भारत–क्रोएशिया संबंध | रणनीतिक साझेदारी की नई दिशा

भारत और क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध वर्षों से परिपक्व हो रहे हैं, और हाल ही में प्रधानमंत्री स्तर पर हुई वार्ता ने इन संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुंचाया है। यह यात्रा, जो कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली क्रोएशिया यात्रा थी, दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। इस यात्रा के दौरान रक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान, कृषि, संस्कृति, डिजिटल प्रौद्योगिकी और जन-से-जन संपर्क जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग को लेकर विस्तृत चर्चा और समझौते हुए। यह लेख भारत–क्रोएशिया संबंधों की पृष्ठभूमि, वर्तमान दिशा और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करता है।

भारत–क्रोएशिया: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत ने 1992 में क्रोएशिया को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी, जब उसने यूगोस्लाविया से स्वतंत्रता प्राप्त की। उसी वर्ष दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए। तब से लेकर अब तक विभिन्न उच्च स्तरीय दौरों और समझौतों के माध्यम से इन संबंधों ने लगातार मजबूती हासिल की है।

क्रोएशिया यूरोप के मध्य और दक्षिण-पूर्वी भाग के संगम पर स्थित एक सुंदर और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है। एड्रियाटिक सागर के किनारे बसा यह देश यूरोपीय संघ का सदस्य होने के साथ-साथ भारत के लिए यूरोप में एक संभावनाशील साझेदार भी है।

क्रोएशिया का भौगोलिक और राजनीतिक परिचय

भौगोलिक स्थिति:
क्रोएशिया की स्थिति उसे रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती है। यह एड्रियाटिक सागर के पूर्वी तट पर स्थित है, जिससे इसे दक्षिणी यूरोप तक समुद्री पहुंच प्राप्त होती है।

राजधानी: ज़ाग्रेब (Zagreb)

सीमाएं:
यह देश स्लोवेनिया, हंगरी, सर्बिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो और इटली (समुद्री सीमा) से घिरा हुआ है।

प्राकृतिक संसाधन और स्थलाकृति:
क्रोएशिया की प्रमुख नदियों में सावा, द्रावा, कुपा, उना, कृका और सेतीना शामिल हैं। सावा नदी राजधानी ज़ाग्रेब से होकर बहती है और बोस्निया-हर्जेगोविना की सीमा बनाती है।
पनोनियन मैदान कृषि के लिए उपजाऊ है, जबकि डिनारिक आल्प्स पर्वत श्रृंखला देश के पश्चिमी हिस्से में फैली हुई है, जिनमें दिनारा (1,831 मीटर) सबसे ऊँचा शिखर है।

भारत–क्रोएशिया द्विपक्षीय बैठक: नई रणनीतिक दिशा

रक्षा क्षेत्र में सहयोग

प्रधानमंत्री स्तर पर हुई वार्ता में दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी को प्राथमिकता दी गई। दोनों देशों ने रक्षा और सामरिक साझेदारी को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की। इसके तहत निम्नलिखित पहलुओं पर बल दिया गया:

  • संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण: भारत और क्रोएशिया के सैन्य बलों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिससे पारस्परिक सामरिक समझ बढ़ेगी।
  • सैन्य कर्मियों का आदान-प्रदान: दोनों देशों के रक्षा बलों के बीच अनुभव साझा करने के लिए नियमित विनिमय कार्यक्रम होंगे।
  • रक्षा उद्योग स्तर की साझेदारी: रक्षा निर्माण, अनुसंधान और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • साइबर सुरक्षा में सहयोग: उभरते खतरों से निपटने के लिए दोनों देश साइबर डिफेंस पर संयुक्त कार्य करेंगे।

समझौता ज्ञापन (MoUs): बहुआयामी सहयोग

भारत और क्रोएशिया ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए:

  1. कृषि: खाद्य सुरक्षा, जैविक खेती, बीज अनुसंधान और कृषि प्रौद्योगिकी में साझेदारी।
  2. सांस्कृतिक आदान-प्रदान: सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार हेतु साझा प्रयास।
  3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी: अनुसंधान, इनोवेशन और तकनीकी विकास में साझा परियोजनाएँ।
  4. भाषा सहयोग: ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए ICCR (Indian Council for Cultural Relations) चेयर की स्थापना।

