भारत में भले ही क्रिकेट को सर्वाधिक लोकप्रिय खेल माना जाता हो, लेकिन फुटबॉल के प्रति जो जुनून और भावनात्मक लगाव कोलकाता जैसे शहरों में देखने को मिलता है, वह इसे एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है। इसी फुटबॉल प्रेम की जीवंत अभिव्यक्ति हाल ही में तब देखने को मिली, जब कोलकाता में विश्व फुटबॉल के महानायक लियोनेल मेसी के सम्मान में 70 फुट ऊँची लोहे की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह प्रतिमा न केवल आकार में विशाल है, बल्कि अपने भीतर विश्व कप विजेता मेसी की ऐतिहासिक यात्रा, उनकी वैश्विक लोकप्रियता और भारतीय प्रशंसकों के गहरे जुड़ाव की कहानी भी समेटे हुए है।
लियोनेल मेसी का 14 वर्षों बाद भारत आगमन, ‘मैसी मेनिया’ से भरा जनसमर्थन, आठ बैलन डी’ओर और फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी से सजी उनकी उपलब्धियाँ, तथा कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में घटित घटनाक्रम—ये सभी पहलू इस दौरे को केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, भावनात्मक और ऐतिहासिक प्रसंग में परिवर्तित कर देते हैं। यह आर्टिकल इन्हीं घटनाओं, उनके व्यापक अर्थ और भारतीय फुटबॉल संस्कृति पर उनके प्रभाव का विश्लेषणात्मक प्रस्तुतीकरण है।
भारतीय फुटबॉल संस्कृति में एक ऐतिहासिक और भावनात्मक अध्याय
भारत में क्रिकेट को भले ही सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता हो, किंतु फुटबॉल के प्रति जिस प्रकार का जुनून और भावनात्मक लगाव कोलकाता जैसे शहरों में देखने को मिलता है, वह विश्व के किसी भी फुटबॉल-प्रेमी देश से कम नहीं है। इसी फुटबॉल-प्रेम की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कोलकाता ने हाल ही में खेल इतिहास में एक ऐसा अध्याय जोड़ा है, जिसने न केवल भारत बल्कि वैश्विक फुटबॉल जगत का भी ध्यान आकर्षित किया है।
भारत की ‘फुटबॉल राजधानी’ कहे जाने वाले कोलकाता में अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनेल मेसी की 70 फुट ऊँची लोहे की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। यह प्रतिमा आकार, भाव, प्रतीकात्मकता और निर्माण-गति—हर दृष्टि से ऐतिहासिक मानी जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया की अब तक की सबसे ऊँची लियोनेल मेसी प्रतिमा है।
यह घटना केवल एक प्रतिमा-स्थापना भर नहीं है, बल्कि यह कोलकाता की फुटबॉल संस्कृति, भारतीय खेल-भावना और वैश्विक खेल-नायकों के प्रति भारतीय समाज के सम्मान को भी दर्शाती है।
प्रतिमा का स्थान और स्थापना
यह भव्य प्रतिमा श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब, लेक टाउन, साउथ दमदम, कोलकाता में स्थापित की गई है। यह क्षेत्र पहले से ही दुर्गा पूजा और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए जाना जाता रहा है, और अब यह स्थान अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्रेमियों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन गया है।
श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब ने इससे पहले भी अपनी रचनात्मकता और भव्य आयोजनों के लिए राष्ट्रीय पहचान बनाई है। लियोनेल मेसी की यह विशाल प्रतिमा उसी परंपरा का विस्तार है, जिसमें खेल, कला और सामाजिक भावना का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
70 फुट ऊँची प्रतिमा: संरचना और तकनीकी विशेषताएँ
प्रतिमा की प्रमुख विशेषताएँ
इस प्रतिमा से जुड़े मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं:
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| ऊँचाई | 70 फुट |
| सामग्री | लोहा (Iron) |
| स्थान | श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब, लेक टाउन, साउथ दमदम, कोलकाता |
| विषय | फीफा विश्व कप ट्रॉफी उठाते लियोनेल मेसी |
| निर्माण समय | लगभग 40 दिन |
