उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 जून 2025 को आज़मगढ़ में बहुप्रतीक्षित गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। यह एक्सप्रेसवे राज्य सरकार की दूरदर्शी योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेसवे स्टेट’ के रूप में स्थापित करना है। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय संपर्क को मज़बूती देगी, बल्कि निवेश, औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: परियोजना का स्वरूप
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे कुल 91.35 किलोमीटर लंबा है और इसे बनाने में ₹7,283 करोड़ से अधिक की लागत आई है। यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के प्रमुख जिलों — आज़मगढ़, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर और गोरखपुर — को जोड़ता है। इसकी खासियत यह है कि यह पुरवांचल एक्सप्रेसवे और अन्य प्रमुख कॉरिडोरों से निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश की जीवन रेखा को और अधिक सशक्त बनाया गया है।
इस परियोजना का निर्माण राज्य सरकार की ‘डबल इंजन’ नीति का प्रतिफल है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उत्तर प्रदेश को एक नए विकास मॉडल राज्य के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृष्टि
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
“उत्तर प्रदेश अब बीमारू नहीं, देश का एक उभरता हुआ विकास इंजन बन गया है। आज़मगढ़ अब पहचान के संकट से निकलकर साहस का प्रतीक बन गया है।”
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 2017 के बाद से राज्य में माफ़िया-मुक्त और दंगा-मुक्त शासन व्यवस्था स्थापित की गई है, जिससे अधोसंरचना विकास को गति मिली है। मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि
“पिछली सरकारों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और अपराधियों के गठजोड़ के कारण विकास अवरुद्ध था। अब उत्तर प्रदेश नई पहचान बना रहा है।”
उद्देश्य और महत्व
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की सबसे बड़ी विशेषता इसका बहुआयामी लाभ है। इस परियोजना के निम्नलिखित उद्देश्य और महत्व हैं:
- क्षेत्रीय विकास और निवेश को प्रोत्साहन: एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के पिछड़े इलाकों में निवेश के नए अवसर पैदा करेगा और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देगा।
- बेहतर सड़क संपर्क: यह एक्सप्रेसवे पर्यटन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स को नई दिशा देगा। वाराणसी, अयोध्या और गोरखपुर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों तक पहुँच आसान होगी।
- रोज़गार सृजन: निर्माण कार्य और इसके बाद लॉजिस्टिक्स, परिवहन और सेवा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
- कृषि और औद्योगिक विकास: किसानों को अपनी उपज मंडियों तक लाने में आसानी होगी, जिससे कृषि आय में वृद्धि होगी। औद्योगिक इकाइयों को भी तेज़ और सस्ती लॉजिस्टिक्स सुविधाएं मिलेंगी।
रणनीतिक दृष्टिकोण: उत्तर प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल
उत्तर प्रदेश में अब तीन प्रमुख चालू एक्सप्रेसवे हैं:
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे – 340 किलोमीटर लंबा
- बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे – 300 किलोमीटर लंबा
- गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे – 91.35 किलोमीटर लंबा
इसके अतिरिक्त छह अन्य एक्सप्रेसवे पर कार्य प्रगति पर है। यह बदलाव राज्य की रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश को न केवल बीमारू राज्य की छवि से बाहर निकाला जा रहा है बल्कि उसे देश के सबसे विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: तकनीकी और निर्माण विशेषताएँ
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे को आधुनिकतम तकनीक से तैयार किया गया है। इसकी कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- चौड़ा और अत्याधुनिक चार लेन (भविष्य में छह लेन के लिए विस्तार योग्य) मार्ग।
- एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की सुविधा के लिए विश्राम स्थल, पेट्रोल पंप, आपातकालीन सेवा केंद्र और फास्टैग आधारित टोलिंग सिस्टम।
- हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग और सड़कों के किनारे वृक्षारोपण योजना।
- स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे और नियंत्रण कक्ष।
आर्थिक पुनरुत्थान की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे न केवल एक सड़क परियोजना है, बल्कि यह पूर्वांचल के आर्थिक पुनरुत्थान की आधारशिला है। यह क्षेत्र, जो लंबे समय तक उपेक्षित और पिछड़ा माना जाता रहा, अब औद्योगिक निवेश, कृषि प्रसंस्करण इकाइयों, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि यह परियोजना राज्य सरकार के समावेशी विकास के विज़न का हिस्सा है, जिसके तहत प्रत्येक क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों की नीति में अंतर
जहाँ एक ओर पूर्ववर्ती सरकारों पर विकास कार्यों की अनदेखी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, वहीं वर्तमान सरकार ने अधोसंरचना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के बाद से कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के कारण निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
राज्य सरकार की नीतियाँ पारदर्शिता और जवाबदेही पर केंद्रित रही हैं। यही कारण है कि आज देश-विदेश की कंपनियाँ उत्तर प्रदेश में निवेश करने को इच्छुक हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर जैसे धार्मिक स्थलों से संपर्क बेहतर होगा, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि इन स्थलों की पहचान भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और सशक्त होगी।
इसके अलावा, यह एक्सप्रेसवे युवाओं को नए अवसर देगा और उन्हें अपने गृह जनपद में ही रोजगार और व्यवसाय स्थापित करने की दिशा में प्रोत्साहित करेगा।
भविष्य की दिशा
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लोकार्पण के साथ उत्तर प्रदेश ने एक नई शुरुआत की है। आने वाले वर्षों में राज्य सरकार की योजना है कि अधोसंरचना विकास को और तेज़ किया जाए और हर जिले को एक्सप्रेसवे नेटवर्क से जोड़ा जाए।
राज्य में आगामी समय में छह और एक्सप्रेसवे — गंगा एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे, कानपुर लिंक एक्सप्रेसवे आदि — पर कार्य जारी है। ये सभी परियोजनाएँ मिलकर उत्तर प्रदेश को देश के सबसे बड़े लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करेंगी।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के विकास की गाथा में एक स्वर्णिम अध्याय है। यह परियोजना केवल एक सड़क मार्ग नहीं, बल्कि एक समावेशी विकास मॉडल की मिसाल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता और राज्य सरकार की दूरदर्शिता ने इसे साकार किया है। अब यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए तैयार है।
उत्तर प्रदेश अब न केवल अपने बीमारू राज्य के ठप्पे को मिटा रहा है, बल्कि देश का विकास इंजन बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे इसका प्रमाण है और यह आने वाले समय में राज्य के सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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