नींबू के आकार का ग्रह: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया ब्रह्मांड का सबसे विचित्र एक्सोप्लैनेट

आधुनिक खगोल विज्ञान के इतिहास में कुछ खोजें ऐसी होती हैं जो केवल नई जानकारी नहीं देतीं, बल्कि ब्रह्मांड को देखने का हमारा दृष्टिकोण ही बदल देती हैं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया एक्सोप्लैनेट PSR J2322-2650b (नींबू के आकार का ग्रह) ऐसी ही एक असाधारण खोज है। यह ग्रह अपने आकार, संरचना और चरम परिस्थितियों के कारण वैज्ञानिक कल्पनाओं की सीमाओं को तोड़ता हुआ प्रतीत होता है। एक अत्यंत शक्तिशाली पल्सर के निकट परिक्रमा करता हुआ यह ग्रह सामान्य गोलाकार न होकर नींबू के समान खिंचा हुआ है, जो इसे अब तक देखे गए सबसे विचित्र ग्रहों में स्थान दिलाता है।

यह खोज न केवल ग्रहों के निर्माण और उनके विकास से जुड़ी पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ब्रह्मांड में प्रकृति किस हद तक असामान्य और चरम रूप धारण कर सकती है। इसी पृष्ठभूमि में यह लेख इस अनोखे ग्रह, उसकी भौतिक विशेषताओं, वैज्ञानिक महत्व तथा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की ऐतिहासिक भूमिका का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

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जब ब्रह्मांड हमारी कल्पनाओं से भी आगे निकल जाता है

मानव सभ्यता सदियों से आकाश की ओर देखकर प्रश्न करती आई है—क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? क्या पृथ्वी जैसे अन्य ग्रह भी कहीं मौजूद हैं? आधुनिक खगोल विज्ञान ने इन प्रश्नों के उत्तर खोजने की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। विशेष रूप से एक्सोप्लैनेट्स (हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ग्रह) की खोज ने ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह बदल दिया है।

इसी क्रम में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की सहायता से खगोलविदों ने हाल ही में एक ऐसा ग्रह खोजा है, जो न केवल अपनी चरम परिस्थितियों के कारण बल्कि अपने अद्भुत ‘नींबू जैसे खिंचे हुए आकार’ के कारण भी वैज्ञानिकों को चकित कर रहा है। यह ग्रह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि ब्रह्मांड में ग्रह प्रणालियाँ कितनी विविध, रहस्यमय और चरम हो सकती हैं।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: आधुनिक खगोल विज्ञान का मील का पत्थर

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को अब तक का सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीन माना जाता है। इसे हबल स्पेस टेलीस्कोप के उत्तराधिकारी के रूप में विकसित किया गया है।

JWST की प्रमुख विशेषताएँ

  • यह मुख्यतः इन्फ्रारेड तरंगदैर्घ्य में अवलोकन करता है।
  • यह ग्रहों के वायुमंडलीय स्पेक्ट्रम, रासायनिक संरचना और तापमान का अध्ययन कर सकता है।
  • यह उन खगोलीय पिंडों को भी देख सकता है, जो धूल और गैस के बादलों में छिपे होते हैं।

इसी असाधारण क्षमता के कारण JWST ने उस ग्रह को देखा, जिसे अब तक के सबसे विचित्र ग्रहों में गिना जा रहा है।

नव-खोजा गया एक्सोप्लैनेट: PSR J2322-2650b

ग्रह की पहचान और नाम

इस अनोखे ग्रह का नाम PSR J2322-2650b रखा गया है। यह नाम उसके होस्ट तारे—एक पल्सर (न्यूट्रॉन तारा)—से जुड़ा हुआ है।

आकार और द्रव्यमान

  • यह ग्रह लगभग बृहस्पति के आकार का है।
  • हालांकि इसका आकार विशाल है, लेकिन इसकी परिस्थितियाँ हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह से मेल नहीं खातीं।

होस्ट तारा: पल्सर क्या होता है?