| दावा | विश्व की सबसे बड़ी लियोनेल मेसी प्रतिमा |
प्रतिमा को लोहे से निर्मित किया गया है, जिससे इसकी मजबूती और दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके। निर्माण की गति भी अपने-आप में उल्लेखनीय है, क्योंकि इतनी विशाल संरचना को मात्र 40 दिनों में तैयार करना एक तकनीकी और प्रबंधनात्मक उपलब्धि मानी जा रही है।
2022 फीफा विश्व कप की ऐतिहासिक स्मृति
प्रतिमा में लियोनेल मेसी को फीफा विश्व कप ट्रॉफी उठाते हुए दिखाया गया है। यह दृश्य अर्जेंटीना की 2022 फीफा विश्व कप जीत का प्रतीक है, जिसने मेसी के करियर को पूर्णता प्रदान की।
2022 विश्व कप और मेसी
- यह मेसी का अंतिम विश्व कप माना गया।
- अर्जेंटीना ने 36 वर्षों बाद विश्व कप जीता।
- फाइनल मुकाबला फ्रांस के खिलाफ इतिहास का सबसे रोमांचक फाइनल माना गया।
- मेसी को ‘गोल्डन बॉल’ पुरस्कार मिला।
इस जीत के साथ मेसी ने वह उपलब्धि हासिल कर ली, जिसे लंबे समय से उनके करियर का अधूरा अध्याय माना जा रहा था। कोलकाता में स्थापित यह प्रतिमा उसी ऐतिहासिक क्षण को अमर करने का प्रयास है।
निर्माण प्रक्रिया और कलाकारों की भूमिका
प्रतिमा के अंतिम सतही कार्य और फिनिशिंग का दायित्व मोंटी पॉल और उनकी टीम को सौंपा गया है। उनकी टीम प्रतिमा की बाहरी बनावट, चेहरे के भाव, कपड़ों की सिलवटों और ट्रॉफी की संरचना को अत्यंत यथार्थवादी रूप देने में जुटी हुई है।
साथ ही, अनावरण समारोह को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए आसपास के क्षेत्र को विशेष रूप से सजाया गया है। प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग, प्रवेश-निकास व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंध—सभी पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कोलकाता और फुटबॉल: एक ऐतिहासिक रिश्ता
कोलकाता को यूँ ही भारत की फुटबॉल राजधानी नहीं कहा जाता। इस शहर की गलियों, मैदानों और क्लबों में फुटबॉल केवल खेल नहीं, बल्कि एक संस्कृति है।
कोलकाता की फुटबॉल विरासत
- मोहन बागान
- ईस्ट बंगाल
- मोहम्मडन स्पोर्टिंग
ये क्लब न केवल खेल संस्थाएँ हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी हैं। दशकों से कोलकाता ने भारतीय फुटबॉल को खिलाड़ी, दर्शक और भावना—तीनों प्रदान की है।
वैश्विक फुटबॉल सितारे और कोलकाता
कोलकाता पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल दिग्गजों का साक्षी बन चुका है। इस शहर ने विश्व फुटबॉल के कई महान खिलाड़ियों का स्वागत किया है, जिनमें प्रमुख हैं:
- डिएगो माराडोना – अर्जेंटीना के महान खिलाड़ी, जिनका भारत दौरा ऐतिहासिक माना जाता है
- रोनाल्डिन्हो गाउचो – ब्राज़ील के जादुई फुटबॉलर
- एमिलियानो मार्टिनेज – अर्जेंटीना के विश्व कप विजेता गोलकीपर
अब, भले ही शारीरिक रूप से नहीं, लेकिन स्मारक रूप में लियोनेल मेसी भी इस विशिष्ट सूची में शामिल हो गए हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री और श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष सुजीत बोस ने इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा:
“यह बहुत बड़ी प्रतिमा है, जिसकी ऊँचाई 70 फुट है। दुनिया में मेसी की इतनी बड़ी कोई और प्रतिमा नहीं है। मेसी कोलकाता आ रहे हैं और यहाँ उनके असंख्य प्रशंसक हैं।”
उनका यह वक्तव्य इस बात को रेखांकित करता है कि यह प्रतिमा केवल खेल-प्रेम का प्रतीक नहीं, बल्कि कोलकाता की वैश्विक पहचान को और मजबूत करने वाला कदम भी है।
लियोनेल मैसी का भारत आगमन: ‘मैसी मेनिया’ से भरा ऐतिहासिक स्वागत
14 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद विश्व फुटबॉल के महानायक और फीफा वर्ल्ड कप विजेता लियोनेल मैसी ने भारत की धरती पर कदम रखा। शनिवार की सुबह जब वे अपने साथी खिलाड़ियों लुइस सुआरेज और रोड्रिगो डे पॉल के साथ कोलकाता पहुंचे, तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लेकर शहर की सड़कों तक ‘मैसी मेनिया’ का नज़ारा देखने को मिला।
