लौह युग | Iron Age | 1200 ईसा पूर्व-600 ईसा पूर्व

लौह युग

लौह युग (Iron Age) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण कालांतर है। यह उन समयों को दर्शाता है जब लौह (आयरन) का उपयोग समाज में प्रमुख हो गया था।

कांस्य युग | Bronze Age | 3300 ई.पू.-500 ई.पू.

कांस्य युग (Bronze Age)

कांस्य युग एक प्राकृतिक इतिहास का काल है जो प्रथम धातुओं का उपयोग करके उत्पन्न हुआ। कांस्य युग का आरंभ सामरिक और प्रौद्योगिकी विकास के साथ जुड़ा हुआ है।

चालुक्य वंश | 6वीं शताब्दी – 12हवीं शताब्दी

चालुक्य वंश | 6वीं शताब्दी - 12हवीं शताब्दी

चालुक्य वंश की उत्पत्ति एक अत्यंत ही विवादास्पद विषय है। वराहमिहिर की ‘बृहत्संहिता’ में इन्हें ‘शूलिक’ जाति का माना गया है। जबकि पृथ्वीराजरासो में इनकी उत्पति आबू पर्वत पर किये गये यज्ञ के अग्निकुण्ड से बतायी जाती है। ‘विक्रमांकदेवचरित’ में इस वंश की उत्पत्ति भगवान ब्रह्म के चुलुक से बताई जाती है। इतिहासकार ‘विन्सेण्ट ए. स्मिथ’ इन्हें विदेशी मानते हैं। ‘एफ. फ्लीट’ … Read more

सम्राट हर्षवर्धन | 590-647 ई.

सम्राट हर्षवर्धन | 590-647 ई.

हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा थे, जिन्होंने उत्तरी भारत में 606 ई. से 647 ई. तक शासन किया। वह वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन के पुत्र थे। इनके पिता प्रभाकरवर्धन ने हूणों को पराजित किया था। हर्षवर्धन का छोटा भाई राज्यवर्धन और एक बहन थी, जिसका नाम राजश्री था। हर्षवर्धन बैस वंश के थे। ईसा की छठी शताब्दी में उत्तर भारत में एक शक्तिशाली … Read more

चौहान वंश | 7वीं शताब्दी-12वीं शताब्दी

चौहान वंश | 7वीं शताब्दी-12वीं शताब्दी

राजपूतों के प्रसिद्ध वशों में से एक वंश है चौहान वंश। ‘चव्हाण’ या ‘चौहान’ वंश उत्तर भारत की आर्य जाति का एक वंश है। चौहान गोत्र राजपूतों में आता है। कई विद्वानों का कहना है कि चौहान सांभर झील, पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर (राजस्थान) में होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले चुके हैं। इसके अतिरिक्त मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) एवं अलवर ज़िले में भी इनकी अच्छी-ख़ासी संख्या … Read more

सम्राट स्कन्दगुप्त | 455 ईस्वी – 467 ईस्वी

सम्राट स्कन्दगुप्त | 455 ईस्वी – 467 ईस्वी

स्कन्दगुप्त प्राचीन भारत में शासन करने वाले गुप्त राजवंश के सातवें राजा थे। अपने पूर्वजों की भांति इन्होने भी अपनी राजधानी पाटलिपुत्र को ही बना रखी थी। पाटलिपुत्र आज के समय के बिहार की राजधानी पटना का ही पुराना नाम है। इनके समय में गुप्त साम्राज्य पर हूणों का आक्रमण हुआ था, जिसको स्कन्दगुप्त ने अपने शौर्य और पराक्रम … Read more

चोल साम्राज्य | 300 ई.पू.-1279 ई.

चोल साम्राज्य

चोल साम्राज्य भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण राजस्थलों में से एक था जो दक्षिण भारत में स्थित था। इस साम्राज्य की स्थापना लगभग 3वीं शती ईसा पूर्व (300 ई.पू.) में हुई थी। यह अपने शक्तिशाली और प्रभावशाली साम्राज्यत्व के लिए प्रसिद्ध था। चोल साम्राज्य का मुख्य केंद्र थांबण्नल्लूर (वर्तमान तंजावुर) था। नवीं सदी के मध्य से … Read more

कुमारगुप्त प्रथम | परमदैवत, महेंद्रादित्य | 415 ई.- 455 ई.

कुमारगुप्त प्रथम | परमदैवत, महेंद्रादित्य | 415 ई.- 455 ई

कुमारगुप्त प्रथम, गुप्त वंश के सम्राट एवं चन्द्रगुप्त द्वितीय के पुत्र थे। पिता चन्द्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु के बाद वह राजगद्दी पर बैठे। इनकी माता का नाम पट्टमहादेवी ध्रुवदेवी था। उनके शासन काल में विशाल गुप्त साम्राज्य अक्षुण रूप से क़ायम रहा। बल्ख से बंगाल की खाड़ी तक उनका अबाधित शासन था। सब राजा, सामन्त, गणराज्य और प्रत्यंतवर्ती जनपद कुमारगुप्त के साम्राज्य के अधीन … Read more

चन्द्रगुप्त द्वितीय | 380 ईस्वी – 415 ईस्वी

चन्द्रगुप्त द्वितीय | 380 ईस्वी - 415 ईस्वी

सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय गुप्त वंश के पांचवे राजा थे। वह सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुणों से संपन्न थे।अपने पिता समुद्रगुप्त के बाद वह राजगद्दी पर बैठे। चन्द्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त वंश की नींव को कमजोर नहीं होने दिया और एक शांति पूर्ण शासन का निर्माण किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय का संक्षिप्त परिचय नाम चन्द्रगुप्त द्वितीय जन्म मगध, भारत … Read more

हिन्द यवन आक्रमण | Indo-Greek Invasion |180 BC – 10 AD

हिन्द यवन आक्रमण | Indo-Greek Invasion |180 BC - 10 AD

हिन्द यवन आक्रमण, जिसे इंडो-ग्रीक आक्रमण भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल था। यह आक्रमण 180 ईसा पूर्व से 10 ईस्वी तक फैला हुआ था। हिन्द यवन अथवा बैक्ट्रियाई-यूनानी शासक अपने आक्रमण में सफल हुए और भारत के कुछ क्षेत्रों पर विजय प्राप्त कर लिये। देश में इंडो-ग्रीकों का शासन यूथीडेमस के शक्तिशाली पुत्र डेमेट्रियस … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.