USAID फंडिंग पर चिंता | विदेशी सहायता या हस्तक्षेप?

हाल ही में भारत में अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) द्वारा ‘मतदाता भागीदारी’ से जुड़ी वित्तीय सहायता (USAID फंडिंग) को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री ने USAID के इस कथित हस्तक्षेप पर चिंता जताई है, जिससे चुनावी संप्रभुता और विदेशी प्रभाव से जुड़ी संवेदनशीलता उजागर होती है। भारत सरकार इस दावे की जाँच कर रही है कि USAID ने भारत में मतदाता भागीदारी को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी। यह मुद्दा देश की संप्रभुता और स्वतंत्र चुनावी प्रक्रिया से सीधे जुड़ा हुआ है।

भारत में USAID की भूमिका और इतिहास

आरंभिक सहयोग

USAID का भारत में सहयोग 1951 में शुरू हुआ जब India Emergency Food Aid Act के तहत तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने भारत को खाद्य सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया। तब से लेकर अब तक, USAID ने भारत में कई क्षेत्रों में सहयोग किया है, जिसमें कृषि, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।

वित्तीय योगदान और परियोजनाएँ | मुख्य साझेदारी कार्यक्रम

2022 की रिपोर्ट के अनुसार, USAID ने 2023-24 में सात प्रमुख परियोजनाओं के लिए 750 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण किया। 1951 से अब तक, USAID ने भारत को 17 बिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान की है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के अनुसार, ये परियोजनाएँ मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित रही हैं:

  1. कृषि और खाद्य सुरक्षा
  2. जल स्वच्छता और स्वच्छता (WASH)
  3. नवीकरणीय ऊर्जा
  4. आपदा प्रबंधन
  5. स्वास्थ्य
  6. सतत वन एवं जलवायु अनुकूलन
  7. नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक एवं नवाचार

1. कृषि एवं खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम

USAID ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादन में सुधार लाने हेतु अनेक परियोजनाएँ चलाई हैं। इसका उद्देश्य केवल स्थानीय कृषि में सुधार करना ही नहीं, बल्कि भारत में सिद्ध नवाचारों को अन्य देशों तक विस्तारित करना भी है।

USAID का सहयोग भारत के कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार, टिकाऊ कृषि प्रथाओं और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया है। विभिन्न परियोजनाओं के तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी दी जाती है, जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है, और जलवायु अनुकूलन के उपायों को लागू किया जाता है। इसके अतिरिक्त, छोटे और सीमांत किसानों के लिए बाजार तक पहुँच को आसान बनाने के प्रयास किए गए हैं।

2. जल स्वच्छता और स्वच्छता (WASH) कार्यक्रम

WASH कार्यक्रम के तहत भारत सरकार और USAID ने मिलकर सुरक्षित और किफायती पेयजल तथा स्वच्छता सेवाओं के लिए नए एवं उन्नत मॉडल विकसित किए हैं। इस पहल के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता में सुधार के लिए कार्य किया गया है।

इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता संबंधी जागरूकता बढ़ाना, जलजनित बीमारियों को रोकना, और सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। USAID ने Swachh Bharat Mission का भी समर्थन किया है, जिसके तहत शौचालय निर्माण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाने के लिए निवेश किया गया है।

3. नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम

USAID ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। Indo-Pacific Energy Initiative: Asia EDGE (Enhancing Development and Growth through Energy) के तहत भारत में सौर, पवन और बायोमास ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया गया है। इसके अलावा, ऊर्जा कुशल तकनीकों और बिजली ग्रिड सुधार के लिए भी कई परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।

4. आपदा प्रबंधन कार्यक्रम

भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए USAID ने कई कार्यक्रमों को वित्त पोषित किया है। इसमें भूकंप, बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदाओं से प्रभावित समुदायों के पुनर्वास के लिए सहायता प्रदान की जाती है। आपदा प्रबंधन के तहत स्थानीय निकायों और नागरिक समाज संगठनों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे संकट की स्थिति में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।

5. स्वास्थ्य कार्यक्रम

USAID का भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान उल्लेखनीय रहा है। इसके तहत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, संक्रामक रोगों की रोकथाम, और टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया है। HIV/AIDS, तपेदिक (TB), और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए USAID ने कई भारतीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ साझेदारी की है। कोविड-19 महामारी के दौरान USAID ने भारत को ऑक्सीजन आपूर्ति, वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देने में सहयोग किया।

6. सतत वन एवं जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम

USAID ने 2018 में FOREST-PLUS 2.0 (Forest for Water and Prosperity) कार्यक्रम लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत के तीन राज्यों में वन प्रबंधन को सुधारना, पारिस्थितिकी सेवाओं को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसरों में वृद्धि करना है।

7. नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक एवं नवाचार कार्यक्रम

USAID ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने Indo-Pacific Energy Initiative: Asia EDGE (Enhancing Development and Growth through Energy) का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों का विकास करना है।

USAID से जुड़ी हालिया विवादित घटनाएँ

1. भारत में मतदाता भागीदारी पर प्रभाव डालने के आरोप

भारतीय सरकार ने आरोप लगाया है कि USAID भारत में मतदाता भागीदारी को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा था। यह रिपोर्ट DOGE (Department of Government Ethics) द्वारा जारी की गई थी। यह मामला भारत की चुनावी संप्रभुता और विदेशी हस्तक्षेप की सीमा को लेकर बहस को जन्म देता है।

2. वैश्विक फंडिंग कटौती

ट्रंप प्रशासन के दौरान USAID की वित्तीय सहायता को कई स्थानों पर रोका गया था और अमेरिका ने WHO से हटने का निर्णय लिया था। इस कदम से कई अफ्रीकी देशों को चीन जैसे अन्य साझेदारों की ओर रुख करना पड़ा।

3. USAID संचालन समाप्त करने की योजना

ट्रंप प्रशासन के दौरान USAID को भंग करने की भी योजना बनाई गई थी, जिसके तहत कई कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेजा गया और विदेशी सहायता कर्मियों को वापस बुलाया गया। यह निर्णय अमेरिका की विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत था।

USAID फंडिंग फ्रीज़ होने का वैश्विक प्रभाव

USAID की फंडिंग फ्रीज़ होने के कई महत्वपूर्ण वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. मानवीय संकट:
    • कई विकासशील देशों में USAID की मदद से चल रही स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा परियोजनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
  2. विदेश नीति पर प्रभाव:
    • अमेरिका की विदेश नीति में USAID एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसकी कटौती से अमेरिका की वैश्विक स्थिति कमजोर हो सकती है।
  3. सुरक्षा पर असर:
    • कई देशों में USAID की सहायता स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है। फंडिंग कटौती से अस्थिरता बढ़ सकती है।
  4. भू-राजनीतिक बदलाव:
    • अमेरिका की सहायता में कमी आने से चीन और रूस जैसे देश विकासशील देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं।

USAID की फंडिंग और इसकी भूमिका को लेकर भारत में जो चिंता जताई जा रही है, वह केवल आर्थिक सहायता का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय संप्रभुता, चुनावी प्रक्रिया की स्वतंत्रता और विदेशी हस्तक्षेप के पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है। भारत सरकार ने इस मामले की गहन जाँच शुरू कर दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी विदेशी एजेंसी का प्रभाव भारतीय लोकतंत्र पर न पड़े।

USAID की सहायता ने वर्षों से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है, लेकिन हाल के विवादों ने इसके उद्देश्यों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यह आवश्यक है कि भविष्य में किसी भी विदेशी सहायता को राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता के परिप्रेक्ष्य में सावधानीपूर्वक परखा जाए।

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