राजभाषा : भारत की राजभाषा, राज्यों की राजभाषाएं, परिभाषा, महत्व और सूची

भाषा किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है। यह न केवल संप्रेषण का माध्यम है बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता का भी आधार बनती है। किसी देश के प्रशासनिक ढांचे को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक निश्चित भाषा का प्रयोग आवश्यक होता है। इसी भाषा को हम राजभाषा कहते हैं। राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है— “राज-काज की भाषा”, अर्थात वह भाषा जिसमें राज्य के प्रशासनिक, न्यायिक और विधायी कार्य संपन्न किए जाते हैं।

भारतीय संविधान में “राजभाषा” एक संवैधानिक शब्द है, जबकि “राष्ट्रभाषा” ऐसा कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त शब्द नहीं है। यही कारण है कि हिंदी को संविधान द्वारा “राजभाषा” तो घोषित किया गया, किंतु “राष्ट्रभाषा” के रूप में नहीं। इस लेख में हम भारत की राजभाषा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, संवैधानिक प्रावधान, राज्यों की स्थिति, अंग्रेज़ी और हिंदी की भूमिका तथा उससे जुड़ी चुनौतियों और संभावनाओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

राजभाषा किसे कहते हैं?

राजभाषा उस भाषा को कहा जाता है जिसे किसी देश अथवा राज्य द्वारा अपने संविधान या कानून में सरकारी कामकाज, प्रशासनिक कार्यों, न्यायिक प्रक्रिया और शासकीय संचार के लिए आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी जाती है।

यह भाषा शासन और प्रशासन की भाषा होती है, जिससे आदेश, अधिसूचनाएँ, सरकारी दस्तावेज़, संसद/विधानसभा की कार्यवाही और विभिन्न शासकीय विभागों का संचार किया जाता है।

👉 संक्षेप में —

  • राजभाषा = सरकार की आधिकारिक भाषा
  • राजभाषा वह भाषा है, जो सरकार के कामकाज और प्रशासन की आधिकारिक भाषा होती है।
  • यह हमेशा राष्ट्रभाषा या मातृभाषा के समान नहीं होती, क्योंकि कई देशों में प्रशासन के लिए एक भाषा तय की जाती है जबकि जनता अनेक भाषाएँ बोलती है।

भारत की राजभाषा

भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी होगी और उसकी लिपि देवनागरी होगी। इसके साथ ही अंकों के लिए अंतरराष्ट्रीय रूप (1, 2, 3… ) का प्रयोग निर्धारित किया गया है।

संविधान सभा में गहन विचार-विमर्श के बाद हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। यद्यपि संविधान के प्रारंभ में यह भी प्रावधान किया गया कि अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग 15 वर्षों (1950–1965) तक प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों के लिए सहायक राजभाषा के रूप में किया जाएगा। परंतु बाद में हिंदी को राजभाषा के रूप में लागू करने में विभिन्न चुनौतियों के कारण अंग्रेज़ी को भी सहायक राजभाषा के रूप में जारी रखा गया।

इस प्रकार,

  • भारत की राजभाषा = हिन्दी (देवनागरी लिपि)
  • सहायक राजभाषा = अंग्रेज़ी
  • संविधानिक आधार = अनुच्छेद 343 से 351

👉 सरल शब्दों में कहा जाए तो हिन्दी भारत की राजभाषा है, किंतु अंग्रेज़ी भी प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों में सहायक राजभाषा के रूप में प्रयुक्त होती है।

राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर

बहुत बार आमजन के बीच “राजभाषा” और “राष्ट्रभाषा” को समानार्थक मान लिया जाता है, जबकि दोनों की अवधारणाएँ अलग-अलग हैं।

  • राजभाषा: प्रशासनिक और शासकीय कार्यों की भाषा। यह संविधान और कानून द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • राष्ट्रभाषा: किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक। यह स्वाभाविक रूप से जनमानस से जुड़ती है।

भारतीय संविधान में “राष्ट्रभाषा” शब्द का उल्लेख नहीं है। संविधान के अनुसार केंद्र सरकार की राजभाषा हिंदी (देवनागरी लिपि) है तथा अंग्रेजी को सह-राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।

राजभाषा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में राजभाषा की यात्रा काफी लंबी और जटिल रही है।

