ग्लूटाथायोन | एंटीऑक्सिडेंट की जननी या सौंदर्य के नाम पर खतरा?

हाल ही में प्रसिद्ध अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की असामयिक मृत्यु ने फिर एक बार ग्लूटाथायोन इंजेक्शन और कॉस्मेटिक एंटी-एजिंग उपचारों पर सार्वजनिक बहस को तेज़ कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने त्वचा को निखारने और उम्र के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से ग्लूटाथायोन इंजेक्शन लिए थे। यद्यपि मौत का कारण अब भी जांच के दायरे में है, लेकिन इस घटना ने ग्लूटाथायोन के उपयोग, दुष्प्रभाव और भारत में इसके नियमन पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्लूटाथायोन पर आधारित उपचार हाल के वर्षों में ब्यूटी इंडस्ट्री में अत्यधिक लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन इसके फायदे और जोखिम, दोनों पर गहराई से विचार करना अत्यंत आवश्यक है। यह लेख ग्लूटाथायोन की प्राकृतिक भूमिका, उपयोग, दुष्प्रभाव, और भारत में इसकी वैधता को वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विश्लेषित करता है।

ग्लूटाथायोन क्या है?

ग्लूटाथायोन एक प्राकृतिक रूप से बनने वाला पेप्टाइड है, जो शरीर के भीतर विशेष रूप से लीवर में उत्पन्न होता है। यह तीन अमीनो एसिड्स — ग्लूटामेट, सिस्टीन और ग्लाइसिन — से मिलकर बना होता है। शरीर में यह एंटीऑक्सिडेंट्स की एक मूलभूत श्रृंखला का हिस्सा है, जिसे अक्सर “सभी एंटीऑक्सिडेंट्स की जननी” कहा जाता है।

इसके मुख्य कार्य हैं:

  • शरीर से फ्री रेडिकल्स (free radicals) को निष्क्रिय करना
  • कोशिकाओं की मरम्मत करना
  • डिटॉक्सिफिकेशन (विषहरण) प्रक्रिया को सक्षम बनाना
  • रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सशक्त करना
  • बुढ़ापे के प्रभाव को कम करना

ग्लूटाथायोन केवल एक सौंदर्य-संबंधी तत्व नहीं है, बल्कि यह शरीर की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है।

शरीर में ग्लूटाथायोन का गिरता स्तर

हमारे शरीर में ग्लूटाथायोन का स्तर उम्र, तनाव, प्रदूषण, खराब खानपान, एल्कोहल सेवन और संक्रमणों के कारण घटता चला जाता है। खासकर 40 वर्ष की आयु के बाद, यह गिरावट तेज़ हो जाती है, जिससे शरीर में:

  • प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ने लगती है
  • ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ता है
  • त्वचा पर झुर्रियां और दाग–धब्बे दिखने लगते हैं
  • पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ता है

इसी गिरते हुए स्तर को संतुलित करने के लिए लोग ग्लूटाथायोन को सप्लिमेंट्स या इंजेक्शनों के रूप में लेने लगते हैं।

ग्लूटाथायोन का सौंदर्य उद्योग में उपयोग

हाल के वर्षों में ग्लूटाथायोन का इस्तेमाल मुख्य रूप से त्वचा को गोरा करने, दाग–धब्बे हटाने, और त्वचा में चमक लाने के लिए किया जा रहा है। इसे मुख्यतः तीन तरीकों से दिया जाता है:

  • ओरल टैबलेट्स/कैप्सूल्स
  • इंजेक्शन के माध्यम से (IV ड्रिप्स)
  • स्किन क्रीम्स या लोशन के रूप में

इंजेक्शन द्वारा ग्लूटाथायोन देने को सबसे तेज़ और प्रभावी तरीका माना जाता है, लेकिन यह सबसे अधिक जोखिमपूर्ण भी है।

क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं लोग?

  • ग्लैमर और फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती मांग
  • सोशल मीडिया पर ‘फेयरनेस ट्रेंड’
  • त्वचा की उम्र रोकने की लालसा
  • विज्ञापनों और क्लीनिकों का प्रभाव

परंतु सवाल उठता है — क्या यह वैज्ञानिक दृष्टि से सुरक्षित है?

ग्लूटाथायोन इंजेक्शन: लाभ बनाम जोखिम

संभावित लाभ:

  • त्वचा की रंगत में सुधार
  • मेलानिन (Melanin) के निर्माण में बाधा, जिससे त्वचा गोरी दिखती है
  • डिटॉक्सिफिकेशन को बढ़ावा
  • झुर्रियों और दाग–धब्बों में कमी
  • त्वचा में चमक और लोच में सुधार

गंभीर दुष्प्रभाव:

  • एलर्जिक रिएक्शन, जैसे सांस लेने में कठिनाई, त्वचा पर चकत्ते
  • निम्न रक्तचाप (Low BP)
  • गुर्दे और यकृत की क्षति
  • शरीर की प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट प्रणाली में हस्तक्षेप
  • त्वचा पर धब्बे, असमान रंगत या संवेदनशीलता

विशेषज्ञों के अनुसार, ऊंचे डोज़ में ग्लूटाथायोन लेना शरीर की एंटीऑक्सिडेंट बैलेंस को बिगाड़ सकता है, जो दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है।

वैज्ञानिक आधार और विवाद

ग्लूटाथायोन की त्वचा को गोरा करने की क्षमता को लेकर अब भी वैज्ञानिक समुदाय में मतभेद हैं। कुछ छोटे शोध यह दर्शाते हैं कि ग्लूटाथायोन मेलानिन उत्पादन को कम करता है, लेकिन ये अध्ययन अक्सर कम प्रतिभागियों, छोटे समय के लिए और स्पॉन्सर्ड होते हैं।

2012 में फिलीपींस FDA ने चेतावनी जारी की थी:

“There is no evidence that injectable glutathione is safe and effective for skin lightening.”

