पाकिस्तान की UNSC में चढ़ती चाल | भारत के लिए क्यों बजा खतरे का अलार्म?

क्या आपको पता है कि पाकिस्तान, जिसे हाल तक FATF की ग्रे लिस्ट में रखा गया था, अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आतंकवाद विरोधी समिति का हिस्सा बन गया है?

सुनने में यह थोड़ा चौंकाने वाला जरूर लग सकता है, लेकिन जून 2025 में यह हकीकत बन गई है। इस कदम ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हलचल मचा दी है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए गंभीर रणनीतिक और कूटनीतिक सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि:

  • पाकिस्तान की नियुक्ति क्यों चिंता का विषय है?
  • भारत की मुख्य चिंताएं क्या हैं?
  • और इससे भारत की रणनीति में क्या बदलाव आ सकते हैं?

पाकिस्तान और आतंकवाद: एक पुराना रिश्ता

पाकिस्तान पर वर्षों से यह आरोप लगता रहा है कि वह आतंकवादी संगठनों को या तो शरण देता है, या चुपचाप समर्थन करता है।

कुछ उदाहरण:

  • लश्कर-ए-तैयबा (LeT): 2008 के मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार।
  • जैश-ए-मोहम्मद (JeM): 2019 के पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड।
  • तालिबान: अफगानिस्तान में इसकी वापसी में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका पर संदेह।

FATF का “गोल्डन” रिकॉर्ड

पाकिस्तान 2018 से 2022 तक FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में था, यानी उस पर यह ठप्पा लग चुका था कि वह आतंकी फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है।

अब सोचिए – ऐसे देश को जब आतंकवाद विरोधी कमिटी का हिस्सा बना दिया जाए, तो दुनिया कितनी सुरक्षित रह पाएगी?

भारत की बड़ी चिंता: भेड़ को बना दिया गया है चरवाहा!

संयुक्त राष्ट्र की Counter-Terrorism Committee (CTC) जैसी समितियाँ दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ रणनीति बनाती हैं, प्रतिबंधों की सिफारिश करती हैं और नीतियों को लागू करवाती हैं।

अब पाकिस्तान इन बैठकों में क्या कर सकता है?

  • आतंकी संगठनों को बचाने की कोशिश कर सकता है
  • भारत के खिलाफ प्रचार बढ़ा सकता है
  • अपने ऊपर लगे आरोपों को दबा सकता है

यानी, बिल्ली को दूध की रखवाली पर बिठा दिया गया है!

भारत को इससे क्या नुकसान हो सकता है?

1. कूटनीतिक मोर्चे पर झटका

भारत ने लगातार वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र दिखाने की कोशिश की है। अब जब पाकिस्तान स्वयं इन मंचों पर है, भारत की आवाज को कमजोर किया जा सकता है।

2. भारत विरोधी प्रचार का खतरा

  • पाकिस्तान यह कह सकता है कि भारत बलूचिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है।
  • कश्मीर मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जा सकता है।

3. चीन-पाक गठजोड़ का इशारा

इस पूरे घटनाक्रम में चीन की “छाया” साफ नजर आती है। UNSC में चीन का प्रभाव बड़ा है और यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान को यह नई भूमिका अकेले नहीं मिली।

क्या यह केवल भारत की चिंता है?

बिलकुल नहीं। अगर ऐसा ट्रेंड जारी रहा तो:

  • अंतरराष्ट्रीय मंचों की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।
  • वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति कमजोर पड़ेगी।
  • विश्व की सुरक्षा खतरे में आ सकती है।

आतंक के खिलाफ लड़ाई तभी सफल हो सकती है जब निर्णायक संस्थाओं में ईमानदारी और निष्पक्षता हो। अगर ऐसे मंचों पर संदिग्ध देश नेतृत्व करें, तो पूरा मकसद ही बेमानी हो जाता है।

भारत को क्या करना चाहिए? आगे की रणनीति

1. मजबूत गठबंधन बनाना

भारत को अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना होगा।

2. प्रभावी जनसंचार

भारत को वैश्विक मीडिया, थिंक टैंक, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साक्ष्य आधारित प्रचार करना चाहिए ताकि पाकिस्तान की असलियत दुनिया के सामने बनी रहे।

3. FATF और अन्य संस्थाओं में सक्रियता

FATF जैसे प्लेटफॉर्म्स में भारत की भागीदारी और सजगता जरूरी है ताकि पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर बनी रहे।

निष्कर्ष: क्या यह एक कूटनीतिक हार है?

यह जरूर कहा जा सकता है कि यह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण मोड़ है, लेकिन हार नहीं।

यह समय है कि भारत:

  • अपनी आवाज को और बुलंद करे
  • तथ्यों और साक्ष्यों के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक करे
  • और यह साबित करे कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक हित में है

🤔 आपके विचार?

क्या आप मानते हैं कि पाकिस्तान की नियुक्ति एक खतरा है? क्या भारत को अब अपनी विदेश नीति में बदलाव करना चाहिए?

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