दिसंबर की ठंडी रात और तड़के सुबह के बावजूद हजारों प्रशंसक अपने प्रिय खिलाड़ी की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर डटे रहे। कोलकाता में मैसी के स्वागत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह दौरा केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है।
2011 के कप्तान से 2025 के ‘लीजेंड’ तक: कोलकाता का भावनात्मक जुड़ाव
कोलकाता के लिए यह क्षण विशेष रूप से भावुक रहा, क्योंकि लियोनेल मैसी आखिरी बार वर्ष 2011 में भारत आए थे, जब वे अर्जेंटीना टीम के एक साधारण कप्तान के रूप में यहां पहुंचे थे।
इस बार, वे आठ बैलन डी’ओर (Ballon d’Or) पुरस्कारों और फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ एक स्थापित ‘फुटबॉल लीजेंड’ के रूप में लौटे। यही परिवर्तन इस दौरे को ऐतिहासिक बनाता है और कोलकाता के फुटबॉल प्रेमियों के लिए इसे अविस्मरणीय क्षण में बदल देता है।
‘आठ बैलन डी’ओर’ और फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी: लियोनेल मैसी की महानता का प्रतीक
बैलन डी’ओर (Ballon d’Or) विश्व फुटबॉल का सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्तिगत पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष फ्रांस की प्रसिद्ध खेल पत्रिका France Football द्वारा उस खिलाड़ी को प्रदान किया जाता है, जिसे विश्व का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर चुना जाता है।
लियोनेल मैसी ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को अब तक कुल आठ बार अपने नाम किया है, जो फुटबॉल इतिहास में एक अद्वितीय और रिकॉर्ड-तोड़ उपलब्धि है। मैसी द्वारा बैलन डी’ओर जीतने के वर्ष इस प्रकार हैं—2009, 2010, 2011, 2012, 2015, 2019, 2021 और 2023।
‘आठ बैलन डी’ओर’ का आशय यह दर्शाता है कि लियोनेल मैसी को आठ अलग-अलग अवसरों पर विश्व का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर घोषित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल उनकी निरंतर उत्कृष्टता, तकनीकी कौशल और खेल-दृष्टि को प्रमाणित करती है, बल्कि उन्हें फुटबॉल इतिहास के महानतम खिलाड़ियों की श्रेणी में स्थापित करती है।
इसके साथ ही, लियोनेल मैसी ने अपने शानदार करियर में वह उपलब्धि भी हासिल की, जिसे लंबे समय तक उनके करियर का अधूरा अध्याय माना जाता रहा—फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी। वर्ष 2022 में कतर में आयोजित फीफा विश्व कप में अर्जेंटीना टीम का नेतृत्व करते हुए मैसी ने टीम को 36 वर्षों बाद विश्व चैंपियन बनाया। इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल अर्जेंटीना को फुटबॉल की सर्वोच्च ट्रॉफी दिलाई, बल्कि मैसी की महानता पर लगी अंतिम मुहर भी लगा दी।
‘आठ बैलन डी’ओर और फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी’ का संयुक्त उल्लेख इस तथ्य को रेखांकित करता है कि लियोनेल मैसी ने व्यक्तिगत उत्कृष्टता और टीम-उपलब्धि—दोनों स्तरों पर फुटबॉल के सर्वोच्च शिखर को छुआ है। यही कारण है कि उन्हें सर्वसम्मति से फुटबॉल इतिहास के महानतम खिलाड़ियों (GOAT – Greatest of All Time) में स्थान दिया जाता है।
लेक टाउन में 70 फुट ऊँची प्रतिमा का वर्चुअल उद्घाटन
अपने भारत दौरे की शुरुआत में लियोनेल मैसी ने कोलकाता के लेक टाउन क्षेत्र में स्थापित अपनी 70 फुट ऊँची विशालकाय प्रतिमा का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।
आयोजकों के अनुसार, यह प्रतिमा दुनिया में लियोनेल मैसी की सबसे ऊँची प्रतिमा है। यह आयोजन प्रतीकात्मक रूप से न केवल मैसी के वैश्विक कद को दर्शाता है, बल्कि भारत—विशेषकर कोलकाता—के फुटबॉल प्रेम और अंतरराष्ट्रीय खेल संस्कृति से उसके जुड़ाव को भी रेखांकित करता है।
13 दिसंबर को वर्चुअल उद्घाटन
