पोसाइडन मिसाइल परीक्षण : रूस की नई परमाणु रणनीति का संकेत

रूस ने हाल ही में अपनी नई परमाणु-संचालित और परमाणु-सक्षम अंडरवाटर ड्रोन प्रणाली ‘पोसाइडन (Poseidon)’ का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा क्योंकि रूस ने इसे “अवरोधन असंभव” (Unstoppable) हथियार करार दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्वयं घोषणा की कि यह परीक्षण “बहुत सफल” रहा और इससे रूस की रक्षा क्षमता में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है।

इस लेख में हम पोसाइडन ड्रोन की संरचना, क्षमताएँ, रणनीतिक उद्देश्य, वैश्विक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

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परीक्षण की पुष्टि : रूस की आधिकारिक घोषणा

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि पोसाइडन मिसाइल का यह परीक्षण रूस के उत्तरी जलक्षेत्र में किया गया, जहाँ इसकी परमाणु शक्ति इकाई (Nuclear Power Unit) पहली बार सक्रिय की गई।

  • परीक्षण के दौरान ड्रोन कुछ समय तक सक्रिय रूप से संचालित रहा और सभी सुरक्षा मानकों को पूरा किया गया।
  • यह परीक्षण रूस की Burevestnik परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल के सफल परीक्षण के कुछ ही दिनों बाद हुआ, जिससे स्पष्ट है कि रूस लगातार अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है।
  • पुतिन ने इसे “भविष्य के युद्धों में निर्णायक हथियार” बताते हुए कहा कि यह रूस के लिए एक सुरक्षित प्रतिशोधी (Retaliatory) विकल्प प्रदान करेगा।

“अवरोधन असंभव” होने का दावा

रूस का यह दावा कि पोसाइडन को “कोई भी तकनीक रोक नहीं सकती” दुनिया भर के रक्षा विश्लेषकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसके पीछे तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:

  1. अत्यधिक गहराई में संचालन:
    यह ड्रोन समुद्र की बहुत गहराई (लगभग 1000 मीटर या उससे अधिक) पर चल सकता है, जहाँ वर्तमान एंटी-सबमरीन तकनीकें प्रभावी नहीं होतीं।
  2. अत्यधिक गति:
    इसकी गति लगभग 100 से 185 किमी प्रति घंटा तक मानी जा रही है, जो सामान्य टॉरपीडो या पनडुब्बियों की तुलना में कई गुना अधिक है।
  3. लंबी दूरी की स्वायत्त क्षमता:
    यह एक बार छोड़े जाने के बाद हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और पूर्व-निर्धारित मार्ग पर स्वतः संचालित हो सकता है।

इस प्रकार, पोसाइडन को ट्रैक करना, पहचानना या नष्ट करना लगभग असंभव माना जा रहा है।

पोसाइडन की प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ

(i) स्वायत्त अंडरवाटर वाहन (Unmanned Underwater Vehicle – UUV)

पोसाइडन एक मानव रहित जलमग्न ड्रोन है जो अपने लक्ष्य तक बिना किसी चालक के पहुँच सकता है। इसे रूस की विशेष परमाणु पनडुब्बी बेलगोरोड (Belgorod) से लॉन्च किया जा सकता है।

(ii) परमाणु-संचालित प्रणाली

इसका संचालन एक लघु परमाणु रिएक्टर द्वारा किया जाता है, जो इसे बिना ईंधन भरे लंबे समय तक समुद्र में सक्रिय रख सकता है। इस प्रणाली के कारण यह दुनिया के किसी भी तटीय क्षेत्र तक पहुँचने में सक्षम है।

(iii) परमाणु वारहेड वहन क्षमता

पोसाइडन एक अत्यधिक शक्तिशाली परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है, जिसकी क्षमता 2 मेगाटन से 100 मेगाटन तक मानी जा रही है। इस शक्ति का उपयोग किसी तटीय क्षेत्र के पास विस्फोट करके रेडियोधर्मी सुनामी उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।

(iv) तबाही की सीमा

रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि पोसाइडन का विस्फोट किसी समुद्रतटीय शहर के पास किया जाए तो यह

  • सैकड़ों किलोमीटर तक फैली रेडियोधर्मी लहरें उत्पन्न कर सकता है,
  • तटीय बुनियादी ढांचे को नष्ट कर सकता है,
  • और समुद्री पारिस्थितिकी को दशकों तक प्रदूषित कर सकता है।

रणनीतिक पृष्ठभूमि : रूस का परमाणु दृष्टिकोण

(i) परमाणु शक्ति संतुलन में बदलाव

यह परीक्षण ऐसे समय में किया गया है जब रूस और अमेरिका के बीच New START परमाणु हथियार संधि समाप्ति की कगार पर है। रूस का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि वह परमाणु क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता बनाए रखना चाहता है।