  1. मुगल काल
    मुग़लों के शासनकाल में फारसी राजभाषा थी। प्रशासनिक आदेश, न्यायिक फैसले और राजकीय पत्राचार फारसी में ही होता था।
  2. अकबर से मैकाले तक
    अकबर से लेकर 19वीं सदी तक फारसी का ही वर्चस्व रहा। परंतु अंग्रेज़ी सत्ता के सुदृढ़ होने के साथ ही धीरे-धीरे अंग्रेजी और उर्दू का प्रयोग बढ़ने लगा।
  3. ब्रिटिश काल
    • 1835 में लॉर्ड मैकाले ने अंग्रेज़ी शिक्षा नीति लागू की, जिससे अंग्रेज़ी प्रशासन और न्यायालय की मुख्य भाषा बन गई।
    • 1900 में मैकडॉनेल ने उत्तर-पश्चिमी प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की अदालतों में देवनागरी लिपि में हिंदी/हिंदुस्तानी के उपयोग को “अनुमेय” कर दिया।
  4. स्वतंत्रता से पूर्व
    स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेज़ी प्रशासन की मुख्य भाषा रही। हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी— इन तीन भाषाओं का प्रयोग आधिकारिक कार्यों में किया जाता रहा।
  5. स्वतंत्रता के बाद
    1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न था— भारत की राजभाषा कौन होगी? बहस के बाद हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया।

संविधान और राजभाषा संबंधी प्रावधान

भारतीय संविधान के भाग-17 (अनुच्छेद 343 से 351) में राजभाषा से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। इनका संक्षेप में विवरण इस प्रकार है—

  1. अनुच्छेद 343 – संघ की राजभाषा हिंदी होगी, लिपि देवनागरी होगी और अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय (हिन्दी-अरबी अंक) होगा।
  2. अनुच्छेद 344 – राजभाषा पर आयोग और संसदीय समिति का गठन।
  3. अनुच्छेद 345 – राज्य अपनी राजभाषा का निर्णय स्वयं कर सकते हैं।
  4. अनुच्छेद 346 – राज्यों और केंद्र या दो राज्यों के बीच संचार की भाषा।
  5. अनुच्छेद 347 – यदि किसी राज्य की जनसंख्या का कोई भाग किसी अन्य भाषा की मांग करे, तो राष्ट्रपति विशेष उपबंध कर सकते हैं।
  6. अनुच्छेद 348 – उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी या हिंदी का प्रयोग।
  7. अनुच्छेद 349 – भाषा संबंधी विधियां बनाने की विशेष प्रक्रिया।
  8. अनुच्छेद 350 – नागरिकों को अपनी भाषा में अभ्यावेदन का अधिकार।
  9. अनुच्छेद 350 (क) – प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधा।
  10. अनुच्छेद 350 (ख) – भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी।
  11. अनुच्छेद 351 – हिंदी भाषा के विकास और संवर्धन के लिए निर्देश।

हिंदी को राजभाषा बनाने की प्रक्रिया

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने बहस के उपरांत हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया। इसके साथ ही अंग्रेजी को एक निश्चित अवधि तक सह-राजभाषा के रूप में बनाए रखने का प्रावधान किया गया।

  • संविधान लागू होने के समय प्रावधान था कि अंग्रेजी का प्रयोग अधिकतम 15 वर्षों तक (1965 तक) किया जाएगा, उसके बाद केवल हिंदी प्रयोग में लाई जाएगी।
  • लेकिन हिंदी को लेकर दक्षिण भारत और अन्य क्षेत्रों में व्यापक विरोध हुआ। परिणामस्वरूप 1963 का राजभाषा अधिनियम और बाद में 1976 के संशोधन के द्वारा अंग्रेजी को भी अनिश्चितकाल तक हिंदी के साथ बनाए रखा गया।

इसी कारण आज भी केंद्र सरकार के कार्यों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग होता है।

हिंदी दिवस

14 सितंबर 1949 को हिंदी को संवैधानिक राजभाषा घोषित किए जाने के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को “हिंदी दिवस” मनाया जाता है। इसका उद्देश्य प्रशासन और जनजीवन में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना है।

संसद और विधानमंडल में प्रयोग होने वाली भाषा

  1. अनुच्छेद 120 – संसद के कार्य हिंदी या अंग्रेजी में किए जाएंगे।
  2. अनुच्छेद 210 – राज्य विधानमंडल में कार्य राज्य की राजभाषा, हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा।

इससे स्पष्ट है कि केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर राजभाषा का प्रयोग संवैधानिक रूप से विनियमित है।