भारत–ईयू मुक्त व्यापार समझौता (India-EU FTA): क्रोएशिया का समर्थन

भारत और यूरोपीय संघ के बीच लंबे समय से चल रही FTA वार्ता को क्रोएशिया ने खुले तौर पर समर्थन दिया। इस समझौते का उद्देश्य व्यापारिक बाधाओं को कम करना, बाजार पहुंच में सुधार और निवेश प्रवाह को सुगम बनाना है। क्रोएशिया का यह रुख भारत के लिए यूरोपीय बाजार में प्रवेश को सहज बना सकता है।

निवेश सहयोग: आर्थिक साझेदारी की संभावनाएं

भारत और क्रोएशिया ने कई क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई:

  • फार्मास्युटिकल्स: भारत की दवा कंपनियों के लिए क्रोएशियाई बाजार में प्रवेश के अवसर।
  • कृषि: खाद्य प्रसंस्करण और आधुनिक कृषि उपकरणों के क्षेत्र में साझेदारी।
  • सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी: स्टार्टअप, क्लाउड कंप्यूटिंग और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में सहयोग।
  • क्लीन टेक्नोलॉजी और सेमीकंडक्टर्स: ग्रीन एनर्जी, ऊर्जा दक्षता और इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण में संभावनाएं।

शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग: लोगों को जोड़ने की पहल

  • संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं: विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में मिलकर अनुसंधान।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम: अगले 5 वर्षों के लिए एक सुव्यवस्थित रूपरेखा तैयार।
  • जन-से-जन संपर्क: सांस्कृतिक कार्यक्रमों, छात्र आदान-प्रदान, और भाषा कार्यक्रमों के माध्यम से गहरे संबंध।

गतिशीलता और राजनयिक संपर्क

  • Mobility Agreement पर जल्द हस्ताक्षर की योजना: जिससे शिक्षा, पर्यटन और व्यापार से जुड़े लोगों की आवाजाही सरल होगी।
  • पर्यटन को बढ़ावा: क्रोएशिया की प्राकृतिक सुंदरता भारतीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है।

अंतरिक्ष सहयोग: नई ऊँचाइयों की ओर

भारत और क्रोएशिया ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग की घोषणा की है:

  • संयुक्त अंतरिक्ष परियोजनाएं: उपग्रह प्रक्षेपण, डेटा विश्लेषण और अंतरिक्ष निगरानी में संयुक्त कार्य।
  • ISRO और क्रोएशियाई अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच सहयोग: भारत अपनी अंतरिक्ष विशेषज्ञता साझा करेगा, जिससे क्रोएशिया अपने तकनीकी बुनियादी ढांचे को सशक्त बना सकेगा।

भारत–क्रोएशिया संबंधों की भविष्य दृष्टि

प्रधानमंत्री स्तर की वार्ता के बाद भारत–क्रोएशिया संबंध बहुआयामी और रणनीतिक दिशा की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। रक्षा, विज्ञान, अंतरिक्ष, डिजिटल तकनीक, कृषि और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में जो ठोस पहलें हुई हैं, वे दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं।

क्रोएशिया के यूरोपीय संघ का सदस्य होने के कारण भारत के लिए यह एक अहम कड़ी बन सकता है, जिससे भारत यूरोप के बड़े बाज़ार तक आसान पहुंच प्राप्त कर सकता है। वहीं, भारत की विशाल अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षमताएं क्रोएशिया के लिए सहयोग और निवेश के नए द्वार खोलती हैं।

भारत और क्रोएशिया के बीच हालिया उच्चस्तरीय वार्ता केवल एक कूटनीतिक रस्म नहीं थी, बल्कि यह एक रणनीतिक साझेदारी की नई शुरुआत है। इन संबंधों में परस्पर सम्मान, सहयोग की भावना और साझा हितों की स्पष्ट झलक मिलती है। यदि इन पहलों को गंभीरता और निरंतरता के साथ क्रियान्वित किया जाए, तो यह संबंध वैश्विक राजनीति और व्यापार में एक नई मिसाल बन सकते हैं।

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