(ii) प्रथम हमले (First Strike) के विरुद्ध प्रतिशोधी हथियार

पुतिन ने पोसाइडन को “गारंटीकृत प्रतिशोधी हथियार” बताया है। अर्थात् यदि रूस पर पहले हमला होता है, तो यह हथियार दुश्मन के तटीय शहरों को तबाह कर प्रतिशोध ले सकता है। यह रूस की द्वितीय प्रहार नीति (Second Strike Doctrine) का हिस्सा माना जा सकता है।

(iii) यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि

यह परीक्षण उस समय हुआ है जब रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है और पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध अत्यंत तनावपूर्ण हैं। इससे यह संदेश गया है कि रूस किसी भी परिस्थिति में अपनी सैन्य शक्ति को कमजोर नहीं पड़ने देगा।

तकनीकी विनिर्देश (Specifications)

  • लंबाई: लगभग 20–24 मीटर
  • व्यास: 1.6–2 मीटर
  • गहराई: लगभग 1000 मीटर
  • गति: 100–185 किमी/घंटा
  • रेंज: 10,000 किमी तक
  • वारहेड क्षमता: 2–100 मेगाटन
  • संचालन: परमाणु रिएक्टर आधारित

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि पोसाइडन पारंपरिक टॉरपीडो या मिसाइल से कहीं अधिक उन्नत और विनाशकारी प्रणाली है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

रूस के इस कदम से विश्व के कई देशों में चिंता की लहर दौड़ गई है।

  • अमेरिका की प्रतिक्रिया: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) को निर्देश दिया है कि अमेरिका भी अपनी परमाणु परीक्षण योजनाओं को पुनः प्रारंभ करे।
  • यूरोपीय संघ: यूरोपीय सुरक्षा परिषद ने इस परीक्षण को “वैश्विक अस्थिरता बढ़ाने वाला” बताया है।
  • नाटो (NATO): नाटो ने रूस से आग्रह किया है कि वह परमाणु नियंत्रण संधियों का पालन करे और इस तरह के “खतरनाक प्रयोग” से परहेज करे।

इन प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि यह परीक्षण न केवल रूस की सामरिक शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह वैश्विक परमाणु संतुलन के लिए भी गंभीर चुनौती है।

सुरक्षा विश्लेषण एवं चुनौतियाँ

(i) सूचना की कमी और गोपनीयता

रूस ने इस परीक्षण से जुड़ी कई तकनीकी जानकारियाँ गुप्त रखी हैं। इससे वैश्विक समुदाय को इसके वास्तविक स्वरूप और क्षमता का सही आकलन करना कठिन हो रहा है।

(ii) तकनीकी व्यवहार्यता पर प्रश्न

कई विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी अधिक गति और गहराई पर एक स्वायत्त ड्रोन का संचालन करना अत्यंत जटिल है। संचार, नेविगेशन और स्थिरता से जुड़ी तकनीकी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं।

(iii) पर्यावरणीय खतरे

यदि इस ड्रोन में कोई तकनीकी त्रुटि या दुर्घटना हो जाए, तो समुद्री पारिस्थितिकी पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा लंबे समय तक बना रह सकता है।

(iv) रणनीतिक अस्थिरता

ऐसे हथियारों का विकास वैश्विक “परमाणु निरोध संतुलन” (Nuclear Deterrence Balance) को अस्थिर कर सकता है। यदि अन्य देश भी इसी प्रकार की तकनीक विकसित करते हैं, तो परमाणु शस्त्र दौड़ (Arms Race) फिर से तेज हो सकती है।

भारत और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्व

भारत जैसे देशों के लिए यह परीक्षण इस बात का संकेत है कि भविष्य के युद्ध केवल मिसाइलों या टैंकों पर आधारित नहीं होंगे, बल्कि समुद्री अंडरवाटर रणनीतियाँ निर्णायक भूमिका निभाएँगी।

भारत पहले से ही अपनी एसएसबीएन (SSBN) श्रेणी की पनडुब्बियों और परमाणु निरोध क्षमता को बढ़ा रहा है। पोसाइडन जैसी तकनीक यह संदेश देती है कि भविष्य का युद्धक्षेत्र अब महासागरों के भीतर भी विस्तारित हो चुका है।


निष्कर्ष

रूस का पोसाइडन मिसाइल परीक्षण न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह वैश्विक परमाणु संतुलन में परिवर्तन का संकेत भी है। यह परीक्षण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि रूस अब “भविष्य की युद्ध रणनीतियों” पर कार्य कर रहा है, जहाँ स्वायत्त, परमाणु-संचालित और अंडरवाटर हथियार निर्णायक भूमिका निभाएँगे।

हालाँकि, इसकी “अवरोधन असंभव” क्षमता पर अभी भी संदेह बना हुआ है। यह सुनिश्चित है कि ऐसे हथियारों के चलते दुनिया एक बार फिर परमाणु प्रतिद्वंद्विता के नए युग की ओर बढ़ रही है।

रूस का यह कदम न केवल तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चेतावनी भी है कि शांति और नियंत्रण की दिशा में सामूहिक प्रयास अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गए हैं।

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