भारत की राजभाषाएँ और 8वीं अनुसूची

संविधान की 8वीं अनुसूची में प्रारंभ में 14 भाषाएँ सम्मिलित थीं। वर्तमान में इनकी संख्या 22 है—

  1. हिंदी
  2. कश्मीरी
  3. सिंधी
  4. पंजाबी
  5. बंगाली
  6. असमीया
  7. उड़िया
  8. गुजराती
  9. मराठी
  10. कन्नड़
  11. तेलुगु
  12. तमिल
  13. मलयालम
  14. उर्दू
  15. संस्कृत
  16. नेपाली
  17. मणिपुरी
  18. कोंकणी
  19. बोडो
  20. डोगरी
  21. मैथिली
  22. संथाली

राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषाओं को राजभाषा घोषित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जैसे—

  • महाराष्ट्र में मराठी
  • पंजाब में पंजाबी
  • गुजरात में गुजराती
  • तमिलनाडु में तमिल
  • कर्नाटक में कन्नड़

भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की राजभाषाएँ

भारत भाषाई विविधता का देश है। यहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी प्रमुख भाषा है, जिसे वह अपनी राजभाषा घोषित करता है। संविधान के अनुच्छेद 345 के अनुसार, राज्य विधानमंडल अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी भाषा को राज्य की राजभाषा के रूप में अपना सकता है। कई राज्यों में एक से अधिक भाषाओं को भी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

भारत के राज्यों की राजभाषाएँ

राज्यराजभाषाराजधानी
आंध्र प्रदेशतेलुगूहैदराबाद / अमरावती
अरुणाचल प्रदेशअंग्रेज़ीईटानगर
असमअसमियादिसपुर
बिहारहिंदीपटना
छत्तीसगढ़हिंदीरायपुर
गोवाकोंकणीपणजी
गुजरातगुजरातीगांधीनगर
हरियाणाहिंदीचंडीगढ़
हिमाचल प्रदेशहिंदीशिमला
झारखंडहिंदीरांची
कर्नाटककन्नड़बेंगलुरु
केरलमलयालमतिरुवनंतपुरम
मध्य प्रदेशहिंदीभोपाल
महाराष्ट्रमराठीमुंबई
मणिपुरमीतिलोन (मणिपुरी)इंफाल
मेघालयअंग्रेज़ीशिलांग
मिज़ोरममिज़ो, अंग्रेज़ी और हिंदीआइजोल
नागालैंडअंग्रेज़ीकोहिमा
ओडिशाउड़ियाभुवनेश्वर
पंजाबपंजाबीचंडीगढ़
राजस्थानहिंदीजयपुर
सिक्किमअंग्रेज़ीगंगटोक
तमिलनाडुतमिलचेन्नई
तेलंगानातेलुगू और उर्दूहैदराबाद
त्रिपुराबंगाली, अंग्रेज़ी और कोकबोरोकअगरतला
उत्तर प्रदेशहिंदीलखनऊ
उत्तराखंडहिंदीदेहरादून
पश्चिम बंगालबंगालीकोलकाता

भारत के केंद्रशासित प्रदेशों की राजभाषाएँ

केंद्र शासित प्रदेशराजभाषाराजधानी
अंडमान और निकोबार द्वीपहिंदी और अंग्रेज़ीपोर्ट ब्लेयर
चंडीगढ़अंग्रेज़ीचंडीगढ़
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीवगुजराती, मराठी, कोंकणी और हिंदीदमन
जम्मू और कश्मीरकश्मीरी, डोगरी, अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दूश्रीनगर (ग्रीष्मकालीन), जम्मू (शीतकालीन)
दिल्लीहिंदीदिल्ली
लद्दाखलद्दाखी, पुर्गी, हिंदी, अंग्रेज़ीलेह, कारगिल
लक्षद्वीपमलयालम और अंग्रेज़ीकावारत्ती
पांडिचेरीतमिलपांडिचेरी

भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की अपनी-अपनी राजभाषाएँ हैं, जो वहाँ के लोगों की संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हैं। इस प्रकार, भारत की भाषाई विविधता उसकी एकता को और भी अधिक मजबूत करती है।

