केरल भारत का पहला पूर्णतः डिजिटल साक्षर राज्य बना

भारत में डिजिटल क्रांति की दिशा में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब केरल ने स्वयं को देश का पहला पूर्णतः डिजिटल साक्षर राज्य घोषित किया। यह घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा डिजी केरल परियोजना के पहले चरण की सफल पूर्णता के बाद की गई। यह उपलब्धि केवल तकनीकी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक है। इस पहल ने न केवल डिजिटल खाई (Digital Divide) को पाटने का कार्य किया, बल्कि जमीनी स्तर पर नागरिकों को समावेशी प्रशिक्षण और जनसहभागिता के माध्यम से सशक्त भी बनाया।

जनसहभागिता और समावेशी पहुँच

केरल की इस सफलता के पीछे व्यापक सर्वेक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम की भूमिका रही।

  • सर्वेक्षण कवरेज: यह कार्यक्रम लगभग 1.5 करोड़ व्यक्तियों तक पहुँचा और इसमें 83.46 लाख परिवार शामिल हुए।
  • पहचान: राज्य सरकार ने 21.88 लाख डिजिटल रूप से निरक्षर व्यक्तियों की पहचान की।
  • प्रशिक्षण सफलता: प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन के बाद 21.87 लाख लोगों को सफलतापूर्वक डिजिटल साक्षर बनाया गया, जिसकी सफलता दर 99.98% रही।

सबसे उल्लेखनीय पहलू यह था कि प्रशिक्षण में हर आयु वर्ग ने सक्रिय रूप से भाग लिया। यहाँ तक कि 104 वर्षीय प्रतिभागी एम. ए. अब्दुल्ला मौलवी बाक़वी ने भी प्रशिक्षण पूरा करके यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। यह पहल वास्तविक मायनों में समावेशी और प्रेरणादायक रही।

स्थानीय शासन के ज़रिये प्रशिक्षण

डिजी केरल परियोजना का सबसे मजबूत पक्ष यह रहा कि प्रशिक्षण को स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के माध्यम से संचालित किया गया।

  • पंचायतें और नगर निकाय इस कार्यक्रम के संचालन के केंद्र में रहे।
  • केरल की विकेन्द्रीकरण और सहभागी शासन की परंपरा का भरपूर उपयोग किया गया।
  • समुदाय आधारित और संदर्भ-विशिष्ट मॉडल अपनाए जाने के कारण यह पहल तेजी से जनता के बीच स्वीकार्य हुई।

इस तरह, स्थानीय शासन और जनता की साझेदारी ने इस परियोजना को गति देने के साथ-साथ इसकी स्थायित्व सुनिश्चित की।

इस उपलब्धि का महत्व

1. डिजिटल खाई को पाटना

डिजिटल साक्षरता के बाद नागरिक अब ई-गवर्नेंस पोर्टल्स और सरकारी योजनाओं तक सहज पहुँच बना सकते हैं।

  • आयुष्मान भारत, पीएम-किसान, जनधन योजना जैसी योजनाओं से जुड़ना आसान हो गया।
  • डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन भुगतान से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।
  • ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर नागरिक अब तकनीक के लाभ उठा सकते हैं।

2. डिजिटल लोकतंत्र को सशक्त करना

अब नागरिक ऑनलाइन RTI दाखिल, शिकायत दर्ज और नागरिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं।

  • सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जनता की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

3. अन्य राज्यों के लिए आदर्श

केरल का यह मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।

  • यह केवल तकनीकी ढाँचे पर आधारित नहीं, बल्कि लोग-प्रथम शिक्षा मॉडल है।
  • कम लागत और विकेन्द्रीकृत प्रणाली इसे अन्य राज्यों के लिए भी व्यवहार्य बनाती है।
  • Digital India के तहत इस पहल को एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

4. सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण

डिजिटल साक्षरता ने विभिन्न वर्गों को नए अवसर दिए।

  • महिला सशक्तिकरण: स्वयं सहायता समूह और ऑनलाइन व्यवसाय में सक्रिय भागीदारी।
  • जीविकोपार्जन सहयोग: छोटे व्यापारियों और कारीगरों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपना उत्पाद बेचने की सुविधा।
  • वरिष्ठ नागरिकों और वंचित वर्गों का समावेशन: जिन्हें पहले डिजिटल दुनिया से बाहर रखा जाता था, अब वे भी इसकी मुख्यधारा में शामिल हुए।

5. संकट में लचीलापन और शासन की निरंतरता

डिजिटल साक्षरता का एक बड़ा लाभ यह है कि आपदाओं और संकट के समय नागरिक बेहतर ढंग से अनुकूल हो सकते हैं।

  • महामारी, बाढ़ और अन्य आपदाओं के दौरान दूरस्थ शिक्षा, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
  • सरकारी योजनाओं और सुविधाओं तक सीधा पहुँच सुनिश्चित होने से बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी।

केरल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और डिजिटल यात्रा

केरल लंबे समय से शिक्षा और सामाजिक विकास के मामले में भारत का अग्रणी राज्य रहा है।

  • यह राज्य साक्षरता दर और मानव विकास सूचकांक (HDI) में शीर्ष पर रहा है।
  • पहले से मौजूद शिक्षा की मजबूत नींव ने डिजिटल साक्षरता अभियान को सहज और सफल बनाने में मदद की।
  • आईटी मिशन, अकादमिक संस्थान और स्वयंसेवी संगठनों ने इस डिजिटल यात्रा में अहम योगदान दिया।

डिजी केरल परियोजना की विशेषताएँ

  • सर्वव्यापकता: ग्रामीण से शहरी और गरीब से अमीर तक हर वर्ग की भागीदारी।
  • स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण: लोगों की मातृभाषा मलयालम में शिक्षा दी गई।
  • प्रशिक्षकों का नेटवर्क: पंचायत स्तर पर प्रशिक्षक उपलब्ध कराए गए।
  • लचीला ढाँचा: डिजिटल साक्षरता के पाठ्यक्रम सरल और व्यावहारिक बनाए गए।

संभावित चुनौतियाँ और समाधान

हालाँकि केरल ने डिजिटल साक्षरता में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं।

  • डिजिटल अवसंरचना का रखरखाव: इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिवाइस की निरंतर उपलब्धता आवश्यक है।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: नए डिजिटल उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन ठगी और धोखाधड़ी से बचाना जरूरी है।
  • सतत प्रशिक्षण: तकनीक तेजी से बदलती है, इसलिए लोगों को नियमित रूप से अपडेटेड प्रशिक्षण देना होगा।

राज्य सरकार ने इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान और डिजिटल प्रशिक्षण को दीर्घकालिक नीति का हिस्सा बनाया है।

निष्कर्ष

केरल का भारत का पहला पूर्णतः डिजिटल साक्षर राज्य बनना केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति भी है। इस पहल ने दिखा दिया कि जनसहभागिता, विकेंद्रीकरण और शिक्षा के माध्यम से किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। यह मॉडल पूरे भारत के लिए एक उदाहरण है कि कैसे तकनीक को सिर्फ शहरी और सम्पन्न वर्ग तक सीमित न रखकर समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया जा सकता है।

आज जब भारत Digital India के सपने को साकार करने की ओर बढ़ रहा है, केरल की यह उपलब्धि उस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आने वाले समय में यदि अन्य राज्य भी इसी तरह की रणनीतियाँ अपनाते हैं, तो निश्चित ही भारत विश्व के अग्रणी डिजिटल राष्ट्रों में शामिल होगा।


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