पाल सिंह) |
| राजस्थानी | पंखेरुव नी पीड़ा | नाटक | भोगीलाल पाटीदार |
| संस्कृत | बलविस्वम | कविता | प्रीति आर. पुजारा |
| संताली | सोना मिरू-अग संदेश | कविता | हरलाल मुर्मू |
| सिंधी | आसमानी परी | कविता | हीना अगनानी ‘हीर’ |
| तमिल | ओट्राई सिरगु ओविया | उपन्यास | विष्णुपुरम सर्वानन |
| तेलुगु | काबुरला देवता | कहानी | गंगीसेट्टी शिवकुमार |
| उर्दू | कौमी सितारे | लेख | ग़ज़नफ़र इक़बाल |
यह सूची भारतीय भाषाओं की अनूठी अभिव्यक्तियों, सांस्कृतिक विविधता और नवोन्मेषी बाल साहित्य सृजन का सुंदर दर्पण प्रस्तुत करती है।
बाल साहित्य पुरस्कार: संकल्पना, उद्देश्य और महत्व
1. संकल्पना एवं प्रकृति
साहित्य अकादमी द्वारा स्थापित यह पुरस्कार भारत की विभिन्न भाषाओं में बच्चों के लिए लिखित उत्कृष्ट साहित्य को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। यह 9–16 वर्ष के बाल-पाठकों के लिए लिखी गई साहित्यिक रचनाओं को सम्मानित करता है—एक ऐसा आयु वर्ग जो मानसिक, बौद्धिक और नैतिक संवर्धन के लिए उत्तम साहित्य का आकांक्षी होता है।
यह पुरस्कार केवल लेखन को सम्मान ही नहीं देता बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए समृद्ध और मूल्याधारित साहित्यिक परंपरा का विस्तार भी करता है।
2. शुरुआत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में बाल साहित्य सृजन की परंपरा अत्यंत पुरानी है, किंतु स्वतंत्र, विशिष्ट और भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए साहित्य अकादमी ने वर्ष 2010 में इस सम्मान की शुरुआत की। उद्देश्य था—भारत की 24 भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण बाल साहित्य का संवर्धन, नवोदित लेखकों को प्रेरणा देना और बाल पाठकों को श्रेष्ठ कृतियों तक पहुँच उपलब्ध कराना।
सिर्फ 15 वर्षों में यह पुरस्कार भारतीय बाल साहित्य के मूल्यांकन और विकास का एक महत्वपूर्ण मानक बन चुका है।
3. भाषाई दायरा और विविधता
बाल साहित्य पुरस्कार कुल 24 भाषाओं में प्रदान किया जाता है। इसमें शामिल हैं—
- भारतीय संविधान की 22 अनुसूचित भाषाएँ,
- अंग्रेज़ी,
- तथा राजस्थानी।
भाषाई विविधता भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण स्तंभ है। यही कारण है कि साहित्य अकादमी सभी भाषाओं को समान मंच देकर भारतीय बहुभाषावाद को भी सशक्त करती है।
4. पुरस्कार राशि और सम्मान
बाल साहित्य पुरस्कार के अंतर्गत प्रत्येक विजेता को—
- ₹50,000 की पुरस्कार राशि,
- साहित्य अकादमी की प्रतिष्ठित कांस्य पट्टिका,
- तथा एक सम्मानपत्र प्रदान किया जाता है।
यह सम्मान न केवल आर्थिक रूप से बल्कि साहित्यिक पहचान और प्रतिष्ठा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
5. पात्रता मानदंड
किसी लेखक या लेखिका को इस पुरस्कार के लिए पात्र माना जाता है यदि—
- लेखक भारतीय नागरिक हो।
- कृति मौलिक (Original) हो।
- कृति पुरस्कार वर्ष से पूर्व पिछले पाँच वर्षों में प्रकाशित हुई हो।
- कृति बाल साहित्य की परिभाषा के अनुरूप 9–16 वर्ष की आयु के पाठकों के लिए हो।
इन मानकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पुरस्कार यथार्थ रूप से श्रेष्ठ, प्रभावी और समयोचित साहित्य को ही मिले।
6. चयन प्रक्रिया: पारदर्शी और बहु-स्तरीय तंत्र
साहित्य अकादमी की चयन प्रक्रिया अपनी निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए जानी जाती है। प्रक्रिया इस प्रकार है—
(क) भाषा-विशेष सलाहकार बोर्ड (Advisory Board)
प्रत्येक भाषा के विशेषज्ञ, साहित्यकार और विद्वान संबंधित भाषा में प्रकाशित पुस्तकों का मूल्यांकन करते हैं।
(ख) विशेषज्ञ समीक्षा
चयनित पुस्तकों का शिल्प, भाषा, विषय, प्रस्तुति, बाल-मानस पर प्रभाव आदि पहलुओं पर विश्लेषण किया जाता है।
(ग) सामान्य परिषद (General Council)
साहित्य अकादमी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली यह संस्था अंतिम सूची पर विचार करती है।
(घ) निर्णायक मंडल का अंतिम निर्णय
अंत में निर्णय विशेषज्ञ मंडल द्वारा स्वीकृत किया जाता है और विजेता सूची जारी की जाती है।
यह बहु-स्तरीय प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि पुरस्कार की विश्वसनीयता और गुणवत्ता सदैव उच्चतम स्तर पर बनी रहे।
साहित्य अकादमी: भारतीय साहित्य का केंद्रीय स्तंभ
बाल साहित्य पुरस्कार की चर्चा साहित्य अकादमी के मूल स्वरूप और भूमिका के बिना अधूरी है।
1. स्थापना और आरंभिक उद्देश्य
साहित्य अकादमी की स्थापना 1954 में हुई और 1956 में इसे Societies Registration Act, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत किया गया।
यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करती है।
अकादमी की स्थापना का मूल उद्देश्य था—