सुरक्षा और कानून-व्यवस्था से जुड़े कारणों के चलते लियोनेल मेसी इस ऐतिहासिक समारोह में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सके। इसके स्थान पर 13 दिसंबर को लियोनेल मेसी ने कोलकाता में स्थापित अपनी 70 फुट ऊँची प्रतिमा का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।
भले ही यह आयोजन डिजिटल स्वरूप में आयोजित किया गया, किंतु इसका प्रभाव किसी भव्य भौतिक समारोह से कम नहीं रहा। इस वर्चुअल उद्घाटन के दौरान बंगाल के विभिन्न हिस्सों से हजारों फुटबॉल प्रेमी ऑनलाइन जुड़े, वहीं बड़ी संख्या में प्रशंसक प्रतिमा स्थल के आसपास भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कार्यक्रम से जुड़े वीडियो, तस्वीरें और प्रतिक्रियाएँ तेजी से वायरल हुईं, जिससे यह आयोजन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंड करता नजर आया।
विशेषज्ञों और खेल प्रेमियों का मानना है कि इस वर्चुअल उद्घाटन ने न केवल भारतीय प्रशंसकों और लियोनेल मेसी के बीच भावनात्मक जुड़ाव को और मजबूत किया, बल्कि भारत–अर्जेंटीना फुटबॉल संबंधों को भी नई ऊर्जा और प्रतीकात्मक मजबूती प्रदान की।
सॉल्ट लेक स्टेडियम में अव्यवस्था: ‘गोट टूर’ का अधूरा पल
हालाँकि भारत दौरे की शुरुआत जहाँ उत्साह और उल्लास से हुई, वहीं कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह ऐतिहासिक अवसर उस समय विवादों में घिर गया, जब खराब प्रबंधन और बेकाबू भीड़ के कारण स्थिति बिगड़ गई।
‘गोट टूर (GOAT Tour)’ के तहत स्टेडियम में मौजूद हजारों प्रशंसकों की अव्यवस्थित भीड़ और अपर्याप्त सुरक्षा इंतज़ामों के चलते लियोनेल मैसी को अपना पारंपरिक ‘लैप ऑफ ऑनर’ अधूरा छोड़कर लौटना पड़ा। इस घटना ने आयोजन की तैयारियों और भीड़ प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
आयोजकों की प्रतिक्रिया और उठते सवाल
दौरे के आयोजक सुदीप्तो दत्ता ने इस अवसर को कोलकाता और भारत के खेल इतिहास का सबसे बड़ा क्षण बताया। हालांकि, स्टेडियम में हुई अव्यवस्था ने इस दावे के साथ-साथ आयोजन व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर के अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और प्रशासनिक समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे ऐतिहासिक अवसरों की गरिमा बनी रह सके।
2026 फीफा विश्व कप के संदर्भ में प्रतीकात्मकता
जैसे-जैसे 2026 फीफा विश्व कप नजदीक आ रहा है, यह प्रतिमा और भी अधिक प्रतीकात्मक बन जाती है। यह न केवल अतीत की जीत का स्मारक है, बल्कि भविष्य की फुटबॉल प्रेरणाओं का भी स्रोत है।
युवा खिलाड़ियों के लिए यह प्रतिमा यह संदेश देती है कि:
- सपने सीमाओं में बंधे नहीं होते।
- जुनून और परिश्रम वैश्विक पहचान दिला सकता है।
- फुटबॉल केवल यूरोप या दक्षिण अमेरिका तक सीमित नहीं।
भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों के लिए भावनात्मक महत्व
भारत में, विशेषकर बंगाल, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में, लियोनेल मेसी की फैन-फॉलोइंग असाधारण है। अर्जेंटीना के मैचों के दौरान भारतीय सड़कों पर झंडे, जर्सी और जुलूस आम दृश्य बन चुके हैं।
कोलकाता में यह प्रतिमा:
- प्रशंसकों के लिए तीर्थस्थल जैसी होगी।
- युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
- भारत में फुटबॉल संस्कृति को नई पहचान देगी।
निष्कर्ष
कोलकाता में लियोनेल मेसी की 70 फुट ऊँची लोहे की प्रतिमा केवल एक संरचना नहीं है, बल्कि यह भावना, संस्कृति, इतिहास और वैश्विक खेल-एकता का प्रतीक है। यह प्रतिमा दिखाती है कि खेल सीमाओं से परे होता है और महान खिलाड़ी किसी एक देश के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के होते हैं।
भारत की फुटबॉल राजधानी ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि जब बात फुटबॉल की आती है, तो कोलकाता केवल दर्शक नहीं, बल्कि इतिहास-निर्माता भी है।
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