इसी तरह WHO, USFDA, और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों ने भी त्वचा के रंग को हल्का करने के लिए ग्लूटाथायोन के इंजेक्शन की अनुशंसा नहीं की है।

भारत में नियमन की स्थिति

भारत में Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) — जो दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की नियामक संस्था है — ने ग्लूटाथायोन इंजेक्शन को त्वचा को गोरा करने के लिए मंजूरी नहीं दी है।

स्थिति:

  • भारत में ग्लूटाथायोन इंजेक्शन को ऑफ-लेबल तरीके से प्रयोग किया जा रहा है।
  • नॉन-क्लिनिकल सेटअप्स, ब्यूटी क्लीनिक्स और अनियमित स्पा में बिना विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के यह उपचार किया जा रहा है।
  • इंटरनेट और सोशल मीडिया पर गैर-कानूनी रूप से उपलब्ध ग्लूटाथायोन इंजेक्शन और किट्स आसानी से खरीदे जा सकते हैं।

क्या है “ऑफ-लेबल” उपयोग?

जब किसी दवा को ऐसी स्थिति में प्रयोग किया जाए, जिसके लिए नियामक संस्था ने उसे अनुमति नहीं दी, तो उसे ‘ऑफ-लेबल’ कहा जाता है। यह अक्सर गैरकानूनी तो नहीं, लेकिन संभावित रूप से असुरक्षित होता है।

शेफाली जरीवाला की मृत्यु: एक चेतावनी

शेफाली जरीवाला की मृत्यु ने इस मुद्दे को एक बार फिर प्रमुखता दी है। यद्यपि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि वह त्वचा संबंधी उपचार के लिए ग्लूटाथायोन इंजेक्शन ले रही थीं। यदि इसकी पुष्टि होती है, तो यह एक ब्यूटी ट्रेंड के पीछे छुपे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का दुखद उदाहरण होगा।

यह घटना सभी को यह सोचने पर मजबूर करती है:

  • क्या हम सामाजिक दबाव में अपनी सेहत को जोखिम में डाल रहे हैं?
  • क्या कॉस्मेटिक क्लीनिक्स और डॉक्टरों पर पर्याप्त निगरानी है?
  • क्या उपयोगकर्ताओं को पूरी जानकारी दी जा रही है?

क्या करें? — सावधानियां और जागरूकता

यदि आप ग्लूटाथायोन सप्लिमेंट या इंजेक्शन लेने की सोच रहे हैं:

  1. किसी योग्य त्वचा विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से परामर्श करें।
  2. इंटरनेट से खरीदे गए प्रोडक्ट्स से बचें।
  3. केवल भारत सरकार द्वारा अनुमोदित उत्पादों का उपयोग करें।
  4. लंबे समय तक उपयोग के लिए ब्लड टेस्ट और लीवर/किडनी फंक्शन टेस्ट कराना ज़रूरी है।
  5. दवाओं की जानकारी (ब्रांड, डोज़, निर्माता, एक्सपायरी डेट) अवश्य जांचें।

ग्लूटाथायोन के सुरक्षित विकल्प

यदि आप त्वचा को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो कई प्राकृतिक और कम जोखिमपूर्ण उपाय भी हैं:

  • विटामिन C और E युक्त आहार
  • नियमित योग और ध्यान
  • भरपूर पानी पीना
  • नींद का संतुलन
  • धूप से बचाव (SPF क्रीम का उपयोग)
  • फल, हरी सब्जियाँ और नट्स का सेवन

निष्कर्ष

ग्लूटाथायोन निस्संदेह शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है और वैज्ञानिक रूप से इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ सिद्ध हुए हैं। लेकिन कॉस्मेटिक उद्देश्यों के लिए इसका अनियंत्रित और अनधिकृत प्रयोग न केवल अनैतिक है, बल्कि जानलेवा भी हो सकता है।

शेफाली जरीवाला की दुखद मृत्यु एक सामाजिक और स्वास्थ्य चेतावनी है — सुंदरता की परिभाषा को पुनः परिभाषित करने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया है।

आइए हम सभी जागरूक बनें, दूसरों को भी सचेत करें और बिना वैज्ञानिक प्रमाणों के किसी भी ट्रेंड के पीछे आँख मूंदकर न भागें।

आपका स्वास्थ्य, आपकी ज़िम्मेदारी — सुंदरता का मतलब सुरक्षा भी होना चाहिए।

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