- भारतीय भाषाओं में साहित्य का संरक्षण,
- उसका विकास और संवर्धन,
- तथा साहित्यकारों और पाठकों के लिए एक समन्वित राष्ट्रीय मंच का निर्माण।
2. संगठनात्मक संरचना
साहित्य अकादमी का संचालन सुव्यवस्थित संस्थागत ढाँचे पर आधारित है—
(क) जनरल काउंसिल (General Council)
सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय, जिसमें देशभर के साहित्यकार और भाषा-विशेषज्ञ सम्मिलित होते हैं।
(ख) एग्जीक्यूटिव बोर्ड (Executive Board)
यह कार्यकारी और प्रशासनिक निर्णयों का जिम्मेदार निकाय है।
(ग) फाइनेंस कमेटी
वित्तीय व्यवस्थाओं और संसाधनों के नियंत्रित प्रबंधन की देखरेख करती है।
(घ) भाषा-विशेष सलाहकार बोर्ड
इनका कार्य साहित्यिक कृतियों का चयन और मूल्यांकन करना है।
(ङ) सचिवालय
साहित्य अकादमी के दैनिक संचालन, कार्यक्रमों, प्रकाशनों और परियोजनाओं को क्रियान्वित करता है।
भारतीय बाल साहित्य: समृद्ध परंपरा में एक नया अध्याय
बाल साहित्य किसी भी समाज की मानसिक, नैतिक और बौद्धिक दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एक सशक्त बाल साहित्य समाज की भविष्य पीढ़ी को—
- कल्पनाशील,
- संवेदनशील,
- जागरूक,
- और सृजनशील बनाता है।
साहित्य अकादमी ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बाल साहित्य पुरस्कार को उन प्रयासों का हिस्सा बनाया है, जो भविष्य की नई पीढ़ी को मूल्यवान साहित्य तक पहुँचने में सहायक हों।
2025 विजेता कृतियों की विविधता: रचनात्मक भारतीयता का प्रतीक
2025 की विजेता कृतियों पर दृष्टि डालने पर कुछ महत्वपूर्ण रुझान स्पष्ट दिखाई देते हैं—
1. विधाओं की विविधता
कथाएँ, कविताएँ, लघुकथाएँ, संस्मरण, लेख, नाटक और उपन्यास—सभी प्रमुख विधाओं को शामिल किया गया है।
यह बताता है कि भारत में बाल साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि बौद्धिक और भावनात्मक विकास का ज़रूरी साधन बन चुका है।
2. भाषाई विशिष्टता
असमिया, बोडो, मैथिली, संताली, राजस्थानी जैसी भाषाएँ अपने साहित्यिक योगदान के साथ राष्ट्रीय मंच पर उभर रही हैं।
3. बाल-मानस को ध्यान में रखते हुए रचनाएँ
कृतियों में—
- लोककथाओं का पुनर्लेखन
- समकालीन सामाजिक मुद्दे
- प्रकृति प्रेम
- रोमांच
- नैतिक मूल्य
- और बाल-मन की जिज्ञासा
जैसे विषय प्रमुखता से शामिल हैं।
4. महिला लेखन का बढ़ता प्रभाव
कई भाषाओं में महिला लेखक/लेखिकाओं ने उल्लेखनीय योगदान दिया है, जो बाल साहित्य के क्षेत्र में संतुलित और व्यापक साहित्यिक दृष्टि का संकेत है।
भारतीय साहित्य पर बाल साहित्य पुरस्कार का प्रभाव
इस पुरस्कार ने पिछले डेढ़ दशक में भारतीय बाल साहित्य को एक नई पहचान प्रदान की है। इसके प्रभाव को निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है—
1. नवोदित लेखकों में उत्साह
युवा और नए लेखकों को इस पुरस्कार के माध्यम से लिखने, प्रकाशित होने और मान्यता मिलने का उत्साह मिलता है।
2. क्षेत्रीय साहित्य का विस्तार
भारत की भाषाई विविधता में बाल साहित्य को नई ऊँचाइयाँ मिली हैं। कई भाषाएँ जहाँ पहले बाल साहित्य के क्षेत्र में कम सक्रिय थीं, आज वहाँ उत्कृष्ट साहित्य प्रकाशित हो रहा है।
3. बच्चों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा
पुरस्कार प्राप्त कृतियाँ विद्यालयों, पुस्तकालयों और बाल-केन्द्रित संस्थाओं में लोकप्रिय होती हैं, जिससे बच्चों में पढ़ने की आदत मजबूत होती है।
4. मूल्य-आधारित साहित्य का संवर्धन
कृतियाँ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि मूल्य शिक्षा, सांस्कृतिक समझ, पर्यावरण चेतना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार करती हैं।
समापन: बाल साहित्य का उज्ज्वल भविष्य
साहित्य अकादमी द्वारा घोषित बाल साहित्य पुरस्कार 2025 भारतीय साहित्यिक परंपरा में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पुरस्कार न केवल लेखकों के परिश्रम, कल्पनाशीलता और रचनात्मकता का सम्मान करता है, बल्कि बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण साहित्य की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने का भी कार्य करता है।
हम यह कह सकते हैं कि 24 भारतीय भाषाओं के लिए घोषित यह पुरस्कार भारतीय एकता, भाषाई विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
भविष्य में भी साहित्य अकादमी के ऐसे प्रयास भारतीय बाल साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाते रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों को उत्कृष्ट साहित्यिक धरोहर प्रदान करेंगे।
इन्हें भी देखें –
- हिन्दी की बोलियाँ : विकास, स्वरूप, उपभाषा, वर्गीकरण और साहित्यिक योगदान
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