राजभाषा का महत्व

  1. प्रशासनिक एकता – राजभाषा प्रशासनिक ढांचे को एक सूत्र में बाँधती है।
  2. राजनीतिक-आर्थिक एकीकरण – राजभाषा एक साझा पहचान के रूप में कार्य करती है।
  3. सांस्कृतिक संवाहक – भाषा संस्कृति और परंपराओं को संजोने का कार्य करती है।
  4. राष्ट्रीय गौरव – हिंदी को राजभाषा बनाने से भारतीयता की पहचान मजबूत हुई है।

चुनौतियाँ

  1. भाषाई विविधता – भारत में सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ हैं। हिंदी को सभी पर थोपे जाने का भय कई राज्यों में असंतोष उत्पन्न करता है।
  2. अंग्रेजी का वर्चस्व – विज्ञान, तकनीक, उच्च शिक्षा और वैश्विक संवाद में अंग्रेजी का दबदबा आज भी कायम है।
  3. प्रशासनिक व्यावहारिकता – एक झटके में अंग्रेजी को हटाना संभव नहीं था, इसलिए द्विभाषिक व्यवस्था बनी हुई है।
  4. क्षेत्रीय राजनीति – दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में भाषा को लेकर राजनीतिक आंदोलन समय-समय पर उभरते रहे हैं।

Quick Revision Table : भारत की राजभाषा संबंधी प्रावधान

श्रेणीविवरणअनुच्छेद / अधिनियम / तिथि
संविधान में स्थानराजभाषा संबंधी प्रावधानभाग-17 (अनुच्छेद 343 से 351)
संघ की राजभाषाहिंदी (देवनागरी लिपि)अनुच्छेद 343
संघ की अंक प्रणालीअंतर्राष्ट्रीय रूप (हिन्दी-अरबी अंक)अनुच्छेद 343(1)
राजभाषा आयोग और समितिआयोग व संसदीय समिति का गठनअनुच्छेद 344
राज्य की राजभाषाराज्य अपनी राजभाषा चुन सकते हैंअनुच्छेद 345
राज्य और संघ/दो राज्यों के बीच भाषापत्राचार हेतु भाषाअनुच्छेद 346
विशेष उपबंध (जनसंख्या के आधार पर)किसी अन्य भाषा को मान्यताअनुच्छेद 347
न्यायपालिका और विधेयक की भाषाउच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, अधिनियम आदि में भाषाअनुच्छेद 348
विशेष प्रक्रियाभाषा संबंधी विधियां बनाने हेतुअनुच्छेद 349
अभ्यावेदन का अधिकारअपनी भाषा में शिकायत / निवेदनअनुच्छेद 350
प्राथमिक शिक्षामातृभाषा में शिक्षा का प्रावधानअनुच्छेद 350 (क)
भाषाई अल्पसंख्यक अधिकारीअल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हेतुअनुच्छेद 350 (ख)
हिंदी का विकासहिंदी को समृद्ध और वैज्ञानिक बनाने हेतु निदेशअनुच्छेद 351
हिंदी को राजभाषा घोषित14 सितम्बर 1949संविधान सभा का निर्णय
हिंदी दिवसप्रतिवर्ष 14 सितम्बरहिंदी को राजभाषा घोषित करने की स्मृति
राजभाषा अधिनियम, 1963हिंदी-अंग्रेजी दोनों के प्रयोग का प्रावधान1963
संशोधन अधिनियम, 1976अंग्रेजी को अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति1976
8वीं अनुसूची की भाषाएँवर्तमान में 22 भाषाएँसंविधान की 8वीं अनुसूची

निष्कर्ष

भारत की राजभाषा व्यवस्था एक व्यावहारिक और संवेदनशील समझौता है। हिंदी को राजभाषा बनाकर देश की स्वभाषा को सम्मान दिया गया, वहीं अंग्रेजी को सह-राजभाषा बनाकर प्रशासनिक निरंतरता और व्यावहारिकता सुनिश्चित की गई। आज आवश्यकता इस बात की है कि हिंदी को आधुनिक विज्ञान, तकनीक, व्यापार और प्रशासन की भाषा बनाने के प्रयासों को और तेज़ किया जाए, ताकि यह केवल “कागज़ की राजभाषा” न रहकर व्यवहार की भी भाषा बन सके।

हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएँ भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं। यदि हम इन्हें वैज्ञानिक और तकनीकी भाषा के रूप में विकसित करें तो निश्चित ही भारत की पहचान विश्व पटल पर और भी सशक्त होगी।

✦ इस प्रकार राजभाषा केवल प्रशासनिक आवश्यकता नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समन्वय का आधार है।


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