PSR J2322-2650b जिस तारे की परिक्रमा करता है, वह कोई सामान्य तारा नहीं, बल्कि एक पल्सर है।

पल्सर की विशेषताएँ

  • पल्सर दरअसल एक न्यूट्रॉन तारा होता है, जो किसी विशाल तारे के सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचा हुआ अवशेष होता है।
  • इनका द्रव्यमान सूर्य के बराबर या उससे अधिक होता है, लेकिन आकार केवल एक शहर जितना।
  • इनका गुरुत्वीय क्षेत्र अत्यंत प्रबल होता है।
  • ये अत्यधिक तीव्र गति से घूमते हैं और रेडियो तरंगें, एक्स-रे तथा गामा किरणें उत्सर्जित करते हैं।

ऐसे खतरनाक और चरम खगोलीय पिंड के पास किसी ग्रह का अस्तित्व ही अपने आप में एक बड़ा रहस्य है।

अत्यंत निकट कक्षा: दूरी और परिक्रमा काल

होस्ट पल्सर से दूरी

  • PSR J2322-2650b अपने पल्सर से मात्र लगभग 10 लाख मील (लगभग 16 लाख किलोमीटर) की दूरी पर परिक्रमा करता है।
  • यह दूरी पृथ्वी–सूर्य दूरी का केवल 1% है।

परिक्रमा अवधि

  • इस ग्रह का परिक्रमा काल मात्र 7.8 पृथ्वी घंटे है।
  • अर्थात इसका “एक वर्ष” पृथ्वी के एक सामान्य कार्यदिवस से भी छोटा है।

इतनी निकट दूरी और इतनी तीव्र परिक्रमा के कारण ग्रह पर पड़ने वाले गुरुत्वीय प्रभाव असाधारण रूप से तीव्र हो जाते हैं।

‘नींबू जैसा’ आकार: ग्रह क्यों खिंच गया?

ज्वारीय (Tidal) बलों की भूमिका

इस ग्रह की सबसे विचित्र विशेषता इसका आकार है। यह गोल न होकर लंबा, अंडाकार और नींबू या रग्बी बॉल जैसा हो गया है।

  • पल्सर के अत्यधिक गुरुत्वीय बल ग्रह के एक हिस्से को दूसरे हिस्से की तुलना में अधिक खींचते हैं।
  • इस प्रक्रिया को ज्वारीय विकृति (Tidal Distortion) कहा जाता है।
  • परिणामस्वरूप ग्रह अपनी कक्षा की दिशा में खिंच जाता है।

वैज्ञानिक महत्व

  • इसे अब तक का सबसे अधिक खिंचा हुआ ज्ञात ग्रह माना जा रहा है।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह संभवतः ग्रहों की एक नई श्रेणी का प्रतिनिधित्व करता है।

JWST को मिला अवलोकन का अनोखा लाभ

आमतौर पर किसी ग्रह का वायुमंडल देखना कठिन होता है क्योंकि उसका होस्ट तारा अत्यधिक चमकीला होता है। लेकिन यहाँ स्थिति अलग थी।

पल्सर और इन्फ्रारेड अवलोकन

  • पल्सर अपनी अधिकांश ऊर्जा गामा किरणों में उत्सर्जित करते हैं।
  • गामा किरणें इन्फ्रारेड टेलीस्कोप के लिए बाधा नहीं बनतीं।
  • इसलिए JWST को ग्रह के वायुमंडल का बेहद साफ और स्पष्ट स्पेक्ट्रम प्राप्त हुआ।

वैज्ञानिक प्रतिक्रिया

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के वैज्ञानिक माइकल झांग के अनुसार,

“यह एक्सोप्लैनेट अध्ययन के लिए असाधारण स्थिति प्रदान करता है, जो हमें चरम ग्रहों की भौतिकी समझने का दुर्लभ अवसर देती है।”

तापमान: कल्पना से परे गर्म संसार

सतही तापमान

  • ग्रह का अनुमानित सतही तापमान लगभग 3,700°F (करीब 2,040°C) है।
  • यह तापमान शुक्र ग्रह से लगभग चार गुना अधिक है।

प्रभाव

  • इतनी अधिक गर्मी पर किसी भी पारंपरिक जीवन की संभावना लगभग नगण्य हो जाती है।
  • ग्रह की सतह संभवतः पिघली हुई या अत्यंत अस्थिर अवस्था में रहती है।

वायुमंडलीय संरचना: पृथ्वी से बिल्कुल अलग

प्रमुख गैसें

JWST के अवलोकन से पता चला है कि इस ग्रह का वायुमंडल:

  • मुख्यतः हीलियम और कार्बन से बना है।
  • ऑक्सीजन और नाइट्रोजन लगभग अनुपस्थित हैं।

कार्बन की विचित्र भूमिका

  • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्रह पर कार्बन सूट (कालिख) के बादल मौजूद हो सकते हैं।
  • अत्यधिक दाब और तापमान में यही कार्बन
    • ग्रह के भीतर जाकर
    • हीरे जैसे ठोस ढाँचों में परिवर्तित हो सकता है।

यह स्थिति “हीरों की वर्षा” जैसी अवधारणाओं को और अधिक वैज्ञानिक आधार प्रदान करती है।

चरम परिस्थितियों में अस्तित्व वाला एक असामान्य एक्सोप्लैनेट

PSR J2322-2650b एक ऐसा एक्सोप्लैनेट है, जिसकी भौतिक आकृति और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ पारंपरिक ग्रहों की परिभाषा से कहीं आगे जाती हैं। यह ग्रह पूर्णतः गोलाकार न होकर एक दीर्घवृत्ताकार संरचना ग्रहण कर चुका है, जिसकी आकृति को समझाने के लिए वैज्ञानिकों ने इसे नींबू अथवा रग्बी बॉल जैसी खिंची हुई आकृति वाला बताया है। यहाँ “नींबू जैसा” शब्द ग्रह के आकार-मान के लिए नहीं, बल्कि उसकी ज्यामितीय संरचना के संकेतक के रूप में प्रयुक्त किया गया है।

यह ग्रह एक अत्यंत सघन और तीव्र गति से घूमने वाले पल्सर की परिक्रमा करता है। पल्सर मूलतः किसी विशाल तारे के विस्फोट (सुपरनोवा) के बाद बचा हुआ न्यूट्रॉन तारा होता है, जिसका गुरुत्वीय क्षेत्र और विकिरण क्षमता अत्यधिक प्रबल होती है। पृथ्वी से लगभग 2,000 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित इस ग्रह की पहचान नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा की गई, जिसने इसके वायुमंडल और संरचना के अध्ययन में अभूतपूर्व स्पष्टता प्रदान की।

अत्यंत संकुचित कक्षा और असामान्य परिक्रमा काल

PSR J2322-2650b की कक्षीय स्थिति इसे और भी विशिष्ट बनाती है। यह ग्रह अपने मेज़बान पल्सर के इतना समीप स्थित है कि उसकी दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी का मात्र लगभग 1 प्रतिशत है। इतनी निकटता के कारण यह ग्रह अत्यधिक तीव्र गति से अपने तारे की परिक्रमा करता है।

इस ग्रह का एक परिक्रमा चक्र—जिसे ग्रह का ‘वर्ष’ कहा जा सकता है—केवल 7.8 पृथ्वी घंटों में पूरा हो जाता है। यह अवधि न केवल हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह से कहीं कम है, बल्कि यह इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि इस ग्रह पर स्थिर परिस्थितियों की कल्पना करना लगभग असंभव है।

वायुमंडलीय संरचना: जलविहीन, परंतु कार्बन-समृद्ध संसार

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा किए गए अवलोकनों से यह स्पष्ट हुआ है कि PSR J2322-2650b का वायुमंडल पारंपरिक ग्रहों से बिल्कुल भिन्न है। जहाँ अधिकांश ज्ञात ग्रहों के वायुमंडल में जलवाष्प, ऑक्सीजन या नाइट्रोजन जैसे तत्व पाए जाते हैं, वहीं इस ग्रह के वातावरण में हीलियम और आणविक कार्बन का प्रभुत्व है।

विशेष रूप से C₂ और C₃ जैसे कार्बन अणुओं की उपस्थिति इस ओर संकेत करती है कि यह ग्रह एक अत्यंत कार्बन-समृद्ध रासायनिक वातावरण वाला संसार है। इतनी भिन्न संरचना ग्रहों के निर्माण और विकास से संबंधित वर्तमान सिद्धांतों के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है।

अत्यधिक तापमान और संभावित ‘हीरों की वर्षा’

PSR J2322-2650b पर तापमान की स्थिति भी उतनी ही चरम है जितनी इसकी संरचना। वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार, ग्रह के दिन वाले हिस्से का तापमान लगभग 2,040 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। इस स्तर की ऊष्मा अधिकांश ज्ञात पदार्थों को अस्थिर अवस्था में पहुँचा देती है।

ऐसे चरम तापमान और अत्यधिक दाब की परिस्थितियों में वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह के वायुमंडल में कार्बन से बने कण बादलों का रूप ले सकते हैं। ये कार्बन बादल, ग्रह के भीतर और अधिक दबाव में जाकर ठोस हीरे जैसी संरचनाओं में परिवर्तित हो सकते हैं। इस संभावना ने “हीरों की बारिश” जैसी अवधारणा को वैज्ञानिक विमर्श का हिस्सा बना दिया है।

ज्वारीय बल और ग्रह की विकृत आकृति

इस ग्रह की दीर्घवृत्ताकार या ‘नींबू जैसी’ आकृति का कारण उसका स्वयं का घूर्णन नहीं है। इसके पीछे मुख्य भूमिका इसके मेज़बान पल्सर द्वारा उत्पन्न अत्यंत शक्तिशाली ज्वारीय बलों की है।

PSR J2322-2650b अपने तारे से केवल लगभग 10 लाख मील (लगभग 1.6 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर परिक्रमा करता है। पल्सर का विशाल द्रव्यमान और इस ग्रह की अत्यधिक निकट कक्षा मिलकर ऐसे गुरुत्वीय बल उत्पन्न करते हैं, जो ग्रह को उसकी कक्षा की दिशा में लगातार खींचते रहते हैं। इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ग्रह एक स्थायी रूप से विकृत, अंडाकार आकृति धारण कर चुका है।

‘ब्लैक विडो पल्सर’ प्रणाली से संभावित संबंध

PSR J2322-2650b को एक तथाकथित ‘ब्लैक विडो पल्सर प्रणाली’ का हिस्सा माना जा रहा है। ब्लैक विडो प्रणाली एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय व्यवस्था होती है, जिसमें एक मिलीसेकंड पल्सर और उसका अत्यंत कम द्रव्यमान वाला साथी—तारा या ग्रह—शामिल होता है।

इस प्रकार की प्रणालियों में पल्सर से निकलने वाली तीव्र एक्स-किरणें और ऊर्जावान कण हवाएँ अपने साथी पिंड पर निरंतर प्रहार करती हैं। इसके परिणामस्वरूप साथी वस्तु की बाहरी परतें आयनित होकर अंतरिक्ष में फैलने लगती हैं और वह धीरे-धीरे अपना द्रव्यमान खोने लगती है।

जब इस प्रणाली में साथी वस्तु एक ग्रह होती है, तो यह स्थिति और भी असाधारण हो जाती है। पल्सर की प्रचंड ऊर्जा के बावजूद किसी ग्रह का लंबे समय तक अस्तित्व बनाए रखना और फिर क्रमशः नष्ट होना, ब्रह्मांड में घटित होने वाली सबसे चरम खगोलीय प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। इसी ‘अपने साथी को नष्ट करने’ वाले स्वभाव के कारण इन प्रणालियों को ‘ब्लैक विडो’ नाम दिया गया है, जो ब्लैक विडो मकड़ी के व्यवहार से प्रेरित है।

ग्रह निर्माण के सिद्धांतों को चुनौती

अब तक माना जाता था कि:

  • ग्रह मुख्यतः सामान्य तारों के चारों ओर बनते हैं।
  • सुपरनोवा विस्फोट के बाद पल्सर के पास ग्रह टिक नहीं सकते।

लेकिन PSR J2322-2650b इन धारणाओं को चुनौती देता है।

प्रमुख प्रश्न

  • न्यूट्रॉन तारों के पास ग्रह कैसे बने या बचे रह पाए?
  • क्या ये ग्रह किसी अन्य प्रणाली से पकड़कर लाए गए?
  • या ये सुपरनोवा के बाद बने नए ग्रह हैं?

वैज्ञानिक अध्ययन और प्रकाशन

  • यह शोध The Astrophysical Journal Letters में प्रकाशित हुआ है।
  • यह अध्ययन ग्रह निर्माण, ग्रह संरचना और वायुमंडलीय रसायन विज्ञान के मौजूदा मॉडलों को पुनः परिभाषित करने की क्षमता रखता है।

ब्रह्मांड की विविधता का प्रतीक

PSR J2322-2650b हमें यह सिखाता है कि:

  • ब्रह्मांड केवल पृथ्वी जैसे ग्रहों तक सीमित नहीं है।
  • यहाँ ऐसे संसार भी मौजूद हैं जो हमारी कल्पना से परे हैं—
    • नींबू जैसे आकार वाले
    • हीरों से भरे
    • पल्सर के अत्यंत निकट परिक्रमा करते हुए।

निष्कर्ष: जेम्स वेब की परिवर्तनकारी भूमिका

यह खोज केवल एक विचित्र ग्रह की कहानी नहीं है, बल्कि यह:

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की वैज्ञानिक शक्ति का प्रमाण है।
  • यह भविष्य में और भी चरम, रहस्यमय और अप्रत्याशित ग्रहों की खोज का मार्ग प्रशस्त करती है।

अंततः, PSR J2322-2650b हमें याद दिलाता है कि ब्रह्मांड जितना विशाल है, उतना ही अद्भुत और रहस्यमय भी—और मानव जिज्ञासा उसे समझने की यात्रा में निरंतर आगे बढ़